बादली उपमंडल के गांव दादरी तोय स्थित मेट सिटी सेक्टर-4 में रह रहे एक राजमिस्त्री का सिर पर वार कर हत्या करने का मामला सामने आया है। मिस्त्री की हत्या की सूचना पाकर दुलीना चौकी पुलिस मौके पर पहुंची और घटना स्थल का जायजा लिया। मौके पर जांच और आवश्यक कानूनी कार्रवाई को अंजाम दिया। दुलीना चौकी प्रभारी जयभगवान ने बताया कि मृतक की पहचान उत्तर प्रदेश के झांसी के भगवंतपुरा निवासी 50 वर्षीय धनीराम के रूप में हुई है। मामले में आवश्यक कानूनी कार्रवाई और जांच की जा रही है। झज्जर के सिविल अस्पताल में मृतक का पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों के हवाले कर दिया गया है। आगामी जांच अमल में लाई जा रही है। चौकी प्रभारी ने बताया कि मृतक के बेटे रविंदर की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है। रवींद्र ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में बताया कि उसके पिता धनीराम पिछले 3 साल से दादरी तोय में रहकर चिनाई का काम करते थे। वह दो महीने से दादरी तोय के सेक्टर-4 में निर्माणाधीन फैक्ट्री की बाउंड्री बनाने का काम कर रहे थे। उसको मंगलवार शाम को सूचना मिली कि सोमवार रात को किसी ने उसके पिता की हत्या कर दी है। सूचना पाकर वह आज दादरी तोय पहुंचा तो पाया कि किसी ने उसके पिता के सिर पर वार करके हत्या की हैं। दुलीना पुलिस ने बुधवार को शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों को सौंप दिया हैं। पुलिस ने मृतक के बेटे रवींद्र की शिकायत पर अज्ञात पर केस दर्ज किया हैं। चौकी प्रभारी जयभगवान ने बताया कि पुलिस ने मौके से सीसीटीवी भी कब्जे में लिया हैं। सीसीटीवी में एक व्यक्ति आता नजर आ रहा हैं। परिजनों ने बताया कि सीसीटीवी में दिखने वाला व्यक्ति 2 दिन से गायब हैं। बादली उपमंडल के गांव दादरी तोय स्थित मेट सिटी सेक्टर-4 में रह रहे एक राजमिस्त्री का सिर पर वार कर हत्या करने का मामला सामने आया है। मिस्त्री की हत्या की सूचना पाकर दुलीना चौकी पुलिस मौके पर पहुंची और घटना स्थल का जायजा लिया। मौके पर जांच और आवश्यक कानूनी कार्रवाई को अंजाम दिया। दुलीना चौकी प्रभारी जयभगवान ने बताया कि मृतक की पहचान उत्तर प्रदेश के झांसी के भगवंतपुरा निवासी 50 वर्षीय धनीराम के रूप में हुई है। मामले में आवश्यक कानूनी कार्रवाई और जांच की जा रही है। झज्जर के सिविल अस्पताल में मृतक का पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों के हवाले कर दिया गया है। आगामी जांच अमल में लाई जा रही है। चौकी प्रभारी ने बताया कि मृतक के बेटे रविंदर की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है। रवींद्र ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में बताया कि उसके पिता धनीराम पिछले 3 साल से दादरी तोय में रहकर चिनाई का काम करते थे। वह दो महीने से दादरी तोय के सेक्टर-4 में निर्माणाधीन फैक्ट्री की बाउंड्री बनाने का काम कर रहे थे। उसको मंगलवार शाम को सूचना मिली कि सोमवार रात को किसी ने उसके पिता की हत्या कर दी है। सूचना पाकर वह आज दादरी तोय पहुंचा तो पाया कि किसी ने उसके पिता के सिर पर वार करके हत्या की हैं। दुलीना पुलिस ने बुधवार को शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों को सौंप दिया हैं। पुलिस ने मृतक के बेटे रवींद्र की शिकायत पर अज्ञात पर केस दर्ज किया हैं। चौकी प्रभारी जयभगवान ने बताया कि पुलिस ने मौके से सीसीटीवी भी कब्जे में लिया हैं। सीसीटीवी में एक व्यक्ति आता नजर आ रहा हैं। परिजनों ने बताया कि सीसीटीवी में दिखने वाला व्यक्ति 2 दिन से गायब हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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2022 में नगर पालिका असंध का चुनाव हुआ। जिसमें सतीश कटारिया ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर चेयरमैन का नॉमिनेशन किया था। उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी कमलजीत लाडी को 553 वोट से हराया था और चेयरमैन बने थे। आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी एडवोकेट सोनिया बोहत भी चेयरमैन का चुनाव लड़ी थी। जिसमें इन्हें 1335 वोट मिले थे और चौथे स्थान पर रही थी। आपको बता दे कि पहले कटारिया ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गए थे। एडवोकेट सोनिया बोहत ने बताया कि जब नॉमिनेशन दाखिल किए जा रहे थे, तो उस दौरान उनकी नजर सतीश कटारिया की डीएमसी पर पड़ी थी। डीएमसी यूपी बोर्ड की थी। जिस पर फर्जी होने का शक हुआ। इलेक्शन में सतीश कटारिया जीत गए थे। जिसके बाद सोनिया बोहत ने आरटीआई से डीएमसी के फर्जी होने की पुष्टि की। सोनिया बोहत का कहना है कि सतीश कटारिया ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके चुनाव लड़ा, जो नगरपालिका के नियमों और चुनाव आयोग के साथ धोखा था और इससे भी बड़ा धोखा असंध की जनता के साथ था। इसलिए ऐसे शख्स की सच्चाई सभी के सामने आनी चाहिए थी। नगरपालिका के चेयरमैन सतीश कटारिया का कहना है कि उन्होंने किसी तरह के कोई फर्जी दस्तावेज इस्तेमाल नहीं किए। माननीय हाईकोर्ट के ऑर्डर की कॉपी अभी तक नहीं मिली है। इसलिए कुछ भी स्पष्ट नहीं है। माननीय हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान किया जाएगा और अगर अयोग्य घोषित किया जाता है तो माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी।
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जींद में 2 बहनों के इकलौते भाई की मौत:डाक कांवड़ के लिए गाड़ी में रखे डीजे स्पीकर तले दबा, पिता भी नहीं है हरियाणा के जींद में बड़ा दर्दनाक हादसा हुआ है। उचाना क्षेत्र के गांव डोहाना खेड़ा के तीन युवक कांवड़ लाने काे लेकर कापड़ो गांव से गाड़ी पर डीजे सिस्टम रख कर लौट रहे थे। रास्ते में पेड़ से टकराकर स्पीकर युवकों पर गिर गए। इसमें एक युवक की मौत हो गई, जबकि दो युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतक 2 बहनों का इकलौता भाई था। उसके पिता की भी मौत हो चुकी है। युवक की मौत से पूरे गांव में शौक छाया है। जानकारी के अनुसार डोहाना खेड़ा निवासी 18 वर्षीय चाहत, वकील व गुलशन समेत गांव के अन्य युवाओं ने हरिद्वार से डाक कांवड़ लाने की योजना बनाई थी। इसके लिए गाड़ी पर साऊंड सिस्टम (DJ) लगवाने की खातिर चाहत, वकील व गुलशन टाटा गाड़ी में बैठकर कापड़ो गांव में गए थे। वहां युवकों ने गाड़ी डीजे रखवाया और वापस गांव के लिए चल दिए। पेड़ की टहनी से हादसा उनकी गाड़ी अभी कुछ दूर पहुंची थी कि सड़क किनारे खड़े पेड़ की टहनी से टकराकर डीजे के स्पीकर नीचे गिर गए। गाड़ी में नीचे बैठे चाहत, वकील और गुलशन स्पीकरों के नीचे दब गए। बताया जा रहा है कि एक स्पीकर का वजन 80 किलोग्राम से ज्यादा था। इस कारण तीनों युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को हिसार में कराया दाखिल युवक चाहत की मौके पर ही मौत हो गई। वकील और गुलशन को इलाज के लिए हिसार के निजी अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। चाहत दो बहनों का इकलौता भाई था। चाहत के पिता की पहले मौत हो चुकी है। पूरे घर काे चलाने का जिम्मा चाहत पर ही था। एकाएक हुए इस हादसे से ग्रामीण स्तब्ध हैं। परिवार में मातम पसरा है।
हरियाणा में 20 साल बाद कच्चे कर्मचारी होंगे पक्के:सरकार ने HC में दिया जबाव; दो सप्ताह में जारी होंगे नियुक्ति पत्र
हरियाणा में 20 साल बाद कच्चे कर्मचारी होंगे पक्के:सरकार ने HC में दिया जबाव; दो सप्ताह में जारी होंगे नियुक्ति पत्र हरियाणा में 20 साल बाद कच्चे कर्मचारी नियमित होंगे। सरकार ने बताया है कि दो सप्ताह के भीतर ही ऐसे कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए जाएंगे। यह जानकारी प्रदेश सरकार ने अस्थायी कर्मचारियों द्वारा दायर अवमानना याचिका के जवाब में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में यह जानकारी दी है। मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से इसको लेकर एक प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया था, जिस पर वित्त विभाग ने अपनी मुहर लगा दी है। हरियाणा में 20 साल से अधिक समय से कार्यरत सभी अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने के लिए कैडर पदों के सृजन को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देश के बाद 28 नवंबर को मुख्य सचिव कार्यालय पहले ही मंजूरी दे चुका है। वित्तीय लाभ भी मिलेंगे मुख्य सचिव कार्यालय के प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने अपनी मुहर लगाकर यह उम्मीद जगा दी है कि अब अस्थायी कर्मचारियों को वास्तव में पक्की नौकरियां मिल सकती हैं। हरियाणा सरकार के अधिकारी दो सप्ताह की अवधि के भीतर ऐसे सभी अस्थायी कर्मचारियों को नियमित पदों के लिए नियुक्ति पत्र जारी करेंगे। साथ ही परिणामी-वित्तीय लाभ भी देंगे। अवमानना याचिका पर हो रही सुनवाई सरकार के जवाब के बाद मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस हरकेश मनुजा ने स्पष्ट किया कि यदि हरियाणा सरकार द्वारा उपरोक्त अवधि के भीतर आवश्यक कार्यवाही नहीं की जाती है, तो याचिकाकर्ता वर्तमान अवमानना याचिका पर दोबारा सुनवाई करने की मांग करने के लिए स्वतंत्र होंगे और ऐसी स्थिति में संबंधित अधिकारी मुकदमेबाजी के खर्च के लिए प्रत्येक याचिकाकर्ता को 50 हजार रुपए की राशि अपनी जेब से देने के लिए उत्तरदायी होंगे। याचिकाकर्ताओं ने राज्य में 20 साल से अधिक समय से कार्यरत ऐसे सभी अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने के लिए हाई कोर्ट द्वारा 13 मार्च को पारित आदेश को लागू नहीं करने के लिए मुख्य सचिव हरियाणा के खिलाफ न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के निर्देश मांगे थे। राज्य ने मार्च के आदेश को लागू नहीं किया याचिकाकर्ता राज्य सरकार की एक अक्टूबर 2003 की नियमितीकरण नीति के तहत अपनी सेवाओं को नियमित करने की मांग कर रहे थे। हालांकि, सरकार ने पहले दावा किया था कि याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को नियमित करने के लिए राज्य के पास कोई स्वीकृत पद नहीं हैं। इस पर हाई कोर्ट ने अपने मार्च के आदेश में राज्य को उचित पद सृजित करने के लिए कहा था। चूंकि राज्य ने मार्च के आदेश को लागू नहीं किया था, इसलिए याचिकाकर्ताओं ने मुख्य सचिव हरियाणा के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने दिये थे पद सृजित करने के निर्देश यमुनानगर निवासी ओमप्रकाश व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर एक बार राज्य सरकार ने अस्थायी कर्मचारियों को उस पद पर सेवा जारी रखने की अनुमति दे दी है, जिस पर उन्हें शुरू में नियुक्त किया गया था तो यह नहीं कहा जा सकता कि संबंधित पद के लिए कोई नियमित कार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जब कोई कर्मचारी एक दशक से अधिक समय तक काम कर चुका है और उक्त पद का कार्य मौजूद है तो राज्य का यह कर्तव्य है कि वह पद सृजित करे, ताकि उक्त कर्मचारी को सेवा में बने रहने की अनुमति दी जा सके। हाई कोर्ट ने कहा था कि एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते राज्य को अपने कर्मचारियों का ध्यान रखना चाहिए, न कि ऐसा निर्णय लें, जिससे कर्मचारी के नियमितीकरण के दावे खारिज हो जाएं।