‘मैं न कोई मॉडल हूं और न ही कोई संत…मैं सिर्फ एक एंकर और एक्ट्रेस थी। संतों ने महिला होने के बावजूद मेरा अपमान किया। आनंद स्वरूप को पाप लगेगा।’ यह कहकर हर्षा रिछारिया रो पड़ती हैं। प्रयागराज के महाकुंभ नगर में पेशवाई के रथ पर बैठने के बाद चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने खुद को 10 बाई 10 के टेंट में कैद कर लिया है। 24 घंटे से वह इसी टेंट में हैं। हर्षा मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली हैं। दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत में हर्षा ने कहा- अब मुझे डर लग रहा है। मेरे ऊपर लग रहे आरोपों से मैं त्रस्त हूं, परेशान हूं। अब मैं महाकुंभ मेला छोड़कर चली जाऊंगी। मैं पूरे महाकुंभ में रहने के लिए यहां आई थी। मैं सिर्फ महाराज जी की भक्त हूं। कैलाश आनंद के विचारों से प्रभावित होकर उनके साथ आई थी। हर्षा ने एक-एक कर हमारे सवालों के जवाब दिए, पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: आप मॉडल, संत या सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर…क्या हैं?
जवाब: मैं संत नहीं हूं। संत अपने आप में बहुत बड़ी पदवी होती है, इसका टैग मुझे नहीं दिया जाए। मैं कभी भी मॉडल नहीं रही हूं। इसलिए मैं यह टैग भी एक्सेप्ट नहीं कर सकती। मैं सिर्फ एक साधारण सी शिष्या हूं, जो अपने गुरुदेव के सानिध्य में महाकुंभ को जानने, महसूस करने और समझने के लिए तीर्थराज प्रयागराज में आई है। सवाल: आप महामंडलेश्वर के रथ में सवार हुईं, संतों ने इसका विरोध किया, क्या कहेंगी?
जवाब: मुझे जो पर्सनली फील होता है, वो यह है कि अगर कोई भी इंसान वेस्टर्न कल्चर को छोड़कर, सनातन धर्म की संस्कृति से जुड़ना चाहता है, समझना चाहता है, उसमें समाना चाहता है, उसमें रम जाना चाहता है। तो मुझे लगता है कि हिंदू होने के नाते, सनातनी होने के नाते हमें खुशी से उसे परिवार में, धर्म में शामिल करना चाहिए, न कि उसका विरोध करना चाहिए। उसे बच्चे की तरह ट्रीट करना चाहिए। उसका विरोध करना बहुत गलत बात है। सवाल : कैलाशानंद गिरी महाराज के संपर्क में कैसे आईं और कैसे धर्म अध्यात्म समझा?
जवाब : परम पूज्य गुरुदेव की बात है, तो मैंने उनसे कुछ समय पहले ही शिक्षा-दीक्षा ली। मंत्र दीक्षा ली है। उनके जो लाखों शिष्य हैं, बच्चे हैं। उन बच्चों में से मैं उनकी एक बेटी हूं, शिष्या हूं। मैं खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानती हूं कि मुझे उनका सानिध्य मिला। वह सिद्ध पुरुष हैं। विश्व में उनकी ख्याति है। पूरी दुनिया के लोग उनसे जुड़ना चाहते हैं। सवाल: आपके संगम में शाही स्नान को लेकर विवाद हुआ, क्या कहेंगी?
जवाब : हर कोई संगम या अमृत स्नान के लिए तड़पता है। हर कोई चाहता है कि साधु-संतों के सानिध्य में, उनकी छत्र-छाया में हमको यह अमृत स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त हो। रही बात मेरी शाही सवारी में बैठने की, जिसके लिए विवाद हो रहा है, तो बता दूं- वो विवाद का मुद्दा नहीं था। उसमें सिर्फ मैं नहीं बैठी थी। सिर्फ मैंने भगवा शॉल नहीं ओढ़ा था। सबसे बड़ी बात अगर हिंदू होने के नाते, सनातनी होने के नाते अगर मैंने भगवा शॉल ओढ़ा तो यह गर्व की बात होनी चाहिए थी। लोगों को गर्व होना चाहिए था कि आज युवा सनातन धर्म में रम रहा है। यह तो पूरे सनातन धर्म के लिए गर्व की बात है। मैं प्रयासरत हूं कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रेरित कर सकूं, लेकिन अगर मैं ही ऐसा नहीं कर पाऊंगी, तो दूसरों को क्या जागरूक कर पाऊंगी। मीडिया ने मुझे टारगेट किया
शाही सवारी में उस वक्त मेरे अलावा बहुत से गृहस्थ लोग भी बैठे हुए थे। जिनका अपना परिवार है, बच्चे हैं, मां-बाप हैं, लेकिन मुझे लगता है कि मीडिया ने मुझे टारगेट किया हुआ था। सिर्फ हमारे निरंजनी अखाड़े में गृहस्थ लोग नहीं थे। अलग-अलग अखाड़ों की शाही सवारी में गृहस्थ लोग बैठे थे। ये कोई विवाद का मुद्दा नहीं था। अगर किसी बच्चे से गलती होती है, तो उसे समझाना चाहिए। लेकिन उसे विवादों में घेरना, नाम खराब करना गलत है। उसे पहले साध्वी का टाइटल देना, फिर मॉडल का टाइटल दे देना। यह बहुत गलत बात है। सवाल : अब कैसा फील कर रही हैं? क्या लग रहा है?
जवाब : मुझे अब बहुत कष्ट हो रहा है। मैंने सोचा था कि 144 साल बाद ये पूर्ण महाकुंभ आया है। मैं बहुत-सी उम्मीदें लेकर आई थी। शायद यह जिंदगी का पहला और आखिरी पूर्ण महाकुंभ है। मैंने सोचा था कि पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में धर्म-संस्कृति और कुंभ के बारे में जानूंगी। युवा होने के नाते मैंने सोचा था कि ऐसे संतों से मिलूंगी, जो आम लाइफ से बहुत दूर रहते हैं। हमारे यहां विदेशी आ रहे हैं, हम वाहवाही कर रहे हैं। लेकिन, भारतीय बेटी के लिए तरह-तरह की बातें हो रही हैं। विवादों में घेरा जा रहा है। ऐसे में कष्ट तो होगा ही। सवाल: आपकी पुरानी तस्वीरों को वायरल किया जा रहा है, आप ट्रोल हो रहीं हैं, क्या कहना चाहेंगी?
जवाब : मेरी पुरानी तस्वीरों में कुछ भी गलत नहीं है। मैंने कुछ भी नहीं छिपाया। मैंने सभी को खुलकर बताया कि मैं एक्टर थी, एंकर थी। अब उससे बाहर निकलकर धर्म से जुड़ गई हूं। मैंने खुद ही सबको बताया। मेरा खुद का कंटेंट वायरल करना, गलत बात है। जिस प्रोफेशन में थी, वहां छोटे कपड़े पहनना, जींस-टॉप पहनना चलता है। भारत में बड़े-बड़े शहरों में लड़कियां हर तरह के कपड़े पहन रही हैं। लेकिन मुझे मेरी मर्यादा का हमेशा ध्यान रहा है। मैंने कभी नॉनवेज खाते हुए फोटो-वीडियो सामने नहीं आई। सिर्फ कपड़ों को लेकर मेरा चरित्र जस्टिफाई किया जा रहा है। ऐसे में यह गलत बात है, समस्त नारी जाति का अपमान किया जा रहा है। अगर कपड़ों की बात कर रहे हैं, तो महाकुंभ में नागा साधु भी हैं। फिर आप नारी को ही क्यों ट्रोल कर रहे हैं। एक बेटी को बचाना चाहिए। लेकिन लोग मुझे ट्रोल कर रहे हैं। गलत कमेंट कर रहे हैं। सवाल : आनंद स्वरूप महाराज ने आपको लेकर कमेंट किया है, क्या कहना चाहेंगी?
जवाब : मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है। आनंद स्वरूप के स्टेटमेंट पर हंसी भी आ रही है। क्योंकि हम तब किसी पर उंगली उठाने लायक होते हैं, जब हम खुद में ठीक होते हैं। मैंने उनके बारे में पता किया। मुझे पता चला कि वो खुद को संत और तपस्वी बताते हैं, लेकिन उनकी खुद की फैमिली है। बीवी और बच्चे हैं। लेकिन, वो अपने परिवार के बारे में किसी को नहीं बताते। आनंद स्वरूप का एक काम है, वो खाली बैठे हैं। उनका काम है कि आगे बढ़ रहे लोगों को पीछे करें। उन्होंने जब देखा कि मेरे परम पूज्य गुरुदेव का नाम हो रहा है, लोग मांस-मदिरा को छोड़कर गुरुदेव के सानिध्य में बैठे हैं। तभी जलन की भावना में उन्होंने ऐसा किया। किन्नर अखाड़े और जूना अखाड़े को लेकर बहुत कुछ बोला था, लेकिन वहां उनकी दाल नहीं गली। अब वो मेरे कंधों पर बंदूक रखकर चला रहे हैं। सवाल : अब कुंभ में रहेंगी या नहीं?
जवाब : मैंने सोचा था कि पूरे कुंभ मेले में रहूंगी। इसी मंशा से यहां आई थी। अब मुझे कैद होकर रहना पड़ रहा है। जिस उद्देश्य के साथ आई थी, वो पूरा नहीं हो पा रहा। लोगों से और उनके सवालों से बचना पड़ रहा है। मुझे अब फील हो रहा है कि मैंने बहुत बड़ा गुनाह कर दिया। मुझे टारगेट किया जा रहा है। अब मैं यहां नहीं रह पाऊंगी, क्योंकि खुलकर सांस नहीं ले पा रही। इससे अच्छा है कि मैं यहां से चली जाऊं। मैं कुंभ छोड़कर जाने का प्लान कर चुकी हूं। खुद को बड़ा साधु-संत बताने वाले अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। जो उनकी बेटी समान है, उस पर कमेंट करने वालों को शर्म आनी चाहिए। आपने ऐसा कमेंट किया कि एक बेटी महाकुंभ छोड़ने को मजबूर हो रही है। वो महाकुंभ, जो लाइफ में एक बार आएगा। इस आनंद स्वरूप को पुण्य नहीं, पाप जरूर लगेगा। इतना मैं बोलकर जा रही हूं। पूरे युवाओं से धर्म को जानने का मौका छीना गया
हर्षा ने कहा- मैं यहां युवाओं को प्रेरित करने आई थी। धर्म और संस्कृति से जोड़ने के लिए आई थी, लेकिन यहां कुछ लोगों ने मुझसे ही यह मौका छीन लिया। इन्होंने मुझसे नहीं, पूरे युवाओं से यह मौका छीना है। इनका मानना है कि जो वेस्टर्न कल्चर में था, तो उसे कोई हक नहीं कि वह अपने धर्म और संस्कृति को जाने। भगवान भी यह अधिकार नहीं छीन सकते
हर्षा ने रोते हुए कहा- भगवान ने भी हमसे कभी पूजा करने का हक नहीं छीना। भगवान के पास भी यह अधिकार नहीं कि वह हमसे धर्म और संस्कृति को जानने का हक छीन लें। लेकिन इन लोगों ने मुझे मॉडल और नाचने-गाने वाला करार दिया। मैं अपनी मर्यादा में थी। मैंने महाकुंभ में आकर क्या अभद्र और क्या गलत कर दिया? इन लोगों ने मुझे परेशान कर दिया, त्रस्त कर दिया है। —————————- यह खबरें भी पढ़ें… महाकुंभ से चर्चा में आईं हर्षा ने संन्यास नहीं लिया, पिता का दावा, बोले- बेटी ने सिर्फ गुरु दीक्षा ली, जल्द शादी करेंगे प्रयागराज महाकुंभ में पेशवाई के रथ पर बैठने के बाद चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने संन्यास नहीं लिया है। ऐसा दावा उनके माता-पिता ने किया। पिता दिनेश रिछारिया ने कहा- बेटी पर साध्वी का टैग गलत लगाया गया। उसने सिर्फ दीक्षा ली है। संन्यास नहीं लिया है, जल्द ही उसकी शादी करेंगे। पढ़ें पूरी खबर… महाकुंभ में मॉडल को रथ पर बैठाने पर भड़के संत: कहा- धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक, परिणाम भुगतने होंगे प्रयागराज महाकुंभ में पेशवाई के दौरान मॉडल को रथ पर बैठाने को लेकर विवाद छिड़ गया है। शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा- यह उचित नहीं है। इससे समाज में गलत संदेश फैलता है। धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक है। साधु-संतों को इससे बचना चाहिए, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। पढ़ें पूरी खबर… ‘मैं न कोई मॉडल हूं और न ही कोई संत…मैं सिर्फ एक एंकर और एक्ट्रेस थी। संतों ने महिला होने के बावजूद मेरा अपमान किया। आनंद स्वरूप को पाप लगेगा।’ यह कहकर हर्षा रिछारिया रो पड़ती हैं। प्रयागराज के महाकुंभ नगर में पेशवाई के रथ पर बैठने के बाद चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने खुद को 10 बाई 10 के टेंट में कैद कर लिया है। 24 घंटे से वह इसी टेंट में हैं। हर्षा मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली हैं। दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत में हर्षा ने कहा- अब मुझे डर लग रहा है। मेरे ऊपर लग रहे आरोपों से मैं त्रस्त हूं, परेशान हूं। अब मैं महाकुंभ मेला छोड़कर चली जाऊंगी। मैं पूरे महाकुंभ में रहने के लिए यहां आई थी। मैं सिर्फ महाराज जी की भक्त हूं। कैलाश आनंद के विचारों से प्रभावित होकर उनके साथ आई थी। हर्षा ने एक-एक कर हमारे सवालों के जवाब दिए, पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: आप मॉडल, संत या सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर…क्या हैं?
जवाब: मैं संत नहीं हूं। संत अपने आप में बहुत बड़ी पदवी होती है, इसका टैग मुझे नहीं दिया जाए। मैं कभी भी मॉडल नहीं रही हूं। इसलिए मैं यह टैग भी एक्सेप्ट नहीं कर सकती। मैं सिर्फ एक साधारण सी शिष्या हूं, जो अपने गुरुदेव के सानिध्य में महाकुंभ को जानने, महसूस करने और समझने के लिए तीर्थराज प्रयागराज में आई है। सवाल: आप महामंडलेश्वर के रथ में सवार हुईं, संतों ने इसका विरोध किया, क्या कहेंगी?
जवाब: मुझे जो पर्सनली फील होता है, वो यह है कि अगर कोई भी इंसान वेस्टर्न कल्चर को छोड़कर, सनातन धर्म की संस्कृति से जुड़ना चाहता है, समझना चाहता है, उसमें समाना चाहता है, उसमें रम जाना चाहता है। तो मुझे लगता है कि हिंदू होने के नाते, सनातनी होने के नाते हमें खुशी से उसे परिवार में, धर्म में शामिल करना चाहिए, न कि उसका विरोध करना चाहिए। उसे बच्चे की तरह ट्रीट करना चाहिए। उसका विरोध करना बहुत गलत बात है। सवाल : कैलाशानंद गिरी महाराज के संपर्क में कैसे आईं और कैसे धर्म अध्यात्म समझा?
जवाब : परम पूज्य गुरुदेव की बात है, तो मैंने उनसे कुछ समय पहले ही शिक्षा-दीक्षा ली। मंत्र दीक्षा ली है। उनके जो लाखों शिष्य हैं, बच्चे हैं। उन बच्चों में से मैं उनकी एक बेटी हूं, शिष्या हूं। मैं खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानती हूं कि मुझे उनका सानिध्य मिला। वह सिद्ध पुरुष हैं। विश्व में उनकी ख्याति है। पूरी दुनिया के लोग उनसे जुड़ना चाहते हैं। सवाल: आपके संगम में शाही स्नान को लेकर विवाद हुआ, क्या कहेंगी?
जवाब : हर कोई संगम या अमृत स्नान के लिए तड़पता है। हर कोई चाहता है कि साधु-संतों के सानिध्य में, उनकी छत्र-छाया में हमको यह अमृत स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त हो। रही बात मेरी शाही सवारी में बैठने की, जिसके लिए विवाद हो रहा है, तो बता दूं- वो विवाद का मुद्दा नहीं था। उसमें सिर्फ मैं नहीं बैठी थी। सिर्फ मैंने भगवा शॉल नहीं ओढ़ा था। सबसे बड़ी बात अगर हिंदू होने के नाते, सनातनी होने के नाते अगर मैंने भगवा शॉल ओढ़ा तो यह गर्व की बात होनी चाहिए थी। लोगों को गर्व होना चाहिए था कि आज युवा सनातन धर्म में रम रहा है। यह तो पूरे सनातन धर्म के लिए गर्व की बात है। मैं प्रयासरत हूं कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रेरित कर सकूं, लेकिन अगर मैं ही ऐसा नहीं कर पाऊंगी, तो दूसरों को क्या जागरूक कर पाऊंगी। मीडिया ने मुझे टारगेट किया
शाही सवारी में उस वक्त मेरे अलावा बहुत से गृहस्थ लोग भी बैठे हुए थे। जिनका अपना परिवार है, बच्चे हैं, मां-बाप हैं, लेकिन मुझे लगता है कि मीडिया ने मुझे टारगेट किया हुआ था। सिर्फ हमारे निरंजनी अखाड़े में गृहस्थ लोग नहीं थे। अलग-अलग अखाड़ों की शाही सवारी में गृहस्थ लोग बैठे थे। ये कोई विवाद का मुद्दा नहीं था। अगर किसी बच्चे से गलती होती है, तो उसे समझाना चाहिए। लेकिन उसे विवादों में घेरना, नाम खराब करना गलत है। उसे पहले साध्वी का टाइटल देना, फिर मॉडल का टाइटल दे देना। यह बहुत गलत बात है। सवाल : अब कैसा फील कर रही हैं? क्या लग रहा है?
जवाब : मुझे अब बहुत कष्ट हो रहा है। मैंने सोचा था कि 144 साल बाद ये पूर्ण महाकुंभ आया है। मैं बहुत-सी उम्मीदें लेकर आई थी। शायद यह जिंदगी का पहला और आखिरी पूर्ण महाकुंभ है। मैंने सोचा था कि पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में धर्म-संस्कृति और कुंभ के बारे में जानूंगी। युवा होने के नाते मैंने सोचा था कि ऐसे संतों से मिलूंगी, जो आम लाइफ से बहुत दूर रहते हैं। हमारे यहां विदेशी आ रहे हैं, हम वाहवाही कर रहे हैं। लेकिन, भारतीय बेटी के लिए तरह-तरह की बातें हो रही हैं। विवादों में घेरा जा रहा है। ऐसे में कष्ट तो होगा ही। सवाल: आपकी पुरानी तस्वीरों को वायरल किया जा रहा है, आप ट्रोल हो रहीं हैं, क्या कहना चाहेंगी?
जवाब : मेरी पुरानी तस्वीरों में कुछ भी गलत नहीं है। मैंने कुछ भी नहीं छिपाया। मैंने सभी को खुलकर बताया कि मैं एक्टर थी, एंकर थी। अब उससे बाहर निकलकर धर्म से जुड़ गई हूं। मैंने खुद ही सबको बताया। मेरा खुद का कंटेंट वायरल करना, गलत बात है। जिस प्रोफेशन में थी, वहां छोटे कपड़े पहनना, जींस-टॉप पहनना चलता है। भारत में बड़े-बड़े शहरों में लड़कियां हर तरह के कपड़े पहन रही हैं। लेकिन मुझे मेरी मर्यादा का हमेशा ध्यान रहा है। मैंने कभी नॉनवेज खाते हुए फोटो-वीडियो सामने नहीं आई। सिर्फ कपड़ों को लेकर मेरा चरित्र जस्टिफाई किया जा रहा है। ऐसे में यह गलत बात है, समस्त नारी जाति का अपमान किया जा रहा है। अगर कपड़ों की बात कर रहे हैं, तो महाकुंभ में नागा साधु भी हैं। फिर आप नारी को ही क्यों ट्रोल कर रहे हैं। एक बेटी को बचाना चाहिए। लेकिन लोग मुझे ट्रोल कर रहे हैं। गलत कमेंट कर रहे हैं। सवाल : आनंद स्वरूप महाराज ने आपको लेकर कमेंट किया है, क्या कहना चाहेंगी?
जवाब : मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है। आनंद स्वरूप के स्टेटमेंट पर हंसी भी आ रही है। क्योंकि हम तब किसी पर उंगली उठाने लायक होते हैं, जब हम खुद में ठीक होते हैं। मैंने उनके बारे में पता किया। मुझे पता चला कि वो खुद को संत और तपस्वी बताते हैं, लेकिन उनकी खुद की फैमिली है। बीवी और बच्चे हैं। लेकिन, वो अपने परिवार के बारे में किसी को नहीं बताते। आनंद स्वरूप का एक काम है, वो खाली बैठे हैं। उनका काम है कि आगे बढ़ रहे लोगों को पीछे करें। उन्होंने जब देखा कि मेरे परम पूज्य गुरुदेव का नाम हो रहा है, लोग मांस-मदिरा को छोड़कर गुरुदेव के सानिध्य में बैठे हैं। तभी जलन की भावना में उन्होंने ऐसा किया। किन्नर अखाड़े और जूना अखाड़े को लेकर बहुत कुछ बोला था, लेकिन वहां उनकी दाल नहीं गली। अब वो मेरे कंधों पर बंदूक रखकर चला रहे हैं। सवाल : अब कुंभ में रहेंगी या नहीं?
जवाब : मैंने सोचा था कि पूरे कुंभ मेले में रहूंगी। इसी मंशा से यहां आई थी। अब मुझे कैद होकर रहना पड़ रहा है। जिस उद्देश्य के साथ आई थी, वो पूरा नहीं हो पा रहा। लोगों से और उनके सवालों से बचना पड़ रहा है। मुझे अब फील हो रहा है कि मैंने बहुत बड़ा गुनाह कर दिया। मुझे टारगेट किया जा रहा है। अब मैं यहां नहीं रह पाऊंगी, क्योंकि खुलकर सांस नहीं ले पा रही। इससे अच्छा है कि मैं यहां से चली जाऊं। मैं कुंभ छोड़कर जाने का प्लान कर चुकी हूं। खुद को बड़ा साधु-संत बताने वाले अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। जो उनकी बेटी समान है, उस पर कमेंट करने वालों को शर्म आनी चाहिए। आपने ऐसा कमेंट किया कि एक बेटी महाकुंभ छोड़ने को मजबूर हो रही है। वो महाकुंभ, जो लाइफ में एक बार आएगा। इस आनंद स्वरूप को पुण्य नहीं, पाप जरूर लगेगा। इतना मैं बोलकर जा रही हूं। पूरे युवाओं से धर्म को जानने का मौका छीना गया
हर्षा ने कहा- मैं यहां युवाओं को प्रेरित करने आई थी। धर्म और संस्कृति से जोड़ने के लिए आई थी, लेकिन यहां कुछ लोगों ने मुझसे ही यह मौका छीन लिया। इन्होंने मुझसे नहीं, पूरे युवाओं से यह मौका छीना है। इनका मानना है कि जो वेस्टर्न कल्चर में था, तो उसे कोई हक नहीं कि वह अपने धर्म और संस्कृति को जाने। भगवान भी यह अधिकार नहीं छीन सकते
हर्षा ने रोते हुए कहा- भगवान ने भी हमसे कभी पूजा करने का हक नहीं छीना। भगवान के पास भी यह अधिकार नहीं कि वह हमसे धर्म और संस्कृति को जानने का हक छीन लें। लेकिन इन लोगों ने मुझे मॉडल और नाचने-गाने वाला करार दिया। मैं अपनी मर्यादा में थी। मैंने महाकुंभ में आकर क्या अभद्र और क्या गलत कर दिया? इन लोगों ने मुझे परेशान कर दिया, त्रस्त कर दिया है। —————————- यह खबरें भी पढ़ें… महाकुंभ से चर्चा में आईं हर्षा ने संन्यास नहीं लिया, पिता का दावा, बोले- बेटी ने सिर्फ गुरु दीक्षा ली, जल्द शादी करेंगे प्रयागराज महाकुंभ में पेशवाई के रथ पर बैठने के बाद चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने संन्यास नहीं लिया है। ऐसा दावा उनके माता-पिता ने किया। पिता दिनेश रिछारिया ने कहा- बेटी पर साध्वी का टैग गलत लगाया गया। उसने सिर्फ दीक्षा ली है। संन्यास नहीं लिया है, जल्द ही उसकी शादी करेंगे। पढ़ें पूरी खबर… महाकुंभ में मॉडल को रथ पर बैठाने पर भड़के संत: कहा- धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक, परिणाम भुगतने होंगे प्रयागराज महाकुंभ में पेशवाई के दौरान मॉडल को रथ पर बैठाने को लेकर विवाद छिड़ गया है। शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा- यह उचित नहीं है। इससे समाज में गलत संदेश फैलता है। धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक है। साधु-संतों को इससे बचना चाहिए, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर