हाईकोर्ट ने MLA आशीष-राकेश शर्मा की याचिका खारिज की:राज्यसभा चुनाव में खरीद-फरोख्त से जुड़ा मामला, कोर्ट बोला-जांच में संज्ञेय अपराध का खुलासा

हाईकोर्ट ने MLA आशीष-राकेश शर्मा की याचिका खारिज की:राज्यसभा चुनाव में खरीद-फरोख्त से जुड़ा मामला, कोर्ट बोला-जांच में संज्ञेय अपराध का खुलासा

हिमाचल हाईकोर्ट ने हमीरपुर से BJP विधायक आशीष शर्मा और पूर्व MLA चैतन्य शर्मा के पिता रिटायर IAS राकेश शर्मा द्वारा अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया है। अब तक की जांच में संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है। इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार FIR को रद्द नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि जांच अभी जारी है। इन्क्वायरी ऑफिसर को जांच पूरी करने की अनुमति दिए बिना इस स्तर पर FIR रद्द करना जल्दबाजी होगी। इसलिए, इस याचिका को खारिज किया जाता है। आखिर में कोर्ट ने कहा कि अदालत द्वारा की गई टिप्पणियां केवल वर्तमान याचिका के निपटारे के संबंध में हैं और इसका मामले के गुण-दोष पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बता दें कि कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ ने आशीष शर्मा व राकेश शर्मा के खिलाफ शिमला के बालूगंज थाना में FIR करवा रखी है। आशीष और राकेश ने इस FIR को खारिज करने का कोर्ट से आग्रह किया था। दोनों प्रार्थियों ने इस मामले की जांच CBI से करवाने की भी गुहार लगाई थी। न्यायाधीश राकेश कैंथला ने दोनों प्रार्थियों द्वारा संयुक्त रूप से दायर याचिका को खारिज कर दिया। कांग्रेस के बागियों को फाइव स्टार होटलों में ठहराने के आरोप इन दोनों पर संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ ने बहुमत वाली कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए षड़यंत्र रचने व विधायकों की खरीद-फरोख्त करने के आरोप लगाए थे। आरोप लगाया कि इन दोनों ने सरकार को गिराने के लिए विधायकों के फाइव से सेवन स्टार होटलों में ठहराने की व्यवस्था की और हेलीकाप्टर से बागी विधायकों को ले जाने में मदद की। यह सब घटनाक्रम बीते साल 27 फरवरी को संपन्न राज्यसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है। राज्यसभा चुनाव में वोटों की खरीद-फरोख्त का मामला राज्यसभा चुनाव में वोटों की खरीद-फरोख्त करने व करोड़ों के लेन-देन के इस मामले में की जांच के लिए SP शिमला ने ASP नवदीप सिंह की अध्यक्षता में SIT गठित की थी। SIT ने इस मामले की विस्तृत जांच की है और आशीष शर्मा व राकेश शर्मा से कई बार बालूगंज पुलिस थाना बुलाकर पूछताछ की। इनकी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने दोनों की याचिका को खारिज किया है। MLA के पिता पूर्व मुख्य सचिव कांग्रेस के बागी पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा रिटायर IAS और उत्तराखंड के पूर्व में मुख्य सचिव रहे हैं। शिकायतकर्ता के अनुसार, राकेश शर्मा और आशीष शर्मा विधायकों की खरीद-फरोख्त के सूत्रधार हैं। बहुमत के बावजूद राज्यसभा सीट हारी थी कांग्रेस बता दें कि हिमाचल में बीते 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी को कैंडिडेट बनाया था। यहां कुल 68 सीटें हैं। कांग्रेस के पास 40 विधायकों की वजह से बहुमत था। भाजपा के पास 25 विधायक थे, जबकि 3 निर्दलीय विधायक हैं। भाजपा ने हर्ष महाजन को कैंडिडेट बनाया था। जब चुनाव हुआ तो 6 कांग्रेसी और 3 निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। जिस वजह से भाजपा और कांग्रेस कैंडिडेट के 34-34 वोट मिले। इसके बाद लॉटरी से भाजपा के हर्ष महाजन चुनाव जीत गए। सरकार पर भी आया संकट राज्यसभा सीट हारते ही हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर भी संकट आ गया। भाजपा ने गवर्नर से मिलकर कहा कि सरकार के पास बहुमत नहीं है। दोनों के पास बराबर 34-34 विधायक हो गए थे। इसके बाद तुरंत कांग्रेस हाईकमान ने कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा को शिमला भेजा। इसके बाद सरकार का संकट टालने के लिए विधानसभा स्पीकर ने संसदीय कार्य मंत्री की याचिका पर बागी हुए 6 विधायकों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य करार दे दिया। हालांकि बाद में 9 सीटों पर उप चुनाव हुआ और कांग्रेस के पास दोबारा 40 सीटें हो गई थी। इससे सरकार पर सियासी संकट टल गया था। हिमाचल हाईकोर्ट ने हमीरपुर से BJP विधायक आशीष शर्मा और पूर्व MLA चैतन्य शर्मा के पिता रिटायर IAS राकेश शर्मा द्वारा अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया है। अब तक की जांच में संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है। इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार FIR को रद्द नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि जांच अभी जारी है। इन्क्वायरी ऑफिसर को जांच पूरी करने की अनुमति दिए बिना इस स्तर पर FIR रद्द करना जल्दबाजी होगी। इसलिए, इस याचिका को खारिज किया जाता है। आखिर में कोर्ट ने कहा कि अदालत द्वारा की गई टिप्पणियां केवल वर्तमान याचिका के निपटारे के संबंध में हैं और इसका मामले के गुण-दोष पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बता दें कि कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ ने आशीष शर्मा व राकेश शर्मा के खिलाफ शिमला के बालूगंज थाना में FIR करवा रखी है। आशीष और राकेश ने इस FIR को खारिज करने का कोर्ट से आग्रह किया था। दोनों प्रार्थियों ने इस मामले की जांच CBI से करवाने की भी गुहार लगाई थी। न्यायाधीश राकेश कैंथला ने दोनों प्रार्थियों द्वारा संयुक्त रूप से दायर याचिका को खारिज कर दिया। कांग्रेस के बागियों को फाइव स्टार होटलों में ठहराने के आरोप इन दोनों पर संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ ने बहुमत वाली कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए षड़यंत्र रचने व विधायकों की खरीद-फरोख्त करने के आरोप लगाए थे। आरोप लगाया कि इन दोनों ने सरकार को गिराने के लिए विधायकों के फाइव से सेवन स्टार होटलों में ठहराने की व्यवस्था की और हेलीकाप्टर से बागी विधायकों को ले जाने में मदद की। यह सब घटनाक्रम बीते साल 27 फरवरी को संपन्न राज्यसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है। राज्यसभा चुनाव में वोटों की खरीद-फरोख्त का मामला राज्यसभा चुनाव में वोटों की खरीद-फरोख्त करने व करोड़ों के लेन-देन के इस मामले में की जांच के लिए SP शिमला ने ASP नवदीप सिंह की अध्यक्षता में SIT गठित की थी। SIT ने इस मामले की विस्तृत जांच की है और आशीष शर्मा व राकेश शर्मा से कई बार बालूगंज पुलिस थाना बुलाकर पूछताछ की। इनकी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने दोनों की याचिका को खारिज किया है। MLA के पिता पूर्व मुख्य सचिव कांग्रेस के बागी पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा रिटायर IAS और उत्तराखंड के पूर्व में मुख्य सचिव रहे हैं। शिकायतकर्ता के अनुसार, राकेश शर्मा और आशीष शर्मा विधायकों की खरीद-फरोख्त के सूत्रधार हैं। बहुमत के बावजूद राज्यसभा सीट हारी थी कांग्रेस बता दें कि हिमाचल में बीते 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी को कैंडिडेट बनाया था। यहां कुल 68 सीटें हैं। कांग्रेस के पास 40 विधायकों की वजह से बहुमत था। भाजपा के पास 25 विधायक थे, जबकि 3 निर्दलीय विधायक हैं। भाजपा ने हर्ष महाजन को कैंडिडेट बनाया था। जब चुनाव हुआ तो 6 कांग्रेसी और 3 निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। जिस वजह से भाजपा और कांग्रेस कैंडिडेट के 34-34 वोट मिले। इसके बाद लॉटरी से भाजपा के हर्ष महाजन चुनाव जीत गए। सरकार पर भी आया संकट राज्यसभा सीट हारते ही हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर भी संकट आ गया। भाजपा ने गवर्नर से मिलकर कहा कि सरकार के पास बहुमत नहीं है। दोनों के पास बराबर 34-34 विधायक हो गए थे। इसके बाद तुरंत कांग्रेस हाईकमान ने कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा को शिमला भेजा। इसके बाद सरकार का संकट टालने के लिए विधानसभा स्पीकर ने संसदीय कार्य मंत्री की याचिका पर बागी हुए 6 विधायकों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य करार दे दिया। हालांकि बाद में 9 सीटों पर उप चुनाव हुआ और कांग्रेस के पास दोबारा 40 सीटें हो गई थी। इससे सरकार पर सियासी संकट टल गया था।   हिमाचल | दैनिक भास्कर