<p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh News</strong>: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक बार फिर राज्य सरकार को फटकार लगाई है. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येंद्र की डबल बेंच ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में ट्रॉमा सेंटर शुरू न होने पर सख्ती दिखाई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साथ ही आईजीएमसी ट्रॉमा सेंटर में पद नहीं भरे जाने को भी खेदजनक बताया है. कोर्ट ने कहा है कि ट्रॉमा सेंटर में खाली पड़े पद सोचनीय स्थिति को दिखाती है. यहां 14 अलग-अलग श्रेणियां में ट्रॉमा सेंटर में 237 कर्मचारियों की जरूरत है. इनमें 179 की मंजूरी मिली है और तैनाती सिर्फ 44 कर्मचारियों की ही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अदालत में डबल बेंच ने कहा कहा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) ने आश्वासन दिया है कि नर्सिंग स्टाफ और पैरा मेडिकल स्टाफ को 31 जनवरी, 2025 तक भर दिया जाएगा, जबकि शेष स्टाफ को 31 मार्च, 2025 तक भर दिया जाएगा. उनका बयान रिकॉर्ड में दर्ज है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्य की कार्रवाई की निगरानी के लिए मामले को 2 जनवरी 2025 को सूचीबद्ध किया गया है, जिस तिथि तक प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) द्वारा स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाएगी. कोर्ट को बताया गया है कि आईजीएमसी शिमला में मिनिस्टीरियल स्टाफ की कुल संख्या 30% और नर्सिंग स्टाफ की संख्या 50% से भी कम रह गई है. यह सरकार के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि वह अपने मिनिस्टीरियल स्टाफ के साथ नर्सिंग स्टाफ के बारे में भी स्पष्ट रूप से बता रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट को उम्मीद- जरूरी उपकरण खरीद लेगी सरकार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट उम्मीद है और भरोसा है कि सुनवाई की अगली तिथि तक इन कार्यात्मक पदों को भरने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे और प्रतिवादियों द्वारा उनका सहारा लिया जाएगा. इसी तरह कोर्ट को यह भी उम्मीद है कि कैंसर अस्पताल के लिए नई एमआरआई मशीन और पीईटी स्कैन मशीन जैसी आवश्यक मशीनरी और उपकरण भी सुनवाई की अगली तिथि तक खरीदे जाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>चमियाणा में ओपीडी शुरू करने की भी मंजूरी नहीं</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही चमियाणा में सौ करोड़ रुपये की लागत से तैयार अटल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में ओपीडी संचालन के मामले में हाई कोर्ट ने सख्ती को बरकरार रखा है. हाई कोर्ट ने यहां ओपीडी के संचालन को लेकर की गई तैयारियों की जानकारी शपथ पत्र के जरिए तलब की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को यह शपथ पत्र दायर करने के आदेश जारी किए हैं. राज्य सरकार ने चमियाणा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कुछ विभागों की ओपीडी चलाने की इजाजत मांगी थी. कोर्ट ने इसकी इजाजत देने से इनकार कर दिया है. मामले में अगली सुनाई 9 दिसंबर को होगी. इस मामले में भी स्वास्थ्य विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से पर्सनल एफिडेविट दायर करने के लिए कहा गया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/himachal-minister-vikramaditya-singh-on-congress-work-statement-on-central-government-ann-2837502″>मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने गिनवाए अपने दो साल के काम, सहयोग के लिए केंद्र का जताया आभार</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh News</strong>: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक बार फिर राज्य सरकार को फटकार लगाई है. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येंद्र की डबल बेंच ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में ट्रॉमा सेंटर शुरू न होने पर सख्ती दिखाई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साथ ही आईजीएमसी ट्रॉमा सेंटर में पद नहीं भरे जाने को भी खेदजनक बताया है. कोर्ट ने कहा है कि ट्रॉमा सेंटर में खाली पड़े पद सोचनीय स्थिति को दिखाती है. यहां 14 अलग-अलग श्रेणियां में ट्रॉमा सेंटर में 237 कर्मचारियों की जरूरत है. इनमें 179 की मंजूरी मिली है और तैनाती सिर्फ 44 कर्मचारियों की ही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अदालत में डबल बेंच ने कहा कहा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) ने आश्वासन दिया है कि नर्सिंग स्टाफ और पैरा मेडिकल स्टाफ को 31 जनवरी, 2025 तक भर दिया जाएगा, जबकि शेष स्टाफ को 31 मार्च, 2025 तक भर दिया जाएगा. उनका बयान रिकॉर्ड में दर्ज है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्य की कार्रवाई की निगरानी के लिए मामले को 2 जनवरी 2025 को सूचीबद्ध किया गया है, जिस तिथि तक प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) द्वारा स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाएगी. कोर्ट को बताया गया है कि आईजीएमसी शिमला में मिनिस्टीरियल स्टाफ की कुल संख्या 30% और नर्सिंग स्टाफ की संख्या 50% से भी कम रह गई है. यह सरकार के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि वह अपने मिनिस्टीरियल स्टाफ के साथ नर्सिंग स्टाफ के बारे में भी स्पष्ट रूप से बता रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट को उम्मीद- जरूरी उपकरण खरीद लेगी सरकार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट उम्मीद है और भरोसा है कि सुनवाई की अगली तिथि तक इन कार्यात्मक पदों को भरने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे और प्रतिवादियों द्वारा उनका सहारा लिया जाएगा. इसी तरह कोर्ट को यह भी उम्मीद है कि कैंसर अस्पताल के लिए नई एमआरआई मशीन और पीईटी स्कैन मशीन जैसी आवश्यक मशीनरी और उपकरण भी सुनवाई की अगली तिथि तक खरीदे जाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>चमियाणा में ओपीडी शुरू करने की भी मंजूरी नहीं</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही चमियाणा में सौ करोड़ रुपये की लागत से तैयार अटल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में ओपीडी संचालन के मामले में हाई कोर्ट ने सख्ती को बरकरार रखा है. हाई कोर्ट ने यहां ओपीडी के संचालन को लेकर की गई तैयारियों की जानकारी शपथ पत्र के जरिए तलब की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को यह शपथ पत्र दायर करने के आदेश जारी किए हैं. राज्य सरकार ने चमियाणा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कुछ विभागों की ओपीडी चलाने की इजाजत मांगी थी. कोर्ट ने इसकी इजाजत देने से इनकार कर दिया है. मामले में अगली सुनाई 9 दिसंबर को होगी. इस मामले में भी स्वास्थ्य विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से पर्सनल एफिडेविट दायर करने के लिए कहा गया है. </p>
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