सिरसा जिले में सीआईए सिरसा व ऐलनाबाद पुलिस टीम ने बुधवार रात पोहड़का क्षेत्र में पिकअप गाड़ी छीनने की वारदात को सुलझाते हुए एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। सीआईए सिरसा प्रभारी सब इंस्पेक्टर प्रेम कुमार ने बताया कि आरोपी को कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड हासिल किया जाएगा। सब्जियां लेकर ऐलनाबाद जा रहा था सुखबीर सिंह पुत्र दौलत राम निवासी गांव चाईया जिला हनुमानगढ़ राजस्थान ने ऐलनाबाद थाना में शिकायत दी थी कि उसकी गाड़ी पर सुरेश कुमार पुत्र ओम प्रकाश गांव चिलकनी ढाब ड्राइवर का काम करता है। 27 नवंबर 2024 को वह पिकअप गाड़ी में सब्जियां लाद कर चिलकनी ढाब से ऐलनाबाद की तरफ आ रहा था। ड्राइवर ने उसे फोन कर बताया कि गाड़ी के आगे एक मोटरसाइकिल पर तीन लड़के आए और गाड़ी छीनने का प्रयास कर रहे हैं। चिलकनी ढाब क्षेत्र से आरोपी को किया काबू थोड़ी देर बाद ड्राइवर का फोन स्विच ऑफ आने लगा। शिकायत के आधार पर ऐलनाबाद थाना पुलिस ने छीना झपटी का अभियोग दर्ज कर जांच शुरू दी। सीआईए प्रभारी ने बताया कि सीआईए व ऐलनाबाद थाना की एक पुलिस टीम ने महत्वपूर्ण सूचना के आधार पर आरोपी को चिलकनी ढाब क्षेत्र से काबू कर लिया। गिरफ्तार किए आरोपी की पहचान पवन कुमार पुत्र भूप सिंह निवासी चिलकनी ढाब के रूप में हुई है। आरोपी पवन कुमार की निशानदेही पर छीनी गई पिकअप गाड़ी बरामद कर उसके दो अन्य साथियों की पहचान कर ली है, जिन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस लगातार दबिश दे रही है। सिरसा जिले में सीआईए सिरसा व ऐलनाबाद पुलिस टीम ने बुधवार रात पोहड़का क्षेत्र में पिकअप गाड़ी छीनने की वारदात को सुलझाते हुए एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। सीआईए सिरसा प्रभारी सब इंस्पेक्टर प्रेम कुमार ने बताया कि आरोपी को कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड हासिल किया जाएगा। सब्जियां लेकर ऐलनाबाद जा रहा था सुखबीर सिंह पुत्र दौलत राम निवासी गांव चाईया जिला हनुमानगढ़ राजस्थान ने ऐलनाबाद थाना में शिकायत दी थी कि उसकी गाड़ी पर सुरेश कुमार पुत्र ओम प्रकाश गांव चिलकनी ढाब ड्राइवर का काम करता है। 27 नवंबर 2024 को वह पिकअप गाड़ी में सब्जियां लाद कर चिलकनी ढाब से ऐलनाबाद की तरफ आ रहा था। ड्राइवर ने उसे फोन कर बताया कि गाड़ी के आगे एक मोटरसाइकिल पर तीन लड़के आए और गाड़ी छीनने का प्रयास कर रहे हैं। चिलकनी ढाब क्षेत्र से आरोपी को किया काबू थोड़ी देर बाद ड्राइवर का फोन स्विच ऑफ आने लगा। शिकायत के आधार पर ऐलनाबाद थाना पुलिस ने छीना झपटी का अभियोग दर्ज कर जांच शुरू दी। सीआईए प्रभारी ने बताया कि सीआईए व ऐलनाबाद थाना की एक पुलिस टीम ने महत्वपूर्ण सूचना के आधार पर आरोपी को चिलकनी ढाब क्षेत्र से काबू कर लिया। गिरफ्तार किए आरोपी की पहचान पवन कुमार पुत्र भूप सिंह निवासी चिलकनी ढाब के रूप में हुई है। आरोपी पवन कुमार की निशानदेही पर छीनी गई पिकअप गाड़ी बरामद कर उसके दो अन्य साथियों की पहचान कर ली है, जिन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस लगातार दबिश दे रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा से 3 मंत्री बनाने के पीछे विधानसभा चुनाव:जीटी रोड बेल्ट समेत 2 इलाके साधे, 50 विस सीटों पर नजर; नॉन जाट पॉलिटिक्स पर अडिग
हरियाणा से 3 मंत्री बनाने के पीछे विधानसभा चुनाव:जीटी रोड बेल्ट समेत 2 इलाके साधे, 50 विस सीटों पर नजर; नॉन जाट पॉलिटिक्स पर अडिग भाजपा ने मोदी 3.0 सरकार में हरियाणा के 5 लोकसभा सांसदों में से 3 को मंत्री बनाकर सबको चौंका दिया। लोकसभा चुनाव में BJP राज्य की 10 में से 5 सीटें हार गई और 5 ही जीत पाई। इसके बावजूद केंद्रीय कैबिनेट में करनाल के सांसद मनोहर लाल खट्टर, गुरुग्राम के राव इंद्रजीत सिंह और फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर को जगह दी गई। ऐसे में सब जानना चाहते हैं कि आखिर BJP और नरेंद्र मोदी की क्या राजनीति है, जो हरियाणा में पार्टी की सीटें घटने के बावजूद पिछली टर्म के मुकाबले मंत्रियों की संख्या 2 से बढ़ाकर 3 कर दी गई। इसकी सबसे बड़ी वजह 5 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। 3 सांसदों को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल कर भाजपा ने हरियाणा के पंजाबी, अहीर व गुर्जर समुदाय के साथ-साथ जीटी रोड और अहीरवाल बेल्ट को साधते हुए 90 सीटों वाली विधानसभा में 46 के बहुमत वाले आंकड़े के जुगाड़ की कोशिश की है। पहले जानिए, हरियाणा से 3 मंत्री क्यों बनाए? 1. विधानसभा चुनाव की मजबूरी
भाजपा लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 10 में से 5 सीटें ही जीत पाई। 2019 में पार्टी ने क्लीन स्वीप किया था। अब 5 महीने बाद, राज्य विधानसभा के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों को विधानसभा चुनाव से पहले का ट्रेलर माना जा रहा है और इससे भाजपा डरी हुई है। लोकसभा चुनाव नतीजों का अगर विधानसभा सीटवाइज एनालिसिस करें तो राज्य की 90 सीटों में से 46 पर कांग्रेस और 44 पर BJP आगे रही। ऐसे में भाजपा नेतृत्व विधानसभा चुनाव को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। 2. क्षेत्रीय संतुलन साधा, नॉन जाट राजनीति बरकरार
मोदी 3.0 में BJP ने हरियाणा को लेकर क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश की है। खट्टर के जरिए जीटी रोड बेल्ट और राव इंद्रजीत के जरिए दक्षिण हरियाणा को साधने का प्रयास किया गया है। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इन्हीं दोनों बेल्ट से राज्य में सबसे ज्यादा सीटें मिली। इसके साथ ही BJP ने एक तरह से ये भी क्लियर कर दिया कि वह हरियाणा में अपनी नॉन-जाट की राजनीति के सहारे ही आगे बढ़ेगी। जाट बिरादरी से आने वाले BJP सांसद चौधरी धर्मबीर भी इस बार मंत्रिपद के दावेदार थे लेकिन लगातार तीसरी बार जीतने के बावजूद उन्हें मिनिस्टर नहीं बनाया गया। हरियाणा में गैरजाट की राजनीति की शुरुआत भाजपा ने 2014 में ही पंजाबी समुदाय के मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाकर कर दी थी। 2019 में भी खट्टर ही सीएम बने। 3. ओवर कॉन्फिडेंस से तौबा हरियाणा में BJP साढ़े 9 साल से सत्ता में है। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ओवर-कॉन्फिडेंस का शिकार थी और सभी 10 लोकसभा सीटें जीत लेने का दम भर रही थी। मगर, चुनाव नतीजे आए तो रोहतक और सिरसा सीट बड़े अंतर से हार गई। गुरुग्राम में राव इंद्रजीत और कुरुक्षेत्र में नवीन जिंदल आखिर तक करीबी मुकाबले में फंसे नजर आए। पांच सीटें पार्टी के हाथ से निकल गईं। जब रिजल्ट की समीक्षा की गई तो पता चला कि पार्टी ने अपने गढ़ रहे जीटी रोड बेल्ट और अहीरवाल जैसे इलाकों को कुछ समय में तरजीह देना बंद कर दिया था। यही कारण है कि भाजपा अब राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए अपने गढ़ को सुरक्षित कर लेने की कोशिश करती दिख रही है। 4. मोदी मैजिक दिखाने की तैयारी
लोकसभा चुनाव में भाजपा इस बार अपने बूते बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटें नहीं जीत पाई और 240 पर सिमट गई। ऐसे में न केवल केंद्र में JDU और TDP से गठबंधन मजबूरी बन गया बल्कि नरेंद्र मोदी की साख भी दांव पर लग गई। मोदी ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अपने नाम पर वोट मांगे थे। अगर भाजपा 5 महीने बाद होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत जाती है तो फिर से माहौल बन सकेगा कि भले ही भाजपा को लोकसभा में बहुमत नहीं मिला लेकिन हिंदी बेल्ट में मोदी मैजिक बरकरार है। इससे गठबंधन में मोदी और पार्टी की पोजिशन मजबूत होगी। NDA में शामिल बाकी दलों के बीच यह संदेश पहुंच जाएगा कि अगर BJP का साथ छोड़ा तो आगे की राह मुश्किल हो सकती है। जानिए, कैसे 3 मंत्री बनाकर BJP हरियाणा विधानसभा में बहुमत का जुगाड़ करने की कोशिश करती नजर आई… 1. मनोहर लाल खट्टर के जरिये जीटी रोड बेल्ट की 30 सीटों पर आंख मनोहर लाल खट्टर पंजाबी समुदाय से आते हैं। उनकी करनाल लोकसभा सीट हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट में आती है। इस बेल्ट में अंबाला, करनाल, पानीपत, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, पंचकूला और कैथल जिलों की तकरीबन 30 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां पंजाबी वोटरों के अलावा जनरल कैटेगरी का वोट-बैंक है जो अमूमन BJP के साथ रहता है। खट्टर को केंद्रीय मंत्री बनाने की यही बड़ी वजह है। अगर यह दांव कामयाब रहा तो पार्टी जीटी रोड बेल्ट में बढ़त मिलने की उम्मीद लगा सकती है। इसके अलावा रोहतक, रेवाड़ी, फरीदाबाद और गुरुग्राम के पंजाबी वोटरों में भी अच्छा संदेश जा सकता है। 2. राव इंद्रजीत से अहीरवाल बेल्ट की 11 सीटों पर पकड़ बनाए रखने की कोशिश राव इंद्रजीत दक्षिण हरियाणा के बड़े नेता हैं। दक्षिण हरियाणा के अंदर आने वाली अहीरवाल बेल्ट में 14 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 3 मुस्लिम बाहुल्य नूंह जिले की सीटें हैं, जहां कांग्रेस का दबदबा है। इन्हें छोड़ भी दें तो 2014 में भाजपा ने अहीरवाल बेल्ट की बची हुई सभी 11 सीटें जीतकर राज्य में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी। 2019 में भाजपा को अहीरवाल बेल्ट की 11 में से 8 सीटें मिली और तब 40 विधायक होने के कारण जजपा के 10 विधायकों की मदद से सरकार बनानी पड़ी। इस लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम सीट पर कांग्रेस की ओर से पंजाबी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राजबब्बर को उतारने के बाद यहां राव इंद्रजीत को जीतने में पसीने छूट गए। ऐसे में भाजपा ने लगातार दूसरी बार राव इंद्रजीत को मंत्री बनाकर अहीरवाल बेल्ट को अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश की है। 3. कृष्णपाल गुर्जर के जरिए हरियाणा के अलावा यूपी-राजस्थान पर भी फोकस
फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर की गिनती अपने समुदाय के बड़े नेताओं में होती है। फरीदाबाद जिले की 4 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां गुर्जर समुदाय का वोट डिसाइडिंग फैक्टर है। इसके अलावा सोहना, रेवाड़ी, नांगल चौधरी और गुरुग्राम विधानसभा सीट पर भी गुर्जर वोटबैंक का अच्छा-खासा असर है। यही नहीं, फरीदाबाद से सटे वेस्ट यूपी के गाजियाबाद व नोएडा और राजस्थान से सटे इलाके भी गुर्जर बाहुल्य हैं। ऐसे में BJP ने कृष्णपाल गुर्जर को ड्रॉप करने का रिस्क न लेते हुए लगातार तीसरी बार उन्हें मंत्री बनाया है। अंत में.. 2019 के मुकाबले इस बार क्या अंतर
2019 की मोदी सरकार में BJP ने हरियाणा से 2 मंत्री बनाए थे। इनमें गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत और फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर शामिल थे। इस बार इन दोनों के अलावा पहली बार सांसद बने मनोहर लाल खट्टर को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। खास बात यह है कि BJP ने 2019 में हरियाणा की सभी 10 सीटें और 2014 में 10 में से 7 लोकसभा सीटें जीती थीं। इस बार सीटें घटने के बावजूद मंत्रियों की संख्या बढ़ गई है। मनोहर लाल खट्टर को PM नरेंद्र मोदी से करीबी का फायदा भी मिला। ये खबरें भी पढ़ें… शूटर रहे राव तीसरी बार मोदी कैबिनेट में:मोदी के PM फेस बनने के 10 दिन बाद छोड़ी कांग्रेस, पिता से मिलने चप्पल में पहुंची थीं इंदिरा मोदी को बाइक पर घुमाने वाले खट्टर बने मंत्री:दिल्ली का दुकानदार पहले CM और अब केंद्रीय मंत्री बना, गरीबी के कारण नहीं बन पाए डॉक्टर हरियाणा के कृष्णपाल लगातार तीसरी बार मंत्री बने:सियासत की शुरुआत कॉलेज से, मोदी का करीबी होने पर मिला 2014 में टिकट; बेटा भी पॉलिटिक्स में हिमाचल के नड्डा दूसरी बार बने केंद्रीय मंत्री:अनुराग के पिता से मतभेद के बाद छोड़ा हिमाचल, मोदी घर आते-जाते रहे, शाह के करीबी
हरियाणा CM आवास जा रहे किसान पुलिस ने रोके:खाद न मिलने का विरोध; किसान नेता बोले-चुनाव में कांग्रेस ने माहौल का फायदा नहीं उठाया
हरियाणा CM आवास जा रहे किसान पुलिस ने रोके:खाद न मिलने का विरोध; किसान नेता बोले-चुनाव में कांग्रेस ने माहौल का फायदा नहीं उठाया हरियाणा में कुरूक्षेत्र के सेक्टर-2 स्थित देवीलाल पार्क में मंगलवार (5 नवंबर) को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से किसान पंचायत हुई। पंचायत में हरियाणा की कई किसान यूनियनें शामिल हुईं। पंचायत में मांग की गई कि किसानों पर दर्ज मुकदमे, रेड एंट्री वापस ली जाए। वहीं, पराली जलाने, बीज और DAP खाद की कमी को दूर किया जाए। इसके बाद किसान मुख्यमंत्री नायब सैनी को अपनी मांगें बताने के लिए उनके आवास पर पहुंचे। यहां पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर किसानों को रोक लिया। किसान बीच सड़क ही धरने पर बैठ गए। किसानों ने कहा कि हमारा आंदोलन शांतिप्रिय है। हम बैरिकेड नहीं तोड़ेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शनपाल सिंह ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस और दूसरे राजनीतिक दल किसान आंदोलन का फायदा नहीं उठा पाए। पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) ने किसानों के बनाए हुए माहौल का फायदा उठाया था। किसानों के प्रदर्शन की PHOTOS… किसान नेता बोले- गेहूं की बुआई में हो रही देरी
किसान नेता रतन मान ने कहा कि गेहूं की बुआई शुरू हो गई है, लेकिन सरकार ने DAP खाद के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की। सरकार को सीजन से पहले ही सारी व्यवस्थाएं कर लेनी चाहिए थीं। DAP खाद लेने के लिए लोग दो-दो दिन से लाइन में खड़े हैं। इसके बावजूद कई किसानों को खाद नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण किसानों को गेहूं की बुआई में देरी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार पराली जलाने वाले किसानों पर केस दर्ज कर जुर्माना भी लगा रही है। यह सरकार की नाकामी है। सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए। प्रबंधन के अभाव में लोग पराली जला रहे हैं। दर्शनपाल सिंह बोले- दोबारा आंदोलन खड़ा होगा
किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने कहा कि दिल्ली आंदोलन के बाद किसानों को ताकत मिली है। संयुक्त किसान मोर्चा मिलकर लड़ रहा है। पराली, MSP, कर्जा मुक्ति, जमीन समेत हमारी कई मांगें हैं। उसके लिए हमारी लड़ाई जारी है। पूरे देश के किसान हरियाणा और पंजाब के किसानों की तरफ देख रहे हैं। उन्हें यह पता है कि ये लोग आगे आएंगे और किसानों और मजदूरों की लड़ाई लड़ेंगे। हम लगातार सरकार को अपनी मांगें बता रहे हैं। दोबारा आंदोलन खड़ा होगा।
हरियाणा में आचार संहिता लागू:क्या नई स्कीमें शुरू हो सकेंगी, सरकारी भर्तियों का क्या होगा, ऐसे 11 महत्वपूर्ण सवालों के जवाब पढ़िए
हरियाणा में आचार संहिता लागू:क्या नई स्कीमें शुरू हो सकेंगी, सरकारी भर्तियों का क्या होगा, ऐसे 11 महत्वपूर्ण सवालों के जवाब पढ़िए हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। इसी के साथ इन राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई। इस दौरान ज्यादातर सरकारी कामों पर अस्थाई रोक लगी रहेगी। ये वो काम होते हैं, जिनसे सरकार को फायदा होने का अंदेशा होता है। हरियाणा में राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार के लिए इस चुनाव में 17 अगस्त से 29 सितंबर तक कुल 44 दिन मिलेंगे। 2019 में 21 सितंबर को आचार संहिता लागू हुई थी। पिछली बार 2019 में 21 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी। इस हिसाब से 2019 में उम्मीदवारों को प्रचार के लिए एक महीना मिला था, लेकिन इस बार अगस्त में आचार संहिता लगी है और अक्टूबर में वोटिंग होने के कारण डेढ़ महीने का समय मिल रहा है। ऐसे में आम लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। मसलन- हरियाणा में सरकारी भर्तियां क्या होती रहेंगी, अगर कोई सड़क आधी बनी है तो क्या काम रुक जाएगा, क्या ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट जैसे डॉक्यूमेंट बनने भी बंद हो जाएंगे?। सबसे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव का शेड्यूल जानिए… आचार संहिता से जुड़े 11 सवाल और उनके जवाब… सवाल 1 : आज से राज्य में लागू हुई आदर्श आचार संहिता होती क्या है?
जवाब : स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं, जिसे आचार संहिता कहते हैं। चुनाव के समय राजनीतिक दलों और सभी प्रत्याशियों को इसका पालन करना होता है। आचार संहिता के तहत बताया जाता है कि राजनीतिक दलों और कैंडिडेट को चुनाव के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है। आचार संहिता की सबसे खास बात ये है कि ये नियम किसी कानून के जरिए नहीं बल्कि राजनीतिक पार्टियों की आपसी सहमति से बनाए गए हैं। आदर्श आचार संहिता की वजह से चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और सत्ताधारी दलों के कामकाज और उनके व्यवहार पर नजर रखना संभव होता है। सवाल 2: विधानसभा चुनाव में आचार संहिता कब से कब तक लागू रहेगी?
जवाब : चुनाव के कार्यक्रमों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है। ये आचार संहिता इलेक्शन की पूरी प्रक्रिया खत्म होने तक जारी रहती है। विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान 16 अगस्त को किया गया। इस दिन से आचार संहिता लागू हो गई। चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही आचार संहिता खत्म हो जाती है। सवाल 3: आचार संहिता के दौरान कौन से काम रुक जाते हैं और कौन से चालू रहते हैं?
जवाब : आदर्श आचार संहिता की वजह से इन कामों पर रोक लग जाती है… सवाल 4: हरियाणा में 50 हजार से ज्यादा सरकारी पदों पर जारी भर्तियों और अन्य स्कीम और कामों का क्या होगा, जिसकी घोषणा सरकार कर चुकी है?
जवाब : हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने 50 हजार भर्तियों का वादा किया है। इनमें से 34 हजार पदों पर भर्ती हो गई है। बाकी पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया जारी है। जो भर्ती प्रक्रिया चल रही है, उस पर कोई रोक नहीं लगेगी, लेकिन मुख्यमंत्री या कोई मंत्री नियुक्ति पत्र अपने हाथों से नहीं दे पाएंगे। आचार संहिता लागू होने के बाद नई भर्तियों निकलती है तो यह चुनाव आयोग को देखना पड़ेगा कि भर्ती अभी क्यों निकाली जा रही है। इस भर्ती के देरी से निकलने की क्या वजहें हैं। अगर इसका उचित जवाब नहीं मिलता है तो यह माना जाएगा कि जान बूझकर देरी की गई है। सवाल 5: आचार संहिता लागू होने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस, आवासीय और कास्ट सर्टिफिकेट बनाना संभव है या नहीं?
जवाब : हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी पंकज अग्रवाल का कहना है कि चुनाव आचार संहिता के नाम पर जरूरी काम नहीं रोके जा सकते हैं। पहले चल रहे विकास कार्यों को भी बंद नहीं किया जा सकता है। राशन कार्ड में संशोधन, ड्राइविंग लाइसेंस आदि बनाए जाते रहेंगे। जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र बनाने और जमीनों की रजिस्ट्री जैसे काम करने पर कोई रोक नहीं लगती है। सवाल 6: आचार संहिता लागू होने के बाद सड़क बनाने या ठीक करवाने की इजाजत होती है या नहीं?
जवाब : चुनाव आयोग के मुताबिक विधायक, मंत्री या कैंडिडेट आचार संहिता लागू होने के बाद कोई आर्थिक सहायता या उससे संबंधित कोई वादा नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा आचार संहिता लागू होने के बाद किसी परियोजना अथवा योजना का शिलान्यास नहीं किया जा सकता है। सड़क बनवाने, पीने के पानी को लेकर काम शुरू करवाना तो दूर, वादा तक नहीं कर सकते हैं। जो काम पहले से चल रहा है वो आचार संहिता की वजह से बाधित नहीं होगा। सवाल 7: आचार संहिता लागू होने के बाद अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग कैसे होती है?
जवाब : आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की ट्रांसफर पोस्टिंग सरकार नहीं कर सकती है। ट्रांसफर कराना बेहद जरूरी हो गया हो तब भी सरकार बिना चुनाव आयोग की सहमति के ये फैसला नहीं ले सकती है। इस दौरान राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त जरूरत के हिसाब से अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकते हैं। सवाल 9: क्या आचार संहिता लागू होने पर कोई मंत्री सरकारी खर्चे पर इलेक्शन रैली कर सकते हैं?
जवाबः आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद सरकारी खर्च पर मंत्री इलेक्शन रैली नहीं कर सकते हैं। इस दौरान मंत्री सरकारी वाहनों का इस्तेमाल भी सिर्फ अपने निवास से ऑफिस तक जाने के लिए कर सकते हैं। चुनावी रैलियों और यात्राओं के लिए इनका इस्तेमाल नहीं हो सकता। सवाल 10: क्या आचार संहिता के दौरान मंत्री अपने आधिकारिक दौरे के समय चुनाव प्रचार कर सकते हैं?
जवाब : नहीं। आचार संहिता लागू होने के बाद मंत्री अपने आधिकारिक दौरे के समय चुनाव प्रचार नहीं कर सकते हैं। यहां तक की चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ियों, विमानों या किसी दूसरे सुविधाओं का भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। सवाल 11 : क्या शराब के ठेकों, तेंदू की पत्तियों के टेंडर की नीलामी की जा सकती है?
जवाब : नहीं। इस तरह के किसी टेंडर की नीलामी नहीं की जा सकती है। सरकार जरूरी होने पर आचार संहिता से पहले ही कोई तत्कालिक व्यवस्था कर सकती है। इसके अलावा नगर निगम, नगर पंचायत, नगर क्षेत्र समिति राजस्व संग्रहण का काम जारी रख सकती है।