हरियाणा में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस महागठबंधन की तैयारी कर रही है। इसलिए कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह I.N.D.I.A गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन करने जा रही है। हालांकि इसको लेकर पार्टी के दो नेता आमने-सामने आ गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह AAP के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं, लेकिन पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गठबंधन को लेकर अपना विरोध प्रकट किया है। हालांकि राहुल गांधी चाहते हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह गठबंधन का धर्म निभाया जाए। हालांकि हरियाणा में कांग्रेस विधानसभा की 90 सीटों में से सहयोगी दलों को सिंगल डिजिट सीट ही देने को राजी है। इसको लेकर कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और AAP नेताओं के बीच 2 दौर की मीटिंग भी हो चुकी है। ये कांग्रेस का गठबंधन प्लान पार्टी सूत्रों के मुताबिक इसमें कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह सहयोगी दलों को सिंगल डिजिट सीट ही दे सकते हैं। गठबंधन फॉर्मूले के तहत कांग्रेस AAP को 5 और सीपीआई, सीपीएम, सपा और NCP को एक-एक सीट देने को राजी है। हालांकि AAP 10 सीटों की मांग कर रही है। AAP से गठबंधन को लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया कह चुके हैं- “हम उनसे बात कर रहे हैं। कोई भी समझौता तभी संभव है जब दोनों पक्षों के लिए जीत वाली स्थिति हो। हम ऐसे समाधान पर काम कर रहे हैं जिससे दोनों पक्षों को फायदा हो। एक दो दिन में इस पर स्थिति साफ होगी। यदि बात नहीं बनती है तो छोड़ देंगे। 3 मेंबरी कमेटी बना चुकी कांग्रेस इस गठबंधन की पहल लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने की है। एक दिन पहले यानी मंगलवार को राहुल गांधी ने AAP से बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनाई। जिसमें पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के अलावा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान को भी रखा गया है। वहीं गठबंधन की पहल से हरियाणा में कांग्रेस के लिहाज से राहुल गांधी ने 3 बड़े मैसेज दिए हैं। पहला मैसेज पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के लिए है कि अपने स्तर पर अकेले चुनाव लड़ने की बात कहकर वह खुद को कांग्रेस से बड़ा नेता न समझें। विस्तार से पढ़ें, गठबंधन से राहुल गांधी के 3 निशाने 1. भूपेंद्र हुड्डा को भी इशारा किया हरियाणा में कांग्रेस के भूपेंद्र हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा-रणदीप सुरजेवाला के 2 गुट हैं। संगठन पर अभी हुड्डा की पकड़ है। प्रधान चौधरी उदयभान भी हुड्डा के करीबी हैं। हुड्डा लगातार कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने की पैरवी करते रहे। उन्होंने लोकसभा चुनाव के वक्त भी कहा कि विधानसभा में AAP से गठबंधन नहीं होगा। हुड्डा के हाईकमान को इग्नोर कर सीधे दावे करने के बाद राहुल गांधी का गठबंधन की तरफ बढ़ना उनके लिए बड़ा झटका है। यह भी मैसेज दिया गया कि हुड्डा खुद को हरियाणा कांग्रेस न समझें, बल्कि पार्टी उनसे ऊपर है। यह भी माना जा रहा है कि पिछले दिनों कुमारी सैलजा के CM पद पर दावा ठोकना भी हुड्डा को झटका देने की रणनीति का ही हिस्सा है। खास बात यह है कि सैलजा जहां उनके चुनाव लड़ने से लेकर सीएम चुनने तक का फैसला हाईकमान पर छोड़ती रही हैं, वहीं हुड्डा अपने स्तर पर किसी भी पार्टी से गठबंधन की बात को नकारते आ रहे हैं। 2. एंटी इनकंबेंसी वाले वोटों का बिखराव रोकेंगे भाजपा 10 साल से प्रदेश में सरकार चला रही है। ऐसे में सत्ता के प्रति एक स्वाभाविक एंटी इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) नजर आ रही है। अगर कांग्रेस और AAP अलग-अलग लड़ते हैं तो वोटों का बिखराव होना तय है। खास तौर पर पंजाब में कांग्रेस के प्रति एंटी इनकंबेंसी का सीधा फायदा AAP को पहुंचा। आप ने वहां 117 में से 92 सीटें जीत ली। कांग्रेस 18 पर सिमट गई। सत्ता के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी के वोट का विकल्प आप बनी तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है। ऐसे में राहुल गांधी गठबंधन से इसे भी रोकना चाहते हैं। 3. भाजपा की गैर जाट पॉलिटिक्स का तोड़ हरियाणा में भाजपा गैर जाट पॉलिटिक्स करती है। 10 साल में पहले पंजाबी CM मनोहर लाल खट्टर और अब लोकसभा चुनाव से पहले OBC चेहरे नायब सैनी को सीएम बना दिया। भाजपा इस चुनाव में भी गैर जाट वोट बैंक के लिए ग्राउंड लेवल पर रणनीति बना रही है। इसके उलट कांग्रेस की पॉलिटिक्स जाट वोट बैंक पर निर्भर है। हुड्डा हरियाणा में सबसे बड़े जाट चेहरे हैं। हालांकि जाट वोट बैंक भी एकमुश्त कांग्रेस को मिले, यह भी संभव नहीं है। इसमें पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) और अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) की सेंधमारी होगी। दूसरा कांग्रेस को SC वोट बैंक से उम्मीद है। लेकिन उसमें भी इनेलो के बसपा और JJP के चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी से गठबंधन के बाद सेंध लग सकती है। ऐसी सूरत में कांग्रेस आप को साथ लेकर उनके पक्ष के वोट बैंक को साधना चाहती है। जहां कांग्रेस मजबूत, वहां भी विपक्षी एकता का मैसेज हरियाणा में गठबंधन से राहुल गांधी की नजर फ्यूचर पॉलिटिक्स पर है। वह इसके जरिए I.N.D.I.A. ब्लॉक में शामिल उन छोटे-बड़े दलों को भरोसा देना चाहते हैं जिनमें कांग्रेस के प्रति भरोसे की कमी है। राहुल इससे सहयोगी दलों में कांग्रेस के साथ के प्रति भरोसा बढ़ाना चाहते हैं। इसके जरिए राहुल दूसरे राज्यों के दलों को भी मैसेज देना चाहते हैं। वहीं यह भी बताना चाहते हैं कि भले ही हरियाणा में 10 साल से सरकार चला रही BJP के प्रति एंटी इनकंबेंसी से कांग्रेस मजबूत होने का दावा कर रही है। लेकिन वह कमजोर दलों का साथ नहीं छोड़ रही। मध्यप्रदेश चुनाव में कांग्रेस पर इसको लेकर आरोप भी लगे थे कि सपा के साथ आखिरी वक्त तक बातचीत कर भी गठबंधन नहीं किया गया। दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव में गठबंधन हरियाणा के जरिए राहुल गांधी अगले साल 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को भी साधना चाहते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में कांग्रेस ने शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते 1998 से लेकर 2013 तक सरकार बनाई। इसके बाद 2013 और 2015 में हुए चुनाव में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई। इस बार कांग्रेस हरियाणा में AAP को साथ लेकर दिल्ली में उनके साथ गठबंधन को लेकर दबाव बना सकती है। पहले निगम में कांग्रेस की सपोर्ट से AAP का मेयर बना चंडीगढ़ नगर निगम के 35 वार्डों के लिए इसी साल मार्च महीने में चुनाव हुआ था। इसका चुनाव तो AAP और कांग्रेस ने अलग-अलग लड़ा। जिसमें AAP के 13 पार्षद और कांग्रेस के 7 पार्षद जीत गए। भाजपा के 14 और एक पार्षद अकाली दल का बना। मेयर के लिए सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बनी। हालांकि I.N.D.I.A. ब्लॉक के तहत आप-कांग्रेस ने मेयर चुनाव में गठबंधन कर लिया। जिसके बाद यहां कुलदीप कुमार आम आदमी पार्टी (AAP) के मेयर चुने गए। देश भर में I.N.D.I.A. ब्लॉक के आपस में मिलकर लड़ने और भाजपा को हराने का यह पहला चुनाव था। हरियाणा में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस महागठबंधन की तैयारी कर रही है। इसलिए कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह I.N.D.I.A गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन करने जा रही है। हालांकि इसको लेकर पार्टी के दो नेता आमने-सामने आ गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह AAP के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं, लेकिन पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गठबंधन को लेकर अपना विरोध प्रकट किया है। हालांकि राहुल गांधी चाहते हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह गठबंधन का धर्म निभाया जाए। हालांकि हरियाणा में कांग्रेस विधानसभा की 90 सीटों में से सहयोगी दलों को सिंगल डिजिट सीट ही देने को राजी है। इसको लेकर कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और AAP नेताओं के बीच 2 दौर की मीटिंग भी हो चुकी है। ये कांग्रेस का गठबंधन प्लान पार्टी सूत्रों के मुताबिक इसमें कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह सहयोगी दलों को सिंगल डिजिट सीट ही दे सकते हैं। गठबंधन फॉर्मूले के तहत कांग्रेस AAP को 5 और सीपीआई, सीपीएम, सपा और NCP को एक-एक सीट देने को राजी है। हालांकि AAP 10 सीटों की मांग कर रही है। AAP से गठबंधन को लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया कह चुके हैं- “हम उनसे बात कर रहे हैं। कोई भी समझौता तभी संभव है जब दोनों पक्षों के लिए जीत वाली स्थिति हो। हम ऐसे समाधान पर काम कर रहे हैं जिससे दोनों पक्षों को फायदा हो। एक दो दिन में इस पर स्थिति साफ होगी। यदि बात नहीं बनती है तो छोड़ देंगे। 3 मेंबरी कमेटी बना चुकी कांग्रेस इस गठबंधन की पहल लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने की है। एक दिन पहले यानी मंगलवार को राहुल गांधी ने AAP से बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनाई। जिसमें पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के अलावा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान को भी रखा गया है। वहीं गठबंधन की पहल से हरियाणा में कांग्रेस के लिहाज से राहुल गांधी ने 3 बड़े मैसेज दिए हैं। पहला मैसेज पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के लिए है कि अपने स्तर पर अकेले चुनाव लड़ने की बात कहकर वह खुद को कांग्रेस से बड़ा नेता न समझें। विस्तार से पढ़ें, गठबंधन से राहुल गांधी के 3 निशाने 1. भूपेंद्र हुड्डा को भी इशारा किया हरियाणा में कांग्रेस के भूपेंद्र हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा-रणदीप सुरजेवाला के 2 गुट हैं। संगठन पर अभी हुड्डा की पकड़ है। प्रधान चौधरी उदयभान भी हुड्डा के करीबी हैं। हुड्डा लगातार कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने की पैरवी करते रहे। उन्होंने लोकसभा चुनाव के वक्त भी कहा कि विधानसभा में AAP से गठबंधन नहीं होगा। हुड्डा के हाईकमान को इग्नोर कर सीधे दावे करने के बाद राहुल गांधी का गठबंधन की तरफ बढ़ना उनके लिए बड़ा झटका है। यह भी मैसेज दिया गया कि हुड्डा खुद को हरियाणा कांग्रेस न समझें, बल्कि पार्टी उनसे ऊपर है। यह भी माना जा रहा है कि पिछले दिनों कुमारी सैलजा के CM पद पर दावा ठोकना भी हुड्डा को झटका देने की रणनीति का ही हिस्सा है। खास बात यह है कि सैलजा जहां उनके चुनाव लड़ने से लेकर सीएम चुनने तक का फैसला हाईकमान पर छोड़ती रही हैं, वहीं हुड्डा अपने स्तर पर किसी भी पार्टी से गठबंधन की बात को नकारते आ रहे हैं। 2. एंटी इनकंबेंसी वाले वोटों का बिखराव रोकेंगे भाजपा 10 साल से प्रदेश में सरकार चला रही है। ऐसे में सत्ता के प्रति एक स्वाभाविक एंटी इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) नजर आ रही है। अगर कांग्रेस और AAP अलग-अलग लड़ते हैं तो वोटों का बिखराव होना तय है। खास तौर पर पंजाब में कांग्रेस के प्रति एंटी इनकंबेंसी का सीधा फायदा AAP को पहुंचा। आप ने वहां 117 में से 92 सीटें जीत ली। कांग्रेस 18 पर सिमट गई। सत्ता के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी के वोट का विकल्प आप बनी तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है। ऐसे में राहुल गांधी गठबंधन से इसे भी रोकना चाहते हैं। 3. भाजपा की गैर जाट पॉलिटिक्स का तोड़ हरियाणा में भाजपा गैर जाट पॉलिटिक्स करती है। 10 साल में पहले पंजाबी CM मनोहर लाल खट्टर और अब लोकसभा चुनाव से पहले OBC चेहरे नायब सैनी को सीएम बना दिया। भाजपा इस चुनाव में भी गैर जाट वोट बैंक के लिए ग्राउंड लेवल पर रणनीति बना रही है। इसके उलट कांग्रेस की पॉलिटिक्स जाट वोट बैंक पर निर्भर है। हुड्डा हरियाणा में सबसे बड़े जाट चेहरे हैं। हालांकि जाट वोट बैंक भी एकमुश्त कांग्रेस को मिले, यह भी संभव नहीं है। इसमें पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) और अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) की सेंधमारी होगी। दूसरा कांग्रेस को SC वोट बैंक से उम्मीद है। लेकिन उसमें भी इनेलो के बसपा और JJP के चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी से गठबंधन के बाद सेंध लग सकती है। ऐसी सूरत में कांग्रेस आप को साथ लेकर उनके पक्ष के वोट बैंक को साधना चाहती है। जहां कांग्रेस मजबूत, वहां भी विपक्षी एकता का मैसेज हरियाणा में गठबंधन से राहुल गांधी की नजर फ्यूचर पॉलिटिक्स पर है। वह इसके जरिए I.N.D.I.A. ब्लॉक में शामिल उन छोटे-बड़े दलों को भरोसा देना चाहते हैं जिनमें कांग्रेस के प्रति भरोसे की कमी है। राहुल इससे सहयोगी दलों में कांग्रेस के साथ के प्रति भरोसा बढ़ाना चाहते हैं। इसके जरिए राहुल दूसरे राज्यों के दलों को भी मैसेज देना चाहते हैं। वहीं यह भी बताना चाहते हैं कि भले ही हरियाणा में 10 साल से सरकार चला रही BJP के प्रति एंटी इनकंबेंसी से कांग्रेस मजबूत होने का दावा कर रही है। लेकिन वह कमजोर दलों का साथ नहीं छोड़ रही। मध्यप्रदेश चुनाव में कांग्रेस पर इसको लेकर आरोप भी लगे थे कि सपा के साथ आखिरी वक्त तक बातचीत कर भी गठबंधन नहीं किया गया। दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव में गठबंधन हरियाणा के जरिए राहुल गांधी अगले साल 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को भी साधना चाहते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में कांग्रेस ने शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते 1998 से लेकर 2013 तक सरकार बनाई। इसके बाद 2013 और 2015 में हुए चुनाव में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई। इस बार कांग्रेस हरियाणा में AAP को साथ लेकर दिल्ली में उनके साथ गठबंधन को लेकर दबाव बना सकती है। पहले निगम में कांग्रेस की सपोर्ट से AAP का मेयर बना चंडीगढ़ नगर निगम के 35 वार्डों के लिए इसी साल मार्च महीने में चुनाव हुआ था। इसका चुनाव तो AAP और कांग्रेस ने अलग-अलग लड़ा। जिसमें AAP के 13 पार्षद और कांग्रेस के 7 पार्षद जीत गए। भाजपा के 14 और एक पार्षद अकाली दल का बना। मेयर के लिए सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बनी। हालांकि I.N.D.I.A. ब्लॉक के तहत आप-कांग्रेस ने मेयर चुनाव में गठबंधन कर लिया। जिसके बाद यहां कुलदीप कुमार आम आदमी पार्टी (AAP) के मेयर चुने गए। देश भर में I.N.D.I.A. ब्लॉक के आपस में मिलकर लड़ने और भाजपा को हराने का यह पहला चुनाव था। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में गंगाजल देख नायब तहसीलदार ने दी रजिस्ट्री:डीड राइटर के जरिए रिश्वत मांगी; सीधे शिकायत की तो बोला- मैं कसम खाता हूं हरियाणा के सिरसा में जमीन की रजिस्ट्री के लिए डीड राइटर के जरिए रिश्वत मांग रहा नायब तहसीलदार गंगाजल सामने देखकर डर गया। जमीन के मालिक के सामने अधिकारी रिश्वत मांगने की बात से मुकर रहा था, इसलिए व्यक्ति ने अधिकारी की टेबल पर गंगाजल लाकर रख दिया और कसम खाने के लिए कहा। इसके बाद अधिकारी ने तुरंत व्यक्ति को जमीन की रजिस्ट्री निकालकर दे दी। यह मामला सिरसा के डबवाली एरिया का है। पीड़ित का आरोप है कि उससे रिश्वत मांगी जा रही थी। जबकि, आरोपी का कहना है कि उसने कोई रिश्वत नहीं मांगी। डीड राइटर ने नायब तहसीलदार के नाम पर मांगी रिश्वत
डबवाली निवासी दर्शन मोंगा ने बताया है कि वह सब्जी बेचते हैं। उनके आवासीय प्लॉट की रजिस्ट्री 7 जून को हुई। वह रजिस्ट्री की कॉपी पाने के लिए तहसील के चक्कर काट रहे थे। जब वह जमीन के डीड राइटर के पास गए तो उसने कहा कि साहब को 10 हजार रुपए देने पड़ेंगे। इसके बाद ही रजिस्ट्री मिलेगी। साहब ने रजिस्ट्री अपने पास रख ली है। इसके बाद दर्शन नायब तहसीलदार रणबीर सिंह के पास पहुंच गए। उन्होंने तहसीलदार से कहा कि वह रजिस्ट्री के लिए 10 हजार रुपए नहीं देंगे। इस पर नायब तहसीलदार ने कहा कि वह रिश्वत नहीं मांग रहे। यह भी कहा कि उन्होंने किसी से सुविधा शुल्क नहीं मांगा। वह गंगाजल की कसम खा सकते हैं। गंगाजल देखकर अधिकारी ने कर दिया काम
जब उनसे कहा गया कि जब रिश्वत नहीं मांगी तो रजिस्ट्री दे दें। इस पर अधिकारी आनाकानी कर रहा था। इसके बाद 19 जून को दर्शन गंगाजल लेकर तहसील कार्यालय पहुंच गए। उन्होंने गंगाजल नायब तहसीलदार की टेबल पर रख दिया और कसम खाने को कहा। इससे नायब तहसीलदार के होश उड़ गए। उन्होंने संबंधित डीड राइटर और प्रॉपर्टी डीलर को बुलाया। नायब तहसीलदार की बुलाने पर सामने आए प्रॉपर्टी डीलर ने कहा कि डीड राइटर ने कहा था कि साहब 10 हजार रुपए मांगते हैं। वहीं, डीड राइटर ने इससे इनकार कर दिया। इसके बाद नायब तहसीलदार ने गंगाजल से कसम नहीं खाई, लेकिन प्लॉट की रजिस्ट्री दे दी। SDM बोले- मामले को देखा जाएगा
इस प्रकरण पर डबवाली के SDM अभय सिंह जांगड़ा ने कहा कि डीड रायटर के पास जाने की कोई जरूरत नहीं थी। ऑनलाइन आवेदन भरकर रजिस्ट्री करवाई जा सकती है। मैं इस व्यवस्था को दोबारा चेक करवा रहा हूं। मामला क्या है, इसे भी देखता हूं। वहीं, नायब तहसीलदार रणबीर सिंह ने कहा कि मैंने किसी से सुविधा शुल्क नहीं मांगा। मैं तो खुद कहता हूं कि दलालों से बचकर रहो। जो व्यक्ति काम करवाने आता है, उसका काम बिना रुकावट किया जाता है। रजिस्ट्री कराने में किसी तरह की कोई परेशानी या देरी नहीं हो रही।
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पलवल में स्कूल वैन ड्राइवर से लूट:सोने की चेन और अंगूठी ले गए बदमाश, विरोध करने पर पीटकर किया बेहोश पलवल जिले में प्ले स्कूल के बच्चों को छोड़ कर लौट रहे गाड़ी के ड्राइवर से हथियार के बल पर मारपीट कर सोने की चैन और अंगूठी लूट ली। विरोध करने पर आरोपियों ने ड्राइवर के सिर पर तमंचा लगा जाने से मारने की धमकी दी। ग्रामीणों को आता देख आरोपी फरार हो गए। चांदहट थाना पुलिस ने शुक्रवार को देर रात एक नामजद सहित 8 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। हथियार के बल पर रुकवाई गाड़ी चांदहट थाना प्रभारी दलबीर सिंह के अनुसार, कटेसरा गांव निवासी विक्रम ने दी शिकायत में कहा है कि वह मारुति ईको कार से बचपन प्ले स्कूल के बच्चों को लाने व ले जाने का काम करता है। 15 जुलाई को दोपहर बाद करीब 2 बजे वह बच्चों को गोपीखेडा गांव छोड़ कर वापस अपने गांव कटेसरा लौट रहा था। रास्ते में कटेसरा गांव निवासी नितिन ने अपनी बाइक को उसकी ईको गाड़ी के आगे लगाकर उसकी गाड़ी को रुकवा लिया। गाड़ी रुकते ही आरोपी ने उसकी कनपटी पर देसी कट्टा लगाकर कार से नीचे उतार लिया और मारपीट शुरू कर दी। पीट-पीटकर ड्राइवर को किया बेहोश नितिन के साथ मौजूद 7-8 युवकों ने उसे पीट-पीटकर बेहोश कर दिया। आरोपियों ने उसकी सोने की अंगूठी और चैन लूट ली। इसी दौरान ग्रामीणों को गाड़ी की तरफ आता देख आरोपी फरार हो गए। मामले सूचना मिलने पर परिजन आए और उसे पुलिस चौकी अमरपुर लेकर गए। चौकी में कार्यरत कर्मचारियों ने तुरंत अस्पताल में भर्ती करा दिया। पुलिस ने शिकायत के आधार पर शुक्रवार को देर शाम मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है, जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
3 सीटों पर नए को सांसद चुनेंगे, 7 पर पुराने चेहरे ही
3 सीटों पर नए को सांसद चुनेंगे, 7 पर पुराने चेहरे ही चुनाव डेस्क.पानीपत | पिछली बार दसों लोकसभा सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार सभी सीटों पर कांग्रेस से सीधे मुकाबले में दिख रही है। कुरुक्षेत्र, करनाल, भिवानी-महेंद्रगढ़ व हिसार सीटों पर तीसरा कोण, नतीजे प्रभावित कर सकता है। अम्बाला, सोनीपत व करनाल सीटों पर नया सांसद मिलेगा, क्योंकि कोई पुराना चेहरा मैदान में नहीं है। गुरुग्राम में राव इंद्रजीत और राज बब्बर में से जो जीतेगा, उसका सिक्सर होगा। फरीदाबाद व भिवानी में हैट्रिक का मौका है। 2 राज्यसभा सांसद, 4 मौजूदा सांसद, 4 विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव मैदान में हैं। फैक्टर }दोनों प्रमुख प्रत्याशी गुर्जर हैं। जाट वोटर निर्णायक हैं। यहां दल-बदल व भितरघात बड़ा फैक्टर हैं। पिछली बार जीत का अंतर देश में तीसरे स्थान पर था। इस बार टफ है। फैक्टर }पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ में इस सीट पूरे प्रदेश की नजर है। अहीर बाहुल्य कोसली और पंजाबी रोहतक शहर निर्णायक हैं। पिछली बार यहीं से नतीजे पलटे थे। फैक्टर }19 फीसदी मेव तो 17 फीसदी अहीर वोटर हैं। इस सीट पर जबरदस्त ध्रुवीकरण है। मोदी ने रैली की। भितरघात का दोनों ओर खतरा है। पंजाबी-ब्राह्मण-ओबीसी निर्णायक। फैक्टर }पंजाबी व ब्राह्मण के प्रभाववाली सीट। पिछली बार जीत के अंतर के हिसाब से देश में दूसरे नंबर पर रही थी। इनेलो-एनसीपी प्रत्याशी मराठा वीरेंद्र वर्मा तीसरा कोण हैं। भाजपा 9,13,222 कांग्रेस 2,74,983 बसपा 86,752 भाजपा 5,73,845 कांग्रेस 5,66,343 बसपा 38,364 भाजपा 8,81,546 कांग्रेस 4,95,290 बसपा 26,756 भाजपा 9,11,594 कांग्रेस 2,55,452 बसपा 67,183 2019 में वोटिंग 64.70% 2019 में वोटिंग 69.35% 2019 में वोटिंग 68.45% 2019 में वोटिंग 67.28% 2024: प्रत्याशी : 24 2024: प्रत्याशी : 26 2024: प्रत्याशी : 23 2024: प्रत्याशी : 19 वोटर24,36,637 पुरुष 13,24,705 महिला 11,11,813 वोटर19,13,628 पुरुष 10,22,698 महिला 8,90,909 वोटर25,84,982 पुरुष 13,72,532 महिला 12,12,372 वोटर21,09,702 पुरुष 11,12,816 महिला 9,96,848 कृष्णपाल गुर्जर 2 बार सांसद व केंद्र में राज्यमंत्री रहे। यह तीसरा लोस चुनाव है। अरविंद शर्मा 3 सीटों से चार बार सांसद रहे हैं। यहां से दूसरा चुनाव है। राव इंद्रजीत दिग्गज अहीर नेता पांच बार सांसद रहे। दो बार से मंत्री हैं। मनोहर लाल साढ़े 9 साल सीएम रहे। पहला लोकसभा चुनाव है। महेंद्र प्रताप राजनीति से संन्यास लेने के बाद भी 79 की उम्र में मैदान में। दीपेंद्र हुड्डा तीन बार सीट से सांसद रहे। अभी राज्यसभा सदस्य हैं। राज बब्बर पांच बार के सांसद। पहली बार हरियाणा से लड़ रहे हैं। दिव्यांशु बुद्धिराजा राहुल गांधी के यूथ कोटे से टिकट मिला। पहला चुनाव है। फैक्टर }पहली बार कांग्रेस ने अहीर प्रत्याशी बनाया। जजपा के राव बहादुर को अहीरों की कितनी वोट मिलेंगी, अहम रहेगा। मोदी यहां बंसीलाल की तारीफ कर गए। राहुल ने भी रैली की। फैक्टर }जाट बाहुल्य सीट पर पहली बार दोनों प्रमुख दलों ने प्रत्याशी ब्राह्मण हैं। जींद जिले के 3 हलकों की बढ़त निर्णायक रहती है। मोदी और राहुल दोनों की इस सीट पर रैली हुई हैं। फैक्टर }इनेलो से सुनैना तो जजपा से नैना चौटाला देवीलाल परिवार से हैं। चारों जाट प्रत्याशी देवीलाल की सियासी विरासत का दावा कर रहे हैं। पिछली बार पहली बार कमल खिला था। फैक्टर }इंडिया गठबंधन में सीट आप के कोटे में है। कथाओं तक से सियासी प्रचार हुआ। तीसरा कोण इनेलो के अभय चौटाला हैं। जाट वोट का विभाजन हुआ तो नतीजों पर असर होगा। भाजपा 7,36,699 कांग्रेस 2,92,236 जजपा 84,956 भाजपा 5,87,664 कांग्रेस 4,22,800 जजपा 51,162 भाजपा 6,03,289 जजपा 2,89,221 कांग्रेस 1,84,369 भाजपा 6,88,629 कांग्रेस 3,04,038 बसपा 75,625 2024: प्रत्याशी : 17 2024: प्रत्याशी : 22 2024: प्रत्याशी : 28 2024: प्रत्याशी : 31 वोटर18,21,764 पुरुष 9,73,429 महिला 8,48,322 वोटर17,77,008 पुरुष 9,53,328 महिला 8,23,636 वोटर17,99,539 पुरुष 9,63,668 महिला 8,35,860 वोटर17,99,822 पुरुष 9,46,102 महिला 8,53,696 धर्मबीर सिंह 2 बार के सांसद। बंसीलाल की 3 पीढ़ियों को चुनाव में हराया। मोहन बड़ौली राई विधायक हैं। पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। रणजीत चौटाला उम्र-78। बिजली मंत्री रहे। अचानक लोस चुनाव में उतार दिया। नवीन जिंदल चौथा चुनाव है। 2 बार कांग्रेस से बने। सबसे अमीर प्रत्याशी। राव दान सिंह 4 बार विधायक रहे। पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। सतपाल ब्रह्मचारी जींद में जन्में और हरिद्वार में आश्रम है। हरियाणा से पहला चुनाव है। जयप्रकाश उम्र-70। यहां से आठवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। सुशील गुप्ता आप के दिल्ली से राज्यसभा सांसद हैं। पहला लोस चुनाव है। फैक्टर }किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर यहां दिखा। डेरा सच्चा सौदा भी इसी क्षेत्र में है। प्रियंका गांधी व योगी आदित्यनाथ समेत कई बड़े नेता यहां प्रचार में आए। फैक्टर }1999 में रतन कटारिया व फूलचंद आमने-सामने हुए थे। अब क्रमशः उनकी प|ी व बेटा मैदान में हैं। शहरी वोटरों पर भाजपा तो ग्रामीण से कांग्रेस को उम्मीद िटकी है। भाजपा 7,72,833 कांग्रेस 5,11,723 बसपा 3,344 भाजपा 7,46,508 कांग्रेस 4,04,163 बसपा 96,296 वोटर19,41,319 पुरुष 10,26,726 महिला 9,14,550 वोटर20,03,510 पुरुष 10,62,599 महिला 9,40,835 अशोक तंवर चौथी बार मैदान में हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। बंतो कटारिया 3 बार सांसद रहे रतन कटारिया की प|ी हैं। पहला चुनाव है। कुमारी सैलजा 4 बार सांसद 2 बार केंद्र में मंत्री रहीं। 20 साल बाद यहां लौटीं। वरुण चौधरी मुलाना विधायक हैं। पहली बार सांसद का चुनाव लड़ रहे हैं।