होशियारपुर में एक साथ जली मां-बेटे की चिता:सड़क हादसे में गई तीन की जान, 10 साल पहले पति की हो चुकी थी मौत

होशियारपुर में एक साथ जली मां-बेटे की चिता:सड़क हादसे में गई तीन की जान, 10 साल पहले पति की हो चुकी थी मौत

होशियारपुर के हलका दसूहा के गांव पावे झिंगड़ा में एक साथ परिवार के तीन लोगों की चिताएं जली। मरने वालों में एक महिला और उसके दो बेटे शामिल हैं। जिन्हें बीते दिन तेज रफ्तार बस ने रौंद डाला था। तीनों लोगों को मुखाअग्नि परिवार में अकेले बचे सबसे बड़े बेटे ने दी। परिवार सदस्यों ने बताया की 8 दिन पहले हुए सड़क हादसे में सुखविंदर सिंह की मौके पर मौत हो गई। मां और छोटे बेटे का चल रहा था इलाज मां परमजीत और सुरिंदर गंभीर जख्मी हो गए, जिन्हें अमृतसर रेफर किया गया था। उन दोनों ने भी रविवार को दम तोड़ दिया। सुखविंदर सिंह के शव को पहले से दसूहा की मॉर्च्युरी में रखवाया गया था। उम्मीद थी की अमृतसर में दाखिल मां और बेटा जल्द ठीक होकर बड़े बेटे सुखविंदर सिंह का अंतिम बार मुंह देख सके। लेकिन उनके दम तोड़ने के बाद मंगलवार को उनके पैत्रिक गांव में तीनों का एक साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। दो बेटों के साथ गई थी सरपंच के घर 11 दिन पहले मां परमजीत कौर अपने दोनों बेटों के साथ सुबह 8.30 बजे हर महीने मिलने वाले गेहूं के कार्ड की केवाईसी करवाने गांव के सरपंच के घर गई। जहां से वह पैदल अपने दोनों बेटों के साथ गांव पावे झिंगड़ा के पास के नेशल हाईवे पर किनारे अपने घर की ओर चले आ रहे थे। जहां दसूहा की ओर से आ रही तेज रफ्तार बस ने तीनों को एक साथ टक्कर मार दी थी। हादसे में एक बेटे की मौके पर ही मौत हो गई और मां और छोटे भाई की रविवार को उपचार के दौरान मौत हो गई। । दिहाड़ी करके गुजारा करती थी परमजीत नेशनल हाईवे पर हुए इस दर्दनाक सड़क हादसे में एक तरह से परिवार में सबसे बड़ा बेटा ही रह गया। 10 साल पहले दोनों बच्चों के पिता ने अपनी पत्नी को इस दुनिया से अलविदा कह डाला था। इस सदमे के बाद अकेली परमजीत कौर दिहाड़ी करके अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही थी। ओर अब जब दोनों बच्चों के बड़े होकर सहारा बनने की राह देख रही थी। तो सड़क हादसे में तीनों ने दम तोड़ डाला होशियारपुर के हलका दसूहा के गांव पावे झिंगड़ा में एक साथ परिवार के तीन लोगों की चिताएं जली। मरने वालों में एक महिला और उसके दो बेटे शामिल हैं। जिन्हें बीते दिन तेज रफ्तार बस ने रौंद डाला था। तीनों लोगों को मुखाअग्नि परिवार में अकेले बचे सबसे बड़े बेटे ने दी। परिवार सदस्यों ने बताया की 8 दिन पहले हुए सड़क हादसे में सुखविंदर सिंह की मौके पर मौत हो गई। मां और छोटे बेटे का चल रहा था इलाज मां परमजीत और सुरिंदर गंभीर जख्मी हो गए, जिन्हें अमृतसर रेफर किया गया था। उन दोनों ने भी रविवार को दम तोड़ दिया। सुखविंदर सिंह के शव को पहले से दसूहा की मॉर्च्युरी में रखवाया गया था। उम्मीद थी की अमृतसर में दाखिल मां और बेटा जल्द ठीक होकर बड़े बेटे सुखविंदर सिंह का अंतिम बार मुंह देख सके। लेकिन उनके दम तोड़ने के बाद मंगलवार को उनके पैत्रिक गांव में तीनों का एक साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। दो बेटों के साथ गई थी सरपंच के घर 11 दिन पहले मां परमजीत कौर अपने दोनों बेटों के साथ सुबह 8.30 बजे हर महीने मिलने वाले गेहूं के कार्ड की केवाईसी करवाने गांव के सरपंच के घर गई। जहां से वह पैदल अपने दोनों बेटों के साथ गांव पावे झिंगड़ा के पास के नेशल हाईवे पर किनारे अपने घर की ओर चले आ रहे थे। जहां दसूहा की ओर से आ रही तेज रफ्तार बस ने तीनों को एक साथ टक्कर मार दी थी। हादसे में एक बेटे की मौके पर ही मौत हो गई और मां और छोटे भाई की रविवार को उपचार के दौरान मौत हो गई। । दिहाड़ी करके गुजारा करती थी परमजीत नेशनल हाईवे पर हुए इस दर्दनाक सड़क हादसे में एक तरह से परिवार में सबसे बड़ा बेटा ही रह गया। 10 साल पहले दोनों बच्चों के पिता ने अपनी पत्नी को इस दुनिया से अलविदा कह डाला था। इस सदमे के बाद अकेली परमजीत कौर दिहाड़ी करके अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही थी। ओर अब जब दोनों बच्चों के बड़े होकर सहारा बनने की राह देख रही थी। तो सड़क हादसे में तीनों ने दम तोड़ डाला   पंजाब | दैनिक भास्कर