हरियाणा के फतेहाबाद में जिला उपायुक्त के पीए ऋषिकेश को निलंबित कर दिया गया है। इतना ही नहीं उनका तबादला भी फतेहाबाद से जींद कर दिया गया है। हालांकि कार्रवाई के पीछे का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन इसको लेकर पूरे शहर में चर्चाओं का माहौल गर्म है। सस्पैंशन दौरान हेडक्वार्टर डीसी कार्यालय जींद जानकारी के अनुसार हिसार मंडल के आयुक्त की ओर से फतेहाबाद डीसी के पीए ऋषिकेश को निलंबित कर दिया गया है। निलंबन के साथ-साथ ऋषिकेश का जींद तबादला भी कर दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि सस्पैंशन के दौरान उनका हेड क्वार्टर डीसी कार्यालय जींद होगा और उन्हें रोजाना वहां हाजिरी भी लगानी होगी। इस कार्रवाई के बाद फतेहाबाद के लघु सचिवालय के कर्मचारियों में खलबली मच गई है। स्टैनोगाफर लंबे समय से देख रहे थे पीए का कामकाज वहीं सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर खूब चर्चाएं चल रही हैं। हालांकि अभी तक स्पष्ट रूप से ऋषिकेश के निलंबन के कारणों की जानकारी किसी के पास नहीं आई है। गौरतलब है कि लंबे समय से स्टैनोगाफर ऋषिकेश फतेहाबाद डीसी के पीए के तौर पर कामकाज देख रहे थे। हरियाणा के फतेहाबाद में जिला उपायुक्त के पीए ऋषिकेश को निलंबित कर दिया गया है। इतना ही नहीं उनका तबादला भी फतेहाबाद से जींद कर दिया गया है। हालांकि कार्रवाई के पीछे का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन इसको लेकर पूरे शहर में चर्चाओं का माहौल गर्म है। सस्पैंशन दौरान हेडक्वार्टर डीसी कार्यालय जींद जानकारी के अनुसार हिसार मंडल के आयुक्त की ओर से फतेहाबाद डीसी के पीए ऋषिकेश को निलंबित कर दिया गया है। निलंबन के साथ-साथ ऋषिकेश का जींद तबादला भी कर दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि सस्पैंशन के दौरान उनका हेड क्वार्टर डीसी कार्यालय जींद होगा और उन्हें रोजाना वहां हाजिरी भी लगानी होगी। इस कार्रवाई के बाद फतेहाबाद के लघु सचिवालय के कर्मचारियों में खलबली मच गई है। स्टैनोगाफर लंबे समय से देख रहे थे पीए का कामकाज वहीं सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर खूब चर्चाएं चल रही हैं। हालांकि अभी तक स्पष्ट रूप से ऋषिकेश के निलंबन के कारणों की जानकारी किसी के पास नहीं आई है। गौरतलब है कि लंबे समय से स्टैनोगाफर ऋषिकेश फतेहाबाद डीसी के पीए के तौर पर कामकाज देख रहे थे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर:अस्पतालों में OPD-इमरजेंसी ठप, पोस्टमॉर्टम भी नहीं होंगे; CM सैनी ने चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी को कमान सौंपी
हरियाणा में सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर:अस्पतालों में OPD-इमरजेंसी ठप, पोस्टमॉर्टम भी नहीं होंगे; CM सैनी ने चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी को कमान सौंपी हरियाणा में सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर आज सुबह 8 बजे से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान अस्पतालों में किसी मरीज की जांच नहीं होगी, OPD ठप रहेगी और आपातकालीन सेवाएं भी नहीं मिलेंगी। हड़ताल के दौरान डॉक्टर लाशों के पोस्टमॉर्टम भी नहीं करेंगे। हड़ताल के दौरान सिविल अस्पताल, SHS व PHC में भी OPD के साथ इमरजेंसी सेवाएं, गायनी में डिलीवरी भी बंद रखी जाएंगी। ऐसे में मरीजों को समस्या का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि डॉक्टर बिहार और केंद्र सरकार की तर्ज पर हरियाणा में भी ACP और वेतन, विशेषज्ञ कैडर के गठन, SMO की सीधी भर्ती और PG के लिए बांड राशि 1 करोड़ से घटाकर 50 लाख रुपए करने की मांग कर रहे हैं। 6 माह पहले आंदोलन टाला, मगर सरकार ने समाधान नहीं निकाला
रेवाड़ी में एसोसिएशन के जिला महासचिव डॉ. अभिषेक राव ने बताया कि सरकार की तरफ से उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे पहले भी आपसी समझौते के बाद डॉक्टरों ने 6 महीने पहले अपना आंदोलन टाल दिया था। अब 6 महीने बाद भी सरकार ने वादे के मुताबिक किसी भी मुद्दे का समाधान नहीं किया है। उन्होंने कहा कि 4 महत्वपूर्ण मुद्दों में से दो मुद्दे (विशेषज्ञ कैडर और PG कोर्स बांड कटौती) कछुए की गति से आगे बढ़ रहे हैं। दो अन्य मुद्दों (सेवा में संशोधन, SMO की सीधी भर्ती को रोकने के नियम और ACP का प्रावधान, केंद्र सरकार के डॉक्टरों के बराबर भत्ते) के संबंध में प्रस्ताव भी DGHS कार्यालय द्वारा शुरू नहीं किया गया है। उनके अनुसार प्रदेश में MO के 3900 पदों में से करीब 1100 पद, SMO के 636 पदों में से 250 पद और डायरेक्टर के 8 पदों में से 5 पद खाली पड़े हैं। राज्य के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है, लेकिन मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद भी विशेषज्ञ संवर्ग का प्रस्ताव 4 माह से वित्त विभाग में अटका हुआ है।
हरियाणा में 24 घंटे में 4 विधायकों ने JJP छोड़ी:इस्तीफा देने वालों में 2 पूर्व मंत्री; 1 BJP-3 कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं
हरियाणा में 24 घंटे में 4 विधायकों ने JJP छोड़ी:इस्तीफा देने वालों में 2 पूर्व मंत्री; 1 BJP-3 कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं हरियाणा में विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद से जननायक जनता पार्टी (JJP) में घमसान मचा है। पूर्व श्रम मंत्री अनूप धानक के इस्तीफे के बाद शनिवार को शाहबाद से विधायक रामकरण काला, गुहला चीका से विधायक ईश्वर सिंह और टोहाना से विधायक देवेंद्र बबली ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। डॉ. अजय सिंह चौटाला को लिखे लेटर में विधायक ईश्वर सिंह और रामकरण काला ने इस्तीफे के पीछे निजी कारण लिखे हैं। देवेंद्र बबली ने कहा, ‘5 साल पहले जब वह कांग्रेस में थे तो परिस्थितियां अलग थीं। तब जनता और साथ चलने वाले लोगों की राय पर वह जजपा में आए। अब 5 साल बाद परिस्थितियां बदल चुकी हैं, इसलिए वे इस्तीफा दे रहे हैं। उनके साथी और कमेटी आगे का फैसला करेगी। विधायक व मंत्री के रूप में टोहाना व हरियाणा को आगे बढ़ाया, लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं।’ विधायकों के करीबियों के मुताबिक, रामकरण काला, ईश्वर सिंह और देवेंद्र बबली कांग्रेस जॉइन कर सकते हैं। वहीं पूर्व मंत्री अनूप धानक के BJP में शामिल होने की चर्चा है। दिग्विजय चौटाला बोले- फर्क नहीं पड़ता JJP के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला ने कहा कि कई लोगों ने हमें धोखा दिया है। किसी के आने और जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता। विधानसभा चुनाव के लिए JJP पूरी तरह तैयार है। हम पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएंगे। पार्टी सचिव बोले- पहले हमने नोटिस भी दिए थे लगातार 4 विधायकों के इस्तीफे के बाद JJP के प्रदेश कार्यालय सचिव रणधीर सिंह ने कहा कि जब पार्टी बनी तो ये दूसरी पार्टियों से आए थे। चुनाव होने के बाद ये विधायक बन गए। अब इन्होंने पार्टी छोड़ दी। हमने इन विधायकों को पार्टी के खिलाफ काम करने पर नोटिस भी दिए थे। रामकरण काला का 2 बार जवाब भी आया था। उन्होंने बताया था कि मैं किसी पार्टी के साथ नहीं हूं। हमने लोकसभा चुनाव के दौरान रामनिवास सुरजाखेड़ा और जोगीराम सिहाग के खिलाफ याचिका दायर की थी। वह चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों के कार्यक्रम में पहुंचे थे। गठबंधन टूटने के बाद विधायकों में टूट शुरू हुई 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में JJP ने 10 सीट जीती थी। बहुमत से चूकी BJP ने JJP के साथ मिलकर सरकार बनाई। उस दौरान मनोहर लाल मुख्यमंत्री और दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम बनाया गया। JJP कोटे से अनूप धानक श्रम एंव रोजगार राज्यमंत्री और देवेंद्र बबली पंचायत मंत्री बने। 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह भी इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए। JJP विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और विधायक जोगीराम सिहाग भी भाजपा के कार्यक्रमों में नजर आए। इसके बाद JJP ने दोनों विधायकों को नोटिस जारी किया। साथ ही सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका लगाई। अभी याचिका पर फैसला नहीं आया है। JJP के साथ सिर्फ 3 विधायक 4 विधायकों के पार्टी से इस्तीफे के बाद जजपा के साथ अब 6 विधायक हैं। इनमें से 3 रामनिवास सुरजाखेड़ा, जोगीराम सिहाग और रामकुमार गौतम भी जजपा से दूरी बनाए हुए हैं। फिलहाल JJP के साथ उचाना से विधायक दुष्यंत चौटाला, बाढड़ा से विधायक उनकी मां नैना चौटाला और जुलाना से विधायक अमरजीत ढांडा ही साथ हैं। बबली लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ दिखे देवेंद्र बबली ने वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में टोहाना विधानसभा से कांग्रेस की टिकट न मिलने के बाद जजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था। उस दौरान एक लाख से भी ज्यादा वोट पाकर उन्होंने तत्कालीन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को करारी शिकस्त दी थी। बाद में जजपा कोटे से उन्हें दिसंबर 2021 में विकास एवं पंचायत मंत्री बनाया गया। लोकसभा चुनाव के दौरान देवेंद्र बबली ने सिरसा से कांग्रेस की उम्मीदवार कुमारी सैलजा को समर्थन दिया था। अनूप धानक दुष्यंत चौटाला के करीबियों में रहे अनूप धानक 2 बार उकलाना से विधायक चुने गए हैं। एक बार वह इनेलो से जीते और दूसरी बार उन्होंने जजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ा और जीता। इस बार भी वह उकलाना से जजपा के उम्मीदवार के तौर पर देखे जा रहे थे, लेकिन उससे पहले ही उन्होंने पार्टी को छोड़ दिया। अनूप धानक की गिनती दुष्यंत चौटाला के करीबियों में होती थी। गठबंधन सरकार बनने के बाद दुष्यंत ने ही उन्हें राज्यमंत्री बनवाया था। ईश्वर सिंह का बेटा पहले ही कांग्रेस में, पिछले साल बाढ़ में झेल चुके विरोध
जननायक जनता पार्टी छोड़ने वाले गुहला के विधायक और पूर्व राज्यसभा मेंबर ईश्वर सिंह के बेटे रणधीर सिंह पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वह लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के मंचों पर खुलकर नजर आए थे। पिछले साल मानसून सीजन के दौरान गुहला-चीका इलाके में घग्गर नदी की वजह से बाढ़ आ गई थी। तब लोगों ने विधायक ईश्वर सिंह का खूब विरोध किया था। ईश्वर सिंह 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर जेजेपी में शामिल हुए थे और पार्टी में आते ही दुष्यंत चौटाला ने उन्हें गुहला से टिकट दे दिया था।
हरियाणा में SC चेहरे को राज्यसभा भेजेगी BJP:लोकसभा में अंबाला-सिरसा रिजर्व सीट हारी; इंटरनल रिपोर्ट- लोकसभा में जाट-एससी वोटर्स इकट्ठे हुए
हरियाणा में SC चेहरे को राज्यसभा भेजेगी BJP:लोकसभा में अंबाला-सिरसा रिजर्व सीट हारी; इंटरनल रिपोर्ट- लोकसभा में जाट-एससी वोटर्स इकट्ठे हुए हरियाणा में लोकसभा चुनाव में जाट-SC वोट बैंक के गठजोड़ ने BJP में खलबली मचा दी है। इसी वजह से BJP न केवल अंबाला और सिरसा की रिजर्व लोकसभा सीट हार गई बल्कि राव इंद्रजीत जैसे दिग्गज भी कड़े मुकाबले में फंस गए। चुनाव निपटने के बाद BJP ने समीक्षा की तो इंटरनल रिपोर्ट में सामने आया कि जाट पहले भाजपा के खिलाफ थे। कांग्रेस के BJP पर पूर्ण बहुमत मिलने के बाद संविधान बदलने की तैयारी के आरोप से SC वोटर भी जाटों के साथ जुड़ गए। यही वजह है कि चुनाव निपटते ही CM नायब सैनी ने तुरंत गरीब परिवारों को 100-100 गज के प्लाट दिलाने शुरू कर दिए। वहीं अब दीपेंद्र हुड्डा के रोहतक से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट पर भी किसी SC चेहरे को उतारा जा सकता है। 5 लोकसभा सीट हार गई भाजपा
लोकसभा चुनाव में भाजपा को 5 ही लोकसभा सीटों पर जीत मिली। 5 पर भाजपा के उम्मीदवार हार गए। किसान आंदोलन और गैर जाट पॉलिटिक्स की वजह से जाट कम्युनिटी पहले ही भाजपा से दूर है। जिसका असर रोहतक जैसी सीट पर देखने को मिला। जहां दीपेंद्र हुड्डा 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीते। सोनीपत में भी कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी जाटों के एकतरफा होने से जीत गए। अंबाला की रिजर्व सीट पर सांसद रतन लाल कटारिया के निधन के बाद बंतो कटारिया को उतारने का भावनात्मक कार्ड भी नहीं चला। सिरसा में मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल को हटा अशोक तंवर को लाने का दांव भी फेल हो गया। भाजपा सिर्फ करनाल और फरीदाबाद सीट ही कंफर्टेबल तरीके से जीत सकी। गुरुग्राम, भिवानी-महेंद्रगढ़ और कुरूक्षेत्र में BJP कड़े मुकाबले में फंसी रही। गुरुग्राम में जहां राव इंद्रजीत का निजी रसूख काम आया। वहीं कुरूक्षेत्र में भाजपा के नवीन जिंदल को I.N.D.I.A. ब्लॉक के तहत AAP कैंडिडेट से फायदा हुआ। आप के सुशील गुप्ता को कांग्रेस का समर्थन था लेकिन चुनाव निशान कांग्रेस का पंजा नहीं बल्कि आप का झाड़ू था। भिवानी-महेंद्रगढ़ में भाजपा ने जाट उम्मीदवार चौधरी धर्मवीर को उतारा था। इसलिए वे यहां एक हद तक जाटों के भाजपा का एकतरफा विरोध को थामने में कामयाब रहे। जिसकी वजह से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। SC वोटर BJP से नाराज, इसके 2 संकेत समझिए 1. राव इंद्रजीत ने कहा- एक समुदाय हमसे नाराज हुआ
राव इंद्रजीत गुरुग्राम सीट पर कांग्रेस के सेलिब्रिटी कैंडिडेट राज बब्बर से कड़े मुकाबले में फंसे। शुरुआत में तो राज बब्बर लगातार लीड ले रहे थे। हालांकि राव ने अपनी सीट बचा ली और छठी बार सांसद बन गए। इसके बाद उन्होंने समर्थकों के बीच जीत को लेकर कई बातें कहीं। इसी में उन्होंने कहा कि सिर्फ एक समुदाय के चलते उन्हें ही नहीं बल्कि भाजपा को हर जगह नुकसान हुआ। इस दौरान उन्होंने एक SC नेता को पुकारते हुए इशारा भी किया कि उनका मतलब नूंह का मुस्लिम समुदाय नहीं बल्कि एससी समुदाय है। 2. CM ने अलॉट प्लाटों के कब्जे देने शुरू किए
राज्य में सरकार ने गरीब परिवारों को 100-100 गज के प्लाट देने की स्कीम बनाई थी। इन परिवारों को प्लाट अलॉट भी हो गए। हालांकि कब्जे नहीं दिए। लोकसभा चुनाव में झटका लगा तो सोनीपत में विशेष कार्यक्रम किया गया। जिसमें CM नायब सैनी ने प्लाटों के कब्जे-कागजात देने शुरू किए। खास बात यह है कि इन प्लाटों के लाभार्थियों में सबसे बड़ा तबका SC वर्ग है। इसी वजह से न केवल इस काम को तेजी से किया गया बल्कि सीएम खुद इसे लीड कर रहे हैं। SC से सरकार में एक ही मंत्री, एक राज्यसभा सांसद
मौजूदा वक्त में भाजपा के 4 राज्यसभा सांसद हैं। इनमें जाट चेहरे के तौर पर सुभाष बराला, जांगिड़ समाज से रामचंद्र जांगिड़, ब्राह्मण चेहरे के तौर पर निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा को समर्थन दिया है। वहीं चौथे सांसद कृष्णलाल पंवार एससी चेहरा हैं। वहीं सरकार में सिर्फ लोक निर्माण मंत्री डॉ. बनवारी लाल ही एससी समुदाय से हैं। ऐसे में एक और एससी चेहरे को राज्यसभा भेजकर भाजपा उन्हें फिर से अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर सकती है। भाजपा की टेंशन, 5 महीने बाद विधानसभा चुनाव
लोकसभा चुनाव में तो भाजपा 2019 की 10 सीटों के मुकाबले हाफ यानी 5 सीटों पर आ गई। मगर, असली टेंशन 5 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। लोकसभा चुनाव को विधानसभा सीटों पर जीत के लिहाज से देखें तो भाजपा सिर्फ 44 पर जीत पाई। बाकी 46 सीटों पर कांग्रेस आगे रही। ऐसे में अगर जाट वोटर्स के बाद एससी वोटरों की भी नाराजगी जारी रही तो फिर विधानसभा में तीसरी बार लगातार सत्ता नहीं मिल पाएगी। इसी वजह से भाजपा ने जहां मनोहर लाल खट्टर, राव इंद्रजीत और कृष्णपाल गुर्जर को केंद्र में मंत्री बना लोगों को खुश करने की कोशिश की है, वहीं अब राज्यसभा सांसद के जरिए भाजपा एससी वोटरों को रिझा सकती है। ये खबर भी पढ़ें… हरियाणा में एक राज्यसभा सीट खाली:रोहतक लोकसभा से जीत चुके दीपेंद्र हुड्डा; उपचुनाव में BJP सरकार का बहुमत का भी टेस्ट होगा हरियाणा की 5 में से एक राज्यसभा सीट खाली हो गई है। यह सीट अभी तक कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा के पास थी। दीपेंद्र ने हाल ही में रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव जीत लिया। जिसके बाद उनकी राज्यसभा सीट को खाली करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। (पूरी खबर पढ़ें)