लुधियाना में कांग्रेस-भाजपा गठबंधन नहीं होगा:BJP बोली- कांग्रेस मुक्त भारत बनाना है; बहुमत से 2 सीट पीछे AAP

लुधियाना में कांग्रेस-भाजपा गठबंधन नहीं होगा:BJP बोली- कांग्रेस मुक्त भारत बनाना है; बहुमत से 2 सीट पीछे AAP

पंजाब के लुधियाना में 21 दिसंबर को नगर निगम चुनाव हुए थे। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। आप ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसी तरह बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की है। शिअद ने 2 सीटों पर और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की है। चुनाव नतीजों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच गठबंधन हो सकता है, लेकिन बीजेपी आलाकमान ने साफ कर दिया है कि उनका अभियान भारत को कांग्रेस मुक्त बनाना है, इसलिए वो किसी भी कीमत पर कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। मेयर की कुर्सी से 2 सीट पीछे हैं AAP इस घोषणा के बाद आम आदमी पार्टी के विधायक अब एक्टिव मोड में आ गए हैं। AAP ने शिअद पार्षद चतर सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार दीपा रानी को आम आदमी पार्टी में शामिल कर लिया है। विधायकों की वोटिंग के चलते अब बहुमत का आंकड़ा 51 हो गया है, जिसके चलते 2 सीटें कम होने के बाद AAP की कुल सीटें अब 49 रह गई हैं। अब 2 सीटें कम होने के चलते आम आदमी पार्टी की नजर कांग्रेस और बीजेपी की कमजोर कड़ी पर है। कोई भी पार्षद मौजूदा सत्ताधारी पार्टी से जुड़कर फायदा उठाने में पीछे नहीं रहना चाहता। सूत्रों के मुताबिक 2 से 3 जीतने वाले उम्मीदवार AAP विधायकों के संपर्क में हैं। ऐसे में AAP कभी भी मेयर की सीट का ऐलान कर सकती है। मेयर पद का चेहरा बनने की होड़ भी शुरू नगर निगम में मेयर की कुर्सी पर बैठने की होड़ भी शुरू हो गई है। जिन विधायकों के परिवार के सदस्य जीत गए हैं, वे उन्हें मेयर की कुर्सी पर पहुंचाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। वहीं, जिनके परिवार के सदस्य नहीं जीत पाए, वे अपने क्षेत्र के जीते हुए पार्षद को मेयर की कुर्सी पर पहुंचाने में जुटे हैं। आम आदमी पार्टी में अब तक सबसे बड़ा नाम राकेश पाराशर का उभरकर सामने आ रहा है। राकेश पाराशर विधायक अशोक पाराशर पप्पी के भाई हैं। राकेश पाराशर लगातार छठी बार पार्षद बने हैं। महिलाओं में वर्षा रामपाल का नाम सबसे आगे है। वर्षा रामपाल तीसरी बार पार्षद बनी हैं। सूत्रों के मुताबिक, टिकट बंटवारे के समय आप में विधायकों ने किसी की नहीं चलने दी और अपने परिवार के सदस्यों को टिकट दिलवा दिया। विधायक गुरप्रीत गोगी ने अपनी पत्नी डॉ. सुखचैन कौर बस्सी को टिकट दिलवाया, जबकि विधायक अशोक पाराशर पप्पी ने अपनी पत्नी मीनू पाराशर, भाई राकेश पाराशर और रिश्तेदार प्रदीप कुमार गैबी को टिकट दिलवाया। अशोक पाराशर ने परिवार के जिन लोगों को टिकट दिलवाया, उनमें से सिर्फ राकेश पाराशर ही जीत पाए। इसी तरह विधायक मदन लाल बग्गा ने अपने बेटे अमन बग्गा को टिकट दिलवाया। विधायक कुलवंत सिंह सिद्धू ने अपने बेटे युवराज सिद्धू को आप से टिकट दिलवाया और चुनाव लड़वाया। दोनों विधायकों के बेटे चुनाव जीत गए। इसके चलते अब ये दोनों विधायक भी अपने बेटों को मेयर की कुर्सी पर बैठाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। पंजाब के लुधियाना में 21 दिसंबर को नगर निगम चुनाव हुए थे। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। आप ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसी तरह बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की है। शिअद ने 2 सीटों पर और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की है। चुनाव नतीजों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच गठबंधन हो सकता है, लेकिन बीजेपी आलाकमान ने साफ कर दिया है कि उनका अभियान भारत को कांग्रेस मुक्त बनाना है, इसलिए वो किसी भी कीमत पर कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। मेयर की कुर्सी से 2 सीट पीछे हैं AAP इस घोषणा के बाद आम आदमी पार्टी के विधायक अब एक्टिव मोड में आ गए हैं। AAP ने शिअद पार्षद चतर सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार दीपा रानी को आम आदमी पार्टी में शामिल कर लिया है। विधायकों की वोटिंग के चलते अब बहुमत का आंकड़ा 51 हो गया है, जिसके चलते 2 सीटें कम होने के बाद AAP की कुल सीटें अब 49 रह गई हैं। अब 2 सीटें कम होने के चलते आम आदमी पार्टी की नजर कांग्रेस और बीजेपी की कमजोर कड़ी पर है। कोई भी पार्षद मौजूदा सत्ताधारी पार्टी से जुड़कर फायदा उठाने में पीछे नहीं रहना चाहता। सूत्रों के मुताबिक 2 से 3 जीतने वाले उम्मीदवार AAP विधायकों के संपर्क में हैं। ऐसे में AAP कभी भी मेयर की सीट का ऐलान कर सकती है। मेयर पद का चेहरा बनने की होड़ भी शुरू नगर निगम में मेयर की कुर्सी पर बैठने की होड़ भी शुरू हो गई है। जिन विधायकों के परिवार के सदस्य जीत गए हैं, वे उन्हें मेयर की कुर्सी पर पहुंचाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। वहीं, जिनके परिवार के सदस्य नहीं जीत पाए, वे अपने क्षेत्र के जीते हुए पार्षद को मेयर की कुर्सी पर पहुंचाने में जुटे हैं। आम आदमी पार्टी में अब तक सबसे बड़ा नाम राकेश पाराशर का उभरकर सामने आ रहा है। राकेश पाराशर विधायक अशोक पाराशर पप्पी के भाई हैं। राकेश पाराशर लगातार छठी बार पार्षद बने हैं। महिलाओं में वर्षा रामपाल का नाम सबसे आगे है। वर्षा रामपाल तीसरी बार पार्षद बनी हैं। सूत्रों के मुताबिक, टिकट बंटवारे के समय आप में विधायकों ने किसी की नहीं चलने दी और अपने परिवार के सदस्यों को टिकट दिलवा दिया। विधायक गुरप्रीत गोगी ने अपनी पत्नी डॉ. सुखचैन कौर बस्सी को टिकट दिलवाया, जबकि विधायक अशोक पाराशर पप्पी ने अपनी पत्नी मीनू पाराशर, भाई राकेश पाराशर और रिश्तेदार प्रदीप कुमार गैबी को टिकट दिलवाया। अशोक पाराशर ने परिवार के जिन लोगों को टिकट दिलवाया, उनमें से सिर्फ राकेश पाराशर ही जीत पाए। इसी तरह विधायक मदन लाल बग्गा ने अपने बेटे अमन बग्गा को टिकट दिलवाया। विधायक कुलवंत सिंह सिद्धू ने अपने बेटे युवराज सिद्धू को आप से टिकट दिलवाया और चुनाव लड़वाया। दोनों विधायकों के बेटे चुनाव जीत गए। इसके चलते अब ये दोनों विधायक भी अपने बेटों को मेयर की कुर्सी पर बैठाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।   पंजाब | दैनिक भास्कर