<p>उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के आंदोलित अभ्यर्थी पिछले चार दिनों से भाजपा के ओबीसी नेताओं और गठबंधन सहयोगियों के आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे पहले अभ्यर्थियों ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, योगी सरकार के मंत्री आशीष पटेल और यूपी भाजपा प्रमुख भूपेंद्र चौधरी के घरों के बाहर भी प्रदर्शन किया था.</p>
<p>9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट इस मामले से जुड़ी पहली याचिका पर सुनवाई करने वाला है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की तीन-न्यायाधीशों की पीठ करेगी.</p>
<p>सामान्य वर्ग से चयनित अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिका में भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी शिकायतों के समाधान के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है. इस सुनवाई को चल रहे विवादों को सुलझाने और अभ्यर्थियों की चिंताओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.</p> <p>उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के आंदोलित अभ्यर्थी पिछले चार दिनों से भाजपा के ओबीसी नेताओं और गठबंधन सहयोगियों के आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे पहले अभ्यर्थियों ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, योगी सरकार के मंत्री आशीष पटेल और यूपी भाजपा प्रमुख भूपेंद्र चौधरी के घरों के बाहर भी प्रदर्शन किया था.</p>
<p>9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट इस मामले से जुड़ी पहली याचिका पर सुनवाई करने वाला है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की तीन-न्यायाधीशों की पीठ करेगी.</p>
<p>सामान्य वर्ग से चयनित अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिका में भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी शिकायतों के समाधान के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है. इस सुनवाई को चल रहे विवादों को सुलझाने और अभ्यर्थियों की चिंताओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Moradabad News: नाम बदलकर शादीशुदा युवती से की दोस्ती, दुष्कर्म कर धर्मांतरण का बनाया दबाव, FIR दर्ज
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नौकरियों में बोनस अंक का फैसला रद्द होने पर CM सैनी बोले, ‘रिव्यू पिटीशन लगाने की…’ <p style=”text-align: justify;”><strong>Supreme Court On Additional Marks:</strong> हरियाणा की बीजेपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने प्रदेश में सरकारी नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 फीसदी बोनस अंक देने पर रोक लगा दी है. इस बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि गरीब युवाओं के हित में 5 बोनस अंक के लिए रिव्यू पिटीशन लगाने की जरुरत पड़ी तो वो लगाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा, ”साल 2018 से चली आ रही नीति पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है. हम इसका सम्मान करते हैं. आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सीईटी परीक्षा पर कोई सवालिया निशान नहीं है. गरीब युवाओं के हित में 5 नंबर के लिए रिव्यू पिटीशन लगाने की जरूरत पड़ी तो लगाएंगे.”</p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”hi”>गरीब युवाओं के हित में 5 नंबर के लिए रिव्यू पेटिशन लगाने की जरूरत पड़ी तो लगाएंगे अगर विधानसभा मे बिल लेकर आना पड़ा तो वो भी लाएंगे जिन युवाओं को नौकरी मिली है किसी को भी निकलने नहीं दिया जाएगा।<br /><br />अगले 100 दिन में 50 हजार भर्तियां करेंगे। <a href=”https://t.co/mHlwJLsv17″>pic.twitter.com/mHlwJLsv17</a></p>
— Nayab Saini (@NayabSainiBJP) <a href=”https://twitter.com/NayabSainiBJP/status/1805215328869527691?ref_src=twsrc%5Etfw”>June 24, 2024</a></blockquote>
<p style=”text-align: justify;”>
<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अगले 100 दिन में 50 हजार भर्तियां करेंगे- सीएम सैनी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने आगे ये भी कहा, ”युवाओं के हित के लिए अगर विधानसभा में बिल लेकर आना पड़ा तो वो भी लाएंगे. जिन युवाओं को नौकरी मिली है किसी को भी निकलने नहीं दिया जाएगा. अगले 100 दिन में 50 हजार भर्तियां करेंगे. हम ये संकल्प लेते हैं कि उसे पूरा करेंगे. हमारी सरकार गरीबों के साथ खड़ी है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने क्या कहा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उधर, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट ने आज “सामाजिक-आर्थिक” मानदंडों के आधार पर कुछ पदों पर भर्ती में हरियाणा के निवासियों को 5 प्रतिशत अतिरिक्त अंक देने को खारिज कर दिया. इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को खारिज कर दिया था. अब उन छात्रों का क्या होगा? क्योंकि अगर यह मानदंड रद्द कर दिया गया है, तो उन नौकरियों की भी कोई प्रासंगिकता नहीं रह जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2022 की अधिसूचना को रद्द कर दिया गया था, जिसमें कुछ पदों पर भर्ती में हरियाणा के निवासियों को सामाजिक-आर्थिक मानदंडों पर 5 फीसदी अतिरिक्त अंक दिए गए थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”Gurugram: 35 वार्डों में डोर टू डोर कचरा उठाने का काम शुरू, शिकायत के लिए नंबर भी जारी” href=”https://www.abplive.com/states/punjab/gurugram-door-to-door-garbage-collection-system-started-in-35-wards-ann-2722490″ target=”_self”>Gurugram: 35 वार्डों में डोर टू डोर कचरा उठाने का काम शुरू, शिकायत के लिए नंबर भी जारी</a></strong></p>
लिफ्ट में फंसकर 15 साल के बच्चे की मौत:लखनऊ के शोरूम में तीसरी मंजिल पर फंसा पैर, अस्पताल ले जाते वक्त तोड़ा दम
लिफ्ट में फंसकर 15 साल के बच्चे की मौत:लखनऊ के शोरूम में तीसरी मंजिल पर फंसा पैर, अस्पताल ले जाते वक्त तोड़ा दम लखनऊ के सरोजनी नगर में शुक्रवार शाम लिफ्ट में फंसकर एक 15 वर्षीय बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई। घटना की जानकारी होने पर सरोजनी नगर पुलिस और फायर स्टेशन के कर्मचारी मौके पर पहुंचे। किसी तरह मृतक के शव को बाहर निकाल कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। पुलिस के अनुसार पीजीआई के वृंदावन योजना सेक्टर- 5 निवासी शैलेंद्र राजवंशी का 15 वर्षीय बेटा शरद राजवंशी एक माह से सफाई कर्मी के रूप में नौकरी कर रहा था। शुक्रवार शाम करीब 4 बजे वह तीसरी मंजिल से लिफ्ट के जरिए नीचे आ रहा था। तभी उसका पैर लिफ्ट में फंस गया। इससे बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया। अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। घटना की तीन तस्वीरें… एक महीने पहले ही शुरू किया था काम मूल रूप से लखीमपुर के गोला गोकरननाथ में रहने वाले व्यापारी सुरेश अग्रवाल की सरोजनी नगर के ट्रांसपोर्ट नगर में पांच मंजिला बिल्डिंग है। इस बिल्डिंग में अशोक लीलैंड की हमराही ऑटो नाम से तीन पहिया और चार पहिया वाहनों का शोरूम और एजेंसी है। शरद यहां पर पिछले 13 दिसम्बर 2024 से सफाईकर्मी के तौर पर काम करता था। दूसरी मंजिल पर रुकी लिफ्ट शरद किसी काम से तीसरी मंजिल से ग्राउंड फ्लोर पर जा रहा था। इस दौरान उसका पैर लिफ्ट में फंस गया। लिफ्ट दूसरी मंजिल पर पहुंचते ही रुक गई। काफी देर तक लिफ्ट ऊपर नीचे नहीं गई तो लोगों ने लिफ्ट मैन अनिल प्रजापति को इसकी सूचना दी। अनिल ने जब लिफ्ट चेक की तो दूसरी मंजिल पर शरद राजवंशी उसमें फंसा मिला। इसके बाद घटना की सूचना फायर स्टेशन और सरोजनीनगर पुलिस को दी गई। सूचना के बाद पहुंचे दमकल कर्मियों ने किसी तरह उसे बाहर निकाला। उसे लोकबंधु अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। किशोर को निकालने के लिए क्रेन की मदद ली लिफ्ट में फंसे घायल शरद को निकालने के लिए क्रेन की मदद ली गई। रेस्क्यू के दौरान लिफ्ट अचानक नीचे न चली जाए। इसके लिए क्रेन से लिफ्ट को रोके रखा गया। इसके बाद दमकल कर्मियों ने घायल किशोर को बाहर निकाला। शोरूम के लोग घटना के बाद भागे सुरेश अग्रवाल की एजेंसी और शोरूम में करीब 40 कर्मचारी काम करते हैं, लेकिन जब उन्हें घटना की जानकारी हुई तो सब वहां से भाग गए। मां बोली-हमको अस्पताल बुलाया मृतक किशोर की मां नैना राजवंशी ने बताया कि मेरे पति शैलेन्द्र राजवंशी की एक साल पहले एक्सीडेंट में घायल हो गए थे। इसके बाद से वे काम पर नहीं जाते थे। बेटे शरद ने करीब एक महीने पहले ही काम शुरू किया था। उन्होंने बताया कि मुझे उसके ऑफिस से फोन आया था। लोकबंधु अस्पताल बुलाया था। वहां जाकर देखा तो मेरे बेटे की मौत हो चुकी थी। नैना के तीन बच्चे हैं, जिनमें शरद सबसे बड़ा था। इसके बाद बेटा रणवीर (14) और बेटी (9) परी है। —————————
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लखनऊ में विधानसभा के बाहर सुसाइड करने पहुंचा परिवार: बच्चों पर डाला पेट्रोल; पुलिस ने पकड़ा तो कहा- साहब..मर जाने दो लखनऊ में विधानसभा के बाहर पति ने पत्नी और तीन बच्चों के साथ आत्मदाह करने की कोशिश की। वह 5 लीटर की पिपलिया में ढाई लीटर पेट्रोल लेकर पहुंचा था। पेट्रोल डालते देख विधानसभा के पास तैनात सुरक्षा कर्मी मौके पर पहुंचे। सभी को पकड़कर हजरतगंज थाने भेजा। यहां पूछताछ में उसने इलाके के दबंगों द्वारा परेशान करने का आरोप लगाया। उसने कहा- हमको मर जाने दो साहब। हम बहुत दुखी हैं। पूरी खबर पढ़ें…
साक्षी मलिक की किताब ‘विटनेस’ में बृजभूषण:कैंप में लड़कियों पर नजर रखवाते; गलत तरीके से छुआ, हाथ झटकने पर कहा- पिता जैसे छू रहा था
साक्षी मलिक की किताब ‘विटनेस’ में बृजभूषण:कैंप में लड़कियों पर नजर रखवाते; गलत तरीके से छुआ, हाथ झटकने पर कहा- पिता जैसे छू रहा था ‘रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का अध्यक्ष बनने के लिए बृजभूषण शरण सिंह ने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल किया। कहा ये भी जाता था कि उन्होंने अपने पक्ष में वोट डालने के लिए कई बड़े नेताओं की मदद ली। मुझे नहीं पता यह कितना सच है, लेकिन यह सच है कि 2012 में फेडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने चुन-चुनकर अपने समर्थकों और परिवार के सदस्यों को स्टेट फेडरेशन्स में जगह दिलाई। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हर बार नेशनल फेडरेशन का इलेक्शन वही जीते।’ ये अंश हैं रेसलिंग चैंपियन साक्षी मलिक की हाल ही में लॉन्च हुई किताब ‘विटनेस’ के…। किताब में पूरे दो चैप्टर में उन्होंने बृजभूषण के बारे में डिटेल में बताया है। एक में बृजभूषण के राजनीतिक रसूख, उनके बाहुबली और गैंगस्टर होने के चर्चे सहित उनके खिलाफ दर्ज केसों के बारे में जिक्र है। दूसरे चैप्टर ‘नो प्लेस टू हाइड’ में साक्षी मलिक ने उस घटना का जिक्र किया है, जब तत्कालीन रेसलिंग फेडरेशन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने उनका यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की थी। 2016 रियो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पहली भारतीय रेसलर साक्षी मलिक ने विटनेस नाम से अपनी ऑटोबायोग्राफी लिखी है। किताब 300 पन्नों की है। इसमें बृजभूषण शरण सिंह को लेकर उन्होंने क्या खुलासे किए हैं, सिलसिलेवार पढ़िए- चैप्टर 7: बृजभूषण, पेज नंबर: 81- 87 गोंडा के वोटर्स को लुभाने के लिए बृजभूषण ने नंदिनी नगर में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप कराना शुरू किया साक्षी मलिक बृजभूषण नाम के 7वें चैप्टर की शुरुआत बृजभूषण शरण सिंह के राजनीतिक रसूख और उनके 2012 में रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बनने के हालातों से करती हैं। इस चैप्टर में वो आगे बताती हैं कि जब पहली बार 2009 में वो जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा ले रही थीं, तब बृजभूषण शरण सिंह यूपी स्टेट रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष थे। बताती हैं कि ये चैंपियनशिप तब उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक नंदिनी नगर नाम के एक छोटे से गांव में हो रही थी। इस जगह पर ना रेलवे स्टेशन और ना ही रहने के लिए कोई सुविधा थी। सबसे नजदीक का गोंडा रेलवे स्टेशन वहां से 40 किमी दूर था। दूर-दूर तक वहां कोई भी जरूरत का सामान खरीदने के लिए एक दुकान तक नहीं थी। वो कहती हैं कि गोंडा जिले के एक पिछड़े और दूरदराज इलाके में चैंपियनशिप कराने की सिर्फ एक वजह थी, वो थी- बृजभूषण शरण सिंह। उन्होंने जोर देकर जूनियर नेशनल चैंपियनशिप अपने संसदीय क्षेत्र में शुरू कराई। नंदिनी नगर में खेल के लिए सुविधाएं नहीं, क्षेत्र के लोगों को लड्डू और मिठाइयां बांटी जाती वो लिखती हैं कि नंदिनी नगर, गोंडा के बीचों-बीच था। गोंडा के उस गांव में पहुंचना बहुत मुश्किल था। जब खुद पहली बार मैं गई तो मुझे ट्रेन की कनफर्म टिकट नहीं मिली थी। वो बताती हैं कि कैसे बिना टिकट गोंडा पहुंचने के बाद स्टेशन पर रात गुजारने के लिए मजबूर थीं। साक्षी मलिक कहती हैं- मैं पूरी रात गोंडा स्टेशन पर वॉशरूम के पास एक कंबल पर बैठकर रात काटी, क्योंकि जब रात में हम पहुंचे तो वहां आसपास रुकने के लिए कोई जगह नहीं थी। ऐसे में, वहीं रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोना पड़ा। वो बताती हैं कि वहां नेशनल लेवल की चैंपियनशिप कराना, टूर्नामेंट से ज्यादा एक पॉलिटिकल इवेंट होता था। ठीक वैसे ही जैसे हरियाणा में लोकल ऑर्गेनाइजर्स होड़ में दंगल का आयोजन करते हैं। बृजभूषण शरण सिंह के लिए गोंडा के नंदिनी नगर में यह आयोजन करना अपने वोटर्स के लिए संदेश होता था। कई बार सांसद रहने के नाते इस आयोजन के जरिए वह बताते कि वो कितने महत्वपूर्ण इंसान हैं। साक्षी मलिक कहती हैं- जूनियर नेशनल चैंपियनशिप एक स्कूल के ग्राउंड में चार मैट डालकर होते थे। ऊपर शामियाना लगा दिया। लेकिन बृजभूषण शरण सिंह इसके लिए आसपास के कई गांवों से लोगों को बुलाता और उन्हें मिठाई बांटी जाती। खिलाड़ियों के साथ फोटो खिंचाने के लिए मैच रुकवा देते थे साक्षी मलिक कहती हैं कि 2012 में बृजभूषण के लिए फेडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद रेसलिंग की जूनियर नेशनल चैंपियनशिप हर साल नंदिनी नगर में ही होने लगी। फेडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद वो जहां मैच होते, उसके सामने ऊंचे मंच पर सिंहासननुमा कुर्सी पर बैठते। एक हाथ में माइक पकड़े प्लेयर्स पर बीच-बीच में कमेंट किया करते। इसी में कभी-कभी गाली देने के साथ खिलाड़ियों से लेकर कोच और रेफरी तक को भला-बुरा कहते। अगर कोई जरूरी मैच है तो ऊंचे प्लेटफॉर्म से उतरकर नीचे आते और खिलाड़ियों के साथ फोटो लेते। इसके लिए वो चलते मैच को बीच में रुकवा देते। चाहे रिदम में आए खिलाड़ियों को रोकना हो या लेट हो, उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता था। साक्षी मलिक कहती हैं कि बृजभूषण शरण सिंह तब बहुत अमीर थे। वो चाहते तो टूर्नामेंट को और बेहतर ढंग से करा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। तब कोई शिकायत भी नहीं करता था, क्योंकि सबको लगता नेशनल टूर्नामेंट ऐसे ही होते हैं। प्रेसिडेंट बनने पर कैंप में लड़कियां क्या कर रहीं, ये बताने के लिए फिजियो रखे साक्षी मलिक इसी चैप्टर में बृजभूषण शरण सिंह के रेसलिंग फेडरेशन का 2012 में नेशनल प्रेसिडेंट बनने के बाद के व्यवहार को बताती हैं। वो कहती हैं- प्रेसिडेंट बनने के बाद बृजभूषण इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन के लिए नेशनल कैंप में होने वाले सिलेक्शन ट्रायल को देखने के लिए अक्सर आने लगे। लेकिन, वहां जल्द ही सभी लड़कियों को इस बात की भनक लग गई कि वहां उनका आना मात्र रेसलिंग तक सीमित नहीं था। वो मैच देखते फिर लड़कियों के साथ हद से ज्यादा घुलने-मिलने की कोशिश करते। कुछ लड़कियों को वो अपनी नजर पर चढ़ा लेते। उनके बारे में फिर वो हर बात जानना चाहते। यहां तक कि नेशनल कैंप में कुछ फिजियोथेरेपिस्ट ऐसे थे, जिनका एकमात्र काम बृजभूषण शरण सिंह को ये बताना था कि वो लड़कियां क्या कर रही हैं। क्या वो ट्रेनिंग कर रही हैं, या कैंप से बाहर ट्रैवल कर रहीं या किसी को डेट कर रही हैं। चैप्टर: 7, पेज नंबर: 86 जूनियर एशियन चैंपियनशिप ट्रायल में सिलेक्शन पर बृजभूषण की नजर मुझ पर पड़ी साक्षी मलिक बताती हैं कि कुछ लड़कियां बृजभूषण के अटेंशन को इंजॉय करती थीं। ऐसे में, बाद में बाहर के देशों में ट्रेनिंग कैंप में भेजना हो या एक्सपोजर वाले कॉम्पिटिशन में, इन लड़कियों का नाम दिखाई देने लगा। साक्षी मलिक कहती हैं- 2012 में मैंने जूनियर एशियन चैंपियनशिप का ट्रायल जीत लिया। तब बृजभूषण की नजर मुझ पर पड़ी। मेरे जीतने के बाद पास आकर कहा- यहां आओ मेरी बंदर। उसके बाद वो मुझे जब भी देखते बंदर बुलाते। मैंने उन्हें बंदर कहने से कई बार मना भी किया। ट्रायल मैच जीतने के कुछ हफ्तों के भीतर ही मेरे फोन पर उनका कॉल आया। पूछने लगे मुझे किसी चीज की जरूरत तो नहीं है। कहा- तुम अच्छी रेसलर हो, मैं तुम्हारे लिए प्रोटीन सप्लिमेंट्स भेजूंगा। साक्षी मलिक आगे बताती हैं- जब मैंने उनकी बातों को तवज्जों नहीं दी, तब उन्होंने कहा- मुझसे बात करती रहा करो। जब तक तुम मेरी बात मानोगी मैं तुम्हें बहुत आगे ले जाऊंगा। साक्षी आगे कहती हैं कि पहले तो कॉल्स कम आए, फिर वो धीरे-धीरे बढ़ने लगे। फिर वो रुके ही नहीं। कभी मेरे फोन पर कॉल करते, कभी फिजियोथेरेपिस्ट धीरेंद्र प्रताप सिंह को कॉल करते, फिर उन्हें मेरे पास बात कराने के लिए भेजते। कुछ ही समय बाद मेरी मां के फोन पर कॉल करने लगे। वो नहीं उठातीं तो बार-बार उन्हें फोन करते। मेरी मां को पता था बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। अपने इलाके के गैंगस्टर हैं। ऐसे में, मां उनसे जितना हो सकता था, विनम्र होकर बात करतीं। मां को डर लगा रहता कि कहीं वो मेरे खेल और करियर को नुकसान न पहुंचाएं। चैप्टर 8: नो प्लेस टू हाइड, पेज नंबर: 88- 94 कजाकिस्तान में एशियन जूनियर चैंपियन बनने के बाद की कहानी कजाकिस्तान के अल्माटी में 2012 में एशियन जूनियर चैंपियनशिप हुई। ये वही जगह और घटनास्थल है, जहां बृजभूषण पर साक्षी मलिक ने यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। साक्षी मलिक किताब में इस पूरी घटना का एक अलग चैप्टर में जिक्र करती हैं। उस दिन उनके एशियन जूनियर चैंपियनशिप जीतने और उसके बाद हुए यौन उत्पीड़न का जिक्र मिनट-दर-मिनट बताती हैं। पोडियम से उतरते ही पास आकर कहा- मैंने भगवान से तुम्हें गोल्ड मेडल देने के लिए कहा था साक्षी मलिक चैप्टर की शुरुआत में ही कहती हैं- एशियन जूनियर चैंपियनशिप जीतना मेरे स्पोर्टिंग करियर का हाईलाइट होना चाहिए था, लेकिन यह मेरी जिंदगी का सबसे खौफनाक पल साबित हुआ। वो बताती हैं कि जापान-चीन, दुनिया की टॉप रेसलर्स को हराकर मैं एशियन जूनियर चैंपियन बनी थी। ये मेरे रेसलिंग करियर की तब सबसे बड़ी जीत थी। फिर मैं जैसे ही पोडियम से उतरी बृजभूषण शरण सिंह खुद खड़े थे। उनके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी। वो बोले- मैंने भगवान से तुम्हें गोल्ड मेडल देने के लिए कहा था। कुछ अजीब तरह से अपने गले की लॉकेट वाली सोने की मोटी चेन दिखाते हुए कहा- इसमें हनुमान जी की तस्वीर थी, वो तुम्हारे मैच जीतते ही खो गई। भगवान ने मेरा लॉकेट ले लिया और तुम्हें गोल्ड मेडल दिया। साक्षी मलिक इस घटना को लेकर कहती हैं कि ऐसा लगा जैसे वो मुझे ये सोचने के लिए मजबूर करना चाह रहे थे कि मेरे गोल्ड मेडल जीतने में उनका कोई रोल हो। उस समय मुझे समझ नहीं आया क्या बोलूं, लेकिन ये साफ था कि वो इसी बहाने मुझसे जरूरत से ज्यादा मेल-जोल बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। मुझे ये भी पता था कि इस समय जो होने वाला है, उसे मैं सिर्फ टाल रही हूं। मुझे पता था कि एक दिन ये मुझे अपने कमरे में बुलाकर उत्पीड़न कर सकते हैं। लड़कियों को होटल रूम में बुलाते, उन्हें मजबूर कर उत्पीड़न करने की कहानियां चर्चा में रहतीं कैंप में पहले से ये अफवाहें थी कि कैसे वो कुछ लड़कियों को होटल के कमरे में बुलाकर उन्हें मजबूर करते थे। ये सब सुनकर हमेशा से ही एक डर था, लेकिन मैं खेल पर ध्यान देकर इन बातों को भुला देती। वो लिखती हैं कि एशियन जूनियर चैंपियनशिप जीतने पर वो डर आखिरकार सामने आ ही गया। मुझे बधाई देने के बाद वो अपने कमरे में चले गए। मैं अपने रूममेट के साथ अपने कमरे में आ गई। यौन उत्पीड़न की कोशिश की, धक्का देने और रोने पर कहा- पापा जैसे पकड़ा मेरे रूम में आने के बाद उन्होंने फिजियोथेरेपिस्ट धीरेंद्र प्रताप सिंह को मेरे पास भेजकर कहलवाया कि मुझे उनके रूम में जाना चाहिए, ताकि वो मेरे पेरेंट्स को फोन कर सकें। मैं सोचने लगी क्या करूंगी, अगर वो कुछ करने की कोशिश करें। मैं खुद से कहने लगी, अगर वो ऐसा-ऐसा बोलेंगे तो मैं ये-ये जवाब दूंगी। अगर मुझे जबरदस्ती पकड़ने की कोशिश करेंगे तो उन्हें ढकेलकर घूसा मार दूंगी। जितनी चीजें हो सकती थीं, मैंने अपने दिमाग में सोच ली। फिजियो धीरेंद्र प्रताप सिंह अपने साथ मुझे उनके कमरे तक लेकर गया और वहां से चला गया। वहां, बृजभूषण शरण सिंह ने पहले मेरे पेरेंट्स को फोन किया। यहां तक सब ठीक था। लेकिन फोन रखते ही जब मैं उसके बिस्तर पर बैठी थी, उसने मुझे मोलेस्ट करने की कोशिश की। मैंने तुरंत जोर से उसे धक्का मारा और रोने लगी। इतने पर वह (बृजभूषण) पीछे हटा। साक्षी मलिक लिखती हैं- शायद उसे यह एहसास हो गया था कि जैसा वो चाहता है, मैं वैसा नहीं होने दूंगी। वो कहने लगे मैंने तुम्हे ‘पापा जैसे’ पकड़ा। लेकिन मुझे पता था ऐसा कुछ भी नहीं था। मैं उसके कमरे से रोते हुई भागी और अपने कमरे में आई। अपने कमरे में वापस आकर मैं शॉक थी। मुझे अपने से घिन आ रही थी। किसी ने मेरे साथ गलत करने की कोशिश की। इसके साथ ये भी डर बैठ गया कि मैंने मना किया, इसलिए वो मेरा रेसलिंग करियर खत्म कर सकता है। सिर्फ कुछ लोगों को बता सकी, सालों तक खुद को दोषी मानती रही साक्षी मलिक ने अपनी किताब में कजाकिस्तान के अल्माटी में हुई इस घटना के बाद उससे उबरने और सामना करने के अपने संघर्षों को बताया है। कैसे सालों तक उन्हें लगा कि इस पूरी घटना में उनका दोष है। वो नजर पर चढ़ीं, इस वजह से ऐसा हुआ। पर बाद में एहसास हुआ कि चाहे मैं कुछ भी करती, सामने वाला इंसान अगर वैसा ही है तो आपके साथ वह वही व्यवहार करेगा। वो बताती हैं कि उन्हें करीब 4 साल लग गए, इस बात को स्वीकार करने में कि कजाकिस्तान में उस रात आखिर क्या और कैसे हो गया। इस घटना के बाद कैसे वो अपने मैच और प्रैक्टिस पर फोकस नहीं कर पा रही थीं, इस बारे में भी बताया। वो बताती हैं कि उस घटना के बाद डोमेस्टिक कॉम्पिटिशन के लिए मैं फैमिली मेंबर के साथ आया-जाया करती। मुझमें अकेले कहीं जाने की हिम्मत नहीं रह गई थी। वो कहती हैं कि मुझे अब समझ आता है कि कुछ लड़कियों के पेरेंट्स क्यों उन्हें नेशनल कैंप के बाहर रखते हैं। इस घटना के बाद सालों तक मैं ये जताती रही कि सब सामान्य है, लेकिन सच्चाई ये है कि डर और घबराहट ने कई सालों तक पीछा नहीं छोड़ा। इस घटना के कई सालों बाद मैं बृजभूषण से सामान्य ढंग से बात कर पाने की स्थिति में आई। ———————— ये भी पढ़ें… बृजभूषण को पासपोर्ट में नवीनीकरण को लेकर के मिली अनुमति:यौन-शोषण मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में हुई सुनवाई, एक गवाह को समन जारी महिला पहलवानों से जुड़े यौन शोषण मामलों को लेकर आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। जहां पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की अर्जी पर कोर्ट द्वारा पासपोर्ट में नवीनीकरण को लेकर के अनुमति दे दी गई है। नवीनीकरण की अनुमति मिलने के बाद अब बृजभूषण शरण सिंह एक साल के लिए अपना पासपोर्ट नवीनीकरण करा सकते हैं। वहीं दो पीड़ितों ने अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए एक नए वकील को नियुक्त किया है। पुराने अधिवक्ता को हटाने के लिए पीड़ितों ने एक अर्जी दी थी। अब अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी। पढ़ें पूरी खबर…