हिमाचल प्रदेश के शिव मंदिरों में सुबह से भक्तों का तांता लगा हुआ है। सावन के पहले सोमवार के अवसर पर शिव भक्त मंदिरों में जलाभिषेक कर रहे हैं। शिवालयों में हर हर महादेव का उद्घोष सुनने को मिल रहा है। बैजनाथ स्थित मशहूर शिव मंदिर के कपाट आज सुबह 4:00 बजे ही खोल दिए थे। यहां पर श्रद्धालु सुबह से ही जलाभिषेक कर पूजा अर्चना कर रहे हैं। उधर, सोलन के जटोली मंदिर में भी शिव भक्तों की लंबी लंबी कतारे लगी रही। देवभूमि हिमाचल के दूसरे शिवालयों में भी स्थानीय लोगों के साथ पड़ोसी राज्यों के शिव भक्त भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। मंदिरों में भंडारे का आयोजन शिमला के भट्टाकुफर, मिडल बाजार में शिव मंदिर समेत कालीबाड़ी, संकट मोचन मंदिर सहित शहर के उप नगरों के शिव मंदिरोंमें भी भक्त जलाभिषेक कर रहे हैं। मंदिरों में भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। मंदिरों में बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग हर वर्ग के श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं। शिव की अराधना को सावन महीना सर्वोत्तम माना जाता है दरअसल, शिव की अराधना के लिए सावन का महीना सर्वोत्तम माना जाता है। श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को भक्त शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन लोग दूध, फल, फूल चढ़ाते और जल अर्पित करते हैं। सावन के सोमवार को श्रद्धालु विशेष पूजा भी कराते है। हिमाचल प्रदेश के शिव मंदिरों में सुबह से भक्तों का तांता लगा हुआ है। सावन के पहले सोमवार के अवसर पर शिव भक्त मंदिरों में जलाभिषेक कर रहे हैं। शिवालयों में हर हर महादेव का उद्घोष सुनने को मिल रहा है। बैजनाथ स्थित मशहूर शिव मंदिर के कपाट आज सुबह 4:00 बजे ही खोल दिए थे। यहां पर श्रद्धालु सुबह से ही जलाभिषेक कर पूजा अर्चना कर रहे हैं। उधर, सोलन के जटोली मंदिर में भी शिव भक्तों की लंबी लंबी कतारे लगी रही। देवभूमि हिमाचल के दूसरे शिवालयों में भी स्थानीय लोगों के साथ पड़ोसी राज्यों के शिव भक्त भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। मंदिरों में भंडारे का आयोजन शिमला के भट्टाकुफर, मिडल बाजार में शिव मंदिर समेत कालीबाड़ी, संकट मोचन मंदिर सहित शहर के उप नगरों के शिव मंदिरोंमें भी भक्त जलाभिषेक कर रहे हैं। मंदिरों में भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। मंदिरों में बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग हर वर्ग के श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं। शिव की अराधना को सावन महीना सर्वोत्तम माना जाता है दरअसल, शिव की अराधना के लिए सावन का महीना सर्वोत्तम माना जाता है। श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को भक्त शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन लोग दूध, फल, फूल चढ़ाते और जल अर्पित करते हैं। सावन के सोमवार को श्रद्धालु विशेष पूजा भी कराते है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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कसौली में भगोड़ा अपराधी गिरफ्तार:कई बार समन भेजने के बाद भी अदालत में नहीं हुआ पेश, अलग-अलग थानों में दो मामले दर्ज हिमाचल में सोलन जिले के कसौली क्षेत्र में पुलिस ने एक भगोड़े अपराधी को पकड़ा है। वह जमानत पर अदालत से छूटा था लेकिन कई बार कोर्ट द्वारा समन भेजे जाने के बाद भी वह कोर्ट में पेश नहीं हुआ। जिसके चलते अदालत ने आरोपी को भगोड़ा घोषित कर दिया। पुलिस ने अब उसे गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। वह पुलिस से बचने के लिए बार-बार अपने ठिकाने बदलता रहता था। भगोड़े अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस चला रही विशेष अभियान
सोलन के एसपी गौरव सिंह ने बताया कि इन दिनों जिला पुलिस भगोड़े अपराधियों को पकड़ने के लिये एक विशेष अभियान चला रही है। इसी कड़ी में बुधवार को थाना कसौली की पुलिस टीम ने एक भगोड़े अपराधी कसौली के रामपुर क्षेत्र के डीब गांव निवासी 48 वर्षीय राजेश कुमार उर्फ बबली को गिरफ्तार किया है। उसे कसौली में चल रहे एक मामले में अदालत में पेश न होने के कारण भगोड़ा घोषित किया गया था। जांच के दौरान पाया गया कि यह आरोपी दो मामलों में अदालत में पेश नहीं हो रहा था। गिरफ्तार आरोपी अपनी पुलिस से बचने के लिये बार-बार अपने ठिकाने बदल रहा था। उक्त मामलों के अतिरिक्त गिरफ्तार आरोपी के खिलाफ पुलिस थाना बालूगंज शिमला में एक चोरी का व पुलिस थाना कसौली में एक मामला दर्ज है।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी के ब्लॉक भूकंप रोधी तकनीक से बन रहे:देहरा में नवंबर तक काम पूरा होगा; 2025 में नया सेशन
सेंट्रल यूनिवर्सिटी के ब्लॉक भूकंप रोधी तकनीक से बन रहे:देहरा में नवंबर तक काम पूरा होगा; 2025 में नया सेशन देहरा में बन रही सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पीईबी स्ट्रक्चर का नई तकनीक से निर्माण हो रहा है। यह भवन भूकंप रोधी होगें। साथ ही ईको फ्रेंडली भी होगें। इसमें कंक्रीट का इस्तेमाल न के बराबर होगा। देहरा में लगभग सेंट्रल यूनिवर्सिटी के सभी ब्लॉक बनकर तैयार हो गए हैं। फाइनल टच ही बाकी रह गया है। वीसी प्रो सत्य प्रकाश बंसल ने भी कहा था कि नवंबर तक सारा काम हो जाएगा। उसके बाद 2025 में नया सेशन नए बने भवनों में शुरू किया जाएगा। सिविल इंजीनियर ने कहा कि पीईबी स्ट्रक्चर जैसी नई तकनीक का इस्तेमाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भवनों में भी इस्तेमाल किया गया है। जिससे भूकंप के दौरान भवन को कोई नुकसान नहीं होगा। पीईबी स्ट्रक्चर एक स्टील स्ट्रक्चर होता है। जिसे नेट बोल्ट के माध्यम से आपस में जोड़कर एक बिल्डिंग बनाई जाती है। देहरा में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के नए भवनों में भूकंप रोधी तकनीक (PEB structure) का इस्तेमाल किया जा रहा है। पीईबी का मतलब प्री- इंजीनियरिंग बिल्डिंग है। यह एक तरह का स्टील का ढांचा होता है, जिसे फैक्ट्री में पहले से तैयार किया जाता है और फिर निर्माण स्थल पर जोड़ दिया जाता है। इस तकनीक से भवन बनाने में कम समय लगता है और यह बहुत मजबूत भी होता है। इसका हल्का वजन होता है। पीईबी स्ट्रक्चर का वजन कंक्रीट के भवनों के मुकाबले बहुत कम होता है। इसलिए, भूकंप आने पर यह भवन कम झटके महसूस करता है। पीईबी स्ट्रक्चर लचीलापन होता है, जिसकी वजह से यह भूकंप के झटकों को सहन कर सकता है और ढहने का खतरा कम होता है। पीईबी स्ट्रक्चर में जोड़ों को बहुत मजबूती से जोड़ा जाता है, जिससे भवन की संरचना मजबूत होती है। देहरा में पीईबी स्ट्रक्चर का इस्तेमाल इसलिए जरूरी है कि कांगड़ा जिले में 1905 में आए भूकंप ने सब कुछ तहस नहस कर दिया था। उसी को देखते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसे बड़े प्रोजेक्ट के भवनों को भूकंप रोधी बनाना बहुत जरूरी है।
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