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बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले को लेकर सिरोही में संतों का विरोध, ‘सरकार दे इजाजत तो करेंगे आक्रमण’
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले को लेकर सिरोही में संतों का विरोध, ‘सरकार दे इजाजत तो करेंगे आक्रमण’ <p style=”text-align: justify;”><strong>Sirohi News:</strong> बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में रविवार (15 दिसंबर) को सिरोही के हृदय स्थल रामझरोखा मंदिर प्रांगण में सिरोही जिले के सैकड़ों साधु-संतों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे जानलेवा हमले के खिलाफ जमकर आक्रोश जताया गया. कई संत महात्माओ ने संबेधन के दौरान बांग्लादेश की ‘कायराना हरकत’ पर नाराजगी जताई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>श्री आबूराज संत सेवा मंडल के नेतृत्व में साधु-संतों ने घंटे बजाते हुए रैली निकाली और सिरोही जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने डॉ. दिनेश राय सापेला अतिरिक्त जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ADM को सौंपे ज्ञापन में उठाई यह मांग </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राष्ट्रपति के नाम सिरोही एडीएम को सुपुर्द ज्ञापन में संतों ने मांग की कि भारत सरकार बांग्लादेश में हस्तक्षेप कर वहां शांति स्थापित करे और हिन्दुओं की रक्षा करने को लेकर उचित कदम उठाए. संतों ने कहा कि अगर उन्हें अनुमति दी जाए तो वे स्वयं बांग्लादेश पर आक्रमण करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि संत समाज आत्मिक बलिदान के लिए सदैव तत्पर है और इतिहास में हमेशा संघर्ष करते हुए प्राण न्योछावर किए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>संतों ने अपने ज्ञापन में बताया कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के सत्ता में जाने के बाद से अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाकर हिंसात्मक हमले किए जा रहे हैं. धार्मिक स्थलों को तोड़ा जा रहा है. निर्दोष हिंदुओं को गिरफ्तार किया जा रहा है और उन्हें अपने व्यवसाय और नौकरियां छोड़कर देश छोड़ने के लिए विवश किया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’बंग्लादेशी सरकार रोके हिंदुओं पर अत्याचार'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>संतों ने गंभीर आरोप लगाया है, “बांग्लादेश की सरकार इस हिंसा को रोकने में गंभीरता नहीं दिखा रही. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वैश्विक संगठनों और मानवाधिकार संगठनों ने भी इस दिशा में आवश्यक कदम नहीं उठाए.” श्री आबूराज संत सेवा मंडल के अध्यक्ष महंत लेहर भारती महाराज ने भारत सरकार के प्रयासों को भी अपर्याप्त बताते हुए कहा कि विश्व समुदाय और भारत सरकार को इन घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने मांग की कि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को तुरंत प्रभाव से रोके. गिरफ्तार इस्कॉन के मुख्य पुजारी चिन्मयदास कृष्ण दास प्रभुजी को रिहा करे और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करे. हिन्दुओं पर हो रहे हमलों पर संत समाज आक्रोषित दिखा, सरकार को इसपर उचित कदम उठाने की मांग की है.<br /><br /><strong>सिरोही से तुषार पुरोहित की रिपोर्ट.<br /><br />ये भी पढ़ें: <a title=”आदिवासी चित्रकला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाली पद्मश्री ‘अम्मा’ का निधन, लंबे समय से थीं बीमार” href=”https://www.abplive.com/states/madhya-pradesh/padma-shri-jodhaiya-bai-baiga-aka-amma-passes-away-was-famous-for-tribal-painting-ann-2843165″ target=”_self”>आदिवासी चित्रकला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाली पद्मश्री ‘अम्मा’ का निधन, लंबे समय से थीं बीमार</a></strong></p>

हरियाणा के शहीद लांस नायक, जिनकी पत्नी को पीटा गया:रात भर उग्रवादियों से लड़े, 4 साथियों संग शहीद हुए, सेना के हथियार नहीं लूटने दिए
हरियाणा के शहीद लांस नायक, जिनकी पत्नी को पीटा गया:रात भर उग्रवादियों से लड़े, 4 साथियों संग शहीद हुए, सेना के हथियार नहीं लूटने दिए हरियाणा के नारनौल में 3 दिन पहले शहीद की जिस विधवा के साथ सरेआम मारपीट की गई, उनके लांस नायक रहे पति खुशीराम यादव ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। खुशीराम सेना के ‘ऑपरेशन राइनो’ में शामिल होकर साल 1997 में असम के घने जंगलों में उल्फा उग्रवादियों से लड़े थे। उन्होंने प्राण न्योछावर कर दिए, लेकिन सेना के हथियार नहीं लुटने दिए थे। दैनिक भास्कर ने इस बारे में शहीद के फौजी बेटे कृष्ण कुमार से बातचीत की। कृष्ण ने कहा कि उनके पिता बड़े ही निडर, देश प्रेमी और अनुशासन वाले व्यक्ति थे। दुश्मनों से आखिरी सांस तक लड़ते-लड़ते ही वे वीरगति को प्राप्त हुए थे। पिता की ही प्रेरणा से उन्होंने भी आर्मी जॉइन की। बता दें कि 13 अप्रैल को गांव दोस्तपुर में कुछ युवकों ने शहीद खुशीराम की पत्नी प्रेम देवी से मारपीट की थी। इसका CCTV फुटेज भी सामने आया था। जिसके बाद गांव में पंचायत हुई और आरोपियों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। अब गांव का कोई भी आदमी उनके किसी कार्यक्रम में नहीं जाएगा और न ही उन्हें अपने यहां बुलाएगा। शहीद की पत्नी अभी भी गुरुग्राम के अस्पताल में भर्ती हैं। शहीद खुशीराम की बहादुरी की कहानी, जिनकी पत्नी को युवकों ने पीटा… 18 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए, 12 वर्षों में ही बने लांस नायक
बेटे कृष्ण कुमार ने बताया कि उसके पिता खुशीराम का जन्म 30 मार्च 1966 को नारनौल तहसील के गांव दोस्तपुर निवासी चंदा राम और बदामी देवी के घर हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल शहबाजपुर से हुई। 18 वर्ष की उम्र में 10 फरवरी 1984 को वे सेना में भर्ती हो गए थे और सेना की 10 महार बटालियन का हिस्सा रहे। 1941 में स्थापित महार रेजिमेंट में वीरता और बलिदान का एक विशिष्ट इतिहास है। यह उनका देश सेवा के प्रति जुनून ही था कि सेवा के 12 वर्षों के भीतर लांस नायक के पद तक पदोन्नति मिल गई। इसके बाद देशभर में कई दुर्गम स्थानों पर उनका ट्रांसफर होता रहा, जहां उन्होंने अपने कार्य कौशल का परिचय दिया। 1997 में मिली असम में तैनाती, उग्रवाद से फैली थी अशांति
कृष्ण कुमार ने बताया कि साल 1997 में पिता लांस नायक खुशी राम यादव की यूनिट 10 महार बटालियन को कर्नल एमसी बरुआ की कमान में असम में तैनात किया गया था। उन दिनों असम में अशांति फैली हुई थी। अवैध विदेशियों के मुद्दे पर हिंसा हो रही थी। हालांकि 1985 में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU), असम गण संग्राम परिषद (AGSP) और केंद्र सरकार के बीच असम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन शांति बहाल नहीं हुई। उग्रवादी समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) ने भारत से अलग होने की मांग करते हुए विद्रोह कर दिया था। इसी को देखते हुए ऑपरेशन राइनो की शुरुआत हुई, जिसका उद्देश्य विद्रोही गतिविधियों को बेअसर करना और सामान्य स्थिति बहाल करना था। 16 जून 1997 की रात गश्त पर निकले, उग्रवादियों ने IED विस्फोट किया
कृष्ण कुमार ने आगे बताया कि 16 जून 1997 को उनके पिता लांस नायक खुशी राम 13 सैनिकों वाले दल के साथ गश्त पर निकले थे। उनकी मिनी बस डिब्रूगढ़ जिले के कस्बे टिंगखोंग से असम के शिवसागर जिले के कस्बे सापेखाती की ओर जा रही थी। धोयापाथर गांव के घने जंगलों में घात लगाए बैठे उल्फा उग्रवादियों ने सड़क में इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) लगा रखा था। रात साढ़े 11 बजे जैसे ही उनकी मिनी बस वहां पहुंची तो उग्रवादियों ने IED का विस्फोट कर दिया। 3 साथी मौके पर शहीद, बाकी हो गए घायल
कृष्ण कुमार के मुताबिक उग्रवादियों ने विस्फोट करने के साथ ही ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इसमें नायब सूबेदार शाम सरन पांडे, नायक जगदीश सिंह और लांस नायक रघुबीर सिंह मौके पर ही शहीद हो गए, जबकि उनके पिता खुशीराम और हवलदार श्याम शरण पांडे सहित अन्य कई जख्मी हो गए। इसके बाद शेष गश्ती दल ने भी जवाबी मोर्चा खोल दिया। दोनों तरफ से गोलीबारी जारी थी। फौज की टुकड़ी की कोशिश थी कि आतंकवादी आगे न बढ़ सकें या कोई हथियार न छीन सकें। बैकअप के लिए दो साथी भेजे, खुद संभाले रखा मोर्चा
उग्रवादी लगातार अंधाधुंध फायरिंग करते हुए आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन सैनिक भी पूरी बहादुरी से उनका मुकाबला कर रहे थे। जंगल घना था और बरसात भी होने लगी थी। ऐसे में सैनिकों को उग्रवादियों की संख्या का अंदाजा नहीं लग पा रहा था। चिंता हुई कि यदि उग्रवादियों की संख्या अधिक होने से मुकाबला ज्यादा देर चला तो सैनिकों की गोलियां खत्म हो सकती हैं। ऐसे में तय हुआ कि दो साथियों को 12 किलोमीटर दूर बैकअप बुलाने जाना होगा, बाकी यहां रहकर मोर्चे पर डटे रहेंगे। अंतिम सांस तक लड़े खुशीराम, नहीं लूटने दिए सेना के हथियार
कृष्ण कुमार के मुताबिक दो साथियों के जाने के बाद शेष रह गए सैनिकों ने आगे बढ़ते हुए उग्रवादियों को घेरने की रणनीति बनाई। इसी रणनीति के तहत जवाबी फायरिंग तेज कर दी और आगे बढ़ने लगे। यह देख उग्रवादियों के हौसले पस्त हो गए और उन्होंने फायरिंग करते हुए भागना शुरू कर दिया। इस कार्रवाई में लांस नायक खुशीराम और हवलदार अमरीक सिंह शहीद हो गए। दोनों ने कर्तव्य की राह पर अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया था। इस हमले में कुल 5 सैनिक शहीद हुए थे। हालांकि उन्होंने सेना के हथियार नहीं लुटने दिए। क्यों खुशीराम की पत्नी से मारपीट हुई, पूरा विवाद जानिए…
खुशीराम का भाई रतिराम और उसका बेटा आशीष एक हत्या के मामले में जेल में बंद हैं। इन्होंने 9 महीने पहले राहुल नाम के युवक की हत्या की थी। राहुल का भाई रोहित इस कारण खुशीराम के परिवार से रंजिश रखता है। रोहित का परिवार चाहता था कि हत्या के मामले में पुलिस खुशीराम के भाई की पत्नी का भी नाम शामिल करे। हालांकि, उसकी पत्नी गांव में नहीं रहती थी। कुछ दिन पहले जब वह गांव में आई, तब से रोहित और खुशीराम के परिवार के बीच विवाद शुरू हो गया। 13 अप्रैल को रोहित अपने साथियों के साथ मारपीट करने आया। उस समय खुशीराम की भाभी ने खुद को कमरे में बंद कर लिया, लेकिन उनकी पत्नी बाहर ही रह गई। रोहित और उसके साथियों ने मिलकर खुशीराम की पत्नी के साथ मारपीट की। ————————————— शहीद खुशीराम की पत्नी पर हमले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… नारनौल में शहीद की पत्नी को डंडों से पीटा:कमरे से घसीटकर लाए, ‘ऑपरेशन राइनो’ में शहीद हुए थे पति, इकलौता बेटा भी फौज में हरियाणा के नारनौल में शहीद लांसनायक की पत्नी पर घर में घुसकर पांच युवकों ने हमला कर दिया। महिला को कमरे से घसीटते हुए आंगन में लाया गया और लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा गया। युवकों के भागने के बाद महिला काफी देर तक आंगन में ही पड़ी तड़पती रही। बाद में आसपास के लोग घर में आए और घायल महिला को उठाकर अंदर ले गए। (पूरी खबर पढ़ें) शहीद की पत्नी के हमलावरों का सामाजिक बहिष्कार:पंचायत में ग्रामीणों ने लिया फैसला; नारनौल पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए मांगा समय हरियाणा के नारनौल में शहीद की पत्नी पर हुए हमले को लेकर आज गांव दोस्तपुर में आसपास के गांवों के पंच-सरपंचों सहित मौजिज लोगों की पंचायत हुई। पंचायत में शहीद की पत्नी के हमलावरों को गिरफ्तार नहीं किए जाने पर रोष जताया गया। वहीं पंचायत में शहीद की पत्नी पर हमला करने वाले परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया गया। पंचायत में पीड़ित परिवार को पुलिस सुरक्षा दिए जाने की भी मांग की गई। मौके पर पहुंचे थाना प्रभारी ने आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया। (पूरी खबर पढ़ें)

कोचिंग स्टूडेंट्स के बीच पहुंचे कोटा कलेक्टर, दिया सफलता का मंत्र, बोले- सिक्का उछालकर मैंने चुना था सबजेक्ट
कोचिंग स्टूडेंट्स के बीच पहुंचे कोटा कलेक्टर, दिया सफलता का मंत्र, बोले- सिक्का उछालकर मैंने चुना था सबजेक्ट <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> कोटा में कोचिंग स्टूडेंट की हर समस्या का समाधान करने के लिए जिला प्रशासन से लेकर अन्य संस्थान तत्पर रहते हैं. कोचिंग स्टूडेंट को यहां किसी भी तरह से परेशान नहीं होने दिया जाता. जिला प्रशासन की ओर से कामयाब कोटा अभियान के तहत स्टूडेंट्स को सकारात्मक माहौल देने के लिए जिला प्रशासन का कोचिंग स्टूडेंट्स से सीधे संवाद का सिलसिला जारी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके तहत जिला कलेक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी जवाहर नगर स्थित सत्यार्थ कैम्पस पहुंचे और क्लास में कोचिंग स्टूडेंट्स से संवाद किया. <br /> <br /><strong>कोचिंग स्टूडेंट्स के सवालों के कलेक्टर ने दिए जवाब </strong><br />इस दौरान स्टूडेंट्स ने सवाल किए और कलेक्टर डॉ.गोस्वामी ने एक शिक्षक के रूप में जवाब दिए. करीब एक घंटे चले इस संवाद के बाद स्टूडेंट्स बहुत उत्साहित नजर आए. डॉ.गोस्वामी ने कहा कि स्वास्थ्य सबसे पहले है. हमारे शरीर में विटामिन सी, विटामिन डी और विटामिन बी-12 की कमी नहीं होनी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके लिए रोजाना एक नींबू पीना है, रोज आधा लीटर दूध पीना है और 15 मिनट धूप में रहना है. इससे आप बहुत सारी बीमारियों से दूर हो जाएंगे. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>‘अटेंशन प्लॉन आइडेंटिफाई होना जरूरी है’</strong><br />स्टूडेंट्स के एक सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि मैं पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम से प्रभावित हूं. उनकी सादगी और अनुशासित जीवन मेरे लिए प्रेरणा है. वो व्यक्ति सब कुछ होकर भी साधारण रहे. हम सभी के जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यदि लगता है कि फालतू के कार्यों में समय व्यतीत हो रहा है तो अटेंशन प्लॉन आइडेंटिफाई होना जरूरी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हमें पता होना चाहिए कि हम जहां जा रहे हैं, वहां कितना समय व्यतीत करना है. कब बैठना है और कब उठना है. इससे जब हम काम खत्म कर रहे होंगे तो इस बाद का पछतावा नहीं होगा कि मेरा समय खराब हुआ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>‘जो चल रहा है वो लाइफ का एक फेज है’</strong><br />सक्सेज नहीं होने की बात पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि मैं आप सभी को सेल्युट करता हूं कि आप सभी ने तैयारी करने का साहस दिखाया. सेलीब्रेट द प्रिपेरेशन, नॉट द रिजल्ट्स हम में से हर कोई बॉर्डर लाइन पर है. आप लोग अलग हो क्योंकि आप अनुभव ले रहो हो. संघर्ष करना सीख रहे हो, कम्पीटिशन हर जगह है, जो चल रहा है वो लाइफ का एक फेज है, वर्तमान में जिएं और रोजाना मेहनत करें.पढ़ने का तरीका सभी का अलग-अलग हो सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसलिए पढ़ते समय घंटे नहीं गिनें. मैं तो यही सोचता हूं कि रोज अच्छी मेहनत करूं और अच्छी नींद लूं. प्लान ए के लिए कोशिश कर रहे हो लेकिन प्लान बी भी साथ रखो. </p>
<p style=”text-align: justify;”>एक अन्य स्टूडेंट के सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि ओवर थिंकिंग होती है तो जो बात हम सोचते हैं, उस सब्जेक्ट को लिखो. आप देखोगे कि दो से तीन सब्जेक्ट आप लिख नहीं सकोगे. ऐसे में हमारा सोचना कम हो जाएगा. दूसरी बात जो ख्याल आपको आ रहे हैं, उसके बारे में माता-पिता को पत्र भी लिख सकते हैं. पत्र में स्पष्ट करें कि मैं ये सोचता हूं और इसे दूर करने की कोशिश करूंगा. अपनी कमजोरी के बारे में लिख सकते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>‘टॉस करके ली थी बॉयलोजी’</strong><br />एक स्टूडेंट के सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि आप सभी के पास आज बहुत साधन और संसाधन हैं. इनका सदुपयोग करें. मुझे जब दसवीं में 84 प्रतिशत अंक आए तो बहुत बड़ी बात थी. तब राजस्थान बोर्ड में इतने नंबर बहुत अच्छे होते थे. लोगों ने सलाह दी कि साइंस ले लो. अब साइंस के बारे में पूछा तो पता चला कि मैथ्स और बॉयो अलग-अलग है, कौनसी लें, क्यों ले? कुछ पता नहीं, समझाने वाले नहीं, इतना पता था कि बॉयलोजी में चित्र बनाने पड़ते हैं और मैथ्स में सवाल होते हैं. मैंने सिक्का उछाला और टेल आने पर बॉयलोजी ले ली. इसके बाद भी मैं कई परीक्षाओं में पहले प्रयास में सफल नहीं हुआ लेकिन मैंने फिर भी आगे बढ़ना नहीं छोड़ा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”राजस्थान विवि का एक ऐसा कोर्स जिससे जल्द मिलती है नौकरी? कल से शुरू होगा एडमिशन, जानें डिटेल” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/rajasthan-university-admissions-for-b-lib-sc-and-m-lib-sc-will-start-from-june-24-ann-2721423″ target=”_blank” rel=”noopener”>राजस्थान विवि का एक ऐसा कोर्स जिससे जल्द मिलती है नौकरी? कल से शुरू होगा एडमिशन, जानें डिटेल</a><br /></strong></p>