हरियाणा में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस टिकट के दावेदारों के नामों की उलझन में फंसी हुई है। 26 अगस्त से अगले चार दिनों तक नई दिल्ली में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होगी। जिसमें 90 सीटों के लिए आए दावेदारों के आवेदन को शॉर्ट लिस्ट करने का काम किया जाएगा। प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया कह चुके हैं- हमारी कोशिश सिंगल नाम का पैनल बनाकर केंद्रीय चुनाव समिति को भेजने की रहेगी। ऐसे में चार दिन होने वाली बैठक में तमाम सीनियर नेता दावेदारों के नाम शॉर्ट लिस्ट कर सिंगल पैनल बनाने की कोशिश में जुटेंगे। कई सीटों पर 40 से अधिक दावेदार बता दें कि पिछले 10 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस में इस बार टिकट को लेकर नेताओं में काफी क्रेज दिखने को मिल रहा है। जुलाई महीने में कांग्रेस ने चुनाव लड़ने वाले नेताओं से आवेदन मांगे थे। करीब 15 दिन चली प्रक्रिया के तहत 90 सीटों के लिए 2556 आवेदन आए हैं। कई सीटों पर तो 40 से ज्यादा दावेदारों की संख्या है। जिसके चलते सिंगल ही नहीं, बल्कि तीन-चार नाम ही शॉर्ट लिस्ट करना कांग्रेस के लिए सिरदर्दी बन गया है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी परेशानी गुटबाजी भी है, प्रदेश में फिलहाल कांग्रेस में तीन गुट बने हुए हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला अलग-अलग ग्रुप में राजनीति कर रहे हैं। तीनों ही ग्रुप की कोशिश अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलाने की है। 1 या 2 सितंबर को आ सकती है पहली लिस्ट दरअसल, चार दिन के मंथन के बाद कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति हरियाणा में चुनाव लड़ने वाले नेताओं पर अंतिम मोहर लगाएगी। गुटबाजी के कारण कांग्रेस हाईकमान ने टिकटों का वितरण अपने हाथों में ले लिया हैं। संभावना है कि स्क्रीनिंग कमेटी की तरफ से शॉट लिस्ट कर भेजे जाने वाले पैनल के बाद 1 या 2 सितंबर को कांग्रेस के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी हो सकती हैं। क्योंकि 27 अगस्त को भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की भी बैठक हैं। इस बैठक के बाद भाजपा भी इसी माह के अंत तक अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती हैं। 15 से 20 नामों की सूची फाइनल चार दिनों में भले ही स्क्रीनिंग कमेटी सिंगल नाम का पैनल बनाने की कोशिश करेगी। लेकिन प्रदेश की 15 से 20 सीटें ऐसी है, जिन पर एक तरह से सिंगल नाम तय भी हो चुके है। इनमें रोहतक, गढ़ी-सांपला-किलोई, रेवाड़ी, झज्जर, बेरी, महम, नूंह, पुन्हाना, पलवल, बड़खल, फरीदाबाद, कोसली, महेंद्रगढ़, थानेसर, बरौदा के अलावा कुछ अन्य सीटें शामिल है, जिनमें पर लगभग एक-एक नाम फाइनल हो चुके हैं। बस इन नामों को शॉर्ट लिस्ट कर केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा जाना है। 5 सितंबर से नामांकन प्रक्रिया हरियाणा में 1 अक्टूबर को वोटिंग होनी हैं। 5 सितंबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी और 12 सितंबर को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि हैं। यानी अगले 10 दिनों के अंदर दोनों ही प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी के ज्यादातर उम्मीदवारों की घोषणा हो जाएगी। 13 सितंबर को नामांकन की जांच होगी और 16 सितंबर नाम वापस लेने की अंतिम तिथि है। चुनाव की तारीख बढ़ाने की मांग की थी BJP 22 अगस्त को भाजपा ने चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीख बढ़ाने की मांग थी। भाजपा ने छुट्टियों का हवाला देते हुए कहा कि 1 अक्टूबर को मतदान आयोजित होने से वोटिंग प्रतिशत घटने की संभावना है। गैर जाट वोट बैंक पर कांग्रेस का फोकस अधिक हरियाणा कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में टिकटों पर मंथन के बीच विधानसभा सीटों का गुणा-गणित तैयार कर लिया है। इस बार कांग्रेस बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए गैर जाट वोट बैंक पर ज्यादा फोकस करेगी। हरियाणा में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस टिकट के दावेदारों के नामों की उलझन में फंसी हुई है। 26 अगस्त से अगले चार दिनों तक नई दिल्ली में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होगी। जिसमें 90 सीटों के लिए आए दावेदारों के आवेदन को शॉर्ट लिस्ट करने का काम किया जाएगा। प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया कह चुके हैं- हमारी कोशिश सिंगल नाम का पैनल बनाकर केंद्रीय चुनाव समिति को भेजने की रहेगी। ऐसे में चार दिन होने वाली बैठक में तमाम सीनियर नेता दावेदारों के नाम शॉर्ट लिस्ट कर सिंगल पैनल बनाने की कोशिश में जुटेंगे। कई सीटों पर 40 से अधिक दावेदार बता दें कि पिछले 10 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस में इस बार टिकट को लेकर नेताओं में काफी क्रेज दिखने को मिल रहा है। जुलाई महीने में कांग्रेस ने चुनाव लड़ने वाले नेताओं से आवेदन मांगे थे। करीब 15 दिन चली प्रक्रिया के तहत 90 सीटों के लिए 2556 आवेदन आए हैं। कई सीटों पर तो 40 से ज्यादा दावेदारों की संख्या है। जिसके चलते सिंगल ही नहीं, बल्कि तीन-चार नाम ही शॉर्ट लिस्ट करना कांग्रेस के लिए सिरदर्दी बन गया है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी परेशानी गुटबाजी भी है, प्रदेश में फिलहाल कांग्रेस में तीन गुट बने हुए हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला अलग-अलग ग्रुप में राजनीति कर रहे हैं। तीनों ही ग्रुप की कोशिश अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलाने की है। 1 या 2 सितंबर को आ सकती है पहली लिस्ट दरअसल, चार दिन के मंथन के बाद कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति हरियाणा में चुनाव लड़ने वाले नेताओं पर अंतिम मोहर लगाएगी। गुटबाजी के कारण कांग्रेस हाईकमान ने टिकटों का वितरण अपने हाथों में ले लिया हैं। संभावना है कि स्क्रीनिंग कमेटी की तरफ से शॉट लिस्ट कर भेजे जाने वाले पैनल के बाद 1 या 2 सितंबर को कांग्रेस के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी हो सकती हैं। क्योंकि 27 अगस्त को भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की भी बैठक हैं। इस बैठक के बाद भाजपा भी इसी माह के अंत तक अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती हैं। 15 से 20 नामों की सूची फाइनल चार दिनों में भले ही स्क्रीनिंग कमेटी सिंगल नाम का पैनल बनाने की कोशिश करेगी। लेकिन प्रदेश की 15 से 20 सीटें ऐसी है, जिन पर एक तरह से सिंगल नाम तय भी हो चुके है। इनमें रोहतक, गढ़ी-सांपला-किलोई, रेवाड़ी, झज्जर, बेरी, महम, नूंह, पुन्हाना, पलवल, बड़खल, फरीदाबाद, कोसली, महेंद्रगढ़, थानेसर, बरौदा के अलावा कुछ अन्य सीटें शामिल है, जिनमें पर लगभग एक-एक नाम फाइनल हो चुके हैं। बस इन नामों को शॉर्ट लिस्ट कर केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा जाना है। 5 सितंबर से नामांकन प्रक्रिया हरियाणा में 1 अक्टूबर को वोटिंग होनी हैं। 5 सितंबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी और 12 सितंबर को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि हैं। यानी अगले 10 दिनों के अंदर दोनों ही प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी के ज्यादातर उम्मीदवारों की घोषणा हो जाएगी। 13 सितंबर को नामांकन की जांच होगी और 16 सितंबर नाम वापस लेने की अंतिम तिथि है। चुनाव की तारीख बढ़ाने की मांग की थी BJP 22 अगस्त को भाजपा ने चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीख बढ़ाने की मांग थी। भाजपा ने छुट्टियों का हवाला देते हुए कहा कि 1 अक्टूबर को मतदान आयोजित होने से वोटिंग प्रतिशत घटने की संभावना है। गैर जाट वोट बैंक पर कांग्रेस का फोकस अधिक हरियाणा कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में टिकटों पर मंथन के बीच विधानसभा सीटों का गुणा-गणित तैयार कर लिया है। इस बार कांग्रेस बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए गैर जाट वोट बैंक पर ज्यादा फोकस करेगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
जींद में नहर में मिला युवक का शव:दो दिन से लापता था; शरीर पर मिले चोट के निशान, झगड़ा हुआ था, FIR
जींद में नहर में मिला युवक का शव:दो दिन से लापता था; शरीर पर मिले चोट के निशान, झगड़ा हुआ था, FIR हरियाणा के जींद के जुलाना क्षेत्र में सोमवार को खरेंटी गांव के पास सुंदर ब्रांच नहर में एक युवक का शव मिला। इसकी सुचना पुलिस को दी गई। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बाहर निकाला। शव की पहचान लिजवाना खुर्द गांव निवासी 35 वर्षीय विजय के रूप में हुई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में भिजवाया। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया है। जानकारी अनुसार लिजवाना खुर्द गांव निवासी 35 वर्षीय विजय दो दिन से घर से लापता था। परिजन उसकी तलाश कर रहे थे। झज्जर जिले के डावला गांव निवासी संजय ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसके जीजा विजय उर्फ जड़ेजा का फोन पर किसी के साथ झगड़ा हुआ था। तभी वह घर से चला गया था। संजय ने आरोप लगाया कि उसके जीजा विजय के शरीर पर चोट के निशान थे। सोमवार को खरेंटी गांव के पास राहगिरों ने सुुंदर ब्रांच नहर में एक शव को देखा तो इसकी सूचना पुलिस को दी। सुचना पाकर जुलाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बाहर निकाला और मृतक के परिजनों को इसकी सूचना दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में भिजवाया। पुलिस ने मृतक के साले की शिकायत के आधार पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जुलाना थाना प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि खरेंटी गांव के पास नहर में एक युवक का शव मिला है। पुलिस ने मृतक के साले की शिकायत के आधार पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
हरियाणा BJP में टिकटों को लेकर घमासान:बागी सुरों ने प्रभारी सतीश पूनिया की बढ़ाई दिक्कत; बाहरी प्रत्याशियों का विरोध
हरियाणा BJP में टिकटों को लेकर घमासान:बागी सुरों ने प्रभारी सतीश पूनिया की बढ़ाई दिक्कत; बाहरी प्रत्याशियों का विरोध हरियाणा में बीजेपी में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। पार्टी प्रदेश की सत्ता में वापसी कर हैट्रिक मारना चाहता है, लेकिन टिकट के दावेदार एवं नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई के साथ पार्टी में उठ रहे बागी सुरों ने प्रदेश प्रभारी सतीश पूनिया से लेकर शीर्ष नेतृत्व की नींद उड़ा दी है। लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव को लेकर सतीश पूनिया को प्रदेश प्रभारी का दायित्व तो दिया गया, लेकिन वे फिलहाल पार्टी में अनुशासन कायम नहीं कर पा रहे। दक्षिण हरियाणा में वर्चस्व की लड़ाई चरम पर है और बड़े नेता अपने समर्थकों की टिकट को लेकर पार्टी पर दबाव बना रहे हैं। वहीं बाहरी प्रत्याशियों को पार्टी टिकट देना चाहती है, लेकिन स्थानीय नेता-वर्कर इसको लेकर तैयार नहीं हैं और विरोध प्रदर्शन से लेकर शीर्ष नेतृत्व को लेटर लिखने का भी दौर चल रहा है। भाजपा में विभिन्न हलकों से टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है और हर कोई प्रेशर बनाकर टिकट की मांग कर रहा है। बीजेपी 10 साल के एंटी इनकंबैंसी के बीच सत्ता तक का सफर तय कर हैट्रिक मारने के लिए पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री पर दांव लगाना चाहती है। वहीं इसको लेकर पार्टी के अंदर बगावत के सुर मुखर होने लगे हैं। वर्कर पार्टी के बड़े चेहरों को बाहरी बताकर उनके पुतले तक जलाने लगे हैं। शीर्ष नेतृत्व को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी खुलकर जता रहे हैं। हरियाणा भाजपा में पार्टी के अंदर मचे घमासान ने शीर्ष नेतृत्व की नींद उड़ा दी है। बंद कमरों की बात सार्वजनिक होने के साथ ही पार्टी वर्कर सड़कों पर आ गए हैं। प्रदेश संगठन पदाधिकारी खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। इसी के चलते शायद पार्टी ने टिकट वितरण की पहली तैयार लिस्ट को फिलहाल होल्ड पर रख दिया है। डैमेज कंट्रोल के लिए शीर्ष नेतृत्व रणनीति बना रहा है। प्रभारी सतीश पूनिया के कई बड़ी चुनौती जिनके कटे टिकट, वो ही हाे रहे बागी भाजपा में जिस हिसाब से नेता मुखर हैं, टिकट के ऐलान होने के बाद वो बगावती हो सकते हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी में भी जिन नेताओं के टिकट कटेंगे, वह बगावत के सुर अपनाएंगे। कुछ निर्दलीय तो कुछ दूसरी पार्टी का भी रुख कर सकते हैं। इस पलायन को रोकना भी प्रभारी सतीश पूनिया के लिए एक बड़ा टास्क होगा। सर्वे पर भी उठ रहे सवाल भाजपा के सर्वे में जिन दावेदारों के नाम टिकट के लिए आए हैं, उनकी जगह वरिष्ठ नेताओं ने वीटो पावर कर अपने समर्थकों के नाम उसमें एड करवा दिए। इससे सर्वे पर ही सवाल खड़े हो गए। फिर पार्टी सर्वे की जरूरत ही क्या थी, इसको लेकर भी पूनिया क्या कदम उठाएंगे, इस पर भी सभी की नजर रहेगी। राव नरबीर हो चुके मुखर, टिकट बता रहे पक्का गुरुग्राम के बादशाहपुर हलके से प्रदेश के पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह भाजपा की टिकट मांग रहे हैं। समय-समय पर वह पार्टी को आंख भी दिखाते रहे हैं। उनके खिलाफ संसदीय बोर्ड सदस्य सुधा यादव मोर्चा खोल चुकी हैं, तो राव इंद्रजीत सिंह से उनका पहले से ही छत्तीस का आंकड़ा है। पार्टी को यह भी पता है कि राव नरबीर ही यह सीट निकाल सकते हैं अब इस द्वंद को शांत करना भी पूनिया के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं। नांगल चौधरी में भी शह मात का खेल महेंद्रगढ़ जिले में नांगल चौधरी विधायक व मंत्री अभय सिंह यादव व केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह की अदावत किसी से नहीं छिपी है। इस चुनाव में भी दोनों के बीच शह-मात का खेल चलेगा। इंद्रजीत सिंह अपने 8-10 समर्थकों को दक्षिण हरियाणा से टिकट देने की आवाज बुलंद कर रहे हैं। इनके बीच सीज फायर करवाना जरूरी है वरना इसका नुकसान बीजेपी को हो सकता है। सीएम-बड़ौली के बीच भी नहीं बनी एक राय हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी व प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के बीच ही एक राय नहीं बन पा रही है। बड़ोली ने सीएम के लाडवा से चुनाव लड़ने की बात कही तो कुछ देर बाद सीएम सैनी ने करनाल से चुनाव लड़ने की बात कह दी। इससे साफ है कि पार्टी के अंदर सब कुछ सामान्य नहीं है। गुरुग्राम विधानसभा में पंजाबी-ब्राह्मण-वैश्य के बीच पेंच फंसा है। एक केंद्रीय मंत्री पूर्व जिलाध्यक्ष गार्गी कक्कड़ के नाम की पैरवी कर रहे हैं। वहीं दूसरे पंजाबी दावेदार सीमा पाहूजा, यशपाल बत्रा अपनी दावेदारी कर गार्गी को नगर नगम चुनाव में हराना, उनके हिमाचल के राजपूत होने की बात सामने आने से साफ है कि पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। आमेर विधानसभा से चुनाव हारे थे पूनिया सतीश पूनिया राजस्थान में साढ़े 3 साल प्रदेशाध्यक्ष रहे। 2013 में जब प्रदेश में वसुंधरा सरकार बनी तो वह आमेर से चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2018 के चुनाव में जब सत्ता में गहलोत सरकार आई तो पूनिया चुनाव जीते। 2024 में जब एक बार फिर बीजेपी सरकार सत्ता में आई तो पूनिया चुनाव हार गए। वह पार्टी के करीब साढ़े तीन साल प्रदेशाध्यक्ष रहे और संगठन के कई पदों पर भी काम किया और करीब 9 महीने राजस्थान विधानसभा के विपक्ष के उपनेता भी रहे। हरियाणा में इन सीटों पर भाजपा में घमासान
पानीपत में स्कूल बस ने स्कूटी में मारी टक्कर:हादसे में शिक्षिका की मौत, विद्यालय में पढ़ाने के लिए जा रही थी
पानीपत में स्कूल बस ने स्कूटी में मारी टक्कर:हादसे में शिक्षिका की मौत, विद्यालय में पढ़ाने के लिए जा रही थी हरियाणा के पानीपत जिले में एक सड़क हादसे में शिक्षिका की मौत हो गई। शिक्षिका अपने घर से स्कूटी पर सवार होकर दूसरे गांव में स्थित सरकारी स्कूल में पढ़ाने जा रही थी। रास्ते में एक निजी स्कूल की बस ने स्कूटी को सामने से टक्कर मार दी। हादसे में उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस दलबल मौके पर पहुंचा। साथ ही स्कूल का स्टाफ भी मौके पर पहुंच गया। पुलिस ने मौके से सभी आवश्यक कार्रवाई करने के बाद शव को सिविल अस्पताल भिजवाया। जहां उसका पंचनामा भरवा कर शवगृह में रखवा दिया गया है। पुलिस मामले की आगामी कार्रवाई कर रही है। सामने की टक्कर में मुंह पर लगी गंभीर चोट जानकारी के अनुसार मृतका की पहचान मोनिका (32) के रूप में हुई है। वह कुटानी गांव में रहती थी। वह पीजीटी मैथ की टीचर थी। उसकी ड्यूटी फिलहाल नारायणा गांव में थी। रोजाना की तरह वह शुक्रवार सुबह भी अपनी स्कूटी पर सवार होकर गांव से स्कूल जा रही थी। सुबह करीब साढ़े 8 बजे रास्ते में जब वह बुड़शाम और मढ़ाना गांव के पास से गुजर रही नहर की पटरी पर पहुंची, तो वहां सामने से एक तेज रफ्तार निजी स्कूल की बस ने टक्कर मार दी। हादसे में शिक्षिका के मुंह पर गंभीर चोटें लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वह दो बेटियों की मां थी।