भीड़ में बेटा फंसा…पुलिस ने गोली मार दी:अब्बू को याद कर बच्चे रो रहे; संभल हिंसा में जान गंवाने वाले 3 परिवारों का दर्द

भीड़ में बेटा फंसा…पुलिस ने गोली मार दी:अब्बू को याद कर बच्चे रो रहे; संभल हिंसा में जान गंवाने वाले 3 परिवारों का दर्द

मेरा बेटा कॉस्मेटिक के सामान की फेरी लगाता था। गली-गली सामान बेचता था। संभल में बवाल वाले दिन वो सामान खरीदने गया था। जब घटना हुई तो मेरा बेटा भीड़ में फंस गया। पता नहीं किसने उसे गोली मार दी। फोन पर बेटे की मौत की खबर मिली। हम हिम्मत करके शव देखने गए। उसकी कमीज खून से लाल थी। चेहरे पर भी पत्थर लगने के निशान थे। अब हमारा बेटा को चला गया कि शहर में फिर शांति कायम हो। ये दर्द है संभल हिंसा में जान गंवाने वाले कैफ (18) के पिता मौहम्मद हुसैन का। संभल में रविवार को शाही जामा मस्जिद में टीम सर्वे करने पहुंची थी। सुबह 8:50 पर एकदम से बवाल शुरू हुआ। पत्थर फेंके गए, आगजनी हुई। जमकर तोड़फोड़ की गई। कई राउंड फायरिंग भी की गई। जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में बिलाल, नईम, अयान और कैफ हैं। दैनिक भास्कर की टीम चारों के घर पहुंची। अयान के परिवार ने बातचीत से मना कर दिया। अन्य तीनों के परिजनों से बात की। पढ़िए घटना और मौत को लेकर उन्होंने क्या कुछ बताया… नईम का बेटा आंख पर हाथ रखकर रोता रहा
भास्कर की टीम नईम (35) के घर पहुंची। घर के बाहर ही नईम के 3 बेटे, भाई और मामा खड़े मिले। नईम के तीनों बेटे रो रहे थे। उसका 7 साल का बेटा आंख पर हाथ रखकर आंसुओं की छिपाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन उसकी सिसकियां सुनाई दे रही थीं। नईम की पत्नी और बेटी घर के अंदर बेसुध बैठी हुई थीं। पुलिस ने पोस्टमॉर्टम कराकर लाश दी
नईम के भाई तसलीम ने बताया, मेरा भाई तो अपनी मिठाई की दुकान पर गया था। वो अम्मी से कहकर निकला था, कारीगर आ गया है, मैं दुकान जा रहा हूं। लेकिन उसको पुलिस ने गोली मार दी। हमारी छोटी सी मिठाई की दुकान है। उसी में समोसे भी बेचते हैं। नईम घर का बड़ा बेटा था। उसके 4 छोटे-छोटे बच्चे हैं। उनके ऊपर से पिता का साया छीन लिया गया है। हम लोगों को बस इंसाफ चाहिए, और कुछ नहीं। हमें अपने भाई के मरने की खबर मिली तो हम लोग उसको देखने गए। लेकिन पुलिस ने हमें लात मारकर भगा दिया। हम लोग उसकी लाश तक नहीं देख पाए। बाद में पोस्टमॉर्टम कराकर हमें लाश दी गई। नईम के मामा बोले- भीड़ को खदेड़ोगे तो भीड़ तो बिगड़ेगी
नईम के मामा इरशाद हुसैन ने बताया, उसने मरते समय बताया था, सीओ साहब की गोली उसको लगी है। सुबह-सुबह सर्वे चालू कर दिया, ऐसी क्या जल्दी थी। पहले से समय देना चाहिए था। जिम्मेदारों को बताते, तो वो सहयोग करते। अब तुम भीड़ को खदेड़ोगे तो भीड़ तो बिगड़ेगी न। हमारी लड़ाई हिंदू-मुस्लिम नहीं है। प्रशासन ने हमारे साथ गलत किया। इन लोगों ने मारा-मारी शुरू की तो पब्लिक ने पत्थराव कर दिया। जिसमें निर्दोष लोग मारे गए। इन लोगों ने खुद हमला किया है। पत्थर-गोली के निशान अभी भी दीवारों पर बने हुए हैं। ये इन लोगों की सोची समझी साजिश थी। इनको पब्लिक को मारना था। बिलाल के भाई ने कहा- सीओ को फांसी दी जाए भाई के सीने में गोली लगी
नईम के घर से निकलकर भास्कर टीम बिलाल (23) के घर पहुंची। बिलाल के घर पहुंचे तो उनके परिजनों ने बातचीत से इनकार कर दिया। बिलाल के छोटे भाई ने कहा कि जो कुछ पूछना है हमसे पूछिए। घरवालों के फोटो-वीडियो मत बनाइए। अलीम ने बताया- मेरे भाई की रेडीमेड कपड़ों की दुकान है। भाई माल रखवाने सुबह ही चले गए थे। वो सात-साढ़े सात के बीच घर से निकले। उनको घर से फोन करके दंगे की जानकारी दी गई। जिसके बाद वो तुरंत घर आने लगे। वो घर के रास्ते में ही थे, तभी पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। लाठी चलाने के बाद पुलिस ने गोली चला दी, जो मेरे भाई के सीने में लगी। हम लोगों को तो घटना के बारे में कुछ पता ही नहीं था। मेरे दूसरे भाई के पास फोन आया। उसने बताया, बिलाल के गोली लग गई है। तुम लोग तुरंत आ जाओ। हम लोग अस्पताल पहुंचे तो 2-3 घंटे भाई को ढूंढते रहे। वहां पूछने पर पता चला कि वो दूसरे अस्पताल में है। हम लोग वहां गए। वहां भाई की हालत गंभीर होने पर उसे रेफर कर दिया गया। सीओ ने मेरे भाई को मारा
अलीम ने कहा- सीओ अनुज चौधरी ने गोली चलवाई। उसने खुद बोला, गोली चलाओ। उसने मेरे भाई को मारा और जितने मरे हैं, उनको भी उसने ही मारा है। उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो। उसको सस्पेंड किया जाए। उसको फांसी दी जाए। हमें इंसाफ चाहिए। किस के कहने पर उसने गोली चलाने की इजाजत दी। क्या मुसलमान की कोई वैल्यू नहीं है? क्या मुसलमान इस देश के मालिक नहीं हैं? ये मुसलमानों की देन है कि आज यहां पर हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई सब प्यार से रह रहे हैं। मेरे बड़े भाई की तबीयत बहुत खराब है। इस हादसे के बाद वो सदमे में हैं। घर में अम्मी-अब्बू सब बहुत परेशान हैं। अल्लाह ने हमें सबर दिया है, बस उसी के भरोसे बैठे हुए हैं। ——————— अब संभल हिंसा से जुड़ी ये दो खबरें भी पढ़ें… जिस शाही जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में भीड़ ने हिंसा की, उसकी दीवारों पर भी पत्थर लगे। उपद्रवी हिंदू आबादी की तरफ पहुंचने वाले थे, पुलिस ने खदेड़ा। करीब 5 घंटे तक ये सब चलता रहा। मैं भी हेलमेट पहनकर रिपोर्टिंग कर रहा था। ऐसे हालात मैंने अपने करियर के 14 सालों में कभी नहीं देखा। हालात कश्मीर जैसे दिख रहे थे। यहां पढ़ें पूरी खबर संभल की उस गली में पहुंचा भास्कर रिपोर्टर, जहां रविवार को जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हिंसा भड़की थी। गलियों में बने घरों पर ताले लटके हैं। पूरे इलाके में सन्नाटा फैला हुआ है। लोग अपने मकानों को छोड़कर चले गए। पुलिस रविवार रात से ही इन इलाकों में गश्त कर रही है। लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रही है। यहां पढ़ें पूरी खबर मेरा बेटा कॉस्मेटिक के सामान की फेरी लगाता था। गली-गली सामान बेचता था। संभल में बवाल वाले दिन वो सामान खरीदने गया था। जब घटना हुई तो मेरा बेटा भीड़ में फंस गया। पता नहीं किसने उसे गोली मार दी। फोन पर बेटे की मौत की खबर मिली। हम हिम्मत करके शव देखने गए। उसकी कमीज खून से लाल थी। चेहरे पर भी पत्थर लगने के निशान थे। अब हमारा बेटा को चला गया कि शहर में फिर शांति कायम हो। ये दर्द है संभल हिंसा में जान गंवाने वाले कैफ (18) के पिता मौहम्मद हुसैन का। संभल में रविवार को शाही जामा मस्जिद में टीम सर्वे करने पहुंची थी। सुबह 8:50 पर एकदम से बवाल शुरू हुआ। पत्थर फेंके गए, आगजनी हुई। जमकर तोड़फोड़ की गई। कई राउंड फायरिंग भी की गई। जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में बिलाल, नईम, अयान और कैफ हैं। दैनिक भास्कर की टीम चारों के घर पहुंची। अयान के परिवार ने बातचीत से मना कर दिया। अन्य तीनों के परिजनों से बात की। पढ़िए घटना और मौत को लेकर उन्होंने क्या कुछ बताया… नईम का बेटा आंख पर हाथ रखकर रोता रहा
भास्कर की टीम नईम (35) के घर पहुंची। घर के बाहर ही नईम के 3 बेटे, भाई और मामा खड़े मिले। नईम के तीनों बेटे रो रहे थे। उसका 7 साल का बेटा आंख पर हाथ रखकर आंसुओं की छिपाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन उसकी सिसकियां सुनाई दे रही थीं। नईम की पत्नी और बेटी घर के अंदर बेसुध बैठी हुई थीं। पुलिस ने पोस्टमॉर्टम कराकर लाश दी
नईम के भाई तसलीम ने बताया, मेरा भाई तो अपनी मिठाई की दुकान पर गया था। वो अम्मी से कहकर निकला था, कारीगर आ गया है, मैं दुकान जा रहा हूं। लेकिन उसको पुलिस ने गोली मार दी। हमारी छोटी सी मिठाई की दुकान है। उसी में समोसे भी बेचते हैं। नईम घर का बड़ा बेटा था। उसके 4 छोटे-छोटे बच्चे हैं। उनके ऊपर से पिता का साया छीन लिया गया है। हम लोगों को बस इंसाफ चाहिए, और कुछ नहीं। हमें अपने भाई के मरने की खबर मिली तो हम लोग उसको देखने गए। लेकिन पुलिस ने हमें लात मारकर भगा दिया। हम लोग उसकी लाश तक नहीं देख पाए। बाद में पोस्टमॉर्टम कराकर हमें लाश दी गई। नईम के मामा बोले- भीड़ को खदेड़ोगे तो भीड़ तो बिगड़ेगी
नईम के मामा इरशाद हुसैन ने बताया, उसने मरते समय बताया था, सीओ साहब की गोली उसको लगी है। सुबह-सुबह सर्वे चालू कर दिया, ऐसी क्या जल्दी थी। पहले से समय देना चाहिए था। जिम्मेदारों को बताते, तो वो सहयोग करते। अब तुम भीड़ को खदेड़ोगे तो भीड़ तो बिगड़ेगी न। हमारी लड़ाई हिंदू-मुस्लिम नहीं है। प्रशासन ने हमारे साथ गलत किया। इन लोगों ने मारा-मारी शुरू की तो पब्लिक ने पत्थराव कर दिया। जिसमें निर्दोष लोग मारे गए। इन लोगों ने खुद हमला किया है। पत्थर-गोली के निशान अभी भी दीवारों पर बने हुए हैं। ये इन लोगों की सोची समझी साजिश थी। इनको पब्लिक को मारना था। बिलाल के भाई ने कहा- सीओ को फांसी दी जाए भाई के सीने में गोली लगी
नईम के घर से निकलकर भास्कर टीम बिलाल (23) के घर पहुंची। बिलाल के घर पहुंचे तो उनके परिजनों ने बातचीत से इनकार कर दिया। बिलाल के छोटे भाई ने कहा कि जो कुछ पूछना है हमसे पूछिए। घरवालों के फोटो-वीडियो मत बनाइए। अलीम ने बताया- मेरे भाई की रेडीमेड कपड़ों की दुकान है। भाई माल रखवाने सुबह ही चले गए थे। वो सात-साढ़े सात के बीच घर से निकले। उनको घर से फोन करके दंगे की जानकारी दी गई। जिसके बाद वो तुरंत घर आने लगे। वो घर के रास्ते में ही थे, तभी पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। लाठी चलाने के बाद पुलिस ने गोली चला दी, जो मेरे भाई के सीने में लगी। हम लोगों को तो घटना के बारे में कुछ पता ही नहीं था। मेरे दूसरे भाई के पास फोन आया। उसने बताया, बिलाल के गोली लग गई है। तुम लोग तुरंत आ जाओ। हम लोग अस्पताल पहुंचे तो 2-3 घंटे भाई को ढूंढते रहे। वहां पूछने पर पता चला कि वो दूसरे अस्पताल में है। हम लोग वहां गए। वहां भाई की हालत गंभीर होने पर उसे रेफर कर दिया गया। सीओ ने मेरे भाई को मारा
अलीम ने कहा- सीओ अनुज चौधरी ने गोली चलवाई। उसने खुद बोला, गोली चलाओ। उसने मेरे भाई को मारा और जितने मरे हैं, उनको भी उसने ही मारा है। उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो। उसको सस्पेंड किया जाए। उसको फांसी दी जाए। हमें इंसाफ चाहिए। किस के कहने पर उसने गोली चलाने की इजाजत दी। क्या मुसलमान की कोई वैल्यू नहीं है? क्या मुसलमान इस देश के मालिक नहीं हैं? ये मुसलमानों की देन है कि आज यहां पर हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई सब प्यार से रह रहे हैं। मेरे बड़े भाई की तबीयत बहुत खराब है। इस हादसे के बाद वो सदमे में हैं। घर में अम्मी-अब्बू सब बहुत परेशान हैं। अल्लाह ने हमें सबर दिया है, बस उसी के भरोसे बैठे हुए हैं। ——————— अब संभल हिंसा से जुड़ी ये दो खबरें भी पढ़ें… जिस शाही जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में भीड़ ने हिंसा की, उसकी दीवारों पर भी पत्थर लगे। उपद्रवी हिंदू आबादी की तरफ पहुंचने वाले थे, पुलिस ने खदेड़ा। करीब 5 घंटे तक ये सब चलता रहा। मैं भी हेलमेट पहनकर रिपोर्टिंग कर रहा था। ऐसे हालात मैंने अपने करियर के 14 सालों में कभी नहीं देखा। हालात कश्मीर जैसे दिख रहे थे। यहां पढ़ें पूरी खबर संभल की उस गली में पहुंचा भास्कर रिपोर्टर, जहां रविवार को जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हिंसा भड़की थी। गलियों में बने घरों पर ताले लटके हैं। पूरे इलाके में सन्नाटा फैला हुआ है। लोग अपने मकानों को छोड़कर चले गए। पुलिस रविवार रात से ही इन इलाकों में गश्त कर रही है। लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रही है। यहां पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर