<p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh News:</strong> हिमाचल प्रदेश में 15 अप्रैल से फायर सीजन शुरू हो चुका है. लेकिन, बारिश के चलते अभी प्रदेश में आग की घटनाएं न के बराबर हुई हैं. बावजूद इसके पिछले साल की रिकॉर्ड आग की घटनाओं से सबक लेते हुए वन विभाग और अग्निशमन विभाग ने आग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं. इसको लेकर डीएफओ को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्य अरण्यपाल वन वृत्त शिमला के. थिरुमल ने बताया कि पिछले वर्ष हिमाचल प्रदेश में जंगलों में आग लगने की करीब 2500 घटनाएं दर्ज हुई थीं. इसमें 30 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था और विभाग को लगभग 10 करोड़ 75 लाख रुपये का नुकसान झेलना पड़ा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>थिरुमल ने कहा, “यदि किसी विशेष क्षेत्र में लगभग हर वर्ष आग लगती है, तो हम उसे ‘संवेदनशील क्षेत्र’ के रूप में वर्गीकृत करते हैं और वहां अग्नि निवारण उपायों को प्राथमिकता देते हैं. हालांकि, यदि किसी क्षेत्र में 10 वर्षों से अधिक समय से आग की घटनाएं नहीं हुई हैं, तो हमें आमतौर पर वहां अग्नि रेखाएं बिछाने या अग्नि जल तैनात करने की आवश्यकता नहीं होती हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वन विभाग अभी से तैयारियों में जुटा</strong><br />इस साल अभी तक आग लगने की 89 घटनाएं हुई हैं, जिससे सबक लेकर वन विभाग अभी से तैयारियों में जुट गया है. वन विभाग ने साफ कर दिया है कि अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर जंगल में आग लगाता पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>15 करोड़ का नुकसान बचाया गया</strong><br />उधर चीफ फायर ऑफिसर अग्निशमन विभाग संजीव कुमार ने बताया कि पिछले साल अनिशमन विभाग के पास आग लगने के 4260 मामले सामने आए थे, जिसमें से 15 करोड़ का नुकसान विभाग द्वारा बचाया गया. पिछले दस साल में आग से 100 लोगों की मौत हुई है. गर्मी का मौसम शुरू होते ही विभाग के कर्मियों की शिफ्ट तीन की जगह दो शिफ्ट कर दी गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”हिमाचल में पुलिस और वकीलों के बीच विवाद, हाई कोर्ट के एडवोकेट ने किया चक्का जाम, जानें वजह” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/himachal-high-court-lawyers-protest-on-the-road-ann-2929240″ target=”_self”>हिमाचल में पुलिस और वकीलों के बीच विवाद, हाई कोर्ट के एडवोकेट ने किया चक्का जाम, जानें वजह</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh News:</strong> हिमाचल प्रदेश में 15 अप्रैल से फायर सीजन शुरू हो चुका है. लेकिन, बारिश के चलते अभी प्रदेश में आग की घटनाएं न के बराबर हुई हैं. बावजूद इसके पिछले साल की रिकॉर्ड आग की घटनाओं से सबक लेते हुए वन विभाग और अग्निशमन विभाग ने आग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं. इसको लेकर डीएफओ को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्य अरण्यपाल वन वृत्त शिमला के. थिरुमल ने बताया कि पिछले वर्ष हिमाचल प्रदेश में जंगलों में आग लगने की करीब 2500 घटनाएं दर्ज हुई थीं. इसमें 30 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था और विभाग को लगभग 10 करोड़ 75 लाख रुपये का नुकसान झेलना पड़ा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>थिरुमल ने कहा, “यदि किसी विशेष क्षेत्र में लगभग हर वर्ष आग लगती है, तो हम उसे ‘संवेदनशील क्षेत्र’ के रूप में वर्गीकृत करते हैं और वहां अग्नि निवारण उपायों को प्राथमिकता देते हैं. हालांकि, यदि किसी क्षेत्र में 10 वर्षों से अधिक समय से आग की घटनाएं नहीं हुई हैं, तो हमें आमतौर पर वहां अग्नि रेखाएं बिछाने या अग्नि जल तैनात करने की आवश्यकता नहीं होती हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वन विभाग अभी से तैयारियों में जुटा</strong><br />इस साल अभी तक आग लगने की 89 घटनाएं हुई हैं, जिससे सबक लेकर वन विभाग अभी से तैयारियों में जुट गया है. वन विभाग ने साफ कर दिया है कि अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर जंगल में आग लगाता पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>15 करोड़ का नुकसान बचाया गया</strong><br />उधर चीफ फायर ऑफिसर अग्निशमन विभाग संजीव कुमार ने बताया कि पिछले साल अनिशमन विभाग के पास आग लगने के 4260 मामले सामने आए थे, जिसमें से 15 करोड़ का नुकसान विभाग द्वारा बचाया गया. पिछले दस साल में आग से 100 लोगों की मौत हुई है. गर्मी का मौसम शुरू होते ही विभाग के कर्मियों की शिफ्ट तीन की जगह दो शिफ्ट कर दी गई है.</p>
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