यूपी के हाथरस में सत्संग के बाद मची भगदड़ में मौतों का आंकड़ा बढ़कर 123 हो गया है। इनमें 113 महिलाएं, 7 बच्चे और 3 पुरुष हैं। योगी सरकार ने हादसे की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाया है। इसकी अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव करेंगे। रिटायर्ड आईएएस हेमंत राव और रिटायर्ड डीजी भवेश कुमार सिंह आयोग के सदस्य हैं। टीम 2 महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए सुझाव भी देंगे। उधर, सिकंदराराऊ के फुलरई गांव में हुए हादसे के 40 घंटे बाद भी पुलिस नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा तक नहीं पहुंच सकी। जबकि उसने एपी सिंह को अपना वकील नियुक्त कर लिया है। सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। भोले बाबा ने एपी सिंह के जरिए लिखित बयान जारी किया। जिसमें सफाई दी कि मैं जब समागम से निकल गया, इसके बाद असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई। इन लोगों के खिलाफ लीगल एक्शन लूंगा। घायलों के स्वस्थ होने की कामना करता हूं। सीएम योगी बोले- यह हादसा साजिश जैसा
सीएम योगी बुधवार को हाथरस पहुंचे। उन्होंने जिला अस्पताल में घायलों से मुलाकात की और घटनास्थल पर गए। अफसरों से पूरे हादसे की जानकारी ली। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- यह हादसा साजिश जैसा है। लोग मरते गए, सेवादार वहां से भाग गए। उन्होंने न तो प्रशासन को सूचना दी और न ही मदद की। प्रशासन की टीम जब पहुंची तो सेवादारों ने उन्हें आगे जाने नहीं दिया। हमने भी कुंभ जैसे बड़े आयोजन किए, लेकिन ऐसी चीजें नहीं हुईं। सीएम ने कहा- जांच के लिए SIT का गठन किया है। हाईकोर्ट के रिटायर जज, पुलिस के सीनियर रिटायर ऑफिसर की टीम भी मामले की जांच करेगी। जो भी दोषी होगा, उसको सजा देंगे। बाबा को छोड़कर 22 आयोजकों पर एफआईआर
भोले बाबा को छोड़कर 22 आयोजकों पर FIR हुई है। सिर्फ एक नामजद है, बाकी अज्ञात हैं। भोले बाबा हर महीने पहले मंगलवार को सत्संग करता है, जिसमें यूपी, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और पंजाब से लोग आते हैं। ऐसा ही आयोजन हाथरस में था, जिसमें करीब एक लाख से ज्यादा अनुयायी पहुंचे थे। बस,ऑटो और लोडिंग में भरकर ले आए शव और घायल
मंगलवार दोपहर 1 बजे का समय था। सत्संग खत्म होने के बाद भोले बाबा समागम स्थल से बाहर निकला। श्रद्धालु उसके पैरों की धूल लेने के लिए आगे बढ़े तो वॉलंटियर्स ने वाटर कैनन से पानी की बौछार की। इससे महिलाएं गिरीं और भगदड़ मच गई। भगदड़ में लोग जमीन पर गिरे लोगों को कुचलते हुए आगे निकल गए। हादसे के बाद अस्पतालों में हालात भयावह हो गए। लाशों-घायलों को बस और टैंपो में भरकर सिकंदराराऊ CHC और एटा जिला अस्पताल, अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजा गया। CHC के बाहर शव जमीन पर इधर-उधर बिखरे पड़े थे। भास्कर रिपोर्टर ने लाशें गिनीं
दैनिक भास्कर ने डॉक्टर से पूछा तो वह मौत का आंकड़ा नहीं बता पाए। इसके बाद भास्कर रिपोर्टर मनोज महेश्वरी ने सिकंदराराऊ CHC के बाहर एक-एक करके लाशों को गिना। यहां 95 लाशें जमीन पर पड़ी थीं। एटा CMO उमेश त्रिपाठी ने बताया- एटा के जिला अस्पताल में अब तक 27 शव पहुंचे हैं। यानी, कुल 122 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, सरकार ने 121 लोगों की मौत की लिस्ट जारी की है। घायलों को अस्पताल ले जाने में देरी, इसलिए मौतें
घटनास्थल से 3 किमी दूर तक सड़क किनारे अनुयायियों के वाहनों से जाम लगा था। इससे घायलों को अस्पताल पहुंचने में भी देरी हुई। कई लोगों ने रास्ते में दम तोड़ दिया। अस्पतालों में भी भीड़ से अव्यवस्था हो गई। अस्पताल के बाहर लोग शवों के बीच अपनों की तलाश करते देखे गए। लाशों को ओढ़ाने के लिए चादर तक नहीं थी
हालात ऐसे रहे कि लाशों को ओढ़ाने के लिए चादर तक नहीं थी। घायल जमीन पर तड़प रहे थे। उनका इलाज करने के लिए डॉक्टर नहीं थे। मृतकों में ज्यादातर हाथरस, बदायूं और पश्चिम UP के जिलों के हैं। लाशों को देख सिपाही को आया हार्टअटैक
इधर, एटा में लाशों का ढेर देखकर ड्यूटी पर तैनात सिपाही रजनेश (30) को हार्ट अटैक आ गया। साथी उन्हें डॉक्टर के पास ले गए, लेकिन उनकी मौत हो गई। हालांकि, एटा SSP ने सिपाही की मौत की वजह बीमारी बताई है। लाश उठाने तक के लिए लोग नहीं, अफसर खड़े देखते रहे
हादसे में हाथरस प्रशासन की भयंकर चूक सामने आई है। कार्यक्रम की अनुमति देने से लेकर हादसे के बाद तक प्रशासन लाचार नजर आया। सुबह लाखों की भीड़ कार्यक्रम स्थल पहुंच चुकी थी, लेकिन सत्संग स्थल पर कोई भी बड़ा अफसर मौजूद नहीं था। सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे। कुछ पुलिसवाले थे, वह भी इधर-उधर टहल रहे थे। परिजन ही रोते-बिलखते शवों को उठा रहे थे। अफसर खड़े देखते रहे। न कार्यक्रम स्थल में और न ही अस्पताल में कोई इंतजाम था। ऐसे हुआ हादसा- प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सत्संग के बाद श्रद्धालु बाबा के काफिले के पीछे उनकी चरण रज लेने के लिए दौड़े। भीड़ को काबू में करने के लिए पानी की बौछारें फेंकी गई। लोग भागने लगे, तभी एक-दूसरे पर गिरते गए.. कुचलने से इतनी मौतें हुईं। योगी बोले- घटना हादसा है या साजिश, इसकी जांच होगी
CM योगी के निर्देश पर मुख्य सचिव मनोज सिंह और DGP प्रशांत कुमार घटनास्थल पर पहुंच गए। बाबा की गिरफ्तारी के सवाल पर DGP प्रशांत कुमार ने कहा- अभी कुछ नहीं कह सकते, जांच जारी है। CS मनोज सिंह ने बताया- उच्च स्तरीय कमेटी 24 घंटे में रिपोर्ट देगी। आयोजकों पर गैर इरादतन हत्या का केस होगा। घटना की जांच के लिए ADG आगरा और अलीगढ़ कमिश्नर की टीम बनाई गई। DM ने बताया कि SDM ने कार्यक्रम की अनुमति दी थी। योगी ने कहा- हाथरस की घटना हादसा है या साजिश, इसकी जांच होगी। कौन है नारायण हरि… यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल था भोले बाबा के नाम से प्रसिद्ध नारायण साकार हरि उर्फ सुरजपाल जाटव यूपी के एटा का रहने वाला है। यूपी पुलिस में 15 साल नौकरी की। 17 साल पहले VRS लिया। पत्नी के साथ सत्संग करते हैं। अनुयायियों में SC-ST-OBC वर्ग के लोग ज्यादा हैं। सत्संग की व्यवस्था सेवादार संभालते हैं। हाथरस के आयोजन में 12 हजार सेवादार लगे थे। (पढ़ें पूरी खबर) हादसे की 10 तस्वीरें… अब पढ़िए उन लोगों का दर्द, जिन्होंने आंखों के सामने अपनों को मरते देखा… भगदड़ में बेटी का हाथ छूटा, फिर लाश मिली
जलेसर से आई एक महिला ने बताया- मैं पति और बेटी खुशबू के साथ सत्संग सुनने आई थी। सत्संग खत्म होने के बाद हम जैसे ही निकलने लगे, लोग अचानक बाहर भागने लगे। फिर भगदड़ मच गई। मैं और मेरे पति अपनी बेटी को लेकर भागे, लेकिन लोग मेरी बेटी को रौंदते निकल गए। बेटी की जान चली गई, पति घायल हैं। गोद में शव लिए बोली- सत्संग सुनने आए थे
हाथरस की रहने वाली सीता ने बताया- आज हम अपनी बहन मंजू राने और उसके 5 साल के बेटे पीके के साथ सत्संग सुनने आए थे। हादसे में मेरी बहन और उसके बेटे की मौत हो गई। मैं खेतों की तरफ भागी, तब जाकर बच सकी। हजारों की भीड़ में लोग एक-दूसरे को रौंदते रहे। कोई किसी को देखने वाला नहीं था। प्रत्यक्षदर्शी बोले-पुलिस-प्रशासन ने मुस्तैदी से काम नहीं किया
प्रत्यक्षदर्शी ने आरोप लगाया है कि सत्संग स्थल के अंदर कोई पटना नहीं हुई है। जो हादसा हुआ है वह बाहर रोड पर हुई है। पुलिस-प्रशासन ने अपना काम मुस्तैदी नहीं किया है। काम में लापरवाही बरतने वाले सभी स्टाफ को तुरंत सस्पेंड किया जाए, नहीं तो हम प्रदर्शन करेंगे। प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि मैंने डीएम साहब से पूछा कि इन डेडबॉडीज का क्या करें तो मुझे पुलिस ने धक्का मार कर हटा दिया। यूपी के हाथरस में सत्संग के बाद मची भगदड़ में मौतों का आंकड़ा बढ़कर 123 हो गया है। इनमें 113 महिलाएं, 7 बच्चे और 3 पुरुष हैं। योगी सरकार ने हादसे की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाया है। इसकी अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव करेंगे। रिटायर्ड आईएएस हेमंत राव और रिटायर्ड डीजी भवेश कुमार सिंह आयोग के सदस्य हैं। टीम 2 महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए सुझाव भी देंगे। उधर, सिकंदराराऊ के फुलरई गांव में हुए हादसे के 40 घंटे बाद भी पुलिस नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा तक नहीं पहुंच सकी। जबकि उसने एपी सिंह को अपना वकील नियुक्त कर लिया है। सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। भोले बाबा ने एपी सिंह के जरिए लिखित बयान जारी किया। जिसमें सफाई दी कि मैं जब समागम से निकल गया, इसके बाद असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई। इन लोगों के खिलाफ लीगल एक्शन लूंगा। घायलों के स्वस्थ होने की कामना करता हूं। सीएम योगी बोले- यह हादसा साजिश जैसा
सीएम योगी बुधवार को हाथरस पहुंचे। उन्होंने जिला अस्पताल में घायलों से मुलाकात की और घटनास्थल पर गए। अफसरों से पूरे हादसे की जानकारी ली। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- यह हादसा साजिश जैसा है। लोग मरते गए, सेवादार वहां से भाग गए। उन्होंने न तो प्रशासन को सूचना दी और न ही मदद की। प्रशासन की टीम जब पहुंची तो सेवादारों ने उन्हें आगे जाने नहीं दिया। हमने भी कुंभ जैसे बड़े आयोजन किए, लेकिन ऐसी चीजें नहीं हुईं। सीएम ने कहा- जांच के लिए SIT का गठन किया है। हाईकोर्ट के रिटायर जज, पुलिस के सीनियर रिटायर ऑफिसर की टीम भी मामले की जांच करेगी। जो भी दोषी होगा, उसको सजा देंगे। बाबा को छोड़कर 22 आयोजकों पर एफआईआर
भोले बाबा को छोड़कर 22 आयोजकों पर FIR हुई है। सिर्फ एक नामजद है, बाकी अज्ञात हैं। भोले बाबा हर महीने पहले मंगलवार को सत्संग करता है, जिसमें यूपी, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और पंजाब से लोग आते हैं। ऐसा ही आयोजन हाथरस में था, जिसमें करीब एक लाख से ज्यादा अनुयायी पहुंचे थे। बस,ऑटो और लोडिंग में भरकर ले आए शव और घायल
मंगलवार दोपहर 1 बजे का समय था। सत्संग खत्म होने के बाद भोले बाबा समागम स्थल से बाहर निकला। श्रद्धालु उसके पैरों की धूल लेने के लिए आगे बढ़े तो वॉलंटियर्स ने वाटर कैनन से पानी की बौछार की। इससे महिलाएं गिरीं और भगदड़ मच गई। भगदड़ में लोग जमीन पर गिरे लोगों को कुचलते हुए आगे निकल गए। हादसे के बाद अस्पतालों में हालात भयावह हो गए। लाशों-घायलों को बस और टैंपो में भरकर सिकंदराराऊ CHC और एटा जिला अस्पताल, अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजा गया। CHC के बाहर शव जमीन पर इधर-उधर बिखरे पड़े थे। भास्कर रिपोर्टर ने लाशें गिनीं
दैनिक भास्कर ने डॉक्टर से पूछा तो वह मौत का आंकड़ा नहीं बता पाए। इसके बाद भास्कर रिपोर्टर मनोज महेश्वरी ने सिकंदराराऊ CHC के बाहर एक-एक करके लाशों को गिना। यहां 95 लाशें जमीन पर पड़ी थीं। एटा CMO उमेश त्रिपाठी ने बताया- एटा के जिला अस्पताल में अब तक 27 शव पहुंचे हैं। यानी, कुल 122 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, सरकार ने 121 लोगों की मौत की लिस्ट जारी की है। घायलों को अस्पताल ले जाने में देरी, इसलिए मौतें
घटनास्थल से 3 किमी दूर तक सड़क किनारे अनुयायियों के वाहनों से जाम लगा था। इससे घायलों को अस्पताल पहुंचने में भी देरी हुई। कई लोगों ने रास्ते में दम तोड़ दिया। अस्पतालों में भी भीड़ से अव्यवस्था हो गई। अस्पताल के बाहर लोग शवों के बीच अपनों की तलाश करते देखे गए। लाशों को ओढ़ाने के लिए चादर तक नहीं थी
हालात ऐसे रहे कि लाशों को ओढ़ाने के लिए चादर तक नहीं थी। घायल जमीन पर तड़प रहे थे। उनका इलाज करने के लिए डॉक्टर नहीं थे। मृतकों में ज्यादातर हाथरस, बदायूं और पश्चिम UP के जिलों के हैं। लाशों को देख सिपाही को आया हार्टअटैक
इधर, एटा में लाशों का ढेर देखकर ड्यूटी पर तैनात सिपाही रजनेश (30) को हार्ट अटैक आ गया। साथी उन्हें डॉक्टर के पास ले गए, लेकिन उनकी मौत हो गई। हालांकि, एटा SSP ने सिपाही की मौत की वजह बीमारी बताई है। लाश उठाने तक के लिए लोग नहीं, अफसर खड़े देखते रहे
हादसे में हाथरस प्रशासन की भयंकर चूक सामने आई है। कार्यक्रम की अनुमति देने से लेकर हादसे के बाद तक प्रशासन लाचार नजर आया। सुबह लाखों की भीड़ कार्यक्रम स्थल पहुंच चुकी थी, लेकिन सत्संग स्थल पर कोई भी बड़ा अफसर मौजूद नहीं था। सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे। कुछ पुलिसवाले थे, वह भी इधर-उधर टहल रहे थे। परिजन ही रोते-बिलखते शवों को उठा रहे थे। अफसर खड़े देखते रहे। न कार्यक्रम स्थल में और न ही अस्पताल में कोई इंतजाम था। ऐसे हुआ हादसा- प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सत्संग के बाद श्रद्धालु बाबा के काफिले के पीछे उनकी चरण रज लेने के लिए दौड़े। भीड़ को काबू में करने के लिए पानी की बौछारें फेंकी गई। लोग भागने लगे, तभी एक-दूसरे पर गिरते गए.. कुचलने से इतनी मौतें हुईं। योगी बोले- घटना हादसा है या साजिश, इसकी जांच होगी
CM योगी के निर्देश पर मुख्य सचिव मनोज सिंह और DGP प्रशांत कुमार घटनास्थल पर पहुंच गए। बाबा की गिरफ्तारी के सवाल पर DGP प्रशांत कुमार ने कहा- अभी कुछ नहीं कह सकते, जांच जारी है। CS मनोज सिंह ने बताया- उच्च स्तरीय कमेटी 24 घंटे में रिपोर्ट देगी। आयोजकों पर गैर इरादतन हत्या का केस होगा। घटना की जांच के लिए ADG आगरा और अलीगढ़ कमिश्नर की टीम बनाई गई। DM ने बताया कि SDM ने कार्यक्रम की अनुमति दी थी। योगी ने कहा- हाथरस की घटना हादसा है या साजिश, इसकी जांच होगी। कौन है नारायण हरि… यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल था भोले बाबा के नाम से प्रसिद्ध नारायण साकार हरि उर्फ सुरजपाल जाटव यूपी के एटा का रहने वाला है। यूपी पुलिस में 15 साल नौकरी की। 17 साल पहले VRS लिया। पत्नी के साथ सत्संग करते हैं। अनुयायियों में SC-ST-OBC वर्ग के लोग ज्यादा हैं। सत्संग की व्यवस्था सेवादार संभालते हैं। हाथरस के आयोजन में 12 हजार सेवादार लगे थे। (पढ़ें पूरी खबर) हादसे की 10 तस्वीरें… अब पढ़िए उन लोगों का दर्द, जिन्होंने आंखों के सामने अपनों को मरते देखा… भगदड़ में बेटी का हाथ छूटा, फिर लाश मिली
जलेसर से आई एक महिला ने बताया- मैं पति और बेटी खुशबू के साथ सत्संग सुनने आई थी। सत्संग खत्म होने के बाद हम जैसे ही निकलने लगे, लोग अचानक बाहर भागने लगे। फिर भगदड़ मच गई। मैं और मेरे पति अपनी बेटी को लेकर भागे, लेकिन लोग मेरी बेटी को रौंदते निकल गए। बेटी की जान चली गई, पति घायल हैं। गोद में शव लिए बोली- सत्संग सुनने आए थे
हाथरस की रहने वाली सीता ने बताया- आज हम अपनी बहन मंजू राने और उसके 5 साल के बेटे पीके के साथ सत्संग सुनने आए थे। हादसे में मेरी बहन और उसके बेटे की मौत हो गई। मैं खेतों की तरफ भागी, तब जाकर बच सकी। हजारों की भीड़ में लोग एक-दूसरे को रौंदते रहे। कोई किसी को देखने वाला नहीं था। प्रत्यक्षदर्शी बोले-पुलिस-प्रशासन ने मुस्तैदी से काम नहीं किया
प्रत्यक्षदर्शी ने आरोप लगाया है कि सत्संग स्थल के अंदर कोई पटना नहीं हुई है। जो हादसा हुआ है वह बाहर रोड पर हुई है। पुलिस-प्रशासन ने अपना काम मुस्तैदी नहीं किया है। काम में लापरवाही बरतने वाले सभी स्टाफ को तुरंत सस्पेंड किया जाए, नहीं तो हम प्रदर्शन करेंगे। प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि मैंने डीएम साहब से पूछा कि इन डेडबॉडीज का क्या करें तो मुझे पुलिस ने धक्का मार कर हटा दिया। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर