देश में नई बनने जा रही सरकार में तकरीबन 30 सालों के बाद पंजाब से कोई मंत्री बनता नहीं दिख रहा। दरअसल, पंजाब से भाजपा को इन लोकसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली। राज्यसभा में भी पंजाब से भाजपा के पास कोई सीट नहीं है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि इस बार केंद्र में मंत्री पद पर बैठ पंजाब की आवाज उठाने वाला कोई नहीं होगा। तकरीबन 3 दशक पहले, 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की कैबिनेट में पंजाब से कोई मंत्री नहीं था। हालांकि इस कैबिनेट में तीन नाम डॉ. मनमोहन सिंह, बलराम जाखड़ व बूटा सिंह पंजाब से संबंधित तो थे, लेकिन राज्य से चुनाव जीत कर संसद तक नहीं पहुंचा था। इन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सात, शिरोमणि अकाली दल को एक, आम आदमी पार्टी को तीन सीटें मिली हैं, जबकि दो सांसद निर्दलीय जीते हैं। भाजपा के पास एक भी सांसद नहीं है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया जा सके। आजादी के बाद से दसवीं लोकसभा को छोड़ पंजाब को हमेशा प्रतिनिधित्व मिला है। पंजाब से हार के बाद भी मंत्री पद दिया गया मोदी सरकार में 2014 के बाद से हमेशा मंत्री पद में पंजाब को प्रतिनिधित्व मिला है। 2014 में अरुण जेटली को अमृतसर से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया गया और वित्त-मंत्री बनाया गया। 2019 में हरदीप पुरी फिर अमृतसर से चुनाव हारे, लेकिन उन्हें राज्यसभा से चुन मंत्री पद दिया गया। इसके अलावा 2014 में विजय सांपला को भी केंद्रीय राज्यमंत्री बनाया गया था। 2019 में होशियारपुर से सांसद सोमप्रकाश को केंद्रीय राज्यमंत्री बनाया गया। 2019 में शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल भी कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राव ने डॉ. मनमोहन को बनाया था मंत्री 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार बनी। देश की आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी। कहा जाता है कि राव के कारण ही डॉ. मनमोहन सिंह राजनीति में आए। डॉ. मनमोहन सिंह ने 2005 में ब्रिटिश पत्रकार मार्क टुली से कहा था। जिस दिन राव अपने मंत्रिमंडल का गठन कर रहे थे, उन्होंने अपने प्रिंसिपल सेक्रेटरी को मेरे पास यह कहते हुए भेजा कि प्रधानमंत्री चाहेंगे कि आप वित्त मंत्री बनें। मैंने इसे गंभीरता से ना लेते हुए स्वीकार नहीं किया। अगली सुबह राव सीधा उनके पास आए गुस्से में कहा कि तैयार होकर शपथ ग्रहण के लिए राष्ट्रपति भवन आ जाएं। यहां से दस साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का राजनीतिक सफर शुरू हुआ था। अमृतसर से संबंधित डॉ. मनमोहन सिंह को 1991 में असम से राज्यसभा सदस्य बनाया गया था। 1995 में मंत्री बनाए गए थे बूटा सिंह डॉ. मनमोहन सिंह के बाद बलराम जाखड़ का नाम पूर्व प्रधानमंत्री राव ने मंत्री मंडल में शामिल किया, लेकिन वे सीकर से चुनाव जीत लोकसभा में पहुंचे थे। पूर्व कांग्रेसी व भाजपा के मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ उन्हीं के बेटे हैं। 10वीं लोकसभा में तीसरा नाम पंजाब से संबंधित बूटा सिंह का था। लेकिन उन्हें 1995 में मंत्रीमंडल में शामिल गया था और वे एक साल के लिए मंत्री बने। राज्यसभा एक मात्र ज़रिया, लेकिन प्रतिनिधित्व फिर भी पंजाब से नहीं अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पंजाब से किसी भाजपा नेता को मंत्रिमंडल में जगह देने का एक मात्र तरीका राज्यसभा ही है। लेकिन उसमें भी समय लग सकता है। भाजपा को इसके लिए पंजाब के किसी उम्मीदवार या बड़े नेता को दूसरी स्टेट से राज्यसभा सदस्य बनाना होगा, तभी पंजाब को प्रतिनिधित्व मिलने की आस की जा सकती है। देश में नई बनने जा रही सरकार में तकरीबन 30 सालों के बाद पंजाब से कोई मंत्री बनता नहीं दिख रहा। दरअसल, पंजाब से भाजपा को इन लोकसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली। राज्यसभा में भी पंजाब से भाजपा के पास कोई सीट नहीं है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि इस बार केंद्र में मंत्री पद पर बैठ पंजाब की आवाज उठाने वाला कोई नहीं होगा। तकरीबन 3 दशक पहले, 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की कैबिनेट में पंजाब से कोई मंत्री नहीं था। हालांकि इस कैबिनेट में तीन नाम डॉ. मनमोहन सिंह, बलराम जाखड़ व बूटा सिंह पंजाब से संबंधित तो थे, लेकिन राज्य से चुनाव जीत कर संसद तक नहीं पहुंचा था। इन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सात, शिरोमणि अकाली दल को एक, आम आदमी पार्टी को तीन सीटें मिली हैं, जबकि दो सांसद निर्दलीय जीते हैं। भाजपा के पास एक भी सांसद नहीं है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया जा सके। आजादी के बाद से दसवीं लोकसभा को छोड़ पंजाब को हमेशा प्रतिनिधित्व मिला है। पंजाब से हार के बाद भी मंत्री पद दिया गया मोदी सरकार में 2014 के बाद से हमेशा मंत्री पद में पंजाब को प्रतिनिधित्व मिला है। 2014 में अरुण जेटली को अमृतसर से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया गया और वित्त-मंत्री बनाया गया। 2019 में हरदीप पुरी फिर अमृतसर से चुनाव हारे, लेकिन उन्हें राज्यसभा से चुन मंत्री पद दिया गया। इसके अलावा 2014 में विजय सांपला को भी केंद्रीय राज्यमंत्री बनाया गया था। 2019 में होशियारपुर से सांसद सोमप्रकाश को केंद्रीय राज्यमंत्री बनाया गया। 2019 में शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल भी कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राव ने डॉ. मनमोहन को बनाया था मंत्री 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार बनी। देश की आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी। कहा जाता है कि राव के कारण ही डॉ. मनमोहन सिंह राजनीति में आए। डॉ. मनमोहन सिंह ने 2005 में ब्रिटिश पत्रकार मार्क टुली से कहा था। जिस दिन राव अपने मंत्रिमंडल का गठन कर रहे थे, उन्होंने अपने प्रिंसिपल सेक्रेटरी को मेरे पास यह कहते हुए भेजा कि प्रधानमंत्री चाहेंगे कि आप वित्त मंत्री बनें। मैंने इसे गंभीरता से ना लेते हुए स्वीकार नहीं किया। अगली सुबह राव सीधा उनके पास आए गुस्से में कहा कि तैयार होकर शपथ ग्रहण के लिए राष्ट्रपति भवन आ जाएं। यहां से दस साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का राजनीतिक सफर शुरू हुआ था। अमृतसर से संबंधित डॉ. मनमोहन सिंह को 1991 में असम से राज्यसभा सदस्य बनाया गया था। 1995 में मंत्री बनाए गए थे बूटा सिंह डॉ. मनमोहन सिंह के बाद बलराम जाखड़ का नाम पूर्व प्रधानमंत्री राव ने मंत्री मंडल में शामिल किया, लेकिन वे सीकर से चुनाव जीत लोकसभा में पहुंचे थे। पूर्व कांग्रेसी व भाजपा के मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ उन्हीं के बेटे हैं। 10वीं लोकसभा में तीसरा नाम पंजाब से संबंधित बूटा सिंह का था। लेकिन उन्हें 1995 में मंत्रीमंडल में शामिल गया था और वे एक साल के लिए मंत्री बने। राज्यसभा एक मात्र ज़रिया, लेकिन प्रतिनिधित्व फिर भी पंजाब से नहीं अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पंजाब से किसी भाजपा नेता को मंत्रिमंडल में जगह देने का एक मात्र तरीका राज्यसभा ही है। लेकिन उसमें भी समय लग सकता है। भाजपा को इसके लिए पंजाब के किसी उम्मीदवार या बड़े नेता को दूसरी स्टेट से राज्यसभा सदस्य बनाना होगा, तभी पंजाब को प्रतिनिधित्व मिलने की आस की जा सकती है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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