योगी सरकार के मंत्री को लूटने की साजिश 2000 Km दूर कंबोडिया में रची गई। साइबर जालसाज ने इंडिया में अपने 5 हैंडलर को एक्टिव किया। 3 दिन की कोशिश के बाद फाइनल हुआ कि कैसे मंत्री के रुपए लूटने हैं। प्लान काफी हद तक सक्सेज भी हुआ, क्योंकि मंत्री नंद गोपाल ‘नंदी’ के बैंक खाते से 2.08 करोड़ रुपए ट्रांसफर हो गए। प्रयागराज पुलिस की साइबर टीम सिर्फ बैंक खातों के सोर्स का पीछा करती हुई 12 लाख रुपए को ट्रेस कर सकी। बची हुए 1.96 करोड़ की रकम ट्रेस नहीं हो सकी, मतलब सही शब्दों में यह पैसे लूट लिए गए। साइबर टीम 7 दिनों में सिर्फ 5 हैंडलर तक पहुंच सकी है। कस्टडी में इनसे करीब 24 घंटे से ज्यादा पूछताछ हुई। टीम जानना चाहती थी कि मंत्री नंदी को ही क्यों टारगेट किया? प्लानिंग का ब्लू प्रिंट कौन तैयार कर रहा था? कैसे इन हैंडलर से संपर्क किया गया? जो कुछ सामने आया वह चौंकाने वाला था, क्योंकि लिंक 2 हजार Km कंबोडिया से जुड़े थे। कंबोडिया के जालसाज ने जिन हैंडलर को साधा, उनमें 2 बीटेक और 2 MBA क्वालिफाइड हैं। दैनिक भास्कर ने इन हैंडलर से पूछताछ करने वाली साइबर टीम के सदस्यों से अलग-अलग बातचीत की… पहले पढ़िए प्लानिंग कैसे की गई…
10 नवंबर को फोन आया, 3 दिन बाद तैयार रहने को कहा
पकड़े गए लड़कों ने पुलिस को बताया कि मंत्री नंदी के बैंक अकाउंट, वॉट्सऐप नंबर, उसकी डिसप्ले पिक्चर, ट्रांजेक्शन की पूरी जानकारी कंबोडिया के आका के पास पहले से थी। माना जा रहा है कि ये डेटा जालसाजों ने अलग-अलग कंपनियों से खरीदा होगा। 10 नवंबर को पांचों लड़कों के पास फोन आए। उन्हें इंडिया में ऑपरेट हो रहे बैंक अकाउंट को मेंटेन रखने को कहा गया है। इंडियन नंबर के सिम कार्ड अरेंज करने के लिए कहा गया। इसके लिए 3 दिन का समय दिया गया। पांचों लड़कों ने बरेली, कोलकाता समेत अलग-अलग शहरों के 90 से ज्यादा बैंक अकाउंट की डिटेल कंबोडिया में बैठे जालसाज को दी। इंडिया में इन लोगों को 13 नवंबर की सुबह 6 बजे ऑनलाइन तैयार रहने को कहा गया। डायरेक्शन थे कि लैपटॉप चार्ज रहे, सेफ जगह पर बैठे, क्योंकि रुपयों का ट्रांजेक्शन बहुत तेजी से करना होगा। प्लानिंग के तहत इंडिया के साथ-साथ बांग्लादेश और श्रीलंका के हैंडलर को भी एक्टिव किया गया था। उनके बैंक अकाउंट में भी पैसा ट्रांसफर हुआ। मंत्री नंद गोपाल नंदी के खातों से निकली हुई रकम 300 से ज्यादा बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। जालसाजी कैसे हुई…
ठीक 11 बजे CA को कॉल, कड़क आवाज में कहा- 2.5 करोड़ ट्रांसफर करो
पूरा खेल 13 नवंबर की सुबह ठीक 11 बजे शुरू हुआ। मंत्री नंदी के CA रितेश श्रीवास्तव अपने प्रयागराज के ऑफिस में बैठे थे। वह फर्म के अकाउंटेंट भी हैं। उनके पास एक वॉट्सऐप कॉल आई। इस पर मंत्री नंदी के बेटे की डिस्प्ले पिक्चर लगी थी। कॉल उठाते ही एक कड़क आवाज आई…सुनो, कंपनी से डील फाइनल हो गई है। 2.5 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने हैं। 3 बैंक अकाउंट नंबर भेज रहा हूं। रितेश श्रीवास्तव ने कहा- सर, रकम बड़ी है। इसके बाद फोन कट गया। रितेश ने बताए गए 3 अकाउंट पर 2.08 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए। इसके कुछ देर बाद ही मंत्री नंदी से बात होने पर जालसाजी का पता चला। अब इंडिया के 5 हैंडलर के बारे में पढ़िए… बैंक खाते अरेंज किए, फिर रुपए तेजी से ट्रांसफर किए
दिव्यांशु ने बताया- इस जालसाजी के लिए इंडियन सिम कार्ड की जरूरत थी। फर्जी नाम–पते पर मैंने सिम कार्ड अरेंज किए। खासकर प्रयागराज की ID का सिम मुहैया करवाया। मैंने ही बरेली के ICICI और एक्सिस बैंक अकाउंट की डिटेल भेजी थी। जिन अकाउंट्स में सबसे पहले 2.08 करोड़ रुपए ट्रांसफर होने थे। मैं कंबोडिया के गैंग से वॉट्सऐप कॉलिंग और टेलीग्राम पर जुड़ा हुआ था। उन्होंने कंबोडिया से इंडियन नंबर पर मैसेज शुरू किया। सारी मूवमेंट मैं ऑनलाइन देखता रहा। रुपए ट्रांसफर हुए तो लैपटॉप से ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए मिनटों में एक से दूसरे खातों में रुपए ट्रांसफर करने लगा। यही मेरा काम था। कोलकाता के बैंक अकाउंट को हैंडल करता रहा
बीटेक पास पुलकित का काम भी दिव्यांशु से कम नहीं था। दोनों साथ में एक ही फ्लैट में रहते थे। पुलकित को भी अकाउंट एजेंट बनाने की जिम्मेदारी मिली थी। अकाउंट होल्डर्स को रुपए ट्रांसफर होने पर कमीशन देने का वादा उसने ही किया था। पुलकित ने कहा- मेरा मेन काम था कि जैसे ही मंत्री का सीए कोलकाता के अकाउंट में रुपए ट्रांसफर करे, उसे मिनटों में दूसरे खातों में ट्रांसफर करना शुरू करूं। अपने अकाउंट होल्डर्स के खाते में रुपए ट्रांसफर करने के बाद तुरंत दूसरे बैंक अकाउंट में रुपए ट्रांसफर करने थे। कोलकाता का बैंक अकाउंट मैं हैंडल कर रहा था। मैंने 87 बैंक अकाउंट अपने अंडर में तैयार कराए थे। इन अकाउंट होल्डरों को कमीशन मिलता है। बरेली में मोबिल कंपनी की फर्म तैयार करके खाते खोले
दिव्यांशु और पुलकित ने अपने हैंडलर के तौर पर संजीव को गैंग में शामिल किया था। फस्ट राउंड में मंत्री के रुपए जिस अकाउंट में जाने थे, बरेली के उस बैंक अकाउंट को मुहैया कराने में संजीव ने ही दिव्यांशु की मदद की थी। संजीव ने बरेली के मोबिल ऑयल कंपनी की फर्म तैयार की थी, उसी अकाउंट को दिव्यांशु को दिया था। मोबिल ऑयल कंपनी के इस अकाउंट में 65 लाख रुपए भेजे गए थे, जिसे बाद में दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कराया गया। संजीव इस ठगी के पहले भी दिव्यांशु और पुलकित की मदद करके रुपए कमाता रहा था। एक साल पहले उसने बरेली के तीन अकाउंट दिव्यांशु को इस्तेमाल करने के लिए दिए थे। इसके बदले में उसे तीन लाख रुपए मिले थे। जबकि अकाउंट होल्डरों को 30-30 हजार रुपए कमीशन मिला था। बस कुछ मिनट के लिए उनके अकाउंट में रुपए आए थे। उस वक्त यह केस वर्कआउट नहीं हो सका था। नए-नए बैंक खाते खुलवाना, उनके जरिए लेन-देन करना
सुरजीत रिश्ते में आरोपी संजीव का साला है। संजीव ने ऑनलाइन ठगी गैंग से खुद के जुड़ने के बाद अपने साले सुरजीत को भी शामिल कर लिया था। सुरजीत पर गांव के लड़कों के नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाने की जिम्मेदारी थी। फिर लड़कों से उनकी बैंक डिटेल लेने के लिए कहा जाता था। लड़कों को ऑफर दिया जाता था कि जितने रुपए तुम्हारे अकाउंट में ट्रांसफर होने के बाद दूसरे अकाउंट में जाएंगे, उतना ही कमीशन मिलेगा। एक तरह से ये लोग बैंक खातों को किराए पर लेते थे। संजीव के लिए सुरजीत ने फर्जी आईडी पर सिम कार्ड अरेंज किए थे। उसने गरीब खाताधारकों को ढूंढकर उनके अकाउंट का इस्तेमाल लेनदेन के लिए करवाया था। बैंक खातों में रुपए ट्रांसफर करना
विजय कुमार की जिम्मेदारी ऑनलाइन रुपए अलग-अलग बैंक खातों में जल्दी-जल्दी ट्रांसफर करने की थी। विजय का इस्तेमाल गैंग के चार अन्य मेंबर अपने-अपने काम के लिए कर रहे थे। किस शहर में होटल बुक करना है, ट्रेनों का टिकट कराना , अलग-अलग नंबरों के सिम लाना, फर्जी आईडी का इंतजाम करना। ये जिम्मेदारी विजय के ऊपर थी। एक बार खाते में रुपए आने के बाद सेट पैटर्न से इसे 8 से 10 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया जा रहा था। ताकि जब पुलिस इन रुपयों की ट्रेसिंग करे तो बैंक खातों में ही उलझकर रह जाए। यही वजह है कि साइबर टीम सिर्फ 12.22 लाख रुपए ही ट्रेस कर सकी। जानिए, दिव्यांशु और पुलकित कंबोडिया के जालसाज के टच में कैसे आए… नेपाल के कैफे संचालक ने विदेशी गैंग से मिलवाया
प्रयागराज पुलिस की जांच में साफ हुआ है कि दिव्यांशु और पुलकित को कंबोडिया के गैंग से नेपाल के रहने वाले सैम ने संपर्क कराया था। दरअसल दो साल पहले दिव्यांशु और पुलकित नेपाल गए थे। काठमांडू में दोनों ने एक कैफे में काफी वक्त बिताया था। कैफे संचालक सैम से दोनों की अच्छी बातचीत होने लगी। कैफे में ही दिव्यांशु और पुलकित ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े रहते थे। वहीं से इन दोनों ने कई क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन खरीदारी का खेल खेला था। सैम प्रभावित हो गया तो उसने कंबोडिया के अपने संपर्कों से मिलवाया था। इसके बाद ये दोनों इस प्लानिंग का हिस्सा बन गए। —————— मंत्री नंदी से ठगी की ये खबर भी पढ़ें… नंदी के CA से ठगी करने वाले अरेस्ट, मंत्री के बेटे की वॉट्सऐप डीपी लगाकर मांगे थे 2 करोड़ कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता के CA से ऑनलाइन ठगी करने वाले 5 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों में एक पटना, एक मऊ और तीन बरेली के हैं। आरोपियों के पास से 14 एंड्रॉयड और एपल मोबाइल, 10 एटीएम और 10 सिम कार्ड बरामद किए गए हैं। आरोपियों ने पूछताछ में बताया- हमें टारगेट के तौर पर विदेश से मोबाइल नंबर मिलता था। पूरी खबर पढ़ें… योगी सरकार के मंत्री को लूटने की साजिश 2000 Km दूर कंबोडिया में रची गई। साइबर जालसाज ने इंडिया में अपने 5 हैंडलर को एक्टिव किया। 3 दिन की कोशिश के बाद फाइनल हुआ कि कैसे मंत्री के रुपए लूटने हैं। प्लान काफी हद तक सक्सेज भी हुआ, क्योंकि मंत्री नंद गोपाल ‘नंदी’ के बैंक खाते से 2.08 करोड़ रुपए ट्रांसफर हो गए। प्रयागराज पुलिस की साइबर टीम सिर्फ बैंक खातों के सोर्स का पीछा करती हुई 12 लाख रुपए को ट्रेस कर सकी। बची हुए 1.96 करोड़ की रकम ट्रेस नहीं हो सकी, मतलब सही शब्दों में यह पैसे लूट लिए गए। साइबर टीम 7 दिनों में सिर्फ 5 हैंडलर तक पहुंच सकी है। कस्टडी में इनसे करीब 24 घंटे से ज्यादा पूछताछ हुई। टीम जानना चाहती थी कि मंत्री नंदी को ही क्यों टारगेट किया? प्लानिंग का ब्लू प्रिंट कौन तैयार कर रहा था? कैसे इन हैंडलर से संपर्क किया गया? जो कुछ सामने आया वह चौंकाने वाला था, क्योंकि लिंक 2 हजार Km कंबोडिया से जुड़े थे। कंबोडिया के जालसाज ने जिन हैंडलर को साधा, उनमें 2 बीटेक और 2 MBA क्वालिफाइड हैं। दैनिक भास्कर ने इन हैंडलर से पूछताछ करने वाली साइबर टीम के सदस्यों से अलग-अलग बातचीत की… पहले पढ़िए प्लानिंग कैसे की गई…
10 नवंबर को फोन आया, 3 दिन बाद तैयार रहने को कहा
पकड़े गए लड़कों ने पुलिस को बताया कि मंत्री नंदी के बैंक अकाउंट, वॉट्सऐप नंबर, उसकी डिसप्ले पिक्चर, ट्रांजेक्शन की पूरी जानकारी कंबोडिया के आका के पास पहले से थी। माना जा रहा है कि ये डेटा जालसाजों ने अलग-अलग कंपनियों से खरीदा होगा। 10 नवंबर को पांचों लड़कों के पास फोन आए। उन्हें इंडिया में ऑपरेट हो रहे बैंक अकाउंट को मेंटेन रखने को कहा गया है। इंडियन नंबर के सिम कार्ड अरेंज करने के लिए कहा गया। इसके लिए 3 दिन का समय दिया गया। पांचों लड़कों ने बरेली, कोलकाता समेत अलग-अलग शहरों के 90 से ज्यादा बैंक अकाउंट की डिटेल कंबोडिया में बैठे जालसाज को दी। इंडिया में इन लोगों को 13 नवंबर की सुबह 6 बजे ऑनलाइन तैयार रहने को कहा गया। डायरेक्शन थे कि लैपटॉप चार्ज रहे, सेफ जगह पर बैठे, क्योंकि रुपयों का ट्रांजेक्शन बहुत तेजी से करना होगा। प्लानिंग के तहत इंडिया के साथ-साथ बांग्लादेश और श्रीलंका के हैंडलर को भी एक्टिव किया गया था। उनके बैंक अकाउंट में भी पैसा ट्रांसफर हुआ। मंत्री नंद गोपाल नंदी के खातों से निकली हुई रकम 300 से ज्यादा बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। जालसाजी कैसे हुई…
ठीक 11 बजे CA को कॉल, कड़क आवाज में कहा- 2.5 करोड़ ट्रांसफर करो
पूरा खेल 13 नवंबर की सुबह ठीक 11 बजे शुरू हुआ। मंत्री नंदी के CA रितेश श्रीवास्तव अपने प्रयागराज के ऑफिस में बैठे थे। वह फर्म के अकाउंटेंट भी हैं। उनके पास एक वॉट्सऐप कॉल आई। इस पर मंत्री नंदी के बेटे की डिस्प्ले पिक्चर लगी थी। कॉल उठाते ही एक कड़क आवाज आई…सुनो, कंपनी से डील फाइनल हो गई है। 2.5 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने हैं। 3 बैंक अकाउंट नंबर भेज रहा हूं। रितेश श्रीवास्तव ने कहा- सर, रकम बड़ी है। इसके बाद फोन कट गया। रितेश ने बताए गए 3 अकाउंट पर 2.08 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए। इसके कुछ देर बाद ही मंत्री नंदी से बात होने पर जालसाजी का पता चला। अब इंडिया के 5 हैंडलर के बारे में पढ़िए… बैंक खाते अरेंज किए, फिर रुपए तेजी से ट्रांसफर किए
दिव्यांशु ने बताया- इस जालसाजी के लिए इंडियन सिम कार्ड की जरूरत थी। फर्जी नाम–पते पर मैंने सिम कार्ड अरेंज किए। खासकर प्रयागराज की ID का सिम मुहैया करवाया। मैंने ही बरेली के ICICI और एक्सिस बैंक अकाउंट की डिटेल भेजी थी। जिन अकाउंट्स में सबसे पहले 2.08 करोड़ रुपए ट्रांसफर होने थे। मैं कंबोडिया के गैंग से वॉट्सऐप कॉलिंग और टेलीग्राम पर जुड़ा हुआ था। उन्होंने कंबोडिया से इंडियन नंबर पर मैसेज शुरू किया। सारी मूवमेंट मैं ऑनलाइन देखता रहा। रुपए ट्रांसफर हुए तो लैपटॉप से ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए मिनटों में एक से दूसरे खातों में रुपए ट्रांसफर करने लगा। यही मेरा काम था। कोलकाता के बैंक अकाउंट को हैंडल करता रहा
बीटेक पास पुलकित का काम भी दिव्यांशु से कम नहीं था। दोनों साथ में एक ही फ्लैट में रहते थे। पुलकित को भी अकाउंट एजेंट बनाने की जिम्मेदारी मिली थी। अकाउंट होल्डर्स को रुपए ट्रांसफर होने पर कमीशन देने का वादा उसने ही किया था। पुलकित ने कहा- मेरा मेन काम था कि जैसे ही मंत्री का सीए कोलकाता के अकाउंट में रुपए ट्रांसफर करे, उसे मिनटों में दूसरे खातों में ट्रांसफर करना शुरू करूं। अपने अकाउंट होल्डर्स के खाते में रुपए ट्रांसफर करने के बाद तुरंत दूसरे बैंक अकाउंट में रुपए ट्रांसफर करने थे। कोलकाता का बैंक अकाउंट मैं हैंडल कर रहा था। मैंने 87 बैंक अकाउंट अपने अंडर में तैयार कराए थे। इन अकाउंट होल्डरों को कमीशन मिलता है। बरेली में मोबिल कंपनी की फर्म तैयार करके खाते खोले
दिव्यांशु और पुलकित ने अपने हैंडलर के तौर पर संजीव को गैंग में शामिल किया था। फस्ट राउंड में मंत्री के रुपए जिस अकाउंट में जाने थे, बरेली के उस बैंक अकाउंट को मुहैया कराने में संजीव ने ही दिव्यांशु की मदद की थी। संजीव ने बरेली के मोबिल ऑयल कंपनी की फर्म तैयार की थी, उसी अकाउंट को दिव्यांशु को दिया था। मोबिल ऑयल कंपनी के इस अकाउंट में 65 लाख रुपए भेजे गए थे, जिसे बाद में दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कराया गया। संजीव इस ठगी के पहले भी दिव्यांशु और पुलकित की मदद करके रुपए कमाता रहा था। एक साल पहले उसने बरेली के तीन अकाउंट दिव्यांशु को इस्तेमाल करने के लिए दिए थे। इसके बदले में उसे तीन लाख रुपए मिले थे। जबकि अकाउंट होल्डरों को 30-30 हजार रुपए कमीशन मिला था। बस कुछ मिनट के लिए उनके अकाउंट में रुपए आए थे। उस वक्त यह केस वर्कआउट नहीं हो सका था। नए-नए बैंक खाते खुलवाना, उनके जरिए लेन-देन करना
सुरजीत रिश्ते में आरोपी संजीव का साला है। संजीव ने ऑनलाइन ठगी गैंग से खुद के जुड़ने के बाद अपने साले सुरजीत को भी शामिल कर लिया था। सुरजीत पर गांव के लड़कों के नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाने की जिम्मेदारी थी। फिर लड़कों से उनकी बैंक डिटेल लेने के लिए कहा जाता था। लड़कों को ऑफर दिया जाता था कि जितने रुपए तुम्हारे अकाउंट में ट्रांसफर होने के बाद दूसरे अकाउंट में जाएंगे, उतना ही कमीशन मिलेगा। एक तरह से ये लोग बैंक खातों को किराए पर लेते थे। संजीव के लिए सुरजीत ने फर्जी आईडी पर सिम कार्ड अरेंज किए थे। उसने गरीब खाताधारकों को ढूंढकर उनके अकाउंट का इस्तेमाल लेनदेन के लिए करवाया था। बैंक खातों में रुपए ट्रांसफर करना
विजय कुमार की जिम्मेदारी ऑनलाइन रुपए अलग-अलग बैंक खातों में जल्दी-जल्दी ट्रांसफर करने की थी। विजय का इस्तेमाल गैंग के चार अन्य मेंबर अपने-अपने काम के लिए कर रहे थे। किस शहर में होटल बुक करना है, ट्रेनों का टिकट कराना , अलग-अलग नंबरों के सिम लाना, फर्जी आईडी का इंतजाम करना। ये जिम्मेदारी विजय के ऊपर थी। एक बार खाते में रुपए आने के बाद सेट पैटर्न से इसे 8 से 10 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया जा रहा था। ताकि जब पुलिस इन रुपयों की ट्रेसिंग करे तो बैंक खातों में ही उलझकर रह जाए। यही वजह है कि साइबर टीम सिर्फ 12.22 लाख रुपए ही ट्रेस कर सकी। जानिए, दिव्यांशु और पुलकित कंबोडिया के जालसाज के टच में कैसे आए… नेपाल के कैफे संचालक ने विदेशी गैंग से मिलवाया
प्रयागराज पुलिस की जांच में साफ हुआ है कि दिव्यांशु और पुलकित को कंबोडिया के गैंग से नेपाल के रहने वाले सैम ने संपर्क कराया था। दरअसल दो साल पहले दिव्यांशु और पुलकित नेपाल गए थे। काठमांडू में दोनों ने एक कैफे में काफी वक्त बिताया था। कैफे संचालक सैम से दोनों की अच्छी बातचीत होने लगी। कैफे में ही दिव्यांशु और पुलकित ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े रहते थे। वहीं से इन दोनों ने कई क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन खरीदारी का खेल खेला था। सैम प्रभावित हो गया तो उसने कंबोडिया के अपने संपर्कों से मिलवाया था। इसके बाद ये दोनों इस प्लानिंग का हिस्सा बन गए। —————— मंत्री नंदी से ठगी की ये खबर भी पढ़ें… नंदी के CA से ठगी करने वाले अरेस्ट, मंत्री के बेटे की वॉट्सऐप डीपी लगाकर मांगे थे 2 करोड़ कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता के CA से ऑनलाइन ठगी करने वाले 5 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों में एक पटना, एक मऊ और तीन बरेली के हैं। आरोपियों के पास से 14 एंड्रॉयड और एपल मोबाइल, 10 एटीएम और 10 सिम कार्ड बरामद किए गए हैं। आरोपियों ने पूछताछ में बताया- हमें टारगेट के तौर पर विदेश से मोबाइल नंबर मिलता था। पूरी खबर पढ़ें… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर