मथुरा में यूपी एसटीएफ ने मुख्तार अंसारी और शहाबुद्दीन के शूटर पंकज यादव को बुधवार को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। करीब 14 साल से फरार कुख्यात आगरा में एक बड़े बिजनेसमैन की हत्या और लूट की वारदात को अंजाम देने जा रहा था। UP STF को उसकी पूरी साजिश का जैसे ही पता चला, टीम एक्टिव हो गई। एसटीएफ ने उसे पकड़ने के लिए मथुरा-आगरा हाईवे पर जाल बिछाया लेकिन, पूर्वांचल के कुख्यात ने चकमा देने की पूरी प्लानिंग की। वह अपने साथी के साथ बिना नंबर प्लेट की बाइक से निकला। ताकि ट्रैक न किया जा सके। फिर कैसे कुख्यात की पहचान हुई? कैसे STF ने उसका एनकाउंटर किया? चलिए, जानते हैं मथुरा एनकाउंटर की पूरी स्टोरी… UP STF एक लाख के इनामी पंकज यादव की तलाश पूर्वांचल के गोरखपुर, गाजीपुर और मऊ में कर रही थी। टीम को पता चला कि वह लखनऊ में है। इसके बाद टीम ने मुखबिरों को एक्टिव किया। एक-एक कर पंकज की एक्टिविटी को ट्रेस करने के लिए STF ने जाल बुना। मंगलवार शाम STF के लखनऊ मुख्यालय पर तैनात CO धर्मेश कुमार शाही को टिप मिली। मुखबिर ने बताया- पंकज यादव एक बार फिर एक्टिव हो रहा है। लेकिन, इस बार उसका टारगेट पूर्वांचल नहीं। पश्चिम यूपी है। वह आगरा में एक बिजनेसमैन को लूटने वाला है। उसकी हत्या कर दहशत फैलाना चाहता है। सीओ धर्मेश शाही को बताया गया कि इस वारदात को अंजाम देने के लिए उसने पूरी तैयारी कर ली है। भारी मात्रा में असलहा भी इकट्ठा किए। वह अपने साथियों के साथ रात के अंधेरे में आगरा निकलेगा। नोएडा टीम को अलर्ट किया गया, लखनऊ से टीम रवाना हुई
CO धर्मेश कुमार शाही ने इस इनपुट के बाद तत्काल नोएडा में मौजूद STF टीम को अलर्ट किया। उन्होंने STF के अपर पुलिस अधीक्षक राकेश यादव को दी। इसके बाद ASP राकेश यादव मथुरा आ गए। लखनऊ से धर्मेश कुमार शाही भी अपनी टीम के साथ मथुरा पहुंच गए। यहां फरह टोल प्लाजा पर दोनों टीम पंकज का इंतजार करने लगीं। जिस मुखबिर ने इनपुट दिया था। उसे भी मौके पर बुलाया गया। टीमें रात के करीब 12 बजे टोल प्लाजा पर पहुंच चुकी थीं। करीब 4 घंटे के इंतजार के बाद दो लोग एक काले रंग की बाइक पर आते हुए दिखाई दिए। इनकी गाड़ी पर नंबर प्लेट नहीं थी। मुखबिर ने जैसे ही दोनों को देखा, उसने STF को बताया- बाइक के पीछे जो बैठा है। वही पंकज यादव है। 10 किलोमीटर तक पीछा करती रही STF टीम
टोल पर पंकज यादव को देखते ही STF उसे दबोचने के लिए एक्टिव हो गई। उसका पीछा किया जाने लगा, लेकिन पंकज को शक हो गया। उसने अपने साथी से बाइक की स्पीड तेज करने को कहा। दोनों करीब 80 की रफ्तार से भागने लगे। STF की टीमों ने उसका करीब 10 किलोमीटर तक पीछा किया। दोनों तरफ से खुद को घिरता देख पंकज ने एक हाथ में पिस्टल और एक हाथ में रिवॉल्वर निकाल ली और फायरिंग शुरू कर दी। बाइक से गिरने के बाद बाउंड्री के पीछे से की फायरिंग
दोनों तरफ से STF से घिरे पंकज ने नेशनल हाईवे से बाइक बाएं हाथ की तरफ कच्चे रास्ते पर मोड़ दी। लेकिन कच्चे रास्ते पर 50 मीटर आगे चलते ही बाइक गिर गई। इसके बाद पंकज और उसका साथी भागने लगा। पंकज ने STF के अधिकारियों को गाली दी और फायरिंग की। करीब 10 राउंड फायरिंग के जवाब में STF ने 3 फायर किए। इसमें से एक उसके सिर में, एक कमर में और एक पेट में गोली लगी। इस दौरान STF ने पंकज यादव को सरेंडर करने के लिए भी कहा। वह कच्चे रास्ते में बनी करीब 5 फीट की बाउंड्री के पीछे छिप गया। पंकज ने भागने की पूरी कोशिश की लेकिन एनकाउंटर में मार गिराया गया। परिवार वालों ने बॉडी लेने से मना कर दिया
पंकज के एनकाउंटर के बाद उसे पहले पास के अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर ने चेकअप के बाद पंकज को मृत घोषित कर दिया। इधर, एनकाउंटर स्पॉट पर लोकल पुलिस और फोरेंसिक टीम को बुलाया गया। एविडेंस कलेक्ट किए गए। पंकज के शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया। उसके घर-परिवार के लोगों को सूचना दी गई। लेकिन सभी ने पंकज का शव लेने और दाह संस्कार करने से मना कर दिया। पंकज यादव मऊ जिले के थाना रानीपुर के गांव तहिरापुर का रहने वाला था। उसका शव मॉर्च्युरी में रखवाया गया है। पुलिस अभी भी अन्य रिश्तेदारों से बात कर रही है। मुख्तार और शहाबुद्दीन का कॉन्ट्रैक्ट किलर था पंकज यादव
STF के मुताबिक, पंकज मुख्तार अंसारी और बिहार के माफिया शहाबुद्दीन और अन्य गिरोहों के लिए भाड़े पर हत्या करने वाला कॉन्ट्रैक्ट किलर था। यूपी समेत बिहार और छत्तीसगढ़ में पंकज यादव के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़ और गोरखपुर के विभिन्न थानों में दर्ज कुल 36 मुकदमे हैं, जिनमें वह 15 सालों से वांछित चल रहा था। पंकज के खिलाफ सबसे ज्यादा 12 मुकदमे मऊ के थाना रानीपुर में दर्ज है। रानीपुर समेत कोतवाली, सराय लखंसी, दक्षिण टोला, हलधरपुर और घोसी में कुल 22 मुकदमे दर्ज है। इसी साल जुलाई में उस पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था। 18 साल की उम्र में दर्ज हुआ था पहला केस
पंकज यादव के खिलाफ चोरी का पहला मुकदमा 2007 में 18 वर्ष की उम्र में गाजीपुर जिले के कासिमाबाद थाने में दर्ज हुआ था। 18 से 20 वर्ष की उम्र में ही पंकज के खिलाफ लगभग 24 से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके थे। इसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लगातार अपराध की दुनिया में बढ़ता चला गया। 2010 में मन्ना सिंह हत्याकांड के मुख्य गवाह राम सिंह मौर्य और उनकी सुरक्षा में लगे कांस्टेबल सतीश यादव की गोली मारकर हत्या करने के आरोप में पंकज यादव का नाम भी शामिल था। 10 साल से गांव नहीं गया पंकज, पिता भी जेल में बंद थे
पंकज यादव के पिता रामप्रवेश यादव भी जेल जा चुके हैं। पिछले कई सालों से गोरखपुर जेल में बंद थे। हाल ही में जेल से बाहर निकलने के बाद से अपने घर पर रह रहे हैं। रानीपुर के ताहिरपुर गांव स्थित पंकज यादव के घर पर उसके दो छोटे भाई अंगद यादव (28) और कृष्ण यादव (25) अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। गांव वालों की मानें तो पिछले 10 साल से उन्होंने पंकज को गांव में नहीं देखा था। पंकज और उसके परिवार का गांव में किसी से कोई विवाद नहीं रहा। वह 8वीं तक ही पढ़ा है। इसके बाद गलत संगत में चला गया था। यह खबर भी पढ़ें… वकील के उकसाने पर महिला ने लगाई थी आग: मोबाइल में मिली चार रिकॉर्डिंग, लखनऊ पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार लखनऊ में उन्नाव की महिला ने सीएम आवास के पास 6 अगस्त की सुबह आग लगाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। लखनऊ पुलिस ने इस मामले में 60 वर्षीय वकील सुनील कुमार को गिरफ्तार किया है। जो कि उन्नाव का रहने वाला बताया जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर… मथुरा में यूपी एसटीएफ ने मुख्तार अंसारी और शहाबुद्दीन के शूटर पंकज यादव को बुधवार को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। करीब 14 साल से फरार कुख्यात आगरा में एक बड़े बिजनेसमैन की हत्या और लूट की वारदात को अंजाम देने जा रहा था। UP STF को उसकी पूरी साजिश का जैसे ही पता चला, टीम एक्टिव हो गई। एसटीएफ ने उसे पकड़ने के लिए मथुरा-आगरा हाईवे पर जाल बिछाया लेकिन, पूर्वांचल के कुख्यात ने चकमा देने की पूरी प्लानिंग की। वह अपने साथी के साथ बिना नंबर प्लेट की बाइक से निकला। ताकि ट्रैक न किया जा सके। फिर कैसे कुख्यात की पहचान हुई? कैसे STF ने उसका एनकाउंटर किया? चलिए, जानते हैं मथुरा एनकाउंटर की पूरी स्टोरी… UP STF एक लाख के इनामी पंकज यादव की तलाश पूर्वांचल के गोरखपुर, गाजीपुर और मऊ में कर रही थी। टीम को पता चला कि वह लखनऊ में है। इसके बाद टीम ने मुखबिरों को एक्टिव किया। एक-एक कर पंकज की एक्टिविटी को ट्रेस करने के लिए STF ने जाल बुना। मंगलवार शाम STF के लखनऊ मुख्यालय पर तैनात CO धर्मेश कुमार शाही को टिप मिली। मुखबिर ने बताया- पंकज यादव एक बार फिर एक्टिव हो रहा है। लेकिन, इस बार उसका टारगेट पूर्वांचल नहीं। पश्चिम यूपी है। वह आगरा में एक बिजनेसमैन को लूटने वाला है। उसकी हत्या कर दहशत फैलाना चाहता है। सीओ धर्मेश शाही को बताया गया कि इस वारदात को अंजाम देने के लिए उसने पूरी तैयारी कर ली है। भारी मात्रा में असलहा भी इकट्ठा किए। वह अपने साथियों के साथ रात के अंधेरे में आगरा निकलेगा। नोएडा टीम को अलर्ट किया गया, लखनऊ से टीम रवाना हुई
CO धर्मेश कुमार शाही ने इस इनपुट के बाद तत्काल नोएडा में मौजूद STF टीम को अलर्ट किया। उन्होंने STF के अपर पुलिस अधीक्षक राकेश यादव को दी। इसके बाद ASP राकेश यादव मथुरा आ गए। लखनऊ से धर्मेश कुमार शाही भी अपनी टीम के साथ मथुरा पहुंच गए। यहां फरह टोल प्लाजा पर दोनों टीम पंकज का इंतजार करने लगीं। जिस मुखबिर ने इनपुट दिया था। उसे भी मौके पर बुलाया गया। टीमें रात के करीब 12 बजे टोल प्लाजा पर पहुंच चुकी थीं। करीब 4 घंटे के इंतजार के बाद दो लोग एक काले रंग की बाइक पर आते हुए दिखाई दिए। इनकी गाड़ी पर नंबर प्लेट नहीं थी। मुखबिर ने जैसे ही दोनों को देखा, उसने STF को बताया- बाइक के पीछे जो बैठा है। वही पंकज यादव है। 10 किलोमीटर तक पीछा करती रही STF टीम
टोल पर पंकज यादव को देखते ही STF उसे दबोचने के लिए एक्टिव हो गई। उसका पीछा किया जाने लगा, लेकिन पंकज को शक हो गया। उसने अपने साथी से बाइक की स्पीड तेज करने को कहा। दोनों करीब 80 की रफ्तार से भागने लगे। STF की टीमों ने उसका करीब 10 किलोमीटर तक पीछा किया। दोनों तरफ से खुद को घिरता देख पंकज ने एक हाथ में पिस्टल और एक हाथ में रिवॉल्वर निकाल ली और फायरिंग शुरू कर दी। बाइक से गिरने के बाद बाउंड्री के पीछे से की फायरिंग
दोनों तरफ से STF से घिरे पंकज ने नेशनल हाईवे से बाइक बाएं हाथ की तरफ कच्चे रास्ते पर मोड़ दी। लेकिन कच्चे रास्ते पर 50 मीटर आगे चलते ही बाइक गिर गई। इसके बाद पंकज और उसका साथी भागने लगा। पंकज ने STF के अधिकारियों को गाली दी और फायरिंग की। करीब 10 राउंड फायरिंग के जवाब में STF ने 3 फायर किए। इसमें से एक उसके सिर में, एक कमर में और एक पेट में गोली लगी। इस दौरान STF ने पंकज यादव को सरेंडर करने के लिए भी कहा। वह कच्चे रास्ते में बनी करीब 5 फीट की बाउंड्री के पीछे छिप गया। पंकज ने भागने की पूरी कोशिश की लेकिन एनकाउंटर में मार गिराया गया। परिवार वालों ने बॉडी लेने से मना कर दिया
पंकज के एनकाउंटर के बाद उसे पहले पास के अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर ने चेकअप के बाद पंकज को मृत घोषित कर दिया। इधर, एनकाउंटर स्पॉट पर लोकल पुलिस और फोरेंसिक टीम को बुलाया गया। एविडेंस कलेक्ट किए गए। पंकज के शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया। उसके घर-परिवार के लोगों को सूचना दी गई। लेकिन सभी ने पंकज का शव लेने और दाह संस्कार करने से मना कर दिया। पंकज यादव मऊ जिले के थाना रानीपुर के गांव तहिरापुर का रहने वाला था। उसका शव मॉर्च्युरी में रखवाया गया है। पुलिस अभी भी अन्य रिश्तेदारों से बात कर रही है। मुख्तार और शहाबुद्दीन का कॉन्ट्रैक्ट किलर था पंकज यादव
STF के मुताबिक, पंकज मुख्तार अंसारी और बिहार के माफिया शहाबुद्दीन और अन्य गिरोहों के लिए भाड़े पर हत्या करने वाला कॉन्ट्रैक्ट किलर था। यूपी समेत बिहार और छत्तीसगढ़ में पंकज यादव के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़ और गोरखपुर के विभिन्न थानों में दर्ज कुल 36 मुकदमे हैं, जिनमें वह 15 सालों से वांछित चल रहा था। पंकज के खिलाफ सबसे ज्यादा 12 मुकदमे मऊ के थाना रानीपुर में दर्ज है। रानीपुर समेत कोतवाली, सराय लखंसी, दक्षिण टोला, हलधरपुर और घोसी में कुल 22 मुकदमे दर्ज है। इसी साल जुलाई में उस पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था। 18 साल की उम्र में दर्ज हुआ था पहला केस
पंकज यादव के खिलाफ चोरी का पहला मुकदमा 2007 में 18 वर्ष की उम्र में गाजीपुर जिले के कासिमाबाद थाने में दर्ज हुआ था। 18 से 20 वर्ष की उम्र में ही पंकज के खिलाफ लगभग 24 से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके थे। इसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लगातार अपराध की दुनिया में बढ़ता चला गया। 2010 में मन्ना सिंह हत्याकांड के मुख्य गवाह राम सिंह मौर्य और उनकी सुरक्षा में लगे कांस्टेबल सतीश यादव की गोली मारकर हत्या करने के आरोप में पंकज यादव का नाम भी शामिल था। 10 साल से गांव नहीं गया पंकज, पिता भी जेल में बंद थे
पंकज यादव के पिता रामप्रवेश यादव भी जेल जा चुके हैं। पिछले कई सालों से गोरखपुर जेल में बंद थे। हाल ही में जेल से बाहर निकलने के बाद से अपने घर पर रह रहे हैं। रानीपुर के ताहिरपुर गांव स्थित पंकज यादव के घर पर उसके दो छोटे भाई अंगद यादव (28) और कृष्ण यादव (25) अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। गांव वालों की मानें तो पिछले 10 साल से उन्होंने पंकज को गांव में नहीं देखा था। पंकज और उसके परिवार का गांव में किसी से कोई विवाद नहीं रहा। वह 8वीं तक ही पढ़ा है। इसके बाद गलत संगत में चला गया था। यह खबर भी पढ़ें… वकील के उकसाने पर महिला ने लगाई थी आग: मोबाइल में मिली चार रिकॉर्डिंग, लखनऊ पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार लखनऊ में उन्नाव की महिला ने सीएम आवास के पास 6 अगस्त की सुबह आग लगाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। लखनऊ पुलिस ने इस मामले में 60 वर्षीय वकील सुनील कुमार को गिरफ्तार किया है। जो कि उन्नाव का रहने वाला बताया जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर