हरियाणा के योग गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी का आश्रम चर्चा में है। इसकी वजह है कि हरियाणा के गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय ने आश्रम के प्रबंधन को कब्जे में लेने के लिए विधानसभा में पारित कराए सरकार के एक्ट को डायरेक्ट मंजूरी देने के बजाय राष्ट्रपति को भेज दिया है। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही यह एक्ट लागू हो पाएगा। इसके पीछे की वजह राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखना बताया जा रहा है। इससे गुरुग्राम के गांव सिलोखरा (सेक्टर-30) में 24 एकड़ की मेन प्रॉपर्टी को अपने कब्जे में लेने के लिए भाजपा सरकार को इंतजार करना होगा। हरियाणा सरकार के विधेयक की 3 बातें… संस्था को नियंत्रण में क्यों लेना चाहती है सरकार
विधेयक में कहा गया है कि वर्षों से सोसाइटी और इसके सदस्यों के बीच आंतरिक विवाद चल रहा है। ये समूह संस्था के उद्देश्यों और उद्देश्यों के विरुद्ध अपने निजी स्वार्थ के लिए संस्था की इस भूमि और भवन को अवैध और अनधिकृत रूप से बेचने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी भी पूरी संभावना है कि संस्था की चल और अचल संपत्ति नष्ट हो सकती है, जिससे संस्था का मूल उद्देश्य ही विफल हो जाएगा। विधेयक में अपर्णा आश्रम को अपने अधीन करने का कारण बताया गया है। योग गुरु ब्रह्मचारी के आश्रम की कहानी… केंद्र सरकार ने आश्रम के लिए फंड दिया
धीरेंद्र ब्रह्मचारी को ‘फ्लाइंग स्वामी’ के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने 1973-74 में रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी, नई दिल्ली के साथ एक सोसाइटी, अपर्णा आश्रम रजिस्टर्ड की। उसका उद्देश्य शिक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण और प्रसार के माध्यम से लोगों के बीच योग के उपयोगी ज्ञान का प्रसार करना था। उन्होंने एक अलग संस्था के रूप में अपर्णा संस्था की भी स्थापना की। ब्रह्मचारी ने केंद्र सरकार से प्राप्त दान, अनुदान और वित्तीय सहायता का उपयोग कर अपर्णा आश्रम के नाम पर सिलोखरा गांव में जमीन खरीदी। सरकार के अधिग्रहण के विरोध में हाईकोर्ट तक गए
हरियाणा सरकार ने 30 जनवरी, 1989 को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि सिलोखरा और सुखराली गांवों की भूमि सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए अधिगृहीत की जाएगी। इसमें अपर्णा आश्रम की भूमि और भवन शामिल हैं। ब्रह्मचारी ने भूमि अधिग्रहण कलेक्टर के समक्ष आपत्तियां दर्ज कीं, जिन्हें खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने 1990 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर कर अधिसूचनाओं को रद्द करने की मांग की। हालांकि, 9 जून 1994 को एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। उनके निधन के बाद, समाज दो समूहों में विभाजित हो गया। हरियाणा सरकार के एक्ट में यह दावा किया गया है कि ये समूह 2 दशकों से अधिक समय से कानूनी विवादों में उलझे हुए हैं। 2020 में खड़ा हुआ विवाद
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पूर्व योग प्रशिक्षक ब्रह्मचारी ने आश्रम की स्थापना की थी। 1994 में विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु के बाद समाज दो विरोधी गुटों में विभाजित हो गया, जिनका नेतृत्व लक्ष्मण चौधरी और मुरली चौधरी ने किया। 2020 में एक बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब 24 एकड़ जमीन की बिक्री का विलेख मात्र 55 करोड़ रुपए में रजिस्टर्ड कर दिया गया। राज्य सरकार की जांच में पाया गया कि जमीन को तीन कंपनियों को बहुत कम कीमत पर बेचा गया था। गुरुग्राम डीसी ने बिक्री विलेख को रद्द कर दिया, जिसे बाद में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा। हरियाणा के योग गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी का आश्रम चर्चा में है। इसकी वजह है कि हरियाणा के गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय ने आश्रम के प्रबंधन को कब्जे में लेने के लिए विधानसभा में पारित कराए सरकार के एक्ट को डायरेक्ट मंजूरी देने के बजाय राष्ट्रपति को भेज दिया है। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही यह एक्ट लागू हो पाएगा। इसके पीछे की वजह राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखना बताया जा रहा है। इससे गुरुग्राम के गांव सिलोखरा (सेक्टर-30) में 24 एकड़ की मेन प्रॉपर्टी को अपने कब्जे में लेने के लिए भाजपा सरकार को इंतजार करना होगा। हरियाणा सरकार के विधेयक की 3 बातें… संस्था को नियंत्रण में क्यों लेना चाहती है सरकार
विधेयक में कहा गया है कि वर्षों से सोसाइटी और इसके सदस्यों के बीच आंतरिक विवाद चल रहा है। ये समूह संस्था के उद्देश्यों और उद्देश्यों के विरुद्ध अपने निजी स्वार्थ के लिए संस्था की इस भूमि और भवन को अवैध और अनधिकृत रूप से बेचने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी भी पूरी संभावना है कि संस्था की चल और अचल संपत्ति नष्ट हो सकती है, जिससे संस्था का मूल उद्देश्य ही विफल हो जाएगा। विधेयक में अपर्णा आश्रम को अपने अधीन करने का कारण बताया गया है। योग गुरु ब्रह्मचारी के आश्रम की कहानी… केंद्र सरकार ने आश्रम के लिए फंड दिया
धीरेंद्र ब्रह्मचारी को ‘फ्लाइंग स्वामी’ के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने 1973-74 में रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी, नई दिल्ली के साथ एक सोसाइटी, अपर्णा आश्रम रजिस्टर्ड की। उसका उद्देश्य शिक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण और प्रसार के माध्यम से लोगों के बीच योग के उपयोगी ज्ञान का प्रसार करना था। उन्होंने एक अलग संस्था के रूप में अपर्णा संस्था की भी स्थापना की। ब्रह्मचारी ने केंद्र सरकार से प्राप्त दान, अनुदान और वित्तीय सहायता का उपयोग कर अपर्णा आश्रम के नाम पर सिलोखरा गांव में जमीन खरीदी। सरकार के अधिग्रहण के विरोध में हाईकोर्ट तक गए
हरियाणा सरकार ने 30 जनवरी, 1989 को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि सिलोखरा और सुखराली गांवों की भूमि सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए अधिगृहीत की जाएगी। इसमें अपर्णा आश्रम की भूमि और भवन शामिल हैं। ब्रह्मचारी ने भूमि अधिग्रहण कलेक्टर के समक्ष आपत्तियां दर्ज कीं, जिन्हें खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने 1990 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर कर अधिसूचनाओं को रद्द करने की मांग की। हालांकि, 9 जून 1994 को एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। उनके निधन के बाद, समाज दो समूहों में विभाजित हो गया। हरियाणा सरकार के एक्ट में यह दावा किया गया है कि ये समूह 2 दशकों से अधिक समय से कानूनी विवादों में उलझे हुए हैं। 2020 में खड़ा हुआ विवाद
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पूर्व योग प्रशिक्षक ब्रह्मचारी ने आश्रम की स्थापना की थी। 1994 में विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु के बाद समाज दो विरोधी गुटों में विभाजित हो गया, जिनका नेतृत्व लक्ष्मण चौधरी और मुरली चौधरी ने किया। 2020 में एक बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब 24 एकड़ जमीन की बिक्री का विलेख मात्र 55 करोड़ रुपए में रजिस्टर्ड कर दिया गया। राज्य सरकार की जांच में पाया गया कि जमीन को तीन कंपनियों को बहुत कम कीमत पर बेचा गया था। गुरुग्राम डीसी ने बिक्री विलेख को रद्द कर दिया, जिसे बाद में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
