<p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal News:</strong> हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने नई खनन नीति में संशोधन को मंजूरी दी है. गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया. संशोधन के बाद अब निजी भूमि भी खनन के लिए नीलाम हो सकेगी. इसके लिए पहले जमीन मालिक की अनुमति जरूरी होगी. हिमाचल प्रदेश माइनर मिनरल्ज (कन्सैशन) एंड मिनरल्ज (प्रिवेन्शन ऑफ इल्लिगल माइनिंग, ट्रांसपोटेशन एंड स्टोरेज) नियम, 2015 में संशोधन के बाद नए प्रावधान होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भूमि मालिकों को वार्षिक बोली राशि का 80 फीसदी</strong><br />इसके तहत राज्य में खनन के लिए सही पाई जाने वाली निजी भूमि को मालिक की सहमति से खनिजों को निकालने के लिए नीलाम किया जा सकेगा. इसके लिए भूमि मालिकों को वार्षिक बोली राशि का 80 फीसदी दिया जाएगा. अब तक राज्य में निजी भूमि पर खनन की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब निजी भूमि पर भी खनन हो सकेगा. इसका सीधा लाभ भूमि के मालिक को होगा. कुल-मिलाकर राज्य सरकार के साथ भूमि मालिक भी लाभ ले सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कृषि भूमि से रेत-बजरी निकालने की भी अनुमति</strong><br />इसके साथ ही राज्य में व्यवस्थित, वैज्ञानिक और सतत खनन को बढ़ावा देने के साथ खनिजों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नदी तल में खनिज उत्खनन (Mineral Excavation) को मशीनरी के इस्तेमाल को भी मंजूरी दी गई है. नदी तल में खनन की गहराई को भी एक मीटर से बढ़ाकर 2 मीटर किया गया है. हर मानसून के मौसम के बाद कृषि क्षेत्रों से दो मीटर की गहराई तक रेत और बजरी निकालने की अनुमति का प्रावधान किया गया है. इसे गैर-खनन गतिविधि माना जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राज्य सरकार को मिलेगा प्रोसेसिंग फीस का 75 फीसदी हिस्सा</strong><br />इसके अलावा नए संशोधनों में इलेक्ट्रिक वाहन शुल्क के रूप में 5 रुपये प्रति टन, ऑनलाइन शुल्क के रूप में 5 रुपये प्रति टन और दूध सेस के रूप में 2 रुपये प्रति टन शुल्क लिया जाएगा. गैर-खनन गतिविधियों से प्राप्त सामग्री के इस्तेमाल के लिए रॉयल्टी का 75 प्रतिशत यानी 140 रुपये प्रति टन प्रसंस्करण शुल्क (Processing Fee) सरकार को मिलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”Earthquake In Himachal: हिमाचल प्रदेश में लगे भूकंप के झटके, रिएक्टर पैमाने पर ये रही तीव्रता ” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/earthquake-in-himachal-pradesh-mandi-intensity-on-richter-scale-2756887″ target=”_blank” rel=”noopener”>Earthquake In Himachal: हिमाचल प्रदेश में लगे भूकंप के झटके, रिएक्टर पैमाने पर ये रही तीव्रता </a><br /></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal News:</strong> हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने नई खनन नीति में संशोधन को मंजूरी दी है. गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया. संशोधन के बाद अब निजी भूमि भी खनन के लिए नीलाम हो सकेगी. इसके लिए पहले जमीन मालिक की अनुमति जरूरी होगी. हिमाचल प्रदेश माइनर मिनरल्ज (कन्सैशन) एंड मिनरल्ज (प्रिवेन्शन ऑफ इल्लिगल माइनिंग, ट्रांसपोटेशन एंड स्टोरेज) नियम, 2015 में संशोधन के बाद नए प्रावधान होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भूमि मालिकों को वार्षिक बोली राशि का 80 फीसदी</strong><br />इसके तहत राज्य में खनन के लिए सही पाई जाने वाली निजी भूमि को मालिक की सहमति से खनिजों को निकालने के लिए नीलाम किया जा सकेगा. इसके लिए भूमि मालिकों को वार्षिक बोली राशि का 80 फीसदी दिया जाएगा. अब तक राज्य में निजी भूमि पर खनन की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब निजी भूमि पर भी खनन हो सकेगा. इसका सीधा लाभ भूमि के मालिक को होगा. कुल-मिलाकर राज्य सरकार के साथ भूमि मालिक भी लाभ ले सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कृषि भूमि से रेत-बजरी निकालने की भी अनुमति</strong><br />इसके साथ ही राज्य में व्यवस्थित, वैज्ञानिक और सतत खनन को बढ़ावा देने के साथ खनिजों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नदी तल में खनिज उत्खनन (Mineral Excavation) को मशीनरी के इस्तेमाल को भी मंजूरी दी गई है. नदी तल में खनन की गहराई को भी एक मीटर से बढ़ाकर 2 मीटर किया गया है. हर मानसून के मौसम के बाद कृषि क्षेत्रों से दो मीटर की गहराई तक रेत और बजरी निकालने की अनुमति का प्रावधान किया गया है. इसे गैर-खनन गतिविधि माना जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राज्य सरकार को मिलेगा प्रोसेसिंग फीस का 75 फीसदी हिस्सा</strong><br />इसके अलावा नए संशोधनों में इलेक्ट्रिक वाहन शुल्क के रूप में 5 रुपये प्रति टन, ऑनलाइन शुल्क के रूप में 5 रुपये प्रति टन और दूध सेस के रूप में 2 रुपये प्रति टन शुल्क लिया जाएगा. गैर-खनन गतिविधियों से प्राप्त सामग्री के इस्तेमाल के लिए रॉयल्टी का 75 प्रतिशत यानी 140 रुपये प्रति टन प्रसंस्करण शुल्क (Processing Fee) सरकार को मिलेगा.</p>
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