यूपी में दिसंबर, 2023 से शुरू हुई 60244 सिपाहियों की भर्ती प्रक्रिया 15 जून को पूरी हो जाएगी। इसके बाद ट्रेनिंग का दौर चलेगा। यूपी पुलिस की सबसे बड़ी भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद ट्रेनिंग का शेड्यूल क्या होगा? कहां पोस्टिंग मिलेगी? सैलरी कब से मिलेगी? कब रेगुलर पोस्टिंग मिलेगी? इन सब सवालों को लेकर दैनिक भास्कर ने डीजीपी राजीव कृष्ण से बातचीत की। वह पुलिस भर्ती बोर्ड के चेयरमैन भी हैं। डीजीपी ने सारा शेड्यूल बताया। भर्ती प्रक्रिया में चुनौतियां क्या सामने आईं, इसे लेकर अपने अनुभव भी साझा किए… डीजीपी राजीव कृष्ण बताते हैं- ये भर्ती काफी चुनौतीपूर्ण थी। जब मुझे जिम्मेदारी मिली, उससे पहले एक के बाद एक कई पेपर या स्थगित हुए या पेपर लीक हुए थे। इस भर्ती की परीक्षा को पेपर लीक की वजह से कैंसिल करना पड़ा था। तमाम सवाल उठाए जा रहे थे। सिस्टम के खिलाफ पूरा माहौल बन गया था। फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बड़ी जिम्मेदारी मुझे सौंपी और खुद मानीटरिंग शुरू की। विश्वास पैदा करना जरूरी था
डीजीपी बताते हैं- सबसे पहले एसओपी बनाई। जहां-जहां से लीकेज की संभावना थी, उन सबको दूर किया। भर्ती से जुड़े अफसरों में विश्वास पैदा करना जरूरी था। काम के लिए जीरो एरर आउट कदम उठाए। एआई का भरपूर इस्तेमाल किया गया और इस भर्ती को पारदर्शिता के साथ पूरा करने में कामयाबी हासिल की। अगस्त, 2024 में सफलतापूर्वक परीक्षा कराने के बाद बाकी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए मार्च, 2025 में ही अंतिम परिणाम घोषित कर दिया था। उन्होंने बताया- सिपाही भर्ती खाली पदों के अनुसार की जाती है। पुलिस में कितनी वैकेंसी हैं? किस जिले में कितने सिपाही चाहिए? इसका ब्योरा तैयार कर डीजीपी हेड ऑफिस की स्थापना इकाई यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड को भेजती है। भर्ती बोर्ड वैकेंसी निकालता है, भर्ती प्रक्रिया शुरू करता है। आवेदन लेता है, परीक्षा के लिए एजेंसी का चयन करता है। परीक्षा कराता है, शारीरिक परीक्षण और दस्तावेजों का सत्यापन कराता है। इसके बाद चयनित अभ्यर्थियों की अंतिम सूची जारी करता है। 3 चरणों में होती है ट्रेनिंग
भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद डीजीपी मुख्यालय की स्थापना इकाई चयनित सिपाहियों को खाली पदों के अनुसार जिलों में भेजती है। यहीं से प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है, जो 3 चरणों में पूरी होती है। सबसे पहले प्रारंभिक प्रशिक्षण होता है, जिसे जेटीसी कहा जाता है। उसके बाद आरटीसी (रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर) और फिर व्यावहारिक प्रशिक्षण होता है। यह पूरी प्रक्रिया करीब 13 महीने की होती है। सबसे पहले एक महीने की जेटीसी में ट्रेनिंग
जिस जिले में जितनी वैकेंसी होती हैं, उसी के मुकाबले चयनित सिपाहियों को जिला आवंटित किया जाता है। उस जिले का एसपी सिपाही का नियोक्ता होता है। यानी एसपी नियुक्ति पत्र सौंपता है। इसके बाद उसी जिले में प्रारंभिक प्रशिक्षण होता है। इसे जेटीसी (जूनियर ट्रेनिंग सेंटर) के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रशिक्षण एक महीने का होता है। इस दौरान संबंधित सिपाही की वर्दी सिलवाई जाती है। उसके बैंक अकाउंट और ईएसआई अकाउंट खोले जाते हैं। वर्दी के पहनने के तौर-तरीके सिखाए जाते हैं। 9 महीने की आरटीसी में ट्रेनिंग
जेटीसी में ट्रेनिंग के बाद आरटीसी यानी रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर में 9 महीने का प्रशिक्षण होगा। इस दौरान पुलिस के कायदे-कानून सिखाए जाएंगे। फिजिकल ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें परेड भी शामिल है। यूपी में मौजूदा समय में कुल 11 संस्थागत ट्रेनिंग सेंटर हैं। इसमें मुरादाबाद में पुलिस अकादमी, जहां पीपीएस और आईपीएस अफसरों को ट्रेनिंग दी जाती है। मुरादाबाद और सीतापुर में 2 पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज (PTC) भी है। इसके अलावा मुरादाबाद, मेरठ, गोरखपुर, सुल्तानपुर, उन्नाव और जालौन में कुल 6 पुलिस ट्रेनिंग स्कूल (PTS) हैं। सीतापुर और मिर्जापुर में 2 आर्म्ड पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज व स्कूल शामिल हैं। इसके अलावा सभी 33 पीएसी बटालियन में स्थायी रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर और 67 जिलों में अस्थायी रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर बनाए गए हैं। 3 महीने का व्यावहारिक प्रशिक्षण
रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सिपाहियों को वापस उसी जिले में भेज दिया जाता है, जहां उन्हें नियुक्ति पत्र दिया गया था। यहां इनकी 3 महीने की व्यावहारिक ट्रेनिंग होती है। यह ट्रेनिंग थाने पर, पुलिस लाइन में और पुलिस कार्यालय में होती है। 3 महीने की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें उसी जिले में रेगुलर पोस्टिंग दे दी जाती है। पहले दिन से मिलने लगेगा वेतन
नियमों के मुताबिक, जॉइनिंग करते ही सिपाही को वेतन मिलने लगेगा। यह वेतन पूरे प्रशिक्षण के दौरान मिलेगा। वेतन जिस जिले से नियुक्ति पत्र मिला है, वहां से मिलेगा। पहली बार सभी की ट्रेनिंग एक साथ
राजीव कृष्ण बताते हैं- मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षण पर सबसे अधिक जोर दिया है। उन्होंने 8 साल में प्रशिक्षण की क्षमता 10 हजार से बढ़ाकर 60 हजार की है, जो ऐतिहासिक है। इससे पहले सबसे बड़ी 49 हजार सिपाही भर्ती भी योगी सरकार में 2018 में हुई थी। सीमित संसाधन के बीच उस समय केंद्रीय अर्धसैनिक बलों जैसे सीआरपीएफ, बीएसएफ, आरएएफ के ट्रेनिंग सेंटर की मदद लेनी पड़ी थी। लेकिन, इस बार सभी की ट्रेनिंग एक साथ कराई जा रही है। ——————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी पंचायत चुनाव से पहले BJP का बड़ा दांव, महाराजा सुहेलदेव के हिंदुत्व से साधा पूर्वांचल, जानिए राजभर समाज का कितना वोट बैंक हाथ में भाला, कंधे पर धनुष… यह उस पराक्रमी और हिंदुत्ववादी योद्धा की तस्वीर है, जिन्हें राजभर समाज अपना नायक मानती है। सीएम योगी ने मंगलवार को बहराइच में महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा का अनावरण किया। भाजपा ने पंचायत चुनाव से पहले हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने की कोशिश की है। पढ़ें पूरी खबर यूपी में दिसंबर, 2023 से शुरू हुई 60244 सिपाहियों की भर्ती प्रक्रिया 15 जून को पूरी हो जाएगी। इसके बाद ट्रेनिंग का दौर चलेगा। यूपी पुलिस की सबसे बड़ी भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद ट्रेनिंग का शेड्यूल क्या होगा? कहां पोस्टिंग मिलेगी? सैलरी कब से मिलेगी? कब रेगुलर पोस्टिंग मिलेगी? इन सब सवालों को लेकर दैनिक भास्कर ने डीजीपी राजीव कृष्ण से बातचीत की। वह पुलिस भर्ती बोर्ड के चेयरमैन भी हैं। डीजीपी ने सारा शेड्यूल बताया। भर्ती प्रक्रिया में चुनौतियां क्या सामने आईं, इसे लेकर अपने अनुभव भी साझा किए… डीजीपी राजीव कृष्ण बताते हैं- ये भर्ती काफी चुनौतीपूर्ण थी। जब मुझे जिम्मेदारी मिली, उससे पहले एक के बाद एक कई पेपर या स्थगित हुए या पेपर लीक हुए थे। इस भर्ती की परीक्षा को पेपर लीक की वजह से कैंसिल करना पड़ा था। तमाम सवाल उठाए जा रहे थे। सिस्टम के खिलाफ पूरा माहौल बन गया था। फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बड़ी जिम्मेदारी मुझे सौंपी और खुद मानीटरिंग शुरू की। विश्वास पैदा करना जरूरी था
डीजीपी बताते हैं- सबसे पहले एसओपी बनाई। जहां-जहां से लीकेज की संभावना थी, उन सबको दूर किया। भर्ती से जुड़े अफसरों में विश्वास पैदा करना जरूरी था। काम के लिए जीरो एरर आउट कदम उठाए। एआई का भरपूर इस्तेमाल किया गया और इस भर्ती को पारदर्शिता के साथ पूरा करने में कामयाबी हासिल की। अगस्त, 2024 में सफलतापूर्वक परीक्षा कराने के बाद बाकी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए मार्च, 2025 में ही अंतिम परिणाम घोषित कर दिया था। उन्होंने बताया- सिपाही भर्ती खाली पदों के अनुसार की जाती है। पुलिस में कितनी वैकेंसी हैं? किस जिले में कितने सिपाही चाहिए? इसका ब्योरा तैयार कर डीजीपी हेड ऑफिस की स्थापना इकाई यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड को भेजती है। भर्ती बोर्ड वैकेंसी निकालता है, भर्ती प्रक्रिया शुरू करता है। आवेदन लेता है, परीक्षा के लिए एजेंसी का चयन करता है। परीक्षा कराता है, शारीरिक परीक्षण और दस्तावेजों का सत्यापन कराता है। इसके बाद चयनित अभ्यर्थियों की अंतिम सूची जारी करता है। 3 चरणों में होती है ट्रेनिंग
भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद डीजीपी मुख्यालय की स्थापना इकाई चयनित सिपाहियों को खाली पदों के अनुसार जिलों में भेजती है। यहीं से प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है, जो 3 चरणों में पूरी होती है। सबसे पहले प्रारंभिक प्रशिक्षण होता है, जिसे जेटीसी कहा जाता है। उसके बाद आरटीसी (रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर) और फिर व्यावहारिक प्रशिक्षण होता है। यह पूरी प्रक्रिया करीब 13 महीने की होती है। सबसे पहले एक महीने की जेटीसी में ट्रेनिंग
जिस जिले में जितनी वैकेंसी होती हैं, उसी के मुकाबले चयनित सिपाहियों को जिला आवंटित किया जाता है। उस जिले का एसपी सिपाही का नियोक्ता होता है। यानी एसपी नियुक्ति पत्र सौंपता है। इसके बाद उसी जिले में प्रारंभिक प्रशिक्षण होता है। इसे जेटीसी (जूनियर ट्रेनिंग सेंटर) के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रशिक्षण एक महीने का होता है। इस दौरान संबंधित सिपाही की वर्दी सिलवाई जाती है। उसके बैंक अकाउंट और ईएसआई अकाउंट खोले जाते हैं। वर्दी के पहनने के तौर-तरीके सिखाए जाते हैं। 9 महीने की आरटीसी में ट्रेनिंग
जेटीसी में ट्रेनिंग के बाद आरटीसी यानी रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर में 9 महीने का प्रशिक्षण होगा। इस दौरान पुलिस के कायदे-कानून सिखाए जाएंगे। फिजिकल ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें परेड भी शामिल है। यूपी में मौजूदा समय में कुल 11 संस्थागत ट्रेनिंग सेंटर हैं। इसमें मुरादाबाद में पुलिस अकादमी, जहां पीपीएस और आईपीएस अफसरों को ट्रेनिंग दी जाती है। मुरादाबाद और सीतापुर में 2 पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज (PTC) भी है। इसके अलावा मुरादाबाद, मेरठ, गोरखपुर, सुल्तानपुर, उन्नाव और जालौन में कुल 6 पुलिस ट्रेनिंग स्कूल (PTS) हैं। सीतापुर और मिर्जापुर में 2 आर्म्ड पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज व स्कूल शामिल हैं। इसके अलावा सभी 33 पीएसी बटालियन में स्थायी रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर और 67 जिलों में अस्थायी रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर बनाए गए हैं। 3 महीने का व्यावहारिक प्रशिक्षण
रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सिपाहियों को वापस उसी जिले में भेज दिया जाता है, जहां उन्हें नियुक्ति पत्र दिया गया था। यहां इनकी 3 महीने की व्यावहारिक ट्रेनिंग होती है। यह ट्रेनिंग थाने पर, पुलिस लाइन में और पुलिस कार्यालय में होती है। 3 महीने की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें उसी जिले में रेगुलर पोस्टिंग दे दी जाती है। पहले दिन से मिलने लगेगा वेतन
नियमों के मुताबिक, जॉइनिंग करते ही सिपाही को वेतन मिलने लगेगा। यह वेतन पूरे प्रशिक्षण के दौरान मिलेगा। वेतन जिस जिले से नियुक्ति पत्र मिला है, वहां से मिलेगा। पहली बार सभी की ट्रेनिंग एक साथ
राजीव कृष्ण बताते हैं- मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षण पर सबसे अधिक जोर दिया है। उन्होंने 8 साल में प्रशिक्षण की क्षमता 10 हजार से बढ़ाकर 60 हजार की है, जो ऐतिहासिक है। इससे पहले सबसे बड़ी 49 हजार सिपाही भर्ती भी योगी सरकार में 2018 में हुई थी। सीमित संसाधन के बीच उस समय केंद्रीय अर्धसैनिक बलों जैसे सीआरपीएफ, बीएसएफ, आरएएफ के ट्रेनिंग सेंटर की मदद लेनी पड़ी थी। लेकिन, इस बार सभी की ट्रेनिंग एक साथ कराई जा रही है। ——————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी पंचायत चुनाव से पहले BJP का बड़ा दांव, महाराजा सुहेलदेव के हिंदुत्व से साधा पूर्वांचल, जानिए राजभर समाज का कितना वोट बैंक हाथ में भाला, कंधे पर धनुष… यह उस पराक्रमी और हिंदुत्ववादी योद्धा की तस्वीर है, जिन्हें राजभर समाज अपना नायक मानती है। सीएम योगी ने मंगलवार को बहराइच में महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा का अनावरण किया। भाजपा ने पंचायत चुनाव से पहले हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने की कोशिश की है। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
60244 सिपाहियों की ट्रेनिंग का शेड्यूल क्या?:DGP ने बताईं सबसे बड़ी चुनौतियां, जानिए कितने चरण में तैयार होंगे सिपाही
