हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित संजौली मस्जिद विवाद में आज जिला अदालत में सुनवाई होगी। नगर निगम शिमला कमिश्नर कोर्ट के फैसले को ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन ने अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय में याचिका दाखिल कर चुनौती दे रखी है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पूछा कि संजौली मस्जिद कमेटी प्रधान मोहमद लतीफ मस्जिद प्रधान के तौर पर वक्फ बोर्ड से ऑथराइज्ड है या नहीं? वक्फ बोर्ड को आज अदालत में इसका जवाब देना है। बता दें कि नगर निगम आयुक्त के कोर्ट ने 5 अक्टूबर के संजौली मस्जिद के तीन फ्लोर को हटाने के आदेशों को मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी ने चुनौती दे रखी है। एसी कोर्ट के इस फैसले को वेलफेयर सोसाइटी ने डिफैक्टिड बताया है। 5 अक्टूबर को आया था नगर निगम आयुक्त कोर्ट का फैसला संजौली मस्जिद मामले में MC आयुक्त कोर्ट ने बीते 5 अक्टूबर को फैसला सुनाया था। कोर्ट ने मस्जिद की 3 अवैध मंजिल हटाने के आदेश दिए थे। इसके बाद मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को हटाने का काम भी शुरू कर दिया है। मस्जिद की एटिक यानी छत को हटाने का काम पूरा हो गया है। अब टॉप की मंजिल की दीवारों को तोड़ा जाना है। इस बीच मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने कोर्ट में मामले को चुनौती दी है। संजौली मस्जिद कमेटी अपने खर्चे पर ऊपर की 3 मंजिल तुड़वाने का काम कर रही है। हाईकोर्ट ने 8 सप्ताह में मामले को निपटाने के आदेश दिए शिमला MC आयुक्त की कोर्ट में यह केस 2010 से चल रहा है। इसे देखते हुए लोकल रेजिडेंट ने 21 अक्टूबर को एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की और जल्दी फैसला सुनाने के लिए MC आयुक्त को निर्देश देने का आग्रह किया। इस पर हिमाचल हाईकोर्ट ने MC आयुक्त को 8 सप्ताह के भीतर केस निपटाने के आदेश दिए। इन आदेशों के अनुसार, MC आयुक्त को 20 दिसंबर तक संजौली मस्जिद का केस निपटाना है। संजौली मस्जिद से पूरे प्रदेश में हुआ था विवाद संजौली मस्जिद के कारण पूरे प्रदेश में बवाल मचा था। शिमला के बाद सोलन, मंडी, कुल्लू और सिरमौर जिला में भी जगह-जगह मस्जिद मामले में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किए और अवैध रूप से बनी मस्जिदों को गिराने की मांग उठाई। इससे पूरे प्रदेश में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इस बीच बीते 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी ने खुद नगर निगम आयुक्त से मिलकर अवैध रूप से बनी ऊपर की मंजिल को हटाने की पेशकश की। इसके बाद हिंदू संगठन शांत हुए। निगम आयुक्त के मस्जिद की तीन मंजिल तोड़ने के आदेशों के बाद यह मामला पूरी तरह शांत हो गया। हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित संजौली मस्जिद विवाद में आज जिला अदालत में सुनवाई होगी। नगर निगम शिमला कमिश्नर कोर्ट के फैसले को ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन ने अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय में याचिका दाखिल कर चुनौती दे रखी है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पूछा कि संजौली मस्जिद कमेटी प्रधान मोहमद लतीफ मस्जिद प्रधान के तौर पर वक्फ बोर्ड से ऑथराइज्ड है या नहीं? वक्फ बोर्ड को आज अदालत में इसका जवाब देना है। बता दें कि नगर निगम आयुक्त के कोर्ट ने 5 अक्टूबर के संजौली मस्जिद के तीन फ्लोर को हटाने के आदेशों को मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी ने चुनौती दे रखी है। एसी कोर्ट के इस फैसले को वेलफेयर सोसाइटी ने डिफैक्टिड बताया है। 5 अक्टूबर को आया था नगर निगम आयुक्त कोर्ट का फैसला संजौली मस्जिद मामले में MC आयुक्त कोर्ट ने बीते 5 अक्टूबर को फैसला सुनाया था। कोर्ट ने मस्जिद की 3 अवैध मंजिल हटाने के आदेश दिए थे। इसके बाद मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को हटाने का काम भी शुरू कर दिया है। मस्जिद की एटिक यानी छत को हटाने का काम पूरा हो गया है। अब टॉप की मंजिल की दीवारों को तोड़ा जाना है। इस बीच मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने कोर्ट में मामले को चुनौती दी है। संजौली मस्जिद कमेटी अपने खर्चे पर ऊपर की 3 मंजिल तुड़वाने का काम कर रही है। हाईकोर्ट ने 8 सप्ताह में मामले को निपटाने के आदेश दिए शिमला MC आयुक्त की कोर्ट में यह केस 2010 से चल रहा है। इसे देखते हुए लोकल रेजिडेंट ने 21 अक्टूबर को एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की और जल्दी फैसला सुनाने के लिए MC आयुक्त को निर्देश देने का आग्रह किया। इस पर हिमाचल हाईकोर्ट ने MC आयुक्त को 8 सप्ताह के भीतर केस निपटाने के आदेश दिए। इन आदेशों के अनुसार, MC आयुक्त को 20 दिसंबर तक संजौली मस्जिद का केस निपटाना है। संजौली मस्जिद से पूरे प्रदेश में हुआ था विवाद संजौली मस्जिद के कारण पूरे प्रदेश में बवाल मचा था। शिमला के बाद सोलन, मंडी, कुल्लू और सिरमौर जिला में भी जगह-जगह मस्जिद मामले में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किए और अवैध रूप से बनी मस्जिदों को गिराने की मांग उठाई। इससे पूरे प्रदेश में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इस बीच बीते 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी ने खुद नगर निगम आयुक्त से मिलकर अवैध रूप से बनी ऊपर की मंजिल को हटाने की पेशकश की। इसके बाद हिंदू संगठन शांत हुए। निगम आयुक्त के मस्जिद की तीन मंजिल तोड़ने के आदेशों के बाद यह मामला पूरी तरह शांत हो गया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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नाथपा के जलाशय का वाटर लेवल 1495 मीटर है, जो कि 1493 मीटर तक भर गया। इसका डेंजर लेवल 1495.5 मीटर है। यानी नाथपा का जलाशय खतरनाक स्तर से मात्र 2.5 मीटर कम रह गया है। कड़छम बांध के जलाशय का वाटर लेवल भी 1809 मीटर पहुंच गया है, जबकि इसका डेंजर लेवल 1812 मीटर है। मतलब खतरनाक स्तर से मात्र तीन मीटर कम रह गया है। चमेरा का वाटर लेवल खतरनाक स्तर से 5 मीटर कम
चमेरा-2 परियोजना का जलाशय भी 1157 मीटर भर चुका है। इसका डेंजर लेवल 1162 मीटर है। इसका जलाशय अब पांच मीटर ही भरने को रह गया है। यही स्थिति दूसरी नदियों पर बने बांध की भी है। जिन नदियों का पानी ग्लेशियर पर निर्भर है, उनका पानी पहले ही खतरनाक स्तर के आसपास पहुंच गया है, क्योंकि हिमाचल में इस बार रिकॉर्डतोड़ गर्मी पड़ी है। इससे ग्लेशियर तेजी से मेल्ट हुए हैं। हालांकि ग्लेशियर मेल्ट को लेकर हिमाचल पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग स्टडी कर रहा है और इसकी रिपोर्ट आनी बाकी है। भाखड़ा बांध का जलाशय अभी 31.47 मीटर खाली
BBMB के भाखड़ा बांध का जलाशय अभी भी 31.47 मीटर खाली है। इसके जलाशय का वाटर लेवल 512.07 मीटर है, जबकि अभी यह 483.64 मीटर भर पाया है। इसका डेंजर लेवल 515.11 मीटर है। पौंग बांध का जलाशय भी लगभग 28 मीटर खाली है। पौंग के जलाशय की क्षमता 423.67 मीटर है, जबकि अभी यह 398.102 मीटर भरा है। इसका डेंजर लेवल 433.12 मीटर है। मानसून की बारिश से पहले बांध पानी से लबालब
प्रदेश में बेशक मानसून ने एंट्री दी है। मगर अब तक शिमला और सोलन के अलावा अन्य जिलों में अच्छी बारिश नहीं हुई। फिर भी बांधों के जलाशय पहले से लबालब भर गए है। बरसात में ये दोनों डैम भी पूरी तरह भर जाएंगे।
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हिमाचल CM सुक्खू दिल्ली रवाना:हाईकमान से टिकट को लेकर करेंगे चर्चा; उप चुनाव के प्रत्याशियों का ऐलान संभव
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