सीसामऊ उपचुनाव में भाजपा की हार को लेकर समीक्षा का दौर शुरू हो गई है। हालांकि सीसामऊ के लिए चुनाव प्रभारी नियुक्त किए गए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना जल्द ही कानपुर आकर समीक्षा करेंगे। संगठन की तरफ प्रभारी नियुक्त किए गए एमएलसी मानवेंद्र सिंह भी इस बैठक में होंगे। संघ ने बनाई दूरी, दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
भाजपा सूत्रों के मुताबिक प्रत्याशी सुरेश अवस्थी की टिकट दिल्ली से हुई थी। वहीं भाजपा और संघ के बीच तल्खियों के चलते इस चुनाव में टिकट के बाद संघ ने अंदरखाने पूरे चुनाव से किनारा कर लिया। हालांकि टिकट को लेकर भाजपा प्रदेश संगठन ने भी नाराजगी जताई थी, लेकिन दिल्ली से हरी झंडी मिलने के बाद कोई कुछ नहीं बोल सका। बटोगे तो कटोगे का जुमला कामयाब नहीं
अधिसूचना जारी होने से पहले चुनाव का मोमेंटम बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो बार आए। एक बार विकास योजनाओं का पुलिंदा खोलकर दे गए और उन्हें क्रियान्वित करने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया। यही नहीं क्षेत्र की बंद पड़ी लाल इमली कारखाना खुलवाने का वादा भी कर गए थे। अधिसूचना के बाद वह दो बार आए। एक जनसभा 9 नवंबर की और 16 को रोडशो करके मोहल्लों में वोट मांगए। बटोगे तो कटोगे का जुमला यहां बहुत ज्यादा कारगर नहीं हो पाया। शास्त्री नगर में बना मिनी वार रूम
हालांकि भाजपा की तरफ से संगठन प्रभारी नियुक्त किए गए एमएलसी ने केंद्रीय चुनाव खुलने से पहले अपने शास्त्री नगर कार्यालय में मिनी वार रूम बना लिया था, जहां पर हर छोटी-बड़ी बैठके करके वह कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को भी फोन करते रहे। उन्होंने अल्पसंख्यक मोर्चा के उपाध्यक्ष सलीम अहमद और सह मीडिया प्रभारी मनोजकांत मिश्रा को मुस्लिम बहुल 96 बूथों का गठन और बस्ते लगाना सुनिश्चित करा दिया था। पर मुसलमानों ने भाजपा को सीधे तौर पर खारिज कर दिया। दिग्गज नेताओं ने चुनाव से बनाई दूरी
दिग्गज नेताओं को शामिल करके चुनाव प्रबंधन समिति पहले 22 लोगों की बनायी गई जिसे बाद में बढ़ाकर 100 लोगों की बना दी गयी। यही प्रबंधन समिति बाद में चुनाव संचालन समिति घोषित कर दी गई। इस समिति सिटी क्लब में एक बैठक में तो 400 लोग पहुंच गए। बैठक में पूर्व सांसद सत्यदेव पचौरी, पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल अवस्थी जैसे कुछ दिग्गज को जोड़ा गया। लेकिन बैठक के बाद उन्हें पूछा तक नहीं गया। दलित वोटबैंक नहीं साध पाए
संचालन में दलित वोटों को मैनेज करने के लिए बिल्हौर से विधायक राहुल बच्चा सोनकर को संयोजक बनाया गया। पर वह क्षेत्र में कम ही दिखे और न ही बैठकें की। नाराज पूर्व विधायक राकेश सोनकर की मानमनौव्वल की खानापूरी ही हुई। क्षेत्र के परिसीमन के बाद मुस्लिम बहुल जनरलगंज सीट का मुस्लिम इलाका सीसामऊ का हिस्सा बनाया गया। व्यापारी नेता भी कुछ खास नहीं कर सके
जनरलगंज से तीन चुनाव जीते पूर्व विधायक नीरज चतुर्वेदी अपने स्तर पर कार्य करते रहे। उन्हें भी तरजीह नहीं दी गई। दोनों का नाम टिकटार्थियों में था। इसी तरह स्व. श्याम बिहारी मिश्रा के पुत्र व्यापार मंडल अध्यक्ष मुकुंद मिश्रा भी टिकटार्थी थे। व्यापारियों पर उनकी पकड़ बहुत ज्यादा रंग नहीं दिखा सकी। एमएलसी अरुण पाठक और सलिल विश्नोई दूर ही दूर दिखायी दिए। बड़ी बैठकों का नहीं मिला लाभ
चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए बड़े-बड़े नेताओं का आना-जाना होता रहा। चुनावी तैयारियों के लिए सैकड़ों मीटिंग हुईं पर ऐन मतदान के दिन भाजपा को इसका ज्यादा लाभ मिलता नहीं दिखाई दिया। हालांकि क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल के मुताबिक संगठन में एकजुटता रही पर एकतरफा मुस्लिम वोट विपक्ष को मिलना और हिंदू वोटों में बंटवारा का लाभ उनको मिला। मंत्री सुरेश खन्ना जल्द ही समीक्षा बैठक करने आएंगे। सीसामऊ उपचुनाव में भाजपा की हार को लेकर समीक्षा का दौर शुरू हो गई है। हालांकि सीसामऊ के लिए चुनाव प्रभारी नियुक्त किए गए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना जल्द ही कानपुर आकर समीक्षा करेंगे। संगठन की तरफ प्रभारी नियुक्त किए गए एमएलसी मानवेंद्र सिंह भी इस बैठक में होंगे। संघ ने बनाई दूरी, दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
भाजपा सूत्रों के मुताबिक प्रत्याशी सुरेश अवस्थी की टिकट दिल्ली से हुई थी। वहीं भाजपा और संघ के बीच तल्खियों के चलते इस चुनाव में टिकट के बाद संघ ने अंदरखाने पूरे चुनाव से किनारा कर लिया। हालांकि टिकट को लेकर भाजपा प्रदेश संगठन ने भी नाराजगी जताई थी, लेकिन दिल्ली से हरी झंडी मिलने के बाद कोई कुछ नहीं बोल सका। बटोगे तो कटोगे का जुमला कामयाब नहीं
अधिसूचना जारी होने से पहले चुनाव का मोमेंटम बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो बार आए। एक बार विकास योजनाओं का पुलिंदा खोलकर दे गए और उन्हें क्रियान्वित करने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया। यही नहीं क्षेत्र की बंद पड़ी लाल इमली कारखाना खुलवाने का वादा भी कर गए थे। अधिसूचना के बाद वह दो बार आए। एक जनसभा 9 नवंबर की और 16 को रोडशो करके मोहल्लों में वोट मांगए। बटोगे तो कटोगे का जुमला यहां बहुत ज्यादा कारगर नहीं हो पाया। शास्त्री नगर में बना मिनी वार रूम
हालांकि भाजपा की तरफ से संगठन प्रभारी नियुक्त किए गए एमएलसी ने केंद्रीय चुनाव खुलने से पहले अपने शास्त्री नगर कार्यालय में मिनी वार रूम बना लिया था, जहां पर हर छोटी-बड़ी बैठके करके वह कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को भी फोन करते रहे। उन्होंने अल्पसंख्यक मोर्चा के उपाध्यक्ष सलीम अहमद और सह मीडिया प्रभारी मनोजकांत मिश्रा को मुस्लिम बहुल 96 बूथों का गठन और बस्ते लगाना सुनिश्चित करा दिया था। पर मुसलमानों ने भाजपा को सीधे तौर पर खारिज कर दिया। दिग्गज नेताओं ने चुनाव से बनाई दूरी
दिग्गज नेताओं को शामिल करके चुनाव प्रबंधन समिति पहले 22 लोगों की बनायी गई जिसे बाद में बढ़ाकर 100 लोगों की बना दी गयी। यही प्रबंधन समिति बाद में चुनाव संचालन समिति घोषित कर दी गई। इस समिति सिटी क्लब में एक बैठक में तो 400 लोग पहुंच गए। बैठक में पूर्व सांसद सत्यदेव पचौरी, पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल अवस्थी जैसे कुछ दिग्गज को जोड़ा गया। लेकिन बैठक के बाद उन्हें पूछा तक नहीं गया। दलित वोटबैंक नहीं साध पाए
संचालन में दलित वोटों को मैनेज करने के लिए बिल्हौर से विधायक राहुल बच्चा सोनकर को संयोजक बनाया गया। पर वह क्षेत्र में कम ही दिखे और न ही बैठकें की। नाराज पूर्व विधायक राकेश सोनकर की मानमनौव्वल की खानापूरी ही हुई। क्षेत्र के परिसीमन के बाद मुस्लिम बहुल जनरलगंज सीट का मुस्लिम इलाका सीसामऊ का हिस्सा बनाया गया। व्यापारी नेता भी कुछ खास नहीं कर सके
जनरलगंज से तीन चुनाव जीते पूर्व विधायक नीरज चतुर्वेदी अपने स्तर पर कार्य करते रहे। उन्हें भी तरजीह नहीं दी गई। दोनों का नाम टिकटार्थियों में था। इसी तरह स्व. श्याम बिहारी मिश्रा के पुत्र व्यापार मंडल अध्यक्ष मुकुंद मिश्रा भी टिकटार्थी थे। व्यापारियों पर उनकी पकड़ बहुत ज्यादा रंग नहीं दिखा सकी। एमएलसी अरुण पाठक और सलिल विश्नोई दूर ही दूर दिखायी दिए। बड़ी बैठकों का नहीं मिला लाभ
चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए बड़े-बड़े नेताओं का आना-जाना होता रहा। चुनावी तैयारियों के लिए सैकड़ों मीटिंग हुईं पर ऐन मतदान के दिन भाजपा को इसका ज्यादा लाभ मिलता नहीं दिखाई दिया। हालांकि क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल के मुताबिक संगठन में एकजुटता रही पर एकतरफा मुस्लिम वोट विपक्ष को मिलना और हिंदू वोटों में बंटवारा का लाभ उनको मिला। मंत्री सुरेश खन्ना जल्द ही समीक्षा बैठक करने आएंगे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर