हिमाचल प्रदेश के दूरदराज जिले लाहौल स्पीति में रोहतांग की ऊंची चोटियों पर शनिवार दोपहर बाद हल्की बर्फबारी शुरू हो गई। रोहतांग दर्रे की सबसे ऊंची चोटी पर घूमने आए पर्यटक बर्फ के फाहे गिरते ही रोमांचित हो गए। पर्यटकों ने यहां खूब मौज-मस्ती की। हालांकि कुछ देर बाद बर्फबारी बंद हो गई। वहीं, मौसम विभाग ने रोहतांग समेत प्रदेश के सभी ऊंचाई वाले इलाकों में तीन दिसंबर तक बारिश और बर्फबारी का पूर्वानुमान जताया है। अगले 72 घंटों के दौरान प्रदेश के किन्नौर, कुल्लू, लाहौल स्पीति, कांगड़ा और चंबा की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी का पूर्वानुमान है। जबकि निचले और मध्य पर्वतीय इलाकों में मौसम साफ रहेगा। बर्फबारी के पूर्वानुमान के बीच रोहतांग में हल्की बर्फबारी ने पर्यटन कारोबारियों को बर्फबारी की उम्मीद जगा दी है। उम्मीद है कि 72 घंटों में अच्छी बर्फबारी हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में पहाड़ों पर पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। इन जिलों में साफ रहेगा मौसम मौसम विभाग के अनुसार, शिमला, सोलन, मंडी, सिरमौर, बिलासपुर, हमीरपुर और ऊना जिलों में मौसम साफ रहेगा। अगले दो सप्ताह तक भी इन जिलों में अच्छी बारिश या बर्फबारी की संभावना नहीं है। इससे प्रदेश में सूखे जैसे हालात बन गए हैं। इसका सबसे ज्यादा असर किसानों, बागवानों और पर्यटन उद्योग पर पड़ा है। पेयजल योजनाओं में पानी का स्तर गिरा हिमाचल प्रदेश में बारिश नही होने के कारण इसका असर पेयजल परियोजनाओं पर देखने को मिल रहा है। प्रदेश में अब पेयजल स्रोत भी सूखने लगे हैं। प्रदेश में जल शक्ति विभाग की करीब 9000 पेयजल योजनाएं हैं। इनमें से 55 फीसदी योजनाओं में पानी का स्तर 15 से 20 फीसदी तक गिर गया है। किसान-बागवानों पर मौसम की मार सूखे के कारण इस बार किसान 63 फीसदी भूमि पर गेहूं की बुआई नहीं कर पाए, जबकि प्रदेश में 3.26 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल उगाई जाती है। हिमाचल में गेहूं की बुआई के लिए उपयुक्त समय 15 नवंबर है। यानी अब अगर बारिश भी होती है तो किसान इसकी बुआई नहीं कर पाएंगे। वहीं सूखे की वजह से हिमाचल आर्थिकी की रीढ़ सेब के बाग भी खतरे में हैं। बागों में नमी पूरी तरह खत्म हो गई है। सूखे की वजह से बागों में वूली-एफिड कीट ने हमला कर दिया है। बर्फबारी सेब के लिए टॉनिक का काम करती है और तमाम बीमारियों को दूर करती है। लेकिन इस बार बर्फबारी तो दूर, बारिश भी नहीं हो रही है। मानसून और मानसून के बाद के सीजन में सामान्य से कम बारिश 2 महीने सूखे गुजरे हैं। इस बार मानसून में भी सामान्य से 19 फीसदी कम बारिश हुई है, जबकि मानसून के बाद के सीजन में बारिश सामान्य से 98 फीसदी कम हुई है। 1 अक्टूबर से 29 नवंबर तक सामान्य बारिश 44 मिमी होती है, लेकिन इस बार सिर्फ 0.7 मिमी बारिश हुई है। हिमाचल प्रदेश के दूरदराज जिले लाहौल स्पीति में रोहतांग की ऊंची चोटियों पर शनिवार दोपहर बाद हल्की बर्फबारी शुरू हो गई। रोहतांग दर्रे की सबसे ऊंची चोटी पर घूमने आए पर्यटक बर्फ के फाहे गिरते ही रोमांचित हो गए। पर्यटकों ने यहां खूब मौज-मस्ती की। हालांकि कुछ देर बाद बर्फबारी बंद हो गई। वहीं, मौसम विभाग ने रोहतांग समेत प्रदेश के सभी ऊंचाई वाले इलाकों में तीन दिसंबर तक बारिश और बर्फबारी का पूर्वानुमान जताया है। अगले 72 घंटों के दौरान प्रदेश के किन्नौर, कुल्लू, लाहौल स्पीति, कांगड़ा और चंबा की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी का पूर्वानुमान है। जबकि निचले और मध्य पर्वतीय इलाकों में मौसम साफ रहेगा। बर्फबारी के पूर्वानुमान के बीच रोहतांग में हल्की बर्फबारी ने पर्यटन कारोबारियों को बर्फबारी की उम्मीद जगा दी है। उम्मीद है कि 72 घंटों में अच्छी बर्फबारी हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में पहाड़ों पर पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। इन जिलों में साफ रहेगा मौसम मौसम विभाग के अनुसार, शिमला, सोलन, मंडी, सिरमौर, बिलासपुर, हमीरपुर और ऊना जिलों में मौसम साफ रहेगा। अगले दो सप्ताह तक भी इन जिलों में अच्छी बारिश या बर्फबारी की संभावना नहीं है। इससे प्रदेश में सूखे जैसे हालात बन गए हैं। इसका सबसे ज्यादा असर किसानों, बागवानों और पर्यटन उद्योग पर पड़ा है। पेयजल योजनाओं में पानी का स्तर गिरा हिमाचल प्रदेश में बारिश नही होने के कारण इसका असर पेयजल परियोजनाओं पर देखने को मिल रहा है। प्रदेश में अब पेयजल स्रोत भी सूखने लगे हैं। प्रदेश में जल शक्ति विभाग की करीब 9000 पेयजल योजनाएं हैं। इनमें से 55 फीसदी योजनाओं में पानी का स्तर 15 से 20 फीसदी तक गिर गया है। किसान-बागवानों पर मौसम की मार सूखे के कारण इस बार किसान 63 फीसदी भूमि पर गेहूं की बुआई नहीं कर पाए, जबकि प्रदेश में 3.26 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल उगाई जाती है। हिमाचल में गेहूं की बुआई के लिए उपयुक्त समय 15 नवंबर है। यानी अब अगर बारिश भी होती है तो किसान इसकी बुआई नहीं कर पाएंगे। वहीं सूखे की वजह से हिमाचल आर्थिकी की रीढ़ सेब के बाग भी खतरे में हैं। बागों में नमी पूरी तरह खत्म हो गई है। सूखे की वजह से बागों में वूली-एफिड कीट ने हमला कर दिया है। बर्फबारी सेब के लिए टॉनिक का काम करती है और तमाम बीमारियों को दूर करती है। लेकिन इस बार बर्फबारी तो दूर, बारिश भी नहीं हो रही है। मानसून और मानसून के बाद के सीजन में सामान्य से कम बारिश 2 महीने सूखे गुजरे हैं। इस बार मानसून में भी सामान्य से 19 फीसदी कम बारिश हुई है, जबकि मानसून के बाद के सीजन में बारिश सामान्य से 98 फीसदी कम हुई है। 1 अक्टूबर से 29 नवंबर तक सामान्य बारिश 44 मिमी होती है, लेकिन इस बार सिर्फ 0.7 मिमी बारिश हुई है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हंसराज रघुवंशी का जन्म 18 जुलाई 1992 को हिमाचल प्रदेश के सोलन में हुआ। रघुवंशी का गांव कंदर है, जो सोलन और बिलासपुर की बाउंड्री पर स्थित है। रघुवंशी के पिता का नाम प्रेम रघुवंशी और मां लीला रघुवंशी हैं। उनकी स्कूली शिक्षा हिमाचल से ही हुई है। वह ग्रेजुएशन तक पढ़े हैं। 2. नौकरी नहीं मिली तो घर लौट आए
हंसराज के घर के हालात अच्छे न होने पर वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और दिल्ली चले गए। यहां उन्होंने नौकरी के लिए काफी कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। इसके बाद वह घर लौट आए। 3. कैंटीन में भजन गाते थे, एक स्टूडेंट की सलाह से किस्मत बदली
घर लौटने के बाद हंसराज ने एक कॉलेज की कैंटीन में नौकरी शुरू कर दी। उन्हें गायकी का शौक था। वह कैंटीन में भजन गाते थे। जहां लोग और कॉलेज के स्टूडेंट्स उनके भजन सुनते थे। इसी दौरान कॉलेज के एक स्टूडेंट ने उन्हें सलाह दी कि वो अपने भजन रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर डालें। हंसराज ने ऐसा किया और आज वह देश के लोकप्रिय गायक बन गए। PM मोदी कर चुके भजन की प्रशंसा
श्री रामलला की अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भी हंसराज रघुवंशी ने ‘युग राम राज का आ गया…’ भजन गाया था। जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने लिखा था कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के स्वागत को लेकर पूरा देश राममय है। उन्होंने भगवान श्री राम को समर्पित हंसराज रघुवंशी जी भजन सुनने की अपील की थी।