हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी आज एक दिवसीय उत्तर प्रदेश दौरे पर हैं। उन्होंने अयोध्या पहुंचकर पूरी कैबिनेट के साथ श्रीराम लला के दर्शन किए। श्रीराम लला के दर्शन के बाद CM ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर खुद मंदिर दर्शन की फोटो शेयर की हैं। पोस्ट में सीएम ने श्री राम चरित मानस की चौपाई भी लिखी है। लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,निज आयुध भुजचारी। भूषन बनमाला,नयन बिसाला,सोभासिंधु खरारी॥ राम लला के अप्रतिम सौंदर्य और उनके व्यक्तित्व की विशालता का दर्शन श्री अयोध्या जी धाम,राम जन्मभूमि पहुंचकर किया। सीएम ने लिखा कि भगवान राम मर्यादा और नैतिकता के हमारे मापदंड हैं। उनके आदर्शों, मर्यादाओं और राम राज्य के सद्गुणों के साथ हरियाणा वासियों की सेवा में जुटा रहूंगा। ये संकल्प और आशीर्वाद हमें रामलला की कृपा से ही प्राप्त हुआ है। सीएम के साथ ये मंत्री और विधायक मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, डिप्टी स्पीकर, 13 मंत्री, 19 विधायक मौजूद हैं। इसके पहले देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के बाद गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गोवा, तमिलनाडु, असम, उतराखंड, झारखंड सहित अन्य राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और इन राज्यों के मंत्रियों का दौरा हो चुका है। गेस्ट हाउस के लिए आवेदन करेगा हरियाणा प्रदेश सरकार के द्वारा अयोध्या में विभिन्न राज्यों के भवन निर्माण की योजना को लेकर भी देश के अलग-अलग राज्यों के लोग जमीनों को आवंटित कर रही है। अब तक महाराष्ट्र, गोवा, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में जमीन खरीदने के लिए आवेदन कर चुके हैं। जल्द ही कई भवन निर्माण का कार्य भी शुरू होने जा रहा है। प्रदेश सरकार धर्मनगरी अयोध्या और तीर्थराज प्रयागराज में राज्य सरकार अतिथि गृहों का निर्माण कराने जा रही है। अब हरियाणा भी अयोध्या में गेस्ट हाउस के लिए आवेदन करेगी। सीनियर सिटीजन भी जा रहे अयोध्या हरियाणा सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत जहां चुनाव से पहले प्रदेश के श्रद्धालु विशेष ट्रेन द्वारा अयोध्या जा चुके हैं, वहीं चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी भी कई शहरों से बसों को हरी झंडी दिखाकर अयोध्या के लिए रवाना कर चुके हैं। इन बसों में 60 वर्ष से अधिक आयु तथा एक लाख 80 हजार रुपए वार्षिक आय वाले श्रद्धालुओं को सरकार द्वारा मुफ्त तीर्थ यात्रा करवाई जा रही है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी आज एक दिवसीय उत्तर प्रदेश दौरे पर हैं। उन्होंने अयोध्या पहुंचकर पूरी कैबिनेट के साथ श्रीराम लला के दर्शन किए। श्रीराम लला के दर्शन के बाद CM ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर खुद मंदिर दर्शन की फोटो शेयर की हैं। पोस्ट में सीएम ने श्री राम चरित मानस की चौपाई भी लिखी है। लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,निज आयुध भुजचारी। भूषन बनमाला,नयन बिसाला,सोभासिंधु खरारी॥ राम लला के अप्रतिम सौंदर्य और उनके व्यक्तित्व की विशालता का दर्शन श्री अयोध्या जी धाम,राम जन्मभूमि पहुंचकर किया। सीएम ने लिखा कि भगवान राम मर्यादा और नैतिकता के हमारे मापदंड हैं। उनके आदर्शों, मर्यादाओं और राम राज्य के सद्गुणों के साथ हरियाणा वासियों की सेवा में जुटा रहूंगा। ये संकल्प और आशीर्वाद हमें रामलला की कृपा से ही प्राप्त हुआ है। सीएम के साथ ये मंत्री और विधायक मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, डिप्टी स्पीकर, 13 मंत्री, 19 विधायक मौजूद हैं। इसके पहले देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के बाद गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गोवा, तमिलनाडु, असम, उतराखंड, झारखंड सहित अन्य राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और इन राज्यों के मंत्रियों का दौरा हो चुका है। गेस्ट हाउस के लिए आवेदन करेगा हरियाणा प्रदेश सरकार के द्वारा अयोध्या में विभिन्न राज्यों के भवन निर्माण की योजना को लेकर भी देश के अलग-अलग राज्यों के लोग जमीनों को आवंटित कर रही है। अब तक महाराष्ट्र, गोवा, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में जमीन खरीदने के लिए आवेदन कर चुके हैं। जल्द ही कई भवन निर्माण का कार्य भी शुरू होने जा रहा है। प्रदेश सरकार धर्मनगरी अयोध्या और तीर्थराज प्रयागराज में राज्य सरकार अतिथि गृहों का निर्माण कराने जा रही है। अब हरियाणा भी अयोध्या में गेस्ट हाउस के लिए आवेदन करेगी। सीनियर सिटीजन भी जा रहे अयोध्या हरियाणा सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत जहां चुनाव से पहले प्रदेश के श्रद्धालु विशेष ट्रेन द्वारा अयोध्या जा चुके हैं, वहीं चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी भी कई शहरों से बसों को हरी झंडी दिखाकर अयोध्या के लिए रवाना कर चुके हैं। इन बसों में 60 वर्ष से अधिक आयु तथा एक लाख 80 हजार रुपए वार्षिक आय वाले श्रद्धालुओं को सरकार द्वारा मुफ्त तीर्थ यात्रा करवाई जा रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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दादा-पोते में चुनावी डील, तू मेरी मदद कर, मैं तेरी:रानियां और डबवाली में चुनाव जीतने के लिए एक हुए रणजीत और दिग्विजय चौटाला
दादा-पोते में चुनावी डील, तू मेरी मदद कर, मैं तेरी:रानियां और डबवाली में चुनाव जीतने के लिए एक हुए रणजीत और दिग्विजय चौटाला हरियाणा में चौटाला परिवार चुनाव जीतने के लिए एक होता नजर आ रहा है। डबवाली से आदित्य चौटाला के भाजपा छोड़कर इनेलो में शामिल होने से दिग्विजय चौटाला को खतरा पैदा हो गया है। इसके लिए उन्होंने दादा रणजीत चौटाला से मदद मांगी है। वहीं बदले में JJP ने रानियां से कोई उम्मीदवार ना उतारने और चुनाव में निर्दलीय लड़ रहे रणजीत चौटाला की मदद का ऐलान किया है। लंबे समय के बाद चौटाला परिवार में दरारें भरती हुई नजर आ रही हैं। बता दें कि चौटाला परिवार इससे पहले लोकसभा में एक दूसरे के सामने लड़ता नजर आया था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में हिसार से रणजीत चौटाला ने दुष्यंत चौटाला की मां के सामने चुनाव लड़ा था। रणजीत हालांकि चुनाव नहीं जीत पाए मगर चौटाला परिवार का आपस का दंगल सुर्खियों में रहा था। रणजीत चौटाला रानियां ही नहीं बल्कि उचाना में भी दुष्यंत चौटाला की मदद करेंगे। रानिया में दादा रणजीत और पौते अर्जुन चौटाला में है टक्कर
दरअसल, रणजीत चौटाला लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए थे और उन्होंने हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ा मगर हार गए। इस बार रानियां से भाजपा ने रणजीत चौटाला का टिकट काट दिया तो रणजीत बगावत कर निर्दलीय खड़े हो गए। वहीं इनेलो ने यहां से इनेलो महासचिव अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला को मैदान में उतारा है। ऐसे में रणजीत को यहां जजपा की मदद की जरूरत पड़ रही है। डबवाली में चाचा-भतीजे में मुकाबला
डबवाली विधानसभा में मुकाबला चाचा भतीजे में है। यहां भाजपा से टिकट कटने से नाराज आदित्य चौटाला इनेलो में शामिल हो गए हैं और इनेलो ने उनको डबवाली से उम्मीदवार बनाया है। आदित्य देवीलाल के बेटे जगदीश चौटाला के बेटे हैं। वहीं दिग्विजय चौटाला भी इसी सीट से ताल ठोक रहे हैं। दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजे हैं। आदित्य 10 साल भाजपा सरकार के साथ थे। ऐसे में उनका डबवाली में ग्राउंड मजबूत है। ऐसे में दिग्विजय चौटाला को दादा रणजीत की मदद जरूरत पड़ गई है। चौटाला परिवार के एक होने के समीकरण बने
हरियाणा में देवीलाल परिवार फिर से एक हो सकता है। इसके संकेत भाजपा में फूट से हरियाणा की राजनीति में तेजी से बदल रहे समीकरण से मिल रहे हैं। 2019 विधानसभा चुनाव से पहले अलग हुआ चौटाला परिवार 2024 विधानसभा चुनाव से पहले एक हो सकता है। अक्टूबर 2018 में इनेलो(INLD) की गोहाना में हुई रैली थी। दादा ओमप्रकाश चौटाला और चाचा अभय चौटाला के सामने दुष्यंत चौटाला को अगला मुख्यमंत्री बनाने के नारे लगे। इस पर ओमप्रकाश चौटाला ने अनुशासनहीनता के आरोप में अपने बड़े बेटे अजय चौटाला और उनके दो बेटों-दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से बाहर कर दिया था। इसके बाद 2018 में INLD से अलग होकर उन्होंने जनता जननायक पार्टी बनाई और 2019 में चुनी गई सरकार के किंग मेकर बने। मात्र 31 साल की उम्र में दुष्यंत चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम बने थे। चौटाला परिवार में फूट का कांग्रेस को फायदा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इनेलो व जजपा दोनों 2024 का चुनाव अलग-अलग लड़े तो मुकाबला भाजपा व कांग्रेस का रह जाएगा, लेकिन जजपा व इनेलो यदि राजनीतिक रूप से एकजुट हो गए तो स्वाभाविक रूप से मुकाबला तिकोना होगा और वह वोट बैंक पूरी तरह से बंट जाएगा, जिस पर इनेलो और जजपा के साथ-साथ कांग्रेस भी अपना दावा करती है। भाजपा की रणनीति भी यही कह रही है कि जजपा व इनेलो को मिलाकर उन्हें अपने साथ जोड़ा जाए, ताकि राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने की संभावनाएं बलवती की जा सकें। इसके अलावा, इनेलो व जजपा के अलग-अलग चुनाव लड़ने का पूरा फायदा कांग्रेस को मिल रहा है। 2024 लोकसभा चुनाव में इनेलो और जजपा का वोट बैंक कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो गया था।
हरियाणा में बंदरों के कारण तीसरी मंजिल से गिरी छात्रा:सिर में चोट लगने से मौत; माता-पिता की इकलौती बेटी थी
हरियाणा में बंदरों के कारण तीसरी मंजिल से गिरी छात्रा:सिर में चोट लगने से मौत; माता-पिता की इकलौती बेटी थी हरियाणा के करनाल में बंदरों के कारण 9वीं कक्षा की छात्रा तीसरी मंजिल से गिर गई। परिजन उसे तुरंत कल्पना चावला मेडिकल अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। छात्रा घर की छत पर टहलने गई थी, तभी बंदरों के झुंड ने उस पर हमला कर दिया। जिसके कारण उसका संतुलन बिगड़ गया। पुलिस ने छात्रा को शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम की कार्रवाई शुरू कर दी है। मृतक छात्रा की पहचान 14 वर्षीय कनिका के रूप में हुई है। आवाज आने पर भाई घर से बाहर निकला
घटना जाटो गेट इलाके की है। मृतका के भाई दीपक ने बताया कि बीती शाम (12 जून) को कनिका छत पर अकेली थी। इस दौरान बंदर उसकी तरफ बढ़े। इससे कनिका घबरा गई और गिर गई। वह घर के अंदर था। आवाज आने पर वह बाहर निकला तो देखा कि बहन गिरी पड़ी है। सिर में लगी चोट, ब्लीडिंग नहीं हुई
इसके बाद उसे तुरंत अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि कनिका के सिर में गंभीर चोट आई। अगर ब्लीडिंग बाहर हो जाती तो शायद कनिका बच जाती, लेकिन चोट के कारण सिर के अंदर ही ब्लीडिंग शुरू हुई है। जो उसकी मौत का कारण बनी। दीपक ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस इलाके में बंदरों के हमले की खबर आई हो। बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। वह पहले भी कई लोगों पर हमला कर चुके हैं। पिता करते हैं प्राइवेट जॉब
दीपक ने बताया कि उनके पिता प्राइवेट जॉब करते हैं। परिवार में हम चार सदस्य हैं। कनिका उसकी इकलौती बहन थी। वह पास में ही एक निजी स्कूल में पढ़ती थी। कनिका की मौत के बाद परिवार गहरे सदमे में है। कई बार दे चुके शिकायत
कनिका के चाचा राजबीर ने बताया कि यहां पर बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। हमने कई बार प्रशासन को इसकी सूचना दी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हमें अपने बच्चों और परिवार की सुरक्षा की चिंता सताती रहती है। उन्होंने प्रशासन से बंदरों की समस्या को हल करने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की है। दोबारा लगाया जाएगा टेंडर
नगर निगम के कमिश्नर अभिषेक मीणा ने बताया कि समय-समय पर टीम द्वारा बंदरों को पकड़ने का अभियान चलाया जाता है। अभी कुछ समय पहले ही टेंडर खत्म हुआ है। आगामी 10 दिन में टेंडर दोबारा लगा दिया जाएगा। जल्द ही शहर में घूम रहे बंदरों को पकड़ लिया जाएगा।
कंगना बोलीं- रद्द तीनों कृषि कानून दोबारा लागू हों:किसान खुद इसकी मांग करें; मोदी सरकार ने 378 दिन चले आंदोलन के बाद वापस लिए थे
कंगना बोलीं- रद्द तीनों कृषि कानून दोबारा लागू हों:किसान खुद इसकी मांग करें; मोदी सरकार ने 378 दिन चले आंदोलन के बाद वापस लिए थे हिमाचल से BJP सांसद कंगना रनोट ने रद्द किए गए 3 कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने की मांग की है। कंगना ने कहा कि किसानों को खुद ये कानून लागू करने की मांग करनी चाहिए। नवंबर 2021 में केंद्र सरकार को 14 महीने के बाद किसान आंदोलन के बाद ये कानून वापस लेने पड़े थे। इस बयान के बाद विपक्ष ने कंगना की घेराबंदी शुरू कर दी है। पंजाब से अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह कलेर ने कहा कि भाजपा को कंगना को पार्टी से निकालना चाहिए। कंगना पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगाया जाना चाहिए। कृषि कानूनों पर कंगना का बयान 23 सितंबर को सामने आया था। वह मंडी जिले के ख्योड़ में जिला स्तरीय नलवाड़ मेले के समापन समारोह में पहुंची थीं। यहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में 3 कृषि कानूनों पर बयान दिया। हरियाणा कांग्रेस ने लिखा- इन कानूनों की वापसी कभी नहीं होगी वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता हरजीत ग्रेवाल ने कहा कि कंगना पंजाब, किसान और सिखों के बारे में बोलना बंद करें। इस मामले को हम हाईकमान के सामने रखेंगे। अब पढ़िए कंगना ने कहीं 2 अहम बातें… 1. किसानों के हितकारी कानून वापस आने चाहिए
कंगना ने कहा कि किसानों के जो लॉ हैं, जो रोक दिए गए, वे वापस लाने चाहिए। किसानों को खुद इसकी डिमांड करनी चाहिए। हमारे किसानों की समृद्धि में ब्रेक न लगे। 2. हमारे किसान पिलर ऑफ स्ट्रेंथ
ब्यूरोक्रेसी, हमारे लीडर, हर तीन-तीन महीनों में इलेक्शन करवाते हैं। वन नेशन, वन इलेक्शन देश के विकास में जरूरी हैं। ऐसे ही हमारे किसान पिलर ऑफ स्ट्रेंथ (मजबूती के स्तंभ) हैं। वे खुद अपील करें कि हमारे तीनों कानूनों को लागू किया जाए। हमारे कुछ राज्यों ने इन कानूनों को लेकर आपत्ति जताई थी, उनसे हाथ जोड़ विनती करती हूं कि इन्हें वापस लाएं। किसानों को लेकर 2 बार बयान दे चुकीं कंगना…. 1. कंगना ने कहा था- किसान आंदोलन में रेप-मर्डर हुए
अगस्त में भास्कर को दिए इंटरव्यू में कंगना ने कहा था कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। वहां रेप और हत्याएं हो रही थीं। अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। किसान बिल को वापस ले लिया गया, वर्ना इन उपद्रवियों की बहुत लंबी प्लानिंग थी। वे देश में कुछ भी कर सकते थे। पूरी खबर पढ़ें… विपक्ष व किसानों ने कंगना को घेरना शुरू किया था। इसके बाद भाजपा ने भी अपना पक्ष जारी कर कंगना के बयान से खुद को अलग कर लिया। कंगना से भी कहा गया कि वे ऐसे बयानों से बचें। 2. कंगना ने किसान आंदोलन और शाहीन बाग प्रोटेस्ट में शामिल महिला का जिक्र किया था
किसान आंदोलन के बीच कंगना रनोट ने 27 नवंबर 2020 को रात 10 बजे फोटो पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था कि किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुई महिला वही मशहूर बिलकिस दादी है, जो शाहीन बाग के प्रदर्शन में थी। जो 100 रुपए लेकर उपलब्ध है। हालांकि, बाद में कंगना ने पोस्ट डिलीट कर दिया था, लेकिन कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस पोस्ट को खूब शेयर किया था। इससे एक्ट्रेस विवादों में घिर गई थी। 2020 में लाए गए थे 3 कृषि कानून
5 जून 2020 को केंद्र सरकार एक अध्यादेश के जरिए तीन कृषि बिल लेकर आई थी। सितंबर 2020 को केंद्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा में फार्म बिल 2020 लेकर आई। दोनों सदनों से यह बिल पास पास हो गए, लेकिन किसानों को यह बिल मंजूर नहीं थे। किसानों को आशंका थी कि नए बिल से मंडियां खत्म हो जाएंगी। MSP सिस्टम खत्म हो जाएगा। बड़ी कंपनियां फसलों की कीमतें तय करने लगेंगी। वे इसके विरोध में उतर आए। पंजाब के किसान रेल की पटरियों पर बैठ गए, लेकिन सरकार ने उन्हें वहां से हटा दिया। दो महीने बाद यानी 25 नवंबर को पंजाब और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली चलो आंदोलन का ऐलान किया। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी UP सहित कई शहरों में किसानों का प्रदर्शन शुरू हो गया। सरकार और किसानों के बीच 11 बार बातचीत हुई, पर कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। कोर्ट ने 18 महीने के लिए तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी। साथ ही इन कानूनों को रिव्यू करने के लिए एक कमेटी बनाई, पर किसान नहीं माने। उनका कहना था- ‘जब तक तीनों कानून वापस नहीं लिए जाते, हम आंदोलन जारी रखेंगे।’ इस बीच किसानों ने पक्के घर करना शुरू कर दिए। टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर कच्चे-पक्के घर बनना शुरू हो गए। कई जगहों पर किसानों ने CCTV कैमरे भी लगवाए, ताकि पुलिस की एक्टिविटीज को देख सकें। 19 नवंबर 2021 को कृषि कानून वापस लिए
किसान आंदोलन के दौरान अप्रैल-मई 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए। असम में BJP सरकार बनाने में कामयाब रही, लेकिन उसे 11 सीटों का नुकसान हुआ। पुडुचेरी में वह गठबंधन की सरकार बनाने में कामयाब रही। जबकि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में BJP को हार का सामना करना पड़ा। इन चुनावों में विपक्ष ने प्रधानमंत्री और BJP को खूब घेरा था। किसान नेता राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल में BJP के खिलाफ प्रचार किया था। इसके बाद BJP की इंटरनल रिपोर्ट, सेना में नाराजगी, उप चुनावों में मिली हार और पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए PM मोदी ने 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानून वापस ले लिए। आखिरकार 14 महीने की तकरार के बाद 29 नवंबर को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों से बिना किसी चर्चा के ध्वनिमत से कृषि कानून वापस ले लिया गया। 11 दिसंबर को किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया और दिल्ली बॉर्डर पर विजय दिवस मनाया।