हरियाणा में राज्यसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई दिल्ली दरबार में फिर एक्टिव हो गए हैं। बुधवार (27 नवंबर) को उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। अब इस मुलाकात की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं। इसका कारण है कि इससे पहले कुलदीप ने दिल्ली के चक्कर तब लगाए थे, जब इस साल विधानसभा चुनाव से पहले भी हरियाणा में राज्यसभा चुनाव हुए थे। हालांकि, तब कुलदीप को नजरअंदाज कर भाजपा ने पूर्व विधायक किरण चौधरी को राज्यसभा का टिकट दे दिया था। इसलिए हो रहा राज्यसभा चुनाव
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। इसके बदले में भाजपा ने उन्हें पानीपत की इसराना विधानसभा से चुनाव लड़वाया। अब वह जीत कर मंत्री बन गए हैं। उनकी राज्यसभा सीट अब खाली हो गई है। इसलिए, 20 दिसंबर को उसके लिए वोटिंग होनी और 10 दिसंबर तक नामांकन का अंतिम दिन है। इससे पहले भाजपा को अपना उम्मीदवार मैदान में उतारना होगा। विधानसभा के संख्याबल के हिसाब से भाजपा जिसे मैदान में उतारेगी, उसका राज्यसभा में जाना लगभग तय है। इसलिए, कुलदीप बिश्नोई फिर से कोशिश में लग गए हैं। कुलदीप बिश्नोई ने गृहमंत्री शाह से मिलकर यह पोस्ट किया… कुलदीप ने X पर पोस्ट कर लिखा- मुझे लंबा समय दिया
कुलदीप बिश्नोई ने केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात के बाद X पर लिखा, “अमित शाह से शिष्टाचार की भेंट हुई। महाराष्ट्र में प्रचंड जीत की बधाई दी, उनसे आशीर्वाद लिया और लंबी राजनीतिक चर्चा की। मुझे इतना लंबा समय देने, मेरी बातों को इतने ध्यान से सुनने और इतना स्नेह देने के लिए मेरे नेता अमित शाह का दिल की गहराइयों से आभार।” गैर जाट चेहरे के रूप में पेश कर रहे दावेदारी
कुलदीप बिश्नोई भाजपा में गैर जाट चेहरे के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। उनके पिता पूर्व CM भजनलाल की प्रदेश में गैर जाट CM के रूप में पहचान थी। गैर जाट वोटर ही भाजपा की प्रदेश में ताकत माने जाते हैं। ऐसे में कुलदीप इस वोट बैंक को जोड़े रखने में सहायक बनना चाहते हैं। हरियाणा के 3 बार मुख्यमंत्री रहे भजनलाल के समय प्रदेश का संपूर्ण नॉन जाट वोटर उनके साथ था, जो बाद में कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के साथ लामबंद रहा। 2011 से 2014 तक हजकां और भाजपा के गठबंधन के बाद ये वोटर 2014 विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गए। इसलिए राज्यसभा जाना चाहते हैं कुलदीप बिश्नोई… 1. सरकार में 16 साल से पद से दूर बिश्नोई परिवार
विधानसभा चुनाव में आदमपुर में मिली हार से बिश्नोई परिवार एक बार फिर सत्ता सुख से दूर हो गया है। अगर उनके बेटे भव्य और भाई दुड़ाराम चुनाव जीतते तो भव्य को मंत्री पद मिल सकता था, लेकिन आदमपुर से हार ने उन्हें मंत्रिपद से दूर कर दिया। हरियाणा में बिश्नोई परिवार 16 साल से सरकार में पद से बाहर है। 2005 से 2008 तक भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई हरियाणा के डिप्टी CM पद पर रहे। इसके बाद निजी कारणों से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद आज तक बिश्नोई परिवार को सरकार में कोई पद नहीं मिला है। 2. आदमपुर में 57 साल बाद मिली हार
हरियाणा विधानसभा चुनाव में आदमपुर सीट पर हार के बाद भजनलाल परिवार का 57 साल पुराना किला ढह गया है। इस चुनाव में भव्य बिश्नोई 1268 वोटों से हार गए। इस हार के बाद कुलदीप बिश्नोई काफी दुखी हैं। वह आदमपुर में लोगों के बीच भावुक हो गए थे। 3. मुकाम में संरक्षक पद छीना, बिश्नोई रत्न वापस लिया
आदमपुर में चुनाव हारने के बाद कुलदीप बिश्नोई को बड़ी चुनौती अपनों से ही मिली। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के प्रधान के इस्तीफे को लेकर समाज का एक वर्ग उनके खिलाफ हो गया। महासभा के प्रधान ने मुकाम में बैठक कर कुलदीप बिश्नोई को महासभा के संरक्षक पद से हटा दिया और बिश्नोई रत्न वापस ले लिया। हालांकि, इस प्रकरण के बाद से ही कुलदीप बिश्नोई ने चुप्पी साधी हुई है। कुलदीप बिश्नोई और परिवार ने भाजपा से बनाई हुई है दूरी
कुलदीप बिश्नोई ने हरियाणा भाजपा से इन दिनों दूरी बनाई हुई है। वह न तो भाजपा की मीटिंगों में शामिल हो रहे हैं और न ही पार्टी के किसी कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। 25 नवंबर को मुख्यमंत्री नायब सैनी हिसार में आए, मगर कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे कार्यक्रम में नहीं आए। इससे पहले प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली हिसार आए, लेकिन दोनों पिता-पुत्र नजर नहीं आए। इसके बाद चंडीगढ़ में समीक्षा बैठकों से भी बिश्नोई परिवार नदारद रहा। कुलदीप बिश्नोई की पार्टी से दूरी की वजह बेटे की हार के अलावा प्रमुखता से निमंत्रण न मिलना, राज्यसभा न भेजना और बिश्नोई महासभा से जुड़ा विवाद बताया जा रहा है। हरियाणा में राज्यसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई दिल्ली दरबार में फिर एक्टिव हो गए हैं। बुधवार (27 नवंबर) को उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। अब इस मुलाकात की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं। इसका कारण है कि इससे पहले कुलदीप ने दिल्ली के चक्कर तब लगाए थे, जब इस साल विधानसभा चुनाव से पहले भी हरियाणा में राज्यसभा चुनाव हुए थे। हालांकि, तब कुलदीप को नजरअंदाज कर भाजपा ने पूर्व विधायक किरण चौधरी को राज्यसभा का टिकट दे दिया था। इसलिए हो रहा राज्यसभा चुनाव
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। इसके बदले में भाजपा ने उन्हें पानीपत की इसराना विधानसभा से चुनाव लड़वाया। अब वह जीत कर मंत्री बन गए हैं। उनकी राज्यसभा सीट अब खाली हो गई है। इसलिए, 20 दिसंबर को उसके लिए वोटिंग होनी और 10 दिसंबर तक नामांकन का अंतिम दिन है। इससे पहले भाजपा को अपना उम्मीदवार मैदान में उतारना होगा। विधानसभा के संख्याबल के हिसाब से भाजपा जिसे मैदान में उतारेगी, उसका राज्यसभा में जाना लगभग तय है। इसलिए, कुलदीप बिश्नोई फिर से कोशिश में लग गए हैं। कुलदीप बिश्नोई ने गृहमंत्री शाह से मिलकर यह पोस्ट किया… कुलदीप ने X पर पोस्ट कर लिखा- मुझे लंबा समय दिया
कुलदीप बिश्नोई ने केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात के बाद X पर लिखा, “अमित शाह से शिष्टाचार की भेंट हुई। महाराष्ट्र में प्रचंड जीत की बधाई दी, उनसे आशीर्वाद लिया और लंबी राजनीतिक चर्चा की। मुझे इतना लंबा समय देने, मेरी बातों को इतने ध्यान से सुनने और इतना स्नेह देने के लिए मेरे नेता अमित शाह का दिल की गहराइयों से आभार।” गैर जाट चेहरे के रूप में पेश कर रहे दावेदारी
कुलदीप बिश्नोई भाजपा में गैर जाट चेहरे के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। उनके पिता पूर्व CM भजनलाल की प्रदेश में गैर जाट CM के रूप में पहचान थी। गैर जाट वोटर ही भाजपा की प्रदेश में ताकत माने जाते हैं। ऐसे में कुलदीप इस वोट बैंक को जोड़े रखने में सहायक बनना चाहते हैं। हरियाणा के 3 बार मुख्यमंत्री रहे भजनलाल के समय प्रदेश का संपूर्ण नॉन जाट वोटर उनके साथ था, जो बाद में कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के साथ लामबंद रहा। 2011 से 2014 तक हजकां और भाजपा के गठबंधन के बाद ये वोटर 2014 विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गए। इसलिए राज्यसभा जाना चाहते हैं कुलदीप बिश्नोई… 1. सरकार में 16 साल से पद से दूर बिश्नोई परिवार
विधानसभा चुनाव में आदमपुर में मिली हार से बिश्नोई परिवार एक बार फिर सत्ता सुख से दूर हो गया है। अगर उनके बेटे भव्य और भाई दुड़ाराम चुनाव जीतते तो भव्य को मंत्री पद मिल सकता था, लेकिन आदमपुर से हार ने उन्हें मंत्रिपद से दूर कर दिया। हरियाणा में बिश्नोई परिवार 16 साल से सरकार में पद से बाहर है। 2005 से 2008 तक भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई हरियाणा के डिप्टी CM पद पर रहे। इसके बाद निजी कारणों से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद आज तक बिश्नोई परिवार को सरकार में कोई पद नहीं मिला है। 2. आदमपुर में 57 साल बाद मिली हार
हरियाणा विधानसभा चुनाव में आदमपुर सीट पर हार के बाद भजनलाल परिवार का 57 साल पुराना किला ढह गया है। इस चुनाव में भव्य बिश्नोई 1268 वोटों से हार गए। इस हार के बाद कुलदीप बिश्नोई काफी दुखी हैं। वह आदमपुर में लोगों के बीच भावुक हो गए थे। 3. मुकाम में संरक्षक पद छीना, बिश्नोई रत्न वापस लिया
आदमपुर में चुनाव हारने के बाद कुलदीप बिश्नोई को बड़ी चुनौती अपनों से ही मिली। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के प्रधान के इस्तीफे को लेकर समाज का एक वर्ग उनके खिलाफ हो गया। महासभा के प्रधान ने मुकाम में बैठक कर कुलदीप बिश्नोई को महासभा के संरक्षक पद से हटा दिया और बिश्नोई रत्न वापस ले लिया। हालांकि, इस प्रकरण के बाद से ही कुलदीप बिश्नोई ने चुप्पी साधी हुई है। कुलदीप बिश्नोई और परिवार ने भाजपा से बनाई हुई है दूरी
कुलदीप बिश्नोई ने हरियाणा भाजपा से इन दिनों दूरी बनाई हुई है। वह न तो भाजपा की मीटिंगों में शामिल हो रहे हैं और न ही पार्टी के किसी कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। 25 नवंबर को मुख्यमंत्री नायब सैनी हिसार में आए, मगर कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे कार्यक्रम में नहीं आए। इससे पहले प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली हिसार आए, लेकिन दोनों पिता-पुत्र नजर नहीं आए। इसके बाद चंडीगढ़ में समीक्षा बैठकों से भी बिश्नोई परिवार नदारद रहा। कुलदीप बिश्नोई की पार्टी से दूरी की वजह बेटे की हार के अलावा प्रमुखता से निमंत्रण न मिलना, राज्यसभा न भेजना और बिश्नोई महासभा से जुड़ा विवाद बताया जा रहा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर