इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के 8 गोल्ड मेडलिस्ट की कहानी:ड्राइवर का बेटा बोला-पिता को मेहनत करते देख मिली प्रेरणा, 6 घंटे पढ़ाई कर किया टॉप

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के 8 गोल्ड मेडलिस्ट की कहानी:ड्राइवर का बेटा बोला-पिता को मेहनत करते देख मिली प्रेरणा, 6 घंटे पढ़ाई कर किया टॉप

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के 136 वें दीक्षांत में बुधवार को 8 मेधावियों को गोल्ड मेडल और डिग्रियां प्रदान की गईं। गोल्ड मेडल पाने वालों में 1 छात्र और 7 छात्राएं शामिल रहीं। इसमें सबसे ज्यादा 7 मेडल BA की छात्रा आंचल त्रिपाठी को मिले। जिसमें 5 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल रहा। मुख्यमंत्री के हाथों मेडल पाने के बाद छात्रों ने अपने संघर्ष की कहानी बयां की और सफलता के टिप्स दिए।
आइए आपको इन गोल्ड मेडलिस्टों की कहानी बताते हैं। ड्राइवर पिता से मिली कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा बीकॉम में गोल्ड मेडल हासिल करने वाले 8 छात्रों में एकमात्र छात्र शुभम कुमार यादव हैं। उन्हें चार मेडल मिले हैं। उनका कहना है- ‘मैं बहुत ही सामान्य परिवार से आता हूं, मेरे पिता ड्राइवर हैं। उनकी मेहनत और संघर्षों को देखकर मैंने मेहनत करने की ठानी। मैं रोज 6 से 8 घंटे तक पढ़ाई करता था। ऑनलाइन क्लासेज भी अटेंड करता था। कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि मेरे जिंदगी में आज ये खुशी का पल आया है। मैं आज गले में गोल्ड मेडल पहनकर जब पापा के पास जाऊंगा तो मुझसे अधिक खुशी उन्हें होगी। टॉपर आंचल त्रिपाठी बोली-नोट्स बनाकर पढ़ने से फायदा प्रतापगढ़ की रहने वाली BA की टॉपर आंचल त्रिपाठी को 5 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल मिले हैं। आंचल के पिता प्रभात त्रिपाठी मेडिकल रिप्रजेंटेटिव हैं। आंचल कहती हैं- “वह रेग्युलर पढ़ाई करती हैं और कॉलेज में जो भी पढ़ाया जाता है। उसका बकायदा नोट्स बनाती हैं और घर पहुंचकर उसे पढ़ती हूं ताकि वह याद हो सके।’ वह प्रोफेसर बनने चाहती हैं। किसान की बेटी बोलीं- अफसर बनकर लोगों की मदद करना चाहती हूं रिया तिवारी कानपुर की रहने वालीं हैं। एमएससी केमिस्ट्री में टॉप करने पर उन्हें गोल्ड मेडलिस्ट मिला है। रिया तिवारी कहती हैं, ‘आज का ये पल कभी न भूलने वाला था। मेरे पिता सर्वेश तिवारी गांव में किसान हैं। अपनी सफलता का श्रेय उन्हें देना चाहती हूं। मैं आगे UPSC की तैयारी करूंगी। मेरा सपना अफसर बनकर जरूरतमंदों की मदद करना है। रिया वर्मा बोलीं-मेरी सफलता का श्रेय पैरेंट्स को एमकॉम की गोल्ड मेडलिस्ट रिया वर्मा कहती है “मैंने ज्यादातर सेल्फ स्टडीज की है। लेकिन पैरेंट्स के साथ साथ मेरे टीचरों का बहुत सहयोग रहा। इस मेडल का श्रेय इन्हीं लोगों को जाता है। अब आगे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना है। योगी जी को आमने सामने सुनना अपने अभिभावक से बातचीत करने जैसा लगा। मेरे लिए वह मेरे आईकॉन हैं।” दीक्षा पांडेय बोलीं-प्रोफेसर बनना है सपना जौनपुर के मड़ियाहूं की रहने वाली दीक्षा पांडेय एमए की टॉपर हैं। वह आज माथे पर तिलक लगाकर जब मंच पर मेडल लेने पहुंची तो मुख्यमंत्री ने पूछा किस सबजेक्ट में मेडल मिला। दीक्षा ने जवाब दिया.. संस्कृत में, इस पर सीएम ने मुस्कुराते हुए बधाई दी। दीक्षा के पिता पवन पांडेय प्राइमरी स्कूल में शिक्षक हैं। दीक्षा कहती हैं- वह आगे Phd. करना चाहती हैं और आगे प्रोफेसर बनना लक्ष्य है। मणि रश्मि ने कहा- पापा की तरह प्रोफेसर बनना चाहती हूं बीएससी की टॉपर गोल्ड मेडलिस्ट मणि रश्मि ने बताया- उनके पिता प्रोफेसर हैं। पिता की तरह ही वह भी प्रोफेसर बनना चाहती हूं। आज मुख्यमंत्री के हाथों से मेडल मिलने से हौसला और बढ़ गया है। वह इसका श्रेय माता-पिता, बड़ी बहन, दादी और गुरुजनों को देना चाहती हैं। जिनके हौसले और मार्गदर्शन में यह मेडल आज उन्हें मिला है। सब-इंस्पेक्टर की बेटी BA-LLB की बनी टॉपर चंदौली की रितिका सिंह को BA-LLB में टॉप करने पर गोल्ड मेडल दिया गया है। वह अभी बंगलुरू से एलएलएम की पढ़ाई कर रही हैं। इनके पिता पुलिस विभाग में सब-इंस्पेक्टर हैं और रितिका कानून की पढ़ाई पूरी कर जज बनना चाहती हैं। वह कहती हैं कि वह कानून की पढ़ाई कर न्यायिक सेवा में जाना चाहती हैं ताकि ऐसे लोगों की मदद कर सकूं जो न्याय की उम्मीद लिए कोर्ट की चौखट तक आते हैं। नेहा उत्तम बोलीं- दृढ़ संकल्प से मिलती है सफलता लॉ फाइनल ईयर की टॉपर नेहा उत्तम को भी गोल्ड मेडल मिला है। वह कहती हैं कि ज्यादातर समय किताबों के साथ बीतता है। आगे वह न्यायिक सेवा में ही जाना चाहती हैं। नेहा सामान्य परिवार से आती हैं और ग्रामीण परिवेश को बहुत नजदीक से देखा है। वह कहती हैं कि इस उपलब्धि का पूरा श्रेय माता पिता और शिक्षकों को देना चाहूंगी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के 136 वें दीक्षांत में बुधवार को 8 मेधावियों को गोल्ड मेडल और डिग्रियां प्रदान की गईं। गोल्ड मेडल पाने वालों में 1 छात्र और 7 छात्राएं शामिल रहीं। इसमें सबसे ज्यादा 7 मेडल BA की छात्रा आंचल त्रिपाठी को मिले। जिसमें 5 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल रहा। मुख्यमंत्री के हाथों मेडल पाने के बाद छात्रों ने अपने संघर्ष की कहानी बयां की और सफलता के टिप्स दिए।
आइए आपको इन गोल्ड मेडलिस्टों की कहानी बताते हैं। ड्राइवर पिता से मिली कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा बीकॉम में गोल्ड मेडल हासिल करने वाले 8 छात्रों में एकमात्र छात्र शुभम कुमार यादव हैं। उन्हें चार मेडल मिले हैं। उनका कहना है- ‘मैं बहुत ही सामान्य परिवार से आता हूं, मेरे पिता ड्राइवर हैं। उनकी मेहनत और संघर्षों को देखकर मैंने मेहनत करने की ठानी। मैं रोज 6 से 8 घंटे तक पढ़ाई करता था। ऑनलाइन क्लासेज भी अटेंड करता था। कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि मेरे जिंदगी में आज ये खुशी का पल आया है। मैं आज गले में गोल्ड मेडल पहनकर जब पापा के पास जाऊंगा तो मुझसे अधिक खुशी उन्हें होगी। टॉपर आंचल त्रिपाठी बोली-नोट्स बनाकर पढ़ने से फायदा प्रतापगढ़ की रहने वाली BA की टॉपर आंचल त्रिपाठी को 5 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल मिले हैं। आंचल के पिता प्रभात त्रिपाठी मेडिकल रिप्रजेंटेटिव हैं। आंचल कहती हैं- “वह रेग्युलर पढ़ाई करती हैं और कॉलेज में जो भी पढ़ाया जाता है। उसका बकायदा नोट्स बनाती हैं और घर पहुंचकर उसे पढ़ती हूं ताकि वह याद हो सके।’ वह प्रोफेसर बनने चाहती हैं। किसान की बेटी बोलीं- अफसर बनकर लोगों की मदद करना चाहती हूं रिया तिवारी कानपुर की रहने वालीं हैं। एमएससी केमिस्ट्री में टॉप करने पर उन्हें गोल्ड मेडलिस्ट मिला है। रिया तिवारी कहती हैं, ‘आज का ये पल कभी न भूलने वाला था। मेरे पिता सर्वेश तिवारी गांव में किसान हैं। अपनी सफलता का श्रेय उन्हें देना चाहती हूं। मैं आगे UPSC की तैयारी करूंगी। मेरा सपना अफसर बनकर जरूरतमंदों की मदद करना है। रिया वर्मा बोलीं-मेरी सफलता का श्रेय पैरेंट्स को एमकॉम की गोल्ड मेडलिस्ट रिया वर्मा कहती है “मैंने ज्यादातर सेल्फ स्टडीज की है। लेकिन पैरेंट्स के साथ साथ मेरे टीचरों का बहुत सहयोग रहा। इस मेडल का श्रेय इन्हीं लोगों को जाता है। अब आगे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना है। योगी जी को आमने सामने सुनना अपने अभिभावक से बातचीत करने जैसा लगा। मेरे लिए वह मेरे आईकॉन हैं।” दीक्षा पांडेय बोलीं-प्रोफेसर बनना है सपना जौनपुर के मड़ियाहूं की रहने वाली दीक्षा पांडेय एमए की टॉपर हैं। वह आज माथे पर तिलक लगाकर जब मंच पर मेडल लेने पहुंची तो मुख्यमंत्री ने पूछा किस सबजेक्ट में मेडल मिला। दीक्षा ने जवाब दिया.. संस्कृत में, इस पर सीएम ने मुस्कुराते हुए बधाई दी। दीक्षा के पिता पवन पांडेय प्राइमरी स्कूल में शिक्षक हैं। दीक्षा कहती हैं- वह आगे Phd. करना चाहती हैं और आगे प्रोफेसर बनना लक्ष्य है। मणि रश्मि ने कहा- पापा की तरह प्रोफेसर बनना चाहती हूं बीएससी की टॉपर गोल्ड मेडलिस्ट मणि रश्मि ने बताया- उनके पिता प्रोफेसर हैं। पिता की तरह ही वह भी प्रोफेसर बनना चाहती हूं। आज मुख्यमंत्री के हाथों से मेडल मिलने से हौसला और बढ़ गया है। वह इसका श्रेय माता-पिता, बड़ी बहन, दादी और गुरुजनों को देना चाहती हैं। जिनके हौसले और मार्गदर्शन में यह मेडल आज उन्हें मिला है। सब-इंस्पेक्टर की बेटी BA-LLB की बनी टॉपर चंदौली की रितिका सिंह को BA-LLB में टॉप करने पर गोल्ड मेडल दिया गया है। वह अभी बंगलुरू से एलएलएम की पढ़ाई कर रही हैं। इनके पिता पुलिस विभाग में सब-इंस्पेक्टर हैं और रितिका कानून की पढ़ाई पूरी कर जज बनना चाहती हैं। वह कहती हैं कि वह कानून की पढ़ाई कर न्यायिक सेवा में जाना चाहती हैं ताकि ऐसे लोगों की मदद कर सकूं जो न्याय की उम्मीद लिए कोर्ट की चौखट तक आते हैं। नेहा उत्तम बोलीं- दृढ़ संकल्प से मिलती है सफलता लॉ फाइनल ईयर की टॉपर नेहा उत्तम को भी गोल्ड मेडल मिला है। वह कहती हैं कि ज्यादातर समय किताबों के साथ बीतता है। आगे वह न्यायिक सेवा में ही जाना चाहती हैं। नेहा सामान्य परिवार से आती हैं और ग्रामीण परिवेश को बहुत नजदीक से देखा है। वह कहती हैं कि इस उपलब्धि का पूरा श्रेय माता पिता और शिक्षकों को देना चाहूंगी।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर