शादी का कार्ड छपने के लिए घर में कई दिन तक शाब्दिक युद्ध चलता रहा और मैं सारे घटनाक्रमों को देख रहा था। मैं सादा कार्ड छपवाना चाहता था और पिताजी अड़े थे कि ‘सुरेन्द्र शर्मा (एम कॉम)’ लिखा जाए। जबकि उस समय तक मैंने एम कॉम पूरा नहीं किया था। मेरी एम कॉम की पढ़ाई अभी चल रही थी। फाइनली, दो कार्ड छपे। एक कार्ड मैंने अपना छपवाया, और एक कार्ड पिताजी वाला था। मुझसे जिस लड़की का ब्याह हो रहा था उस लड़की का नाम ‘सौभाग्यवती’ था। मैंने अपनी होने वाली पत्नी का नाम बदलकर ‘सविता’ कर दिया। दरअसल किस्सा कुछ यूं है कि, सविता नाम की एक लड़की से मैं इतना एकतरफा प्यार करता था कि रविवार के दिन भी अगर कोई दोस्त मुझे इतना भर कह देता था कि उसने आज सविता को देखा है, तो मैं इसी बात पर खुश होकर उस दोस्त को खिला-पिला देता था। यही नहीं बसों में भी हमारी दादागिरी थी। बसों के इंचार्ज को हमने समझा रखा था, ‘जब तक हम ना आएं, तब तक बस मत चलाना। और ऐसा ही होता था!’ सविता की तीन-चार सहेलियां बस में अक्सर जान-बूझकर मुझे सुनाने के लिए आपस में बात करती थीं, ‘वहां फिल्म देखने जा रहे हैं, पता नहीं वापसी में बस मिले ना मिले।’ मैं भी अपने दोस्तों से कह देता था, ‘जब तक मैं जिंदा हूं, तब तक तो बस मिलेगी और बस निकल जाए तो समझ लेना कि मैं नहीं बचा।’ एक दिन मेरे दोस्त ने शर्त लगाई कि मैं सविता से बात कर लूं तो वो मुझे 20 रुपए देगा। मैं मूंगफली लेकर बस में घुसा और कहा, ‘सविता, मूंगफली खाएगी?’ इससे पहले वो कोई जवाब देती, मैंने दोस्त से कहा, ‘ले कर ली बात, निकाल 20 रुपए।’ इसी कारण मैंने अपनी पत्नी का नाम ‘सविता’ रखा। मेरे ससुरालवालों ने कहा, ‘ये क्या नाम है? कोई और नाम रखो।’ लेकिन यहां भी मेरी मनमानी ही चली।’ बहरहाल, हिंदी में छपे कार्ड पर वधू का नाम ‘सौभाग्यवती सविता’ लिखा गया। मैंने अपने सभी दोस्तों को समझाया कि मेरे परिवार के बुज़ुर्ग, बारात में सड़क पर नाचने को अच्छा नहीं मानते। इसलिए बारात में नाचने की कोशिश मत करना। उधर बैंडवाले धुन ऐसी बजा रहे थे कि उसमें पैदल चलने को भी नाचना माना जा सकता था। सभी पंक्ति में सीधे चल रहे थे। थोड़ी देर बाद बापू झल्लाकर बोले, ‘अरे, तेरे दोस्त नाच क्यों नहीं रहे?’ मैंने बोला, ‘ये सब कंवारे हैं। इन्हें डर है कि बारात में नाचने से कहीं मेरी तरह इनके ब्याह में भी परेशानी न आए।’ बापू बोला, ‘भाई, ऐसे ही सीधे-सीधे चलेंगे, तो बारात में रौनक भला कैसे आएगी? बोल इनसे जमकर नाचें।’ मेरे दोस्त तो जैसे इंतजार ही कर रहे थे। मेरा इशारा मिलते ही वो ऐसे नाचे कि बारात ने तीन-चार सौ गज की दूरी तय करने में तीन घंटे लगा दिए। उधर, मेरे ससुर जी ने जनवासे में बोतल भिजवा दी थी। मेरे ससुर की बेटी की शादी थी, वरना वो खुद भी बारात में नाच रहे होते। जब नाचते-नाचते बहुत देर हो गई तो बापू ने मुझसे कहा कि मैं अपने दोस्तों को रोक लूं। अब मैं दोस्तों को तो रोक सकता था, पर उनके भीतर जो दारू नाच रही थी, उसे कैसे रोकता! ————- ये कॉलम भी पढ़ें… सुबह का भूला शाम को घर लौटे तो नेता!:एकरसता से बचने के लिए नेता दूसरी पार्टी के साथ लिव-इन में रहकर मन बहला लेता है शादी का कार्ड छपने के लिए घर में कई दिन तक शाब्दिक युद्ध चलता रहा और मैं सारे घटनाक्रमों को देख रहा था। मैं सादा कार्ड छपवाना चाहता था और पिताजी अड़े थे कि ‘सुरेन्द्र शर्मा (एम कॉम)’ लिखा जाए। जबकि उस समय तक मैंने एम कॉम पूरा नहीं किया था। मेरी एम कॉम की पढ़ाई अभी चल रही थी। फाइनली, दो कार्ड छपे। एक कार्ड मैंने अपना छपवाया, और एक कार्ड पिताजी वाला था। मुझसे जिस लड़की का ब्याह हो रहा था उस लड़की का नाम ‘सौभाग्यवती’ था। मैंने अपनी होने वाली पत्नी का नाम बदलकर ‘सविता’ कर दिया। दरअसल किस्सा कुछ यूं है कि, सविता नाम की एक लड़की से मैं इतना एकतरफा प्यार करता था कि रविवार के दिन भी अगर कोई दोस्त मुझे इतना भर कह देता था कि उसने आज सविता को देखा है, तो मैं इसी बात पर खुश होकर उस दोस्त को खिला-पिला देता था। यही नहीं बसों में भी हमारी दादागिरी थी। बसों के इंचार्ज को हमने समझा रखा था, ‘जब तक हम ना आएं, तब तक बस मत चलाना। और ऐसा ही होता था!’ सविता की तीन-चार सहेलियां बस में अक्सर जान-बूझकर मुझे सुनाने के लिए आपस में बात करती थीं, ‘वहां फिल्म देखने जा रहे हैं, पता नहीं वापसी में बस मिले ना मिले।’ मैं भी अपने दोस्तों से कह देता था, ‘जब तक मैं जिंदा हूं, तब तक तो बस मिलेगी और बस निकल जाए तो समझ लेना कि मैं नहीं बचा।’ एक दिन मेरे दोस्त ने शर्त लगाई कि मैं सविता से बात कर लूं तो वो मुझे 20 रुपए देगा। मैं मूंगफली लेकर बस में घुसा और कहा, ‘सविता, मूंगफली खाएगी?’ इससे पहले वो कोई जवाब देती, मैंने दोस्त से कहा, ‘ले कर ली बात, निकाल 20 रुपए।’ इसी कारण मैंने अपनी पत्नी का नाम ‘सविता’ रखा। मेरे ससुरालवालों ने कहा, ‘ये क्या नाम है? कोई और नाम रखो।’ लेकिन यहां भी मेरी मनमानी ही चली।’ बहरहाल, हिंदी में छपे कार्ड पर वधू का नाम ‘सौभाग्यवती सविता’ लिखा गया। मैंने अपने सभी दोस्तों को समझाया कि मेरे परिवार के बुज़ुर्ग, बारात में सड़क पर नाचने को अच्छा नहीं मानते। इसलिए बारात में नाचने की कोशिश मत करना। उधर बैंडवाले धुन ऐसी बजा रहे थे कि उसमें पैदल चलने को भी नाचना माना जा सकता था। सभी पंक्ति में सीधे चल रहे थे। थोड़ी देर बाद बापू झल्लाकर बोले, ‘अरे, तेरे दोस्त नाच क्यों नहीं रहे?’ मैंने बोला, ‘ये सब कंवारे हैं। इन्हें डर है कि बारात में नाचने से कहीं मेरी तरह इनके ब्याह में भी परेशानी न आए।’ बापू बोला, ‘भाई, ऐसे ही सीधे-सीधे चलेंगे, तो बारात में रौनक भला कैसे आएगी? बोल इनसे जमकर नाचें।’ मेरे दोस्त तो जैसे इंतजार ही कर रहे थे। मेरा इशारा मिलते ही वो ऐसे नाचे कि बारात ने तीन-चार सौ गज की दूरी तय करने में तीन घंटे लगा दिए। उधर, मेरे ससुर जी ने जनवासे में बोतल भिजवा दी थी। मेरे ससुर की बेटी की शादी थी, वरना वो खुद भी बारात में नाच रहे होते। जब नाचते-नाचते बहुत देर हो गई तो बापू ने मुझसे कहा कि मैं अपने दोस्तों को रोक लूं। अब मैं दोस्तों को तो रोक सकता था, पर उनके भीतर जो दारू नाच रही थी, उसे कैसे रोकता! ————- ये कॉलम भी पढ़ें… सुबह का भूला शाम को घर लौटे तो नेता!:एकरसता से बचने के लिए नेता दूसरी पार्टी के साथ लिव-इन में रहकर मन बहला लेता है उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका मंजूर, 20 दिसंबर को अगली सुनवाई
अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका मंजूर, 20 दिसंबर को अगली सुनवाई <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका को निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने हिंदू सेना की याचिका स्वीकार की है. मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी. यह मामला अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे से जुड़ा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे से जुड़ी याचिका पर बुधवार को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने सुनवाई करते हुए वादी विष्णु गुप्ता की याचिका पर अहम फैसला सुनाया. न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने दरगाह कमेटी,अल्पसंख्यक मामला, कार्यालय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण धरहर भवन नई दिल्ली को समन नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दायर की है. याचिका में भगवान महादेव का मंदिर होने का दावा किया गया है. उनका कहना है कि अजमेर शरीफ दरगाह को भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाए. साथ ही दरगाह समिति के अनाधिकृत अवैध कब्जे को हटाया जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें-</strong> <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/rajasthan-university-vc-alpana-kateja-new-initiative-students-anand-ways-to-get-rid-of-stress-ann-2831388″>राजस्थान यूनिवर्सिटी की VC की पहल, छात्र अब ‘आनंद’ के साथ बताएंगे तनाव दूर करने के तरीके</a></strong></p>
मोगा में 4 युवकों को अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर:हादसे में एक युवक की मौत, 3 घायल, काम से लौट रहे थे घर
मोगा में 4 युवकों को अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर:हादसे में एक युवक की मौत, 3 घायल, काम से लौट रहे थे घर पंजाब के मोगा जिले के कस्बा कोट ईसे खां में काम से लौट रहे 4 लड़कों को अज्ञात वाहन ने अपनी चपेट में ले लिया। इस हादसे में एक युवक की मौत हो गई। वहीं 3 लोग घायल हो गए। जिन्हें इलाज के लिए कोट इसे खा के सरकारी अस्पताल में दाखिल कराया गया। मामले की जांच में जुटी पुलिस इस मामले को लेकर जांच अधिकारी नछतर सिंह ने बताया कि 25 वर्षीय मृतक सुक्खा सिंह के पिता ने शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में उन्होंने बताया कि उसका बेटा अपने दोस्तों के साथ काम से घर वापस आ रहा था। तभी एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन की चपेट में आने से उसकी मौके पर मौत हो गई। जबकि उसके तीन दोस्त गंभीर रूप से घायल हो गए। जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। रतन सिंह के बयानों के आधार पर पुलिस ने अज्ञात वाहन के ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे करवाई शुरू कर दी गई है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
नारनौल में बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्यचार के खिलाफ प्रदर्शन:हिंदू संगठनों ने जताया विरोध, राष्ट्रपति, पीएम और मानव अधिकार से कार्रवाई की मांग
नारनौल में बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्यचार के खिलाफ प्रदर्शन:हिंदू संगठनों ने जताया विरोध, राष्ट्रपति, पीएम और मानव अधिकार से कार्रवाई की मांग हरियाणा के नारनौल में विभिन्न हिंदू संगठनों ने आज शहर में प्रदर्शन किया और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ डीसी कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। इससे पहले उन्होंने सुभाष पार्क में एक बैठक कर भी विरोध जताया। इसमें सैकड़ों लोग मौजूद रहे। रविवार को जिले के कई हिंदू संगठनों ने सुभाष पार्क में एकत्रित होकर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ बैठक की। बैठक के बाद सभी ने मिलकर शहर में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन की शुरुआत सुभाष पार्क से हुई, जो शहर के सिंघाना रोड और महेंद्रगढ़ रोड से होते हुए डीसी कार्यालय तक गया। यहां उन्होंने अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन भी सौंपा। कट्टरपंथियों को रोकने में प्रशासन असफल
ज्ञापन उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव, मानवाधिकार आयोग, बांग्लादेश दूतावास और हरियाणा के मुख्यमंत्री व राज्यपाल को ज्ञापन लिखा। जिसमें उन्होंने मांग की है कि 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में अलोकतांत्रिक तरीके से शेख हसीना सरकार को हटाकर कट्टरपंथियों का राज स्थापित हुआ, तब से वहां रहने वाले हिंदुओं के अलावा सिख, ईसाई, बौद्ध व अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर रोजाना अत्याचार हो रहे हैं। जिससे इन अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का जीना दूभर हो गया है। वहां का शासन प्रशासन भी कट्टरपंथियों को रोकने में असफल है। ऐसे में वहां के हिंदू व अन्य अल्पसंख्यक समुदाय खतरे में हैं। मंदिरों में की जा रही तोड़-फोड़
हर दिन मंदिरों पर हमले व तोड़फोड़ की जा रही है। हिंदुओं पर तरह-तरह के अत्याचार किए जा रहे हैं। इसलिए मानवाधिकार आयोग व भारत सरकार को वहां हस्तक्षेप कर हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को जल्द से जल्द रोकने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर टाइगर क्लब के अध्यक्ष राकेश यादव, प्रगतिशील शिक्षा ट्रस्ट के संजय शर्मा, मां भारती क्लब के अजय, अनहद शक्ति फाउंडेशन से सुशील यादव, शैलजा यादव के अलावा विट्ठल गिरी महाराज, महंत महावीर गिरी, आलोक, ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि महावीर शर्मा, महिपाल चौधरी, नंदलाल नंबरदार, पुरुषोत्तम शर्मा, सुरेश कुमार पूर्व सरपंच सहित कई अन्य लोग मौजूद थे।