अर्जुन तू भाई को लेकर तो जा रहा है, लेकिन इसका ख्याल रखना। आराम से लेकर जाना, कहीं कोई दिक्कत न हो। अब मैं इसके लिए क्या रोऊं, दोपहर से तो रो रही हूं। मुझे पता है कि अब ये वापस नहीं आएगा। ये मेरा हाथ छोड़ गया। अगर जिंदगी दोबारा मिले, तो इसे ही फिर से मेरा बेटा बनना भगवान। ये एक मां के शब्द हैं। जिसने कन्नौज हादसे में अपने डॉक्टर बेटे अनिरुद्ध वर्मा को खो दिया। जो अपने बेटे की मौत के गम में अपनी सुधबुध खो बैठी थी। बेटे की एक तकलीफ पर जिसकी आंख से आंसू निकल पड़ते थे। उस मां की आंख में अपने बेटे के शव को देखकर आंसू नहीं थे। हर कोई कह रहा था कि बेटा नहीं रहा, थोड़ा रो लो तो दिल हल्का हो जाएगा। मगर, मां को बेटे की मौत का ऐसा सदमा लगा कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। एक तरफ बेटे की अर्थी उठ रही थी और दूसरी तरफ मां का ऐसा हाल देखकर पूरा मोहल्ला आंखों में आंसू ले आया। दैनिक भास्कर की टीम आगरा में डॉक्टर अनिरुद्ध, बरेली में डॉक्टर नरेंद्र गंगवार, कन्नौज में डॉक्टर अरुण कुमार के घर पहुचीं। पढ़िए तीनों डॉक्टरों के घर से रिपोर्ट… 26 नवंबर की हुआ था लखनऊ-एक्सप्रेस वे पर हादसा कन्नौज में सड़क हादसे में सैफई मेडिकल कॉलेज के 3 डॉक्टर, एक लैब टेक्नीशियन और एक क्लर्क की मौत हो गई। हादसा लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर बुधवार तड़के 3.30 बजे हुआ। 100 की स्पीड में चल रही स्कार्पियो डिवाइडर से टकराकर दो पलटी खाते हुए दूसरी लेन में आ गई। फिर ट्रक ने स्कार्पियो को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि स्कार्पियो कई मीटर तक घिसटती चली गई। स्कार्पियो में 6 लोग सवार थे, 5 की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि एक की हालत गंभीर है। मरने वाले 3 डॉक्टर सैफई मेडिकल कॉलेज से पीजी कर रहे थे। मंगलवार को एक शादी में शामिल होकर लखनऊ से लौट रहे थे। लौटते वक्त हादसा हुआ था। आगरा में डॉक्टर अनिरुद्ध के घर वालों से बात… डॉक्टर अनिरुद्ध वर्मा आगरा के कमला नगर राधिका विहार के रहने वाले थे। बेटे की मौत की खबर पिता डॉ. पवन वर्मा को सुबह करीब 5 बजे हुई। वो अपनी पत्नी को बिना बताए कन्नौज के लिए रवाना हो गए। सुबह निकले पिता बुधवार रात 7 बजे एम्बुलेंस में बेटे का शव साथ लेकर घर लौटे। जो मां बेटे पर जान छिड़कती थी, वो बेटे के शव को देखकर एकदम खामोश थी। जैसे ही शव घर में आया चीत्कार गूंजने लगी। डॉ. अनि़रुद्ध की मां डौली जैसे अपनी सुध-बुध खो बैठी थीं। रिश्तेदार और मोहल्ले की महिलाएं उनको दिलासा दे रही थीं। मां उनसे कह रही थी कि अरे तुम रो क्यों रहे हो। अब रोने से कुछ नहीं होगा। नानी बोली- डौली तू रो क्यों नहीं रही, तेरा बेटा चला गया
डॉ. अनिरुद्ध का शव घर के आंगन में रखा था। अंतिम यात्रा की तैयारी चल रही थी। मां शव के पास की कोने में खड़ी थीं। उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। शव को अर्थी पर रखा तो मृतक अनिरुद्ध की नानी अपनी बेटी से बोली डौली तेरा बेटा जा रहा है, आखिरी बार उसकी शक्ल तो देख ले। लोगों ने कफन से बेटे का चेहरा निकाला। मां ने बेटे के चेहरे पर हाथ रखा। चेहरे पर चोट के निशान थे। मां बोली-अब मैं इससे क्या कहूं, अपना ध्यान ही नहीं रखता। देखो आंखों के नीचे कैसे नीले निशान पड़ गए हैं। दूसरों का इलाज करता है, लेकिन अपना ध्यान नहीं रखता। इतना कहकर वो खड़ी हो गई। नानी ने कहा कि डौली तू रो क्यों नहीं रही, तेरा बेटा चला गया है। अब ये कभी वापस नहीं आएगा। रात को छोटे भाई से फोन पर हुई थी बात
मृतक डा. अनिरुद्ध के पिता डॉ. पवन वर्मा का कहना था कि बेटा हाथरस के सहपऊ में स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात था। सप्ताह में रविवार को घर आता था। कल शाम को बेटे से बात हुई थी। उसने बताया था कि दोस्त की शादी में जा रहा हूं। इसके बाद रात को छोटे बेटे अर्जुन ने उससे बात की थी। मां कहती थी-इस साल शादी करनी हैं
डा. अनिरुद्ध के रिश्तेदार ने बताया-परिवार में सब कुछ अच्छा चल रहा था। सब लोग खुश थे। 5 महीने पहले ही अनिरुद्ध ने स्कार्पियो कार खरीदी थी। घर में सब डॉक्टर हैं। पिता पवन वर्मा फिरोजाबाद में डिप्टी सीएमओ हैं। छोटा भाई भी बीडीएस है। माता-पिता बेटे की शादी की तैयारी कर रहे थे। मां बेटे से अक्सर कहती थी कि इस साल शादी करनी है। मगर, मां के अरमान अधूरे रह गए। रात करीब 8 बजे आगरा के ताजगंज शमशान घाट में डॉ. अनिरुद्ध का अंतिम संस्कार हुआ। बेटे की मौत पर पिता टूट गए। कन्नौज में अरुण कुमार के छोटे भाई से बात… भाई बलराम बोले-भइया ने कहा था, अच्छे से इंटरव्यू देना डॉक्टर अरुण कुमार कन्नौज के मोचीपुर गांव के मूल निवासी थे। दैनिक भास्कर टीम ने उनके छोटे भाई बलराम से बातचीत की। बलराम ने बीटेक किया है। वह जॉब की तलाश में हैं। ऐसे में बलराम ने एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब के लिए अप्लाई किया था। जहां से इंटरव्यू के लिए बुलावा आया था। कम्पनी में इंटरव्यू के लिए जाने से पहले बलराम ने बड़े भाई अरुण से दो दिन पहले फोन पर बात की। उन्होंने मनोबल बढ़ाते हुए कहा था कि इंटरव्यू आराम से देना। हड़बड़ाना नहीं। सब ठीक होगा। अभी उसका रिजल्ट नहीं आया, लेकिन भाई की मौत की सूचना आ गई। जिसने पूरे परिवार को हिला दिया। बरेली में डॉक्टर नरेंद्र गंगवार के पिता से बात… की ढाई महीने बाद शादी होनी थी, एक कॉल पर दुनिया उजड़ी बरेली के नवाबगंज में रहने वाले डॉक्टर नरेंद्र गंगवार परिवार में सबसे छोटे थे। कानपुर से एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद सैफई मेडिकल कॉलेज से पीजी कर रहे थे। मां बाप की आंखों के तारे थे। अपने मां-बाप का सपना पूरा कर रहे थे। पिता राम लखन गंगवार यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल थे। उनकी हसरत थी कि बेटा बड़ा डॉक्टर बने। इसलिए पिता ने अपने बेटे को खूब पढ़ाया लिखाया। बेटा जब डॉक्टर बन गया, तो फिर घर में खुशियां ही खुशियां थीं। पिता राम लखन गंगवार ने बताया-नरेंद्र की दो ढाई महीने बाद शादी की थी। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। घर में शादी की तैयारिया चल रही थी। लेकिन, सारे सपने, सारे अरमान सब कुछ पानी के बुलबुले की तरह एकदम से बिखर गए। कुछ नहीं बचा, जवान बेटे की मौत ने बुढ़ापे की लाठी छीन ली। सुबह तड़के बेटे का एक्सीडेंट हो गया। बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। नरदेव चारो भाई-बहनों में सबसे छोटा था। भदोही के लैब टेक्नीशियन संतोष की भी गई थी जान भदोही के राजपुरा फेज 3 निवासी संतोष कुमार मौर्य सैफई मेडिकल कॉलेज में लैब टेक्नीशियन के पद पर तैनात थे। संतोष कुमार मौर्य दो भाइयों में सबसे बड़े थे। उनका छोटा भाई सुजीत दुबई में इंजीनियर है। संतोष को तीन बहने हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। संतोष के पिता डॉक्टर जीत नारायण मौर्य भदोही में आई स्पेशलिस्ट हैं। बिजनौर के लैब टेक्नीशियन राकेश की भी हादसे में हुई थी मौत बिजनौर के राकेश कुमार कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के ग्राम जीवनपुर के निवासी थे। राकेश कुमार सैफई मेडिकल कॉलेज में लैब टेक्नीशियन के पद पर तैनात थे। राकेश कुमार की मौत की सूचना पर उनके भाई राजकुमार मौके पर पहुंचे। वह भी सैफई मेडिकल कालेज में क्लर्क के पद पर तैनात हैं। ग्रामीणों ने बताया अभी राकेश कुमार की मौत की सूचना उनके माता-पिता को नहीं दी है। राकेश कुमार चार भाई और एक बहन है। राकेश कुमार करीब 10 साल से ज्यादा समय से लैब टेक्नीशियन के पद पर तैनात थे। दोनों भाई परिवार सहित सफाई में ही सेटल है, जबकि तीसरे नंबर के भाई भूपेंद्र कुमार उत्तराखंड के ऋषिकेश एम्स में संविदा पर कार्यरत हैं। चौथा भाई दीपू जो कि उत्तराखंड के चिड़ियपुर में वन विभाग में संविदा कर्मचारी है। सैफई मेडिकल कॉलेज के 3 डॉक्टर समेत 5 की मौत:कार डिवाइडर से टकराई, फिर ट्रक ने रौंदा कन्नौज में सड़क हादसे में सैफई मेडिकल कॉलेज के 3 डॉक्टर, एक लैब टेक्नीशियन और एक क्लर्क की मौत हो गई। हादसा लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर बुधवार तड़के 3.30 बजे हुआ। 100 की स्पीड में चल रही स्कार्पियो डिवाइडर से टकराकर दो पलटी खाते हुए दूसरी लेन में आ गई। फिर ट्रक ने स्कार्पियो को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि स्कार्पियो कई मीटर तक घिसटती चली गई।पढ़ें पूरी खबर अर्जुन तू भाई को लेकर तो जा रहा है, लेकिन इसका ख्याल रखना। आराम से लेकर जाना, कहीं कोई दिक्कत न हो। अब मैं इसके लिए क्या रोऊं, दोपहर से तो रो रही हूं। मुझे पता है कि अब ये वापस नहीं आएगा। ये मेरा हाथ छोड़ गया। अगर जिंदगी दोबारा मिले, तो इसे ही फिर से मेरा बेटा बनना भगवान। ये एक मां के शब्द हैं। जिसने कन्नौज हादसे में अपने डॉक्टर बेटे अनिरुद्ध वर्मा को खो दिया। जो अपने बेटे की मौत के गम में अपनी सुधबुध खो बैठी थी। बेटे की एक तकलीफ पर जिसकी आंख से आंसू निकल पड़ते थे। उस मां की आंख में अपने बेटे के शव को देखकर आंसू नहीं थे। हर कोई कह रहा था कि बेटा नहीं रहा, थोड़ा रो लो तो दिल हल्का हो जाएगा। मगर, मां को बेटे की मौत का ऐसा सदमा लगा कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। एक तरफ बेटे की अर्थी उठ रही थी और दूसरी तरफ मां का ऐसा हाल देखकर पूरा मोहल्ला आंखों में आंसू ले आया। दैनिक भास्कर की टीम आगरा में डॉक्टर अनिरुद्ध, बरेली में डॉक्टर नरेंद्र गंगवार, कन्नौज में डॉक्टर अरुण कुमार के घर पहुचीं। पढ़िए तीनों डॉक्टरों के घर से रिपोर्ट… 26 नवंबर की हुआ था लखनऊ-एक्सप्रेस वे पर हादसा कन्नौज में सड़क हादसे में सैफई मेडिकल कॉलेज के 3 डॉक्टर, एक लैब टेक्नीशियन और एक क्लर्क की मौत हो गई। हादसा लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर बुधवार तड़के 3.30 बजे हुआ। 100 की स्पीड में चल रही स्कार्पियो डिवाइडर से टकराकर दो पलटी खाते हुए दूसरी लेन में आ गई। फिर ट्रक ने स्कार्पियो को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि स्कार्पियो कई मीटर तक घिसटती चली गई। स्कार्पियो में 6 लोग सवार थे, 5 की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि एक की हालत गंभीर है। मरने वाले 3 डॉक्टर सैफई मेडिकल कॉलेज से पीजी कर रहे थे। मंगलवार को एक शादी में शामिल होकर लखनऊ से लौट रहे थे। लौटते वक्त हादसा हुआ था। आगरा में डॉक्टर अनिरुद्ध के घर वालों से बात… डॉक्टर अनिरुद्ध वर्मा आगरा के कमला नगर राधिका विहार के रहने वाले थे। बेटे की मौत की खबर पिता डॉ. पवन वर्मा को सुबह करीब 5 बजे हुई। वो अपनी पत्नी को बिना बताए कन्नौज के लिए रवाना हो गए। सुबह निकले पिता बुधवार रात 7 बजे एम्बुलेंस में बेटे का शव साथ लेकर घर लौटे। जो मां बेटे पर जान छिड़कती थी, वो बेटे के शव को देखकर एकदम खामोश थी। जैसे ही शव घर में आया चीत्कार गूंजने लगी। डॉ. अनि़रुद्ध की मां डौली जैसे अपनी सुध-बुध खो बैठी थीं। रिश्तेदार और मोहल्ले की महिलाएं उनको दिलासा दे रही थीं। मां उनसे कह रही थी कि अरे तुम रो क्यों रहे हो। अब रोने से कुछ नहीं होगा। नानी बोली- डौली तू रो क्यों नहीं रही, तेरा बेटा चला गया
डॉ. अनिरुद्ध का शव घर के आंगन में रखा था। अंतिम यात्रा की तैयारी चल रही थी। मां शव के पास की कोने में खड़ी थीं। उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। शव को अर्थी पर रखा तो मृतक अनिरुद्ध की नानी अपनी बेटी से बोली डौली तेरा बेटा जा रहा है, आखिरी बार उसकी शक्ल तो देख ले। लोगों ने कफन से बेटे का चेहरा निकाला। मां ने बेटे के चेहरे पर हाथ रखा। चेहरे पर चोट के निशान थे। मां बोली-अब मैं इससे क्या कहूं, अपना ध्यान ही नहीं रखता। देखो आंखों के नीचे कैसे नीले निशान पड़ गए हैं। दूसरों का इलाज करता है, लेकिन अपना ध्यान नहीं रखता। इतना कहकर वो खड़ी हो गई। नानी ने कहा कि डौली तू रो क्यों नहीं रही, तेरा बेटा चला गया है। अब ये कभी वापस नहीं आएगा। रात को छोटे भाई से फोन पर हुई थी बात
मृतक डा. अनिरुद्ध के पिता डॉ. पवन वर्मा का कहना था कि बेटा हाथरस के सहपऊ में स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात था। सप्ताह में रविवार को घर आता था। कल शाम को बेटे से बात हुई थी। उसने बताया था कि दोस्त की शादी में जा रहा हूं। इसके बाद रात को छोटे बेटे अर्जुन ने उससे बात की थी। मां कहती थी-इस साल शादी करनी हैं
डा. अनिरुद्ध के रिश्तेदार ने बताया-परिवार में सब कुछ अच्छा चल रहा था। सब लोग खुश थे। 5 महीने पहले ही अनिरुद्ध ने स्कार्पियो कार खरीदी थी। घर में सब डॉक्टर हैं। पिता पवन वर्मा फिरोजाबाद में डिप्टी सीएमओ हैं। छोटा भाई भी बीडीएस है। माता-पिता बेटे की शादी की तैयारी कर रहे थे। मां बेटे से अक्सर कहती थी कि इस साल शादी करनी है। मगर, मां के अरमान अधूरे रह गए। रात करीब 8 बजे आगरा के ताजगंज शमशान घाट में डॉ. अनिरुद्ध का अंतिम संस्कार हुआ। बेटे की मौत पर पिता टूट गए। कन्नौज में अरुण कुमार के छोटे भाई से बात… भाई बलराम बोले-भइया ने कहा था, अच्छे से इंटरव्यू देना डॉक्टर अरुण कुमार कन्नौज के मोचीपुर गांव के मूल निवासी थे। दैनिक भास्कर टीम ने उनके छोटे भाई बलराम से बातचीत की। बलराम ने बीटेक किया है। वह जॉब की तलाश में हैं। ऐसे में बलराम ने एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब के लिए अप्लाई किया था। जहां से इंटरव्यू के लिए बुलावा आया था। कम्पनी में इंटरव्यू के लिए जाने से पहले बलराम ने बड़े भाई अरुण से दो दिन पहले फोन पर बात की। उन्होंने मनोबल बढ़ाते हुए कहा था कि इंटरव्यू आराम से देना। हड़बड़ाना नहीं। सब ठीक होगा। अभी उसका रिजल्ट नहीं आया, लेकिन भाई की मौत की सूचना आ गई। जिसने पूरे परिवार को हिला दिया। बरेली में डॉक्टर नरेंद्र गंगवार के पिता से बात… की ढाई महीने बाद शादी होनी थी, एक कॉल पर दुनिया उजड़ी बरेली के नवाबगंज में रहने वाले डॉक्टर नरेंद्र गंगवार परिवार में सबसे छोटे थे। कानपुर से एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद सैफई मेडिकल कॉलेज से पीजी कर रहे थे। मां बाप की आंखों के तारे थे। अपने मां-बाप का सपना पूरा कर रहे थे। पिता राम लखन गंगवार यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल थे। उनकी हसरत थी कि बेटा बड़ा डॉक्टर बने। इसलिए पिता ने अपने बेटे को खूब पढ़ाया लिखाया। बेटा जब डॉक्टर बन गया, तो फिर घर में खुशियां ही खुशियां थीं। पिता राम लखन गंगवार ने बताया-नरेंद्र की दो ढाई महीने बाद शादी की थी। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। घर में शादी की तैयारिया चल रही थी। लेकिन, सारे सपने, सारे अरमान सब कुछ पानी के बुलबुले की तरह एकदम से बिखर गए। कुछ नहीं बचा, जवान बेटे की मौत ने बुढ़ापे की लाठी छीन ली। सुबह तड़के बेटे का एक्सीडेंट हो गया। बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। नरदेव चारो भाई-बहनों में सबसे छोटा था। भदोही के लैब टेक्नीशियन संतोष की भी गई थी जान भदोही के राजपुरा फेज 3 निवासी संतोष कुमार मौर्य सैफई मेडिकल कॉलेज में लैब टेक्नीशियन के पद पर तैनात थे। संतोष कुमार मौर्य दो भाइयों में सबसे बड़े थे। उनका छोटा भाई सुजीत दुबई में इंजीनियर है। संतोष को तीन बहने हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। संतोष के पिता डॉक्टर जीत नारायण मौर्य भदोही में आई स्पेशलिस्ट हैं। बिजनौर के लैब टेक्नीशियन राकेश की भी हादसे में हुई थी मौत बिजनौर के राकेश कुमार कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के ग्राम जीवनपुर के निवासी थे। राकेश कुमार सैफई मेडिकल कॉलेज में लैब टेक्नीशियन के पद पर तैनात थे। राकेश कुमार की मौत की सूचना पर उनके भाई राजकुमार मौके पर पहुंचे। वह भी सैफई मेडिकल कालेज में क्लर्क के पद पर तैनात हैं। ग्रामीणों ने बताया अभी राकेश कुमार की मौत की सूचना उनके माता-पिता को नहीं दी है। राकेश कुमार चार भाई और एक बहन है। राकेश कुमार करीब 10 साल से ज्यादा समय से लैब टेक्नीशियन के पद पर तैनात थे। दोनों भाई परिवार सहित सफाई में ही सेटल है, जबकि तीसरे नंबर के भाई भूपेंद्र कुमार उत्तराखंड के ऋषिकेश एम्स में संविदा पर कार्यरत हैं। चौथा भाई दीपू जो कि उत्तराखंड के चिड़ियपुर में वन विभाग में संविदा कर्मचारी है। सैफई मेडिकल कॉलेज के 3 डॉक्टर समेत 5 की मौत:कार डिवाइडर से टकराई, फिर ट्रक ने रौंदा कन्नौज में सड़क हादसे में सैफई मेडिकल कॉलेज के 3 डॉक्टर, एक लैब टेक्नीशियन और एक क्लर्क की मौत हो गई। हादसा लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर बुधवार तड़के 3.30 बजे हुआ। 100 की स्पीड में चल रही स्कार्पियो डिवाइडर से टकराकर दो पलटी खाते हुए दूसरी लेन में आ गई। फिर ट्रक ने स्कार्पियो को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि स्कार्पियो कई मीटर तक घिसटती चली गई।पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर