सहारनपुर में बसपा से पूर्व सांसद हाजी फजलुर्रहमान अब सपा में शामिल हो सकते हैं। वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ दिखाई दिए। उनकी एक और फोटो भी सामने आई है। इससे पहले लोकसभा चुनाव में कन्नौज में हाजी फजलुर्रहमान उनके साथ दिखाई दिए थे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वो जल्द ही सपा जॉइन करेंगे। हालांकि, सपा नेताओं से उनकी नजदीकियां किसी से छिपी नहीं है। कई बार फोटो सामने आने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
हाजी फजलुर्रहमान की अखिलेश यादव से नजदीकी अब सार्वजनिक हो गई है। बावजूद इसके, बसपा सुप्रीमो मायावती से लेकर लोकल नेता चुप्पी साधे हुए हैं। अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। वह लगातार बसपा से इतर हटकर सपा नेताओं के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। हैरानी की बात है कि अनुशासित बसपा अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? जबकि चुनाव से पहले इमरान मसूद और चुनाव के बाद बसपा प्रत्याशी रहे माजिद अली को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इमरान और माजिद को निष्कासित कर दिया था संदेश
दरअसल, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने इमरान मसूद को पार्टी से निष्कासित कर अनुशासित पार्टी होने का एक पैगाम अपने कार्यकर्ताओं को दिया था। इमरान मसूद को सिर्फ इसलिए निकाला गया, क्योंकि उन्होंने इंडी गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की सलाह दी थी। एक सलाह पर बसपा सुप्रीमो ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया था। तुरंत बसपा ने माजिद अली को पार्टी में शामिल कर चुनाव लड़ाया। लेकिन चुनाव हारने के तुरंत बाद ही अनुशासनहीनता का तमगा माजिद अली पर लगाकर उन्हें भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। टिकट नहीं मांग…फिर पार्टी से नाराज हाजी
लोकसभा चुनाव में पार्टी ने पहले ही साफ कर दिया था कि पार्टी किसी नए कैंडिडेट पर दांव खेलेगी। हुआ भी यही। माजिद अली पर बसपा ने दांव खेला। हालांकि, हाजी फजलुर्रहमान ने पहले ही साफ कर दिया था कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्हें टिकट ही नहीं दिया गया तो उन्होंने पहले ही चुनाव न लड़ने का दांव खेला था। चुनाव में बसपा नहीं, सपा का किया प्रचार
पूर्व बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने बसपा के किसी भी कैंडिडेट के लिए वोट नहीं मांगे। न ही उन्होंने मैदान में उतरकर बसपा के पक्ष में प्रचार किया। उन्होंने बसपा के चुनाव से दूरी बनाए रखी। उन्होंने कैराना में इकरा हसन, मुजफ्फनगर में हरेंद्र मलिक, मुरादाबाद में रूचि वीरा, संभल, हाथरस और कन्नौज में अखिलेश यादव के लिए प्रचार जरूर किया। इसका परिणाम सबके सामने हैं। सहारनपुर में बसपा से पूर्व सांसद हाजी फजलुर्रहमान अब सपा में शामिल हो सकते हैं। वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ दिखाई दिए। उनकी एक और फोटो भी सामने आई है। इससे पहले लोकसभा चुनाव में कन्नौज में हाजी फजलुर्रहमान उनके साथ दिखाई दिए थे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वो जल्द ही सपा जॉइन करेंगे। हालांकि, सपा नेताओं से उनकी नजदीकियां किसी से छिपी नहीं है। कई बार फोटो सामने आने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
हाजी फजलुर्रहमान की अखिलेश यादव से नजदीकी अब सार्वजनिक हो गई है। बावजूद इसके, बसपा सुप्रीमो मायावती से लेकर लोकल नेता चुप्पी साधे हुए हैं। अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। वह लगातार बसपा से इतर हटकर सपा नेताओं के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। हैरानी की बात है कि अनुशासित बसपा अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? जबकि चुनाव से पहले इमरान मसूद और चुनाव के बाद बसपा प्रत्याशी रहे माजिद अली को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इमरान और माजिद को निष्कासित कर दिया था संदेश
दरअसल, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने इमरान मसूद को पार्टी से निष्कासित कर अनुशासित पार्टी होने का एक पैगाम अपने कार्यकर्ताओं को दिया था। इमरान मसूद को सिर्फ इसलिए निकाला गया, क्योंकि उन्होंने इंडी गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की सलाह दी थी। एक सलाह पर बसपा सुप्रीमो ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया था। तुरंत बसपा ने माजिद अली को पार्टी में शामिल कर चुनाव लड़ाया। लेकिन चुनाव हारने के तुरंत बाद ही अनुशासनहीनता का तमगा माजिद अली पर लगाकर उन्हें भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। टिकट नहीं मांग…फिर पार्टी से नाराज हाजी
लोकसभा चुनाव में पार्टी ने पहले ही साफ कर दिया था कि पार्टी किसी नए कैंडिडेट पर दांव खेलेगी। हुआ भी यही। माजिद अली पर बसपा ने दांव खेला। हालांकि, हाजी फजलुर्रहमान ने पहले ही साफ कर दिया था कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्हें टिकट ही नहीं दिया गया तो उन्होंने पहले ही चुनाव न लड़ने का दांव खेला था। चुनाव में बसपा नहीं, सपा का किया प्रचार
पूर्व बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने बसपा के किसी भी कैंडिडेट के लिए वोट नहीं मांगे। न ही उन्होंने मैदान में उतरकर बसपा के पक्ष में प्रचार किया। उन्होंने बसपा के चुनाव से दूरी बनाए रखी। उन्होंने कैराना में इकरा हसन, मुजफ्फनगर में हरेंद्र मलिक, मुरादाबाद में रूचि वीरा, संभल, हाथरस और कन्नौज में अखिलेश यादव के लिए प्रचार जरूर किया। इसका परिणाम सबके सामने हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर