हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के लाखों लोगों के लिए राहत भरी खबर है। सुक्खू सरकार राधा स्वामी सत्संग अस्पताल भोटा की भूमि हस्तांतरित करने के लिए विधानसभा सत्र से पहले ऑर्डिनेंस लाने जा रही है। यह बात सीएम सुक्खू ने रविवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राधा स्वामी सत्संग हॉस्पिटल भोटा की भूमि को हस्तांतरित करने के लिए प्रदेश सरकार विधानसभा सत्र से पहले ऑर्डनेंस लाएगी। सीएम सुक्खू ने कहा कि यह एक चैरिटेबल संस्था है। हमीरपुर के लोगों का यह मुफ्त और कम दरों पर इलाज करती है। लेकिन संस्था को अस्पताल अपग्रेड करने पर नए उपकरणों को खरीदने के लिए भारी GST भरना पड़ रहा है । इसलिए संस्था ने अस्पताल की भूमि को सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन के नाम पर हस्तांतरित करने की इच्छा जाहिर की है। ऐसे में सरकार उनको चैरिटेबल संस्था होने के नाते उन्हें राहत देने पर विचार कर रही है। ऑर्डिनेंस लाएगी सरकार- सीएम सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राधा स्वामी सत्संग अस्पताल भोटा के प्रबंधन को भूमि सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन को हस्तांतरित करने में 1972 का लैंड सीलिंग एक्ट के तहत दिक्कत आ रही है। सरकार उनको छूट देने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी कानूनी पहलुओं को ध्यान में रख कर विधानसभा सत्र से पहले ऑर्डिनेंस लाएगी। क्या है पूरा मामला बता दें कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल हमीरपुर के भोटा में अस्पताल चला रहा है। लेकिन प्रबधंन को हस्पताल अपग्रेड करना चाहता है । इसको अपग्रेड करने के लिए नए उपकरण खरीदने है, लेकिन उपकरण को खरीदने के लिए भारी भरकम GST चुकाना पड़ रहा है। जिससे बचने के लिए संस्था अपनी भूमि को अपने सिस्टर महाराज जगजीत सिंह रिलीफ सोसाइटी के नाम हस्तांतरित करना चाहती है । लेकिन उसमें कुछ हिमाचल के कानूनी अड़चने आड़े आ रही थी। सत्संग ने इसको दूर करने के लिए सरकार के समक्ष इच्छा जाहिर की थी। रविवार को सीएम सुक्खू ने प्रबंधन को रियायत देने के संकेत दे दिए है। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के लाखों लोगों के लिए राहत भरी खबर है। सुक्खू सरकार राधा स्वामी सत्संग अस्पताल भोटा की भूमि हस्तांतरित करने के लिए विधानसभा सत्र से पहले ऑर्डिनेंस लाने जा रही है। यह बात सीएम सुक्खू ने रविवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राधा स्वामी सत्संग हॉस्पिटल भोटा की भूमि को हस्तांतरित करने के लिए प्रदेश सरकार विधानसभा सत्र से पहले ऑर्डनेंस लाएगी। सीएम सुक्खू ने कहा कि यह एक चैरिटेबल संस्था है। हमीरपुर के लोगों का यह मुफ्त और कम दरों पर इलाज करती है। लेकिन संस्था को अस्पताल अपग्रेड करने पर नए उपकरणों को खरीदने के लिए भारी GST भरना पड़ रहा है । इसलिए संस्था ने अस्पताल की भूमि को सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन के नाम पर हस्तांतरित करने की इच्छा जाहिर की है। ऐसे में सरकार उनको चैरिटेबल संस्था होने के नाते उन्हें राहत देने पर विचार कर रही है। ऑर्डिनेंस लाएगी सरकार- सीएम सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राधा स्वामी सत्संग अस्पताल भोटा के प्रबंधन को भूमि सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन को हस्तांतरित करने में 1972 का लैंड सीलिंग एक्ट के तहत दिक्कत आ रही है। सरकार उनको छूट देने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी कानूनी पहलुओं को ध्यान में रख कर विधानसभा सत्र से पहले ऑर्डिनेंस लाएगी। क्या है पूरा मामला बता दें कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल हमीरपुर के भोटा में अस्पताल चला रहा है। लेकिन प्रबधंन को हस्पताल अपग्रेड करना चाहता है । इसको अपग्रेड करने के लिए नए उपकरण खरीदने है, लेकिन उपकरण को खरीदने के लिए भारी भरकम GST चुकाना पड़ रहा है। जिससे बचने के लिए संस्था अपनी भूमि को अपने सिस्टर महाराज जगजीत सिंह रिलीफ सोसाइटी के नाम हस्तांतरित करना चाहती है । लेकिन उसमें कुछ हिमाचल के कानूनी अड़चने आड़े आ रही थी। सत्संग ने इसको दूर करने के लिए सरकार के समक्ष इच्छा जाहिर की थी। रविवार को सीएम सुक्खू ने प्रबंधन को रियायत देने के संकेत दे दिए है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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इस दौरान शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि टीबी जैसी बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि, सतर्कता और बेहतर समझ की जरूरत है। इस बीमारी का इलाज संभव है। स्वास्थ्य विभाग के प्रयास से लोग टीबी को मात देकर नई जिंदगी जी रहे हैं। धीरे-धीरे टीबी के मरीजों की संख्या कम होने लगी है। लेकिन अभी भी बीमारी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। 100 दिवसीय निक्षय शिविर अभियान समाज को नई दिशा देगा। साथ ही, जनप्रतिनिधि निक्षय मित्र के रूप में समाज में काम करेंगे तो बहुत तेजी से सकारात्मक परिणाम आने लगेंगे। शिमला में 1800 टीबी मरीज
शिमला जिला में 1800 के करीब टीबी के मरीज है। इनमें से 90 फीसदी मरीज टीबी को हरा कर नई जिंदगी जी रहे है। टीबी चैंपियनों ने अपनी हिम्मत नहीं हारी, इस वजह से अंत में बीमारी को ही हारना पड़ा। इन्हीं में से कुछ ऐसे टीबी चैंपियन भी है जो कि अब समाज में टीबी के खिलाफ जागरूकता अभियान में अग्रणी भूमिका निभा रहे है।