हिसार में जवान अजय का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार:एक ही परिवार का तीसरा बलिदान, सिलिगुड़ी में थे तैनात

हिसार में जवान अजय का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार:एक ही परिवार का तीसरा बलिदान, सिलिगुड़ी में थे तैनात

हरियाणा के हिसार जिले के गांव सिंदौल में आज एक और वीर सपूत की अंतिम विदाई होगी। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन में तैनात जवान अजय ढूकिया का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। 32 वर्षीय अजय का पार्थिव शरीर रात को अग्रोहा मेडिकल कॉलेज पहुंचा। राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत का काम कर रहे थे वहीं सुबह 10 बजे सैन्य वाहन पर तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को लंबे काफिले के साथ उनके घर लाया जाएगा। परिजनों के अंतिम दर्शन के बाद गांव के सैन्य स्मारक में अंतिम संस्कार होगा। अजय मार्च 2019 में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन में भर्ती हुए थे। वे पश्चिम बंगाल के सिलिगुडी में परियोजना स्वास्तिक के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत का काम कर रहे थे। तीनों वीरों की बहादुरी पर पूरे क्षेत्र को गर्व उनके पिता हरपाल और मां रोशनी खेती करते हैं। अजय अपनी पत्नी सुशीला और बेटी के साथ सिलिगुड़ी के आर्मी क्वार्टर में रह रहे थे। 1800 की आबादी वाले गांव सिंदौल से लगभग 40 जवान देश की सेवा में हैं। विशेष बात यह है कि अजय के परिवार से यह तीसरा बलिदान है। इससे पहले कीर्ति चक्र विजेता श्रवण ढूकिया और सोमवीर ढूकिया ने भी देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। इन तीनों वीरों की बहादुरी पर पूरे क्षेत्र को गर्व है। हरियाणा के हिसार जिले के गांव सिंदौल में आज एक और वीर सपूत की अंतिम विदाई होगी। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन में तैनात जवान अजय ढूकिया का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। 32 वर्षीय अजय का पार्थिव शरीर रात को अग्रोहा मेडिकल कॉलेज पहुंचा। राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत का काम कर रहे थे वहीं सुबह 10 बजे सैन्य वाहन पर तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को लंबे काफिले के साथ उनके घर लाया जाएगा। परिजनों के अंतिम दर्शन के बाद गांव के सैन्य स्मारक में अंतिम संस्कार होगा। अजय मार्च 2019 में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन में भर्ती हुए थे। वे पश्चिम बंगाल के सिलिगुडी में परियोजना स्वास्तिक के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत का काम कर रहे थे। तीनों वीरों की बहादुरी पर पूरे क्षेत्र को गर्व उनके पिता हरपाल और मां रोशनी खेती करते हैं। अजय अपनी पत्नी सुशीला और बेटी के साथ सिलिगुड़ी के आर्मी क्वार्टर में रह रहे थे। 1800 की आबादी वाले गांव सिंदौल से लगभग 40 जवान देश की सेवा में हैं। विशेष बात यह है कि अजय के परिवार से यह तीसरा बलिदान है। इससे पहले कीर्ति चक्र विजेता श्रवण ढूकिया और सोमवीर ढूकिया ने भी देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। इन तीनों वीरों की बहादुरी पर पूरे क्षेत्र को गर्व है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर