हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कालेज एवं अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर की हड़ताल का स्वास्थ्य सेवाओं पर आंशिक असर देखने को मिल रहा है। मेडिकल कालेज में रेजिडेंट डॉक्टर कोलकाता की घटना के विरोध में हड़ताल पर हैं। इससे कई ओपीडी में आज डॉक्टर नहीं मिल रहे। राहत की बात यह है कि कंसल्टेंट (सीन्ड्यूटी डॉक्टर) ड्यूटी पर है और रोज की तरह मरीजों को देख रहे हैं। मेडिकल कालेज के अलावा अन्य अस्पतालों में सुचारू रूप से ओपीडी चल रही है। हालांकि देश में हालांकि देश में फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने जरूर हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया है। मगर हिमाचल के रेजिडेंट डॉक्टर आज भी हड़ताल पर डटे हैं। हिमाचल प्रदेश की जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन भी जल्द हड़ताल जारी रखने या ख़त्म करने को लेकर फैसला लेगी। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारी शिखिन सोनी ने बताया कि मीटिंग शुरू हो गई है। इसमें हड़ताल को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। कोलकाता में डॉक्टर से रेप-मर्डर के बाद मचा बवाल दरअसल, कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ रेप के बाद हत्या को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ। इसके बाद हिमाचल प्रदेश में भी रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। इसका ज्यादा असर आईजीएमसी शिमला, मेडिकल कॉलेज नेरचौक, मेडिकल कॉलेज नाहन, मेडिकल कॉलेज चंबा, हमीरपुर और एम्स बिलासपुर में स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा है। पिछले कल किया था ओपीडी सेवाएं ठप्प करने का ऐलान हिमाचल में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने बीते मंगलवार को ही ओपीडी सेवाएं ठप करने का ऐलान किया था। हालांकि कोलकाता हाईकोर्ट ने पिछले कल ही डॉक्टर के रेप-मर्डर का केस सीबीआई जांच को देने के आदेश दे दिए है। इसके बाद FORDA ने हड़ताल खत्म कर दी है। रेजिडेंट डॉक्टर इस पर जल्द फैसला लेंगे। 9 अगस्त को मिली थी लाश बता दें कि 9 अगस्त की सुबह कोलकाता के मेडिकल कालेज में ट्रेनी डॉक्टर की अर्धनग्न बॉडी मिली थी। डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट, आंखों और मुंह से खून बह रहा था। उनकी गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई पाई गई थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई की रेप के बाद मर्डर किया गया। 13 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की जांच CBI सौंपीं। हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कालेज एवं अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर की हड़ताल का स्वास्थ्य सेवाओं पर आंशिक असर देखने को मिल रहा है। मेडिकल कालेज में रेजिडेंट डॉक्टर कोलकाता की घटना के विरोध में हड़ताल पर हैं। इससे कई ओपीडी में आज डॉक्टर नहीं मिल रहे। राहत की बात यह है कि कंसल्टेंट (सीन्ड्यूटी डॉक्टर) ड्यूटी पर है और रोज की तरह मरीजों को देख रहे हैं। मेडिकल कालेज के अलावा अन्य अस्पतालों में सुचारू रूप से ओपीडी चल रही है। हालांकि देश में हालांकि देश में फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने जरूर हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया है। मगर हिमाचल के रेजिडेंट डॉक्टर आज भी हड़ताल पर डटे हैं। हिमाचल प्रदेश की जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन भी जल्द हड़ताल जारी रखने या ख़त्म करने को लेकर फैसला लेगी। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारी शिखिन सोनी ने बताया कि मीटिंग शुरू हो गई है। इसमें हड़ताल को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। कोलकाता में डॉक्टर से रेप-मर्डर के बाद मचा बवाल दरअसल, कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ रेप के बाद हत्या को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ। इसके बाद हिमाचल प्रदेश में भी रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। इसका ज्यादा असर आईजीएमसी शिमला, मेडिकल कॉलेज नेरचौक, मेडिकल कॉलेज नाहन, मेडिकल कॉलेज चंबा, हमीरपुर और एम्स बिलासपुर में स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा है। पिछले कल किया था ओपीडी सेवाएं ठप्प करने का ऐलान हिमाचल में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने बीते मंगलवार को ही ओपीडी सेवाएं ठप करने का ऐलान किया था। हालांकि कोलकाता हाईकोर्ट ने पिछले कल ही डॉक्टर के रेप-मर्डर का केस सीबीआई जांच को देने के आदेश दे दिए है। इसके बाद FORDA ने हड़ताल खत्म कर दी है। रेजिडेंट डॉक्टर इस पर जल्द फैसला लेंगे। 9 अगस्त को मिली थी लाश बता दें कि 9 अगस्त की सुबह कोलकाता के मेडिकल कालेज में ट्रेनी डॉक्टर की अर्धनग्न बॉडी मिली थी। डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट, आंखों और मुंह से खून बह रहा था। उनकी गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई पाई गई थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई की रेप के बाद मर्डर किया गया। 13 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की जांच CBI सौंपीं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल विधानसभा में आज वित्तीय स्थिति पर चर्चा:सत्तारूढ़ कांग्रेस ने की थी मांग; देनदारियां समेत एक लाख करोड़ के कर्ज में प्रदेश हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का आज 10वां दिन है। विधानसभा में दसवें दिन राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर सदन में हंगामा हो सकता है। विधानसभा के लिस्ट ऑफ बिजनेस के अनुसार दिलचस्प बात यह है कि सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही नियम-130 के तहत विधानसभा अध्यक्ष से वितीय स्थिति को लेकर चर्चा मांगी है जिससे यह स्पष्ट है कि सत्तारूढ़ दल कांग्रेस वित्तीय स्थिति को लेकर विपक्ष यानी भाजपा से चुनौती लेने को तैयार है। कर्ज और देनदारियों को लेकर विपक्ष पर हमला करेगी कांग्रेस कांग्रेस विधायकों द्वारा मांगी गई चर्चा में सत्तारूढ़ कांग्रेस की पूर्व भाजपा सरकार की कर्ज और देनदारियों पर विपक्ष को घेरने की रणनीति नजर आ रही है। वहीं, विपक्ष आर्थिक कुप्रबंधन पर सरकार पर हमलावर है ।ऐसे में इस दौरान भी हमला देखने को मिल सकता है। कांग्रेस के तीन युवा विधायकों ने मांगी चर्चा बता दें नियम -130 के तहत हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर चर्चा के लिए कांग्रेस विधायकों भवानी सिंह पठानिया ,चन्द्र शेखर , और केवल सिंह पठानिया ने प्रस्ताव दिया है। इसी को लेकर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन को सोमवार के बजाय शनिवार को करने का सुझाव दिया था। मगर मुख्यमंत्री ने अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए सोमवार की बैठक में चर्चा करने की बात की । सोमवार को होना खत्म होना था सत्र ,एक बैठक बड़ाई दरअसल हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार तक प्रस्तावित था। लेकिन वित्तीय स्थिति पर शनिवार को चर्चा न हो पाने के बाद सदन की सहमति से विधानसभा सत्र को एक दिन के लिए बड़ा दिया गया। सत्तारूढ़ दल के विधायकों द्वारा मांगी गई चर्चा पर पक्ष और विपक्ष के सदस्य चर्चा में भाग लेंगे और विधानसभा के सदस्यों द्वारा की गई चर्चा का मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जवाब देंगे। देनदारियां समेत एक लाख करोड़ के कर्ज में हिमाचल हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान समय में लगभग 94 हजार करोड़ का कर्ज है और करीब 10 हजार करोड़ तक कर्मचारियों की देनदारियां बाकी है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश पर कुल देनदारियां एक लाख करोड़ से ज्यादा की हो गयी है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन व OPS लागू करने के बाद केंद्र ने कई तरह की सीमाएं लग गयी है। केंद्र ने हिमाचल सरकार द्वारा OPS लागू करने पर कर्ज लेने की सीमा 14500 करोड़ से घटाकर 8500 करोड़ कर दी है। केंद्र से मिलने वाला GST कॉम्पेनसेशन जून 2022 से बन्द है। NPS के 9000 करोड़ पर केंद्र ने कुंडली मारी हुई है। केंद्र से मिलने वाली रेवेन्यू डिफिसिट ग्रांट में लगातार कमी हो रही है इस वर्ष 6000 करोड़ की ग्रांट आई है। अगले वित्त वर्ष में यह 3257 करोड़ रह जाएगी। जिसके कारण प्रदेश सरकार से आर्थिक संकट के बादल छंटते नजर नहीं आ रहे है।
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