झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात जिंदा जल गए। बाद में 7 और बच्चों की जान चली गई। अब अफसर इस घटना को हादसा बताने में लगे हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने सच जानने के लिए वहां 5 दिन तक इंवेस्टिगेशन किया। डॉक्टर और कर्मचारियों से हिडन कैमरे पर बात की। एक-एक सबूत जुटाए। निकलकर आया, यह हादसा नहीं…सरकारी सिस्टम ने मासूमों की जान ली है। जिस भाजपा नेता की कंपनी के पास इलेक्ट्रीशियन सप्लाई का जिम्मा है, वो सफाई कर्मचारियों और वार्ड बॉय से इलेक्ट्रीशियन का काम करा रही है। आग लगने से करीब 2 महीने पहले भी स्पॉर्किंग हुई थी, जिसे वार्ड बॉय ने ठीक किया था। कमीशनखोरी के चक्कर में घटिया क्वालिटी की वायरिंग कराई गई। वायरिंग में खराब सामान लगाने पर 6 महीने पहले हुए ऑडिट में सवाल भी उठाए गए थे, लेकिन उसे सुधारा नहीं गया। नतीजा…शॉर्ट सर्किट हुआ और17 मासूमों की जानें गईं। 17 नवजातों की मौत के पीछे सरकारी सिस्टम दोषी है, सिलसिलेवार पढ़िए इंवेस्टिगेशन… हमने इलेक्ट्रीशियन कमलेश कुमार से हिडन कैमरे पर बात की, जिसकी हादसे वाली रात स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU) में ड्यूटी थी। कमलेश मूलत: वार्ड बॉय है और आउटसोर्स कर्मचारी है। उसने बताया- रोज वार्ड में नहीं जाना होता है। जब कभी कंप्लेन आती है, तब जाते हैं। एक-डेढ़ महीने पहले कंप्लेन आई थी कि सॉकेट ढीला होकर स्पार्क कर रहा है। तब हमने जाकर उसे ठीक कर दिया था। कमलेश ने बताया, 2015 में वह बतौर वार्ड बॉय मैनपावर कंपनी ‘बाजपेयी ट्रेडर्स’ के जरिए भर्ती हुआ था। धीरे-धीरे उसे जनरेटर पर रखा गया। वह इलेक्ट्रीशियन का काम सीख गया। इसके बाद उसे इलेक्ट्रीशियन का काम दे दिया गया। अभी वह SNCU में इलेक्ट्रीशियन के तौर पर है। हमने कमलेश से पूछा कि कहीं इलेक्ट्रीशियन के लिए कोई ट्रेनिंग ली है या फिर कोई डिग्री? कमलेश ने बताया, हम बस 8वीं पास हैं। कमलेश ने हमें एक आई-कार्ड भी दिखाया, जिस पर बाजपेयी ट्रेडर्स और नीचे कमलेश का नाम लिखा था। पद के सामने इलेक्ट्रीशियन लिखा था। वह किस सुपरवाइजर के अंडर में काम करता है, इसकी जानकारी उसे नहीं। न ही उसे पता है कि बाजपेयी ट्रेडर्स में कौन-कौन हैं? वह सिर्फ इंजीनियर संजीत कुमार को जानता है। कमलेश से बात करने के बाद हम सुपर स्पेशलिटी सेंटर पहुंचे। वहां हमारी मुलाकात एक लिफ्ट मैन से हुई। उसने हमें बताया- यहां मैनपावर को लेकर दो कंपनियां काम कर रही हैं। उनके कर्मचारियों से छोटा-मोटा कोई भी काम कराया जाता है। जैसे कोई लाइट का काम देखता है, तो कोई जनरेटर का काम। कुछ लड़के हमारे साथ लिफ्ट में भी काम कर रहे हैं। तभी इलेक्ट्रीशियन बृजेश राठी आ गए। हमने उनसे पूछा कि कई कर्मचारी कह रहे हैं कि वह तो वार्ड बॉय के पद पर हैं। ऐसे में वह इलेक्ट्रीशियन का काम कैसे करेंगे। बृजेश कहते हैं- बाजपेयी ट्रेडर्स वाले वार्ड बॉय के नाम से कर्मचारी तो रखते हैं। लेकिन, किसी को अगर बिजली का काम आता है या फिर डिप्लोमा है, तो व्यवस्था बनाने के लिए उनसे काम लेते हैं। बृजेश राठी के साथ ही काम कर रहे राजनाथ भी ऑल सर्विसेस ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड से सफाई कर्मचारी के पद पर है, लेकिन काम इलेक्ट्रीशियन का करता है। हमारी इंवेस्टिगेशन में निकलकर आया कि पूरा कंट्रोल JE संजीत कुमार के हवाले है। इनके नीचे 3 परमानेंट इलेक्ट्रीशियन हैं। इन इलेक्ट्रीशियन के नीचे अलग-अलग वार्ड में तीन शिफ्ट में एक व्यक्ति जनरेटर का और एक व्यक्ति इलेक्ट्रीशियन का काम देखता है। ो लोग आउटसोर्स किए गए हैं। भाजपा नेता की 5 कंपनियां कर रही हैं आउटसोर्सिंग का काम
आउटसोर्स मैनपावर की सप्लाई झांसी मेडिकल कॉलेज में बाजपेयी ट्रेडर्स और ऑल सर्विसेस ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड कर रही हैं। बाजपेयी ट्रेडर्स पिछले 10 साल से ज्यादा समय से मेडिकल कॉलेज में काम कर रही है। यह कंपनी झांसी के ही रहने वाले भाजपा नेता सुभाष बाजपेयी की है। इस कंपनी के दूसरे पार्टनर राजेश उपाध्याय भी झांसी के एक बड़े कद्दावर भाजपा नेता के नजदीकी हैं। दोनों पार्टनर के झांसी से लेकर लखनऊ तक कई बड़े नेताओं से कनेक्शन हैं। यही वजह है, कई साल से इस कंपनी का नेक्सस झांसी मेडिकल कॉलेज में फैला हुआ है। सुभाष बाजपेयी और उनके दूसरे पार्टनर राजेश उपाध्याय के नाम दूसरी और कंपनियां हैं। इनमें से सुमन मेडी स्टोर्स प्राइवेट लिमिटेड, ओम भद्रकाली डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर, मां पीतांबरा फार्मेसी शामिल हैं। इनके पास झांसी मेडिकल कॉलेज कैंपस में अलग-अलग काम हैं। सत्ता के रसूख और अफसरों से साठगांठ करके कई साल से ये झांसी मेडिकल कॉलेज के तमाम ठेके लेने में कामयाब रहे हैं। हम मेडिकल कॉलेज के गेट नंबर-2 पर बने भद्रकाली डायग्नोस्टिक सेंटर के ऑफिस पहुंचे। यहीं से बाजपेयी ट्रेडर्स चलता है। यहां हमारी मुलाकात बाजपेयी ट्रेडर्स के मैनेजर विपिन उपाध्याय से हुई। उनसे जब हमने सवाल किया कि आप लोग किस तरह की मैनपावर कॉलेज को सप्लाई करते हैं, तो उसने साफ कहा, हम केवल वार्ड बॉय और नर्सिंग स्टाफ की सप्लाई करते हैं। हम इलेक्ट्रीशियन की सप्लाई नहीं करते। हालांकि, कंपनी ओनर से बात कराने के नाम पर उन्होंने बताया कि वह व्यस्त हैं। हम आपकी बात करा देंगे। यह कहकर विपिन ने अपना नंबर नोट कराया और हमारा नंबर नोट कर लिया। अब हम मेडिकल कॉलेज के आखिरी हिस्से में एक उजाड़-सी जगह पर बने ऑल सर्विसेस ग्लोबल के ऑफिस पहुंचे। यहां एक मंदिर और दो कमरे बने थे। यहां काम कर रहे इमरान से हमने सवाल किया कि आप लोग किस काम के लिए मैनपावर की सप्लाई करते हैं। इमरान ने बताया, सिर्फ सफाई कर्मचारी की सप्लाई करते हैं। हमने आल सर्विसेज ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के सुपरवाइजर अभय सिंह से भी फोन पर बात की। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी साल 2020 से वहां काम कर रही है। कंपनी के पास मेडिकल कॉलेज की साफ-सफाई का जिम्मा है। वहीं, मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल नरेंद्र सिंह सेंगर का दावा इससे अलग है। उनसे हमारा सवाल था कि आपके मेडिकल कॉलेज में कितने इलेक्ट्रीशियन हैं। उन्होंने कहा कि सही संख्या नहीं मालूम, लेकिन कुछ लोग परमानेंट हैं। बाकी इलेक्ट्रीशियन आउटसोर्सिंग से रखे गए हैं। हमने कन्फर्म करने के लिए पूछा कि आखिर कौन सी कंपनी इलेक्ट्रीशियन सप्लाई कर रही है? इस पर नरेंद्र सिंह सेंगर का साफ कहना था कि बाजपेयी ट्रेडर्स हमें इलेक्ट्रीशियन सप्लाई करती है। ऑडिट रिपोर्ट में गड़बड़ी, फिर भी ठीक नहीं कराया गया
जिस SNCU में बच्चे जले हैं, उसका जून में विद्युत सुरक्षा विभाग ने ऑडिट किया था। इसमें कई जगह प्रतिबंधित एल्यूमीनियम के तार मिले थे। कुछ जगहों पर कॉपर वायर के इंसुलेशन भी कमजोर मिले। फिर भी इसे ठीक नहीं कराया गया। हम मेडिकल कॉलेज के बिजली डिपार्टमेंट में काम करने वाले एक कर्मचारी से मिले। उसने पहचान न उजागर करने की शर्त पर चौंकाने वाली जानकारियां दीं। इस कर्मचारी की रिकॉर्डिंग हमारे पास मौजूद है। कर्मचारी के मुताबिक, जेई संजीत कुमार एस्टीमेट बनाकर भेजते हैं। फिर बिल पास करवा लेते हैं, लेकिन सामान पूरा नहीं लगता। सस्ता और बेहद घटिया क्वालिटी का बिजली का सामान खरीदा जाता है। इसमें जेई और झांसी की एक प्रतिष्ठित फर्म की मिलीभगत होती है। ऐसा करके जेई संजीत कुमार ने करोड़ों का खेल किया है। कर्मचारी ने बताया कि अगर इलेक्ट्रीशियन जेई को तार पुराना या खराब होने की बात कहता है और वहां 6MM का तार लगना होता है, तो जेई उसे किसी भी क्षमता का कोई नया-पुराना तार लगाकर जुगाड़ से ठीक करने के लिए कह देता है। मेडिकल कॉलेज में यह खेल लंबे समय से चल रहा है। ऐसे में शॉर्ट सर्किट होना तो लाजिमी ही है। झांसी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल नरेंद्र सिंह सेंगर ने दैनिक भास्कर से कहा कि ऑडिट रिपोर्ट में खामियों की जानकारी हमने शासन को दी थी। मेडिकल कॉलेज की बेहतर विद्युत व्यवस्था के लिए 12 करोड़ रुपए भी मंजूर हो गए थे। 4 करोड़ रुपए दे भी दिए गए थे। हमने PWD को काम कराने के लिए हैंडओवर किया है। टेंडर प्रक्रिया में है। हमने मेडिकल कॉलेज में बिजली की व्यवस्था देख रहे जेई संजीत कुमार से फोन पर बात की तो उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया और बोले कि हमें कुछ भी बताने से मना किया गया है। प्रिंसिपल, इलेक्ट्रीशियन और कर्मचारी की बात से साफ है कि बच्चों के वार्ड में विद्युत व्यवस्था में खामियां थीं। पहले सुधारना चाहिए था, लेकिन देरी की वजह से 17 नवजातों की मौत हो गई। —————————— यह खबर भी पढ़ें झांसी में 15 मौतों के 3 जिम्मेदार:प्रिंसिपल ने नहीं रोकी ओवरलोडिंग; CMS को पता ही नहीं आग कब लगी झांसी मेडिकल कॉलेज में अब तक 15 बच्चों की मौत हादसा नहीं….लापरवाही का नतीजा है, जो पिछले कई दिनों से नजर अंदाज की जा रही थीं। इसके लिए वहां का प्रबंधन, डॉक्टर और मेंटेनेंस स्टाफ सीधा जिम्मेदार है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…. झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात जिंदा जल गए। बाद में 7 और बच्चों की जान चली गई। अब अफसर इस घटना को हादसा बताने में लगे हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने सच जानने के लिए वहां 5 दिन तक इंवेस्टिगेशन किया। डॉक्टर और कर्मचारियों से हिडन कैमरे पर बात की। एक-एक सबूत जुटाए। निकलकर आया, यह हादसा नहीं…सरकारी सिस्टम ने मासूमों की जान ली है। जिस भाजपा नेता की कंपनी के पास इलेक्ट्रीशियन सप्लाई का जिम्मा है, वो सफाई कर्मचारियों और वार्ड बॉय से इलेक्ट्रीशियन का काम करा रही है। आग लगने से करीब 2 महीने पहले भी स्पॉर्किंग हुई थी, जिसे वार्ड बॉय ने ठीक किया था। कमीशनखोरी के चक्कर में घटिया क्वालिटी की वायरिंग कराई गई। वायरिंग में खराब सामान लगाने पर 6 महीने पहले हुए ऑडिट में सवाल भी उठाए गए थे, लेकिन उसे सुधारा नहीं गया। नतीजा…शॉर्ट सर्किट हुआ और17 मासूमों की जानें गईं। 17 नवजातों की मौत के पीछे सरकारी सिस्टम दोषी है, सिलसिलेवार पढ़िए इंवेस्टिगेशन… हमने इलेक्ट्रीशियन कमलेश कुमार से हिडन कैमरे पर बात की, जिसकी हादसे वाली रात स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU) में ड्यूटी थी। कमलेश मूलत: वार्ड बॉय है और आउटसोर्स कर्मचारी है। उसने बताया- रोज वार्ड में नहीं जाना होता है। जब कभी कंप्लेन आती है, तब जाते हैं। एक-डेढ़ महीने पहले कंप्लेन आई थी कि सॉकेट ढीला होकर स्पार्क कर रहा है। तब हमने जाकर उसे ठीक कर दिया था। कमलेश ने बताया, 2015 में वह बतौर वार्ड बॉय मैनपावर कंपनी ‘बाजपेयी ट्रेडर्स’ के जरिए भर्ती हुआ था। धीरे-धीरे उसे जनरेटर पर रखा गया। वह इलेक्ट्रीशियन का काम सीख गया। इसके बाद उसे इलेक्ट्रीशियन का काम दे दिया गया। अभी वह SNCU में इलेक्ट्रीशियन के तौर पर है। हमने कमलेश से पूछा कि कहीं इलेक्ट्रीशियन के लिए कोई ट्रेनिंग ली है या फिर कोई डिग्री? कमलेश ने बताया, हम बस 8वीं पास हैं। कमलेश ने हमें एक आई-कार्ड भी दिखाया, जिस पर बाजपेयी ट्रेडर्स और नीचे कमलेश का नाम लिखा था। पद के सामने इलेक्ट्रीशियन लिखा था। वह किस सुपरवाइजर के अंडर में काम करता है, इसकी जानकारी उसे नहीं। न ही उसे पता है कि बाजपेयी ट्रेडर्स में कौन-कौन हैं? वह सिर्फ इंजीनियर संजीत कुमार को जानता है। कमलेश से बात करने के बाद हम सुपर स्पेशलिटी सेंटर पहुंचे। वहां हमारी मुलाकात एक लिफ्ट मैन से हुई। उसने हमें बताया- यहां मैनपावर को लेकर दो कंपनियां काम कर रही हैं। उनके कर्मचारियों से छोटा-मोटा कोई भी काम कराया जाता है। जैसे कोई लाइट का काम देखता है, तो कोई जनरेटर का काम। कुछ लड़के हमारे साथ लिफ्ट में भी काम कर रहे हैं। तभी इलेक्ट्रीशियन बृजेश राठी आ गए। हमने उनसे पूछा कि कई कर्मचारी कह रहे हैं कि वह तो वार्ड बॉय के पद पर हैं। ऐसे में वह इलेक्ट्रीशियन का काम कैसे करेंगे। बृजेश कहते हैं- बाजपेयी ट्रेडर्स वाले वार्ड बॉय के नाम से कर्मचारी तो रखते हैं। लेकिन, किसी को अगर बिजली का काम आता है या फिर डिप्लोमा है, तो व्यवस्था बनाने के लिए उनसे काम लेते हैं। बृजेश राठी के साथ ही काम कर रहे राजनाथ भी ऑल सर्विसेस ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड से सफाई कर्मचारी के पद पर है, लेकिन काम इलेक्ट्रीशियन का करता है। हमारी इंवेस्टिगेशन में निकलकर आया कि पूरा कंट्रोल JE संजीत कुमार के हवाले है। इनके नीचे 3 परमानेंट इलेक्ट्रीशियन हैं। इन इलेक्ट्रीशियन के नीचे अलग-अलग वार्ड में तीन शिफ्ट में एक व्यक्ति जनरेटर का और एक व्यक्ति इलेक्ट्रीशियन का काम देखता है। ो लोग आउटसोर्स किए गए हैं। भाजपा नेता की 5 कंपनियां कर रही हैं आउटसोर्सिंग का काम
आउटसोर्स मैनपावर की सप्लाई झांसी मेडिकल कॉलेज में बाजपेयी ट्रेडर्स और ऑल सर्विसेस ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड कर रही हैं। बाजपेयी ट्रेडर्स पिछले 10 साल से ज्यादा समय से मेडिकल कॉलेज में काम कर रही है। यह कंपनी झांसी के ही रहने वाले भाजपा नेता सुभाष बाजपेयी की है। इस कंपनी के दूसरे पार्टनर राजेश उपाध्याय भी झांसी के एक बड़े कद्दावर भाजपा नेता के नजदीकी हैं। दोनों पार्टनर के झांसी से लेकर लखनऊ तक कई बड़े नेताओं से कनेक्शन हैं। यही वजह है, कई साल से इस कंपनी का नेक्सस झांसी मेडिकल कॉलेज में फैला हुआ है। सुभाष बाजपेयी और उनके दूसरे पार्टनर राजेश उपाध्याय के नाम दूसरी और कंपनियां हैं। इनमें से सुमन मेडी स्टोर्स प्राइवेट लिमिटेड, ओम भद्रकाली डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर, मां पीतांबरा फार्मेसी शामिल हैं। इनके पास झांसी मेडिकल कॉलेज कैंपस में अलग-अलग काम हैं। सत्ता के रसूख और अफसरों से साठगांठ करके कई साल से ये झांसी मेडिकल कॉलेज के तमाम ठेके लेने में कामयाब रहे हैं। हम मेडिकल कॉलेज के गेट नंबर-2 पर बने भद्रकाली डायग्नोस्टिक सेंटर के ऑफिस पहुंचे। यहीं से बाजपेयी ट्रेडर्स चलता है। यहां हमारी मुलाकात बाजपेयी ट्रेडर्स के मैनेजर विपिन उपाध्याय से हुई। उनसे जब हमने सवाल किया कि आप लोग किस तरह की मैनपावर कॉलेज को सप्लाई करते हैं, तो उसने साफ कहा, हम केवल वार्ड बॉय और नर्सिंग स्टाफ की सप्लाई करते हैं। हम इलेक्ट्रीशियन की सप्लाई नहीं करते। हालांकि, कंपनी ओनर से बात कराने के नाम पर उन्होंने बताया कि वह व्यस्त हैं। हम आपकी बात करा देंगे। यह कहकर विपिन ने अपना नंबर नोट कराया और हमारा नंबर नोट कर लिया। अब हम मेडिकल कॉलेज के आखिरी हिस्से में एक उजाड़-सी जगह पर बने ऑल सर्विसेस ग्लोबल के ऑफिस पहुंचे। यहां एक मंदिर और दो कमरे बने थे। यहां काम कर रहे इमरान से हमने सवाल किया कि आप लोग किस काम के लिए मैनपावर की सप्लाई करते हैं। इमरान ने बताया, सिर्फ सफाई कर्मचारी की सप्लाई करते हैं। हमने आल सर्विसेज ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के सुपरवाइजर अभय सिंह से भी फोन पर बात की। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी साल 2020 से वहां काम कर रही है। कंपनी के पास मेडिकल कॉलेज की साफ-सफाई का जिम्मा है। वहीं, मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल नरेंद्र सिंह सेंगर का दावा इससे अलग है। उनसे हमारा सवाल था कि आपके मेडिकल कॉलेज में कितने इलेक्ट्रीशियन हैं। उन्होंने कहा कि सही संख्या नहीं मालूम, लेकिन कुछ लोग परमानेंट हैं। बाकी इलेक्ट्रीशियन आउटसोर्सिंग से रखे गए हैं। हमने कन्फर्म करने के लिए पूछा कि आखिर कौन सी कंपनी इलेक्ट्रीशियन सप्लाई कर रही है? इस पर नरेंद्र सिंह सेंगर का साफ कहना था कि बाजपेयी ट्रेडर्स हमें इलेक्ट्रीशियन सप्लाई करती है। ऑडिट रिपोर्ट में गड़बड़ी, फिर भी ठीक नहीं कराया गया
जिस SNCU में बच्चे जले हैं, उसका जून में विद्युत सुरक्षा विभाग ने ऑडिट किया था। इसमें कई जगह प्रतिबंधित एल्यूमीनियम के तार मिले थे। कुछ जगहों पर कॉपर वायर के इंसुलेशन भी कमजोर मिले। फिर भी इसे ठीक नहीं कराया गया। हम मेडिकल कॉलेज के बिजली डिपार्टमेंट में काम करने वाले एक कर्मचारी से मिले। उसने पहचान न उजागर करने की शर्त पर चौंकाने वाली जानकारियां दीं। इस कर्मचारी की रिकॉर्डिंग हमारे पास मौजूद है। कर्मचारी के मुताबिक, जेई संजीत कुमार एस्टीमेट बनाकर भेजते हैं। फिर बिल पास करवा लेते हैं, लेकिन सामान पूरा नहीं लगता। सस्ता और बेहद घटिया क्वालिटी का बिजली का सामान खरीदा जाता है। इसमें जेई और झांसी की एक प्रतिष्ठित फर्म की मिलीभगत होती है। ऐसा करके जेई संजीत कुमार ने करोड़ों का खेल किया है। कर्मचारी ने बताया कि अगर इलेक्ट्रीशियन जेई को तार पुराना या खराब होने की बात कहता है और वहां 6MM का तार लगना होता है, तो जेई उसे किसी भी क्षमता का कोई नया-पुराना तार लगाकर जुगाड़ से ठीक करने के लिए कह देता है। मेडिकल कॉलेज में यह खेल लंबे समय से चल रहा है। ऐसे में शॉर्ट सर्किट होना तो लाजिमी ही है। झांसी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल नरेंद्र सिंह सेंगर ने दैनिक भास्कर से कहा कि ऑडिट रिपोर्ट में खामियों की जानकारी हमने शासन को दी थी। मेडिकल कॉलेज की बेहतर विद्युत व्यवस्था के लिए 12 करोड़ रुपए भी मंजूर हो गए थे। 4 करोड़ रुपए दे भी दिए गए थे। हमने PWD को काम कराने के लिए हैंडओवर किया है। टेंडर प्रक्रिया में है। हमने मेडिकल कॉलेज में बिजली की व्यवस्था देख रहे जेई संजीत कुमार से फोन पर बात की तो उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया और बोले कि हमें कुछ भी बताने से मना किया गया है। प्रिंसिपल, इलेक्ट्रीशियन और कर्मचारी की बात से साफ है कि बच्चों के वार्ड में विद्युत व्यवस्था में खामियां थीं। पहले सुधारना चाहिए था, लेकिन देरी की वजह से 17 नवजातों की मौत हो गई। —————————— यह खबर भी पढ़ें झांसी में 15 मौतों के 3 जिम्मेदार:प्रिंसिपल ने नहीं रोकी ओवरलोडिंग; CMS को पता ही नहीं आग कब लगी झांसी मेडिकल कॉलेज में अब तक 15 बच्चों की मौत हादसा नहीं….लापरवाही का नतीजा है, जो पिछले कई दिनों से नजर अंदाज की जा रही थीं। इसके लिए वहां का प्रबंधन, डॉक्टर और मेंटेनेंस स्टाफ सीधा जिम्मेदार है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…. उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर