देश में दवाओं की कीमत सरकार नहीं बल्कि डॉक्टर खुद तय कर रहे हैं। डॉक्टर अपने मुताबिक ब्रांड बनवाते हैं। कीमत फिक्स करते हैं। 38 रुपए की दवा की MRP 1200 रुपए कर दी जा रही है। यह महज एक एग्जाम्पल है, ऐसा तमाम दवाओं में किया जा रहा है। तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की फैक्ट्रियों से ही देश में 80 फीसदी दवाएं सप्लाई की जाती हैं। कंपनियों और डॉक्टरों के इस खेल को एक्सपोज करने के लिए भास्कर रिपोर्टर इन तीनों राज्यों में पहुंचे और हॉस्पिटल संचालक बनकर दवा कंपनियों से डील की। कंपनियां हमारे हिसाब से न सिर्फ दवाएं बनाने को तैयार हो गईं, बल्कि कीमत भी तय की। हमने चंडीगढ़ की 3 कंपनियों, हरियाणा के पंचकुला में दो कंपनियों, हिमाचल प्रदेश के बद्धी में एक दवा कंपनी के मार्केटिंग रिप्रजेंटेटिव से डील की। करीब 25 कंपनियों से मोबाइल पर भी डील की। पढ़िए और देखिए यह इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट… भास्कर रिपोर्टर ने हॉस्पिटल संचालक बनकर बातचीत की ‘ऑर्डर दीजिए, दवा की पैकिंग से लेकर MRP सब आपकी चॉइस की कर देंगे…’ रिपोर्टर: आपका थर्ड पार्टी का काम है या खुद की फैक्ट्री है? हमें अपने ब्रांड की दवा बनवानी है।
पलक: यहां अधिकतर कंपनियां थर्ड पार्टी का काम करती हैं, हमारी फैक्ट्री बद्दी में है। आप ऑर्डर दीजिए, दवा की पैकिंग से लेकर MRP सब आपकी चॉइस की कर देंगे। रिपोर्टर: हमें अपने हिसाब से MRP तय करनी है?
पलक: MRP आपके हिसाब से हो जाएगी। बल्क में ऑर्डर दीजिएगा तो 20% छूट भी मिल जाएगी। डॉक्टर और हॉस्पिटल तो खुद अपनी दवाएं बनवा ही रहे हैं। रिपोर्टर: आप DSR कितने में बना दीजिएगा?
पलक: गैस की गोली (DSR) डॉक्टर अपनी डिमांड पर 150 रुपए में 10 गोली वाली MRP की बनवा रहे हैं, जिसे हम 110 रुपए में 100 गोली दे देते हैं। रिपोर्टर: एंटीबायोटिक और कफ सिरप का क्या रेट है?
पलक: एंटीबायोटिक (एमॉक्सीसाइक्लिन 500) की 100 गोली 560 रुपए में बनवा देंगे, 25 रुपए प्रति गोली मरीजों को दे सकते हैं। खांसी की 200 एमएल की एक सिरप 70 रुपए में मिल जाएगी, इसकी MRP 1000 कर सकते हैं। 31 रुपए के फेसवॉश की MRP 225 और 21 रुपए के मेडिकेटेड साबुन की MRP 209 हो जाएगी। रिपोर्टर: मार्जिन और कैसे बढ़ सकता है?
पलक: दवा में माइक्रो पायलट का इस्तेमाल होता है। इससे ही एक्सपायरी निर्धारित होती है। अगर दवा में माइक्रो पायलट की क्वालिटी थोड़ी डाउन कर दी जाए तो मार्जिन बढ़ जाएगा, लेकिन एक्सपायरी का समय कम हो जाएगा। रिपोर्टर: एक्सपायरी तो सरकार तय करती है?
पलक: मटेरियल और एक्सपायरी को लेकर सरकार की कोई गाइडलाइन नहीं है। एक्सपायरी की डेट भी कंपनियां तय करती हैं। सरकार के कंट्रोल में जो दवाएं हैं, इसे लेकर थोड़ी सख्ती है। बाकी मेडिसिन पर कोई खास निगरानी नहीं है। रिपोर्टर: हमें अपने ब्रांड की दवाएं बनवानी है?
एग्जीक्यूटिव: हमारी कंपनी थर्ड पार्टी का काम करती है, आप जैसी दवाएं चाहेंगे बन जाएगी। रिपोर्टर: एंटीबायोटिक मेरोपेनम की क्या कीमत होगी?
एग्जीक्यूटिव: मेरोपेनम इंजेक्शन 130 रुपए में दे देंगे, जिसकी एमआरपी 1067 रुपए है। रिपोर्टर: इसकी MRP और बढ़ाना चाहें तो कैसे होगा?
एग्जीक्यूटिव: हो जाएगा, पहले 2400 रुपए थी, आप जो चाहिएगा नए बैच में बनवा देंगे। रिपोर्टर: हमारे यहां कुछ डॉक्टर 4000 रुपए एमआरपी की डिमांड कर रहे हैं?
एग्जीक्यूटिव: सर से बात करनी पड़ेगी, 4000 MRP भी हो जाएगी। रिपोर्टर: आपकी कंपनी कहां की है, किन-किन स्टेट में काम हो रहा है?
एग्जीक्यूटिव : कंपनी बिहार की है, मालिक पटना में रहकर दवा की सप्लाई करते हैं। चंडीगढ़ से देश के अन्य राज्यों में दवा की सप्लाई की जाती है। 180 का इंजेक्शन है, MRP आप तय कर लीजिए रिपोर्टर: हम अपनी ब्रांड की दवाएं अपनी मर्जी की एमआरपी पर बनवाना चाहते हैं?
अर्चना: बन जाएगी। आपको 6 हजार वन टाइम डिपाजिट करना होगा और डिजाइन के लिए 500 अलग से देना होगा। रिपोर्टर: आपका काम किन किन राज्यों में चल रहा है?
अर्चना: पूरे देश में हमारी कंपनी का काम चल रहा है। रिपोर्टर: एंटीबायोटिक मेरोपेनम का कितना पड़ेगा, एमआरपी क्या होगी?
अर्चना: मेरोरिक है हमारी, एमआरपी आप जो चाहिएगा हो जाएगी। हम इसे 180 रुपए में बनाकर दे देंगे। इसमें कुछ कम भी हो जाएगा। हमारी एमआरपी 1900 है, आप कीमत अपने हिसाब से तय करवा सकते हैं। चंडीगढ़ के बाद हम हरियाणा के पंचकुला पहुंचे, वहां भी कंपनियों से डील की… 38 रुपए की दवा, 1200 MRP रिपोर्टर: हमें अपनी ब्रांड की दवाएं बनवानी है, लेकिन MRP हम अपने हिसाब से तय करना चाहते है?
एमडी: हमारे पास कई डिवीजन हैं। MRP–ब्रांड आपके हिसाब से कर देंगे। रिपोर्टर: आपका कारोबार किन-किन राज्यों में है?
एमडी: मैं मूल रूप से राजस्थान का हूं, राजस्थान में मैं खुद कंपनी की डील करता हूं, बाकी देश के अन्य राज्यों में अलग-अलग पार्टियां काम करती हैं। रिपोर्टर: MRP को लेकर कोई समस्या तो नहीं है?
एमडी: नहीं कोई समस्या नहीं है। सरकार के कंट्रोल से बाहर वाले सॉल्ट पर आप अपनी मर्जी का MRP करा सकते हैं। रिपोर्टर: हाई MRP वाला काम कहीं होता है?
एमडी: कर्नाटक में बल्क में हॉस्पिटल चलाने वाले एक डॉक्टर ने डिमांड कर MRP बनवाई है। 380 रुपए में 100 गोली मिलने वाली दवा को 12000 रुपए में 100 गोली का MRP कराया है। 38 रुपए में 10 गोली आने वाली दवा 1200 रुपए में बिक रही है। रिपोर्टर: आपकी कंपनी कब से काम कर रही है?
एमडी: हम 2017 से आउट सोर्सिंग से दवा बनवा रहे हैं। जो दवाएं सरकार की निगरानी में नहीं हैं, उसकी MRP जितनी मर्जी हो करा सकते हैं। MRP को लेकर ही हम 3 अलग-अलग ब्रांड के डिवीजन डील करते हैं। रिपोर्टर: हम अपनी ब्रांड की दवाएं अपनी चॉइस की MRP पर बनवाना चाहते हैं?
रिचा: हमारी अधिकतर दवाएं बाहर जाती हैं। हालांकि दवा की बहुत सारी कंपनियां मुनाफा के चक्कर में समझौता कर रही हैं, हमारे यहां ऐसा नहीं है। रिपोर्टर: आप दवाएं बनवा सकती हैं?
रिचा: दवा तो बन जाएगी, लेकिन MRP बहुत अधिक नहीं कर सकते हैं। ब्रांडेड कंपनियों से ज्यादा MRP नहीं कर सकते। रिपोर्टर: MRP जब हमारे हिसाब से नहीं होगी तो फिर मार्जिन कम हो जाएगा, फिर अपना ब्रांड बनवाने से फायदा क्या होगा?
रिचा: हो जाएगा, MRP में कोई मामला नहीं आएगा। बहुत अधिक नहीं बढ़ाइएगा, बाकी सब मैनेज हो जाएगा। सरकार की निगरानी वाली दवा की MRP बढ़ाई तो हमें नोटिस आ जाएगा। रिपोर्टर: अपना ब्रांड बनवाने के लिए क्या शर्त है?
रिचा: ऑर्डर के साथ 50 प्रतिशत देना होगा। मेडिसिन तैयार होने के बाद पूरा पैसा देना होगा। इसके बाद कंपनी से आपके एड्रेस पर दवा भेज दी जाएगी। रिपोर्टर: इंजेक्शन की MRP हमको अधिक चाहिए, इसी में मरीजों से पैसा मिलता है?
रिचा: सरकार की निगरानी से अलग फॉर्मूला वाली इंजेक्शन में आप जितना चाहें उतनी MRP कर लीजिएगा, कोई समस्या नहीं है। हरियाणा के बाद हम डील करने हिमाचल प्रदेश पहुंचे.. रिपोर्टर: हमें कुछ दवाएं बनवानी हैं, MRP अपने हिसाब से चाहते हैं?
संतोष: हो जाएगा, आप दवा का ऑर्डर दीजिएगा। दवाएं आपको मार्केट में सबसे कम रेट में बनाकर दी जाएंगी। आप अपना रेंज बता दीजिए। रिपोर्टर: इंजेक्शन भी बनाते हैं क्या?
संतोष: ये हमारी मैनुफैक्चरिंग यूनिट है, लेकिन इंजेक्शन जम्मू से ही बनता है। कंपनी की ऑफिस पंचकुला में है। आप वहां जाकर बात कर लीजिए। रिपोर्टर: हम चंडीगढ़ में डील कर रहे हैं तो महंगा पड़ रहा है?
संतोष: यहां बनवाएंगे तो कम पड़ेगा, यहां हर तरह की दवाएं बन जाती हैं। हमारे यहां सॉफ्टजेल और टेबलेट बनता है। हमारा जम्मू में प्लांट है, वहां से आपकी सारी डिमांड पूरी हो जाएगी। आप कंपनी के मालिक रतन जी से बात कर लीजिएगा। 25 से अधिक कंपनियों से MRP पर डील
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की 25 से अधिक कंपनियों से मोबाइल पर बातचीत से भी डील की। इसमें गुरुग्रेस फार्मासिटिकल, फार्माहोपर्स, ग्रैंथम लाइफ साइंसेस, एवरल्यान हेल्थकेयर, फेल्थॉन हेल्थकेयर, केम्ब्रिस फार्मासिटिकल, लिंबसन फार्मा, जेनिथ फार्मा, जीथर फार्मा, जेमसन फार्मा प्रोडक्ट्स, जेपी फार्मासिटिकल, यूनिप्योर, कोट एंड कोट फर्माकेयर, मेडलक फार्मासिटिकल, पीपी फार्मासिटिकल, वैनेसिया फार्मा, ग्रैंथम फर्मा, जैक फार्मा, मैकोजी फर्मा, मेडिवेक फार्मा, चेमरोज लाइफ साइसेंस, केयरर्स फील्ड फर्मासिटिकल, अत्याद लाइफसाइसेंस प्राइवेट लिमिटेड, मिकाल्या लाइफ प्राइवेट लिमिटेड, अर्निक फार्मासिटिकल सहित अन्य कई कंपनियों से बातचीत में MRP पर डील फाइनल हो गई। कंपनियों ने MRP अपनी चॉइस पर करने की बात कही है। देश के चारों जोन में दवा का 2 लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार है मामले पर IMA और फार्मा एसोसिएशन का व्यू 20 साल में दवा का कारोबार 2 लाख करोड़ तक पहुंचा
एक्सपर्ट मानते हैं, 20 साल में 40 हजार करोड़ से दवा का कारोबार 2 लाख करोड़ के पास पहुंच गया है। इसका बड़ा कारण वो MRP में बड़े खेल को मानते हैं। 2005 से 2009 तक 50 प्रतिशत MRP पर दवाएं बिक रही थी। अगर 1200 रुपए की MRP है तो डीलर को 600 रुपए में दी जाती थी। अब डॉक्टर अपने हिसाब से ही MRP तय करवा रहे हैं। जो दवाएं सरकार के कंट्रोल से बाहर, उनमें मनमानी
दवा की क्वालिटी और MRP की निगरानी के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइस अथॉरिटी (NPPA) काम करती है। सरकार ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (DPCO) के माध्यम से दवा की MRP पर नियंत्रण रखती है। आवश्यक और जीवन रक्षक दवाओं के लिए अधिकतम मूल्य निर्धारित करने के साथ DPCO की जिम्मेदारी मरीजों के लिए दवाएं सस्ती और सुलभ कराने की भी है। सरकार जिन दवा को DPCO के अंडर में लाती है, उनकी MRP तो कंट्रोल में होती है, लेकिन सैकड़ों फॉर्मूले की दवाएं आज भी सरकार के कंट्रोल से बाहर हैं, जिसकी MRP में मनमानी चल रही है। दवाओं की कीमतों में इजाफे को लेकर सरकार की गाइडलाइन है कि एक साल में 10 प्रतिशत ही MRP बढ़ाई जा सकती है। लेकिन कंपनियां प्रोडक्ट्स का नाम बदलकर हर साल डॉक्टरों की डिमांड वाली MRP बना रही हैं। कंपनियां अलग डिवीजन और ब्रांड बदलकर MRP अपने हिसाब से फिक्स कर देती हैं। देश में दवाओं की कीमत सरकार नहीं बल्कि डॉक्टर खुद तय कर रहे हैं। डॉक्टर अपने मुताबिक ब्रांड बनवाते हैं। कीमत फिक्स करते हैं। 38 रुपए की दवा की MRP 1200 रुपए कर दी जा रही है। यह महज एक एग्जाम्पल है, ऐसा तमाम दवाओं में किया जा रहा है। तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की फैक्ट्रियों से ही देश में 80 फीसदी दवाएं सप्लाई की जाती हैं। कंपनियों और डॉक्टरों के इस खेल को एक्सपोज करने के लिए भास्कर रिपोर्टर इन तीनों राज्यों में पहुंचे और हॉस्पिटल संचालक बनकर दवा कंपनियों से डील की। कंपनियां हमारे हिसाब से न सिर्फ दवाएं बनाने को तैयार हो गईं, बल्कि कीमत भी तय की। हमने चंडीगढ़ की 3 कंपनियों, हरियाणा के पंचकुला में दो कंपनियों, हिमाचल प्रदेश के बद्धी में एक दवा कंपनी के मार्केटिंग रिप्रजेंटेटिव से डील की। करीब 25 कंपनियों से मोबाइल पर भी डील की। पढ़िए और देखिए यह इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट… भास्कर रिपोर्टर ने हॉस्पिटल संचालक बनकर बातचीत की ‘ऑर्डर दीजिए, दवा की पैकिंग से लेकर MRP सब आपकी चॉइस की कर देंगे…’ रिपोर्टर: आपका थर्ड पार्टी का काम है या खुद की फैक्ट्री है? हमें अपने ब्रांड की दवा बनवानी है।
पलक: यहां अधिकतर कंपनियां थर्ड पार्टी का काम करती हैं, हमारी फैक्ट्री बद्दी में है। आप ऑर्डर दीजिए, दवा की पैकिंग से लेकर MRP सब आपकी चॉइस की कर देंगे। रिपोर्टर: हमें अपने हिसाब से MRP तय करनी है?
पलक: MRP आपके हिसाब से हो जाएगी। बल्क में ऑर्डर दीजिएगा तो 20% छूट भी मिल जाएगी। डॉक्टर और हॉस्पिटल तो खुद अपनी दवाएं बनवा ही रहे हैं। रिपोर्टर: आप DSR कितने में बना दीजिएगा?
पलक: गैस की गोली (DSR) डॉक्टर अपनी डिमांड पर 150 रुपए में 10 गोली वाली MRP की बनवा रहे हैं, जिसे हम 110 रुपए में 100 गोली दे देते हैं। रिपोर्टर: एंटीबायोटिक और कफ सिरप का क्या रेट है?
पलक: एंटीबायोटिक (एमॉक्सीसाइक्लिन 500) की 100 गोली 560 रुपए में बनवा देंगे, 25 रुपए प्रति गोली मरीजों को दे सकते हैं। खांसी की 200 एमएल की एक सिरप 70 रुपए में मिल जाएगी, इसकी MRP 1000 कर सकते हैं। 31 रुपए के फेसवॉश की MRP 225 और 21 रुपए के मेडिकेटेड साबुन की MRP 209 हो जाएगी। रिपोर्टर: मार्जिन और कैसे बढ़ सकता है?
पलक: दवा में माइक्रो पायलट का इस्तेमाल होता है। इससे ही एक्सपायरी निर्धारित होती है। अगर दवा में माइक्रो पायलट की क्वालिटी थोड़ी डाउन कर दी जाए तो मार्जिन बढ़ जाएगा, लेकिन एक्सपायरी का समय कम हो जाएगा। रिपोर्टर: एक्सपायरी तो सरकार तय करती है?
पलक: मटेरियल और एक्सपायरी को लेकर सरकार की कोई गाइडलाइन नहीं है। एक्सपायरी की डेट भी कंपनियां तय करती हैं। सरकार के कंट्रोल में जो दवाएं हैं, इसे लेकर थोड़ी सख्ती है। बाकी मेडिसिन पर कोई खास निगरानी नहीं है। रिपोर्टर: हमें अपने ब्रांड की दवाएं बनवानी है?
एग्जीक्यूटिव: हमारी कंपनी थर्ड पार्टी का काम करती है, आप जैसी दवाएं चाहेंगे बन जाएगी। रिपोर्टर: एंटीबायोटिक मेरोपेनम की क्या कीमत होगी?
एग्जीक्यूटिव: मेरोपेनम इंजेक्शन 130 रुपए में दे देंगे, जिसकी एमआरपी 1067 रुपए है। रिपोर्टर: इसकी MRP और बढ़ाना चाहें तो कैसे होगा?
एग्जीक्यूटिव: हो जाएगा, पहले 2400 रुपए थी, आप जो चाहिएगा नए बैच में बनवा देंगे। रिपोर्टर: हमारे यहां कुछ डॉक्टर 4000 रुपए एमआरपी की डिमांड कर रहे हैं?
एग्जीक्यूटिव: सर से बात करनी पड़ेगी, 4000 MRP भी हो जाएगी। रिपोर्टर: आपकी कंपनी कहां की है, किन-किन स्टेट में काम हो रहा है?
एग्जीक्यूटिव : कंपनी बिहार की है, मालिक पटना में रहकर दवा की सप्लाई करते हैं। चंडीगढ़ से देश के अन्य राज्यों में दवा की सप्लाई की जाती है। 180 का इंजेक्शन है, MRP आप तय कर लीजिए रिपोर्टर: हम अपनी ब्रांड की दवाएं अपनी मर्जी की एमआरपी पर बनवाना चाहते हैं?
अर्चना: बन जाएगी। आपको 6 हजार वन टाइम डिपाजिट करना होगा और डिजाइन के लिए 500 अलग से देना होगा। रिपोर्टर: आपका काम किन किन राज्यों में चल रहा है?
अर्चना: पूरे देश में हमारी कंपनी का काम चल रहा है। रिपोर्टर: एंटीबायोटिक मेरोपेनम का कितना पड़ेगा, एमआरपी क्या होगी?
अर्चना: मेरोरिक है हमारी, एमआरपी आप जो चाहिएगा हो जाएगी। हम इसे 180 रुपए में बनाकर दे देंगे। इसमें कुछ कम भी हो जाएगा। हमारी एमआरपी 1900 है, आप कीमत अपने हिसाब से तय करवा सकते हैं। चंडीगढ़ के बाद हम हरियाणा के पंचकुला पहुंचे, वहां भी कंपनियों से डील की… 38 रुपए की दवा, 1200 MRP रिपोर्टर: हमें अपनी ब्रांड की दवाएं बनवानी है, लेकिन MRP हम अपने हिसाब से तय करना चाहते है?
एमडी: हमारे पास कई डिवीजन हैं। MRP–ब्रांड आपके हिसाब से कर देंगे। रिपोर्टर: आपका कारोबार किन-किन राज्यों में है?
एमडी: मैं मूल रूप से राजस्थान का हूं, राजस्थान में मैं खुद कंपनी की डील करता हूं, बाकी देश के अन्य राज्यों में अलग-अलग पार्टियां काम करती हैं। रिपोर्टर: MRP को लेकर कोई समस्या तो नहीं है?
एमडी: नहीं कोई समस्या नहीं है। सरकार के कंट्रोल से बाहर वाले सॉल्ट पर आप अपनी मर्जी का MRP करा सकते हैं। रिपोर्टर: हाई MRP वाला काम कहीं होता है?
एमडी: कर्नाटक में बल्क में हॉस्पिटल चलाने वाले एक डॉक्टर ने डिमांड कर MRP बनवाई है। 380 रुपए में 100 गोली मिलने वाली दवा को 12000 रुपए में 100 गोली का MRP कराया है। 38 रुपए में 10 गोली आने वाली दवा 1200 रुपए में बिक रही है। रिपोर्टर: आपकी कंपनी कब से काम कर रही है?
एमडी: हम 2017 से आउट सोर्सिंग से दवा बनवा रहे हैं। जो दवाएं सरकार की निगरानी में नहीं हैं, उसकी MRP जितनी मर्जी हो करा सकते हैं। MRP को लेकर ही हम 3 अलग-अलग ब्रांड के डिवीजन डील करते हैं। रिपोर्टर: हम अपनी ब्रांड की दवाएं अपनी चॉइस की MRP पर बनवाना चाहते हैं?
रिचा: हमारी अधिकतर दवाएं बाहर जाती हैं। हालांकि दवा की बहुत सारी कंपनियां मुनाफा के चक्कर में समझौता कर रही हैं, हमारे यहां ऐसा नहीं है। रिपोर्टर: आप दवाएं बनवा सकती हैं?
रिचा: दवा तो बन जाएगी, लेकिन MRP बहुत अधिक नहीं कर सकते हैं। ब्रांडेड कंपनियों से ज्यादा MRP नहीं कर सकते। रिपोर्टर: MRP जब हमारे हिसाब से नहीं होगी तो फिर मार्जिन कम हो जाएगा, फिर अपना ब्रांड बनवाने से फायदा क्या होगा?
रिचा: हो जाएगा, MRP में कोई मामला नहीं आएगा। बहुत अधिक नहीं बढ़ाइएगा, बाकी सब मैनेज हो जाएगा। सरकार की निगरानी वाली दवा की MRP बढ़ाई तो हमें नोटिस आ जाएगा। रिपोर्टर: अपना ब्रांड बनवाने के लिए क्या शर्त है?
रिचा: ऑर्डर के साथ 50 प्रतिशत देना होगा। मेडिसिन तैयार होने के बाद पूरा पैसा देना होगा। इसके बाद कंपनी से आपके एड्रेस पर दवा भेज दी जाएगी। रिपोर्टर: इंजेक्शन की MRP हमको अधिक चाहिए, इसी में मरीजों से पैसा मिलता है?
रिचा: सरकार की निगरानी से अलग फॉर्मूला वाली इंजेक्शन में आप जितना चाहें उतनी MRP कर लीजिएगा, कोई समस्या नहीं है। हरियाणा के बाद हम डील करने हिमाचल प्रदेश पहुंचे.. रिपोर्टर: हमें कुछ दवाएं बनवानी हैं, MRP अपने हिसाब से चाहते हैं?
संतोष: हो जाएगा, आप दवा का ऑर्डर दीजिएगा। दवाएं आपको मार्केट में सबसे कम रेट में बनाकर दी जाएंगी। आप अपना रेंज बता दीजिए। रिपोर्टर: इंजेक्शन भी बनाते हैं क्या?
संतोष: ये हमारी मैनुफैक्चरिंग यूनिट है, लेकिन इंजेक्शन जम्मू से ही बनता है। कंपनी की ऑफिस पंचकुला में है। आप वहां जाकर बात कर लीजिए। रिपोर्टर: हम चंडीगढ़ में डील कर रहे हैं तो महंगा पड़ रहा है?
संतोष: यहां बनवाएंगे तो कम पड़ेगा, यहां हर तरह की दवाएं बन जाती हैं। हमारे यहां सॉफ्टजेल और टेबलेट बनता है। हमारा जम्मू में प्लांट है, वहां से आपकी सारी डिमांड पूरी हो जाएगी। आप कंपनी के मालिक रतन जी से बात कर लीजिएगा। 25 से अधिक कंपनियों से MRP पर डील
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की 25 से अधिक कंपनियों से मोबाइल पर बातचीत से भी डील की। इसमें गुरुग्रेस फार्मासिटिकल, फार्माहोपर्स, ग्रैंथम लाइफ साइंसेस, एवरल्यान हेल्थकेयर, फेल्थॉन हेल्थकेयर, केम्ब्रिस फार्मासिटिकल, लिंबसन फार्मा, जेनिथ फार्मा, जीथर फार्मा, जेमसन फार्मा प्रोडक्ट्स, जेपी फार्मासिटिकल, यूनिप्योर, कोट एंड कोट फर्माकेयर, मेडलक फार्मासिटिकल, पीपी फार्मासिटिकल, वैनेसिया फार्मा, ग्रैंथम फर्मा, जैक फार्मा, मैकोजी फर्मा, मेडिवेक फार्मा, चेमरोज लाइफ साइसेंस, केयरर्स फील्ड फर्मासिटिकल, अत्याद लाइफसाइसेंस प्राइवेट लिमिटेड, मिकाल्या लाइफ प्राइवेट लिमिटेड, अर्निक फार्मासिटिकल सहित अन्य कई कंपनियों से बातचीत में MRP पर डील फाइनल हो गई। कंपनियों ने MRP अपनी चॉइस पर करने की बात कही है। देश के चारों जोन में दवा का 2 लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार है मामले पर IMA और फार्मा एसोसिएशन का व्यू 20 साल में दवा का कारोबार 2 लाख करोड़ तक पहुंचा
एक्सपर्ट मानते हैं, 20 साल में 40 हजार करोड़ से दवा का कारोबार 2 लाख करोड़ के पास पहुंच गया है। इसका बड़ा कारण वो MRP में बड़े खेल को मानते हैं। 2005 से 2009 तक 50 प्रतिशत MRP पर दवाएं बिक रही थी। अगर 1200 रुपए की MRP है तो डीलर को 600 रुपए में दी जाती थी। अब डॉक्टर अपने हिसाब से ही MRP तय करवा रहे हैं। जो दवाएं सरकार के कंट्रोल से बाहर, उनमें मनमानी
दवा की क्वालिटी और MRP की निगरानी के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइस अथॉरिटी (NPPA) काम करती है। सरकार ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (DPCO) के माध्यम से दवा की MRP पर नियंत्रण रखती है। आवश्यक और जीवन रक्षक दवाओं के लिए अधिकतम मूल्य निर्धारित करने के साथ DPCO की जिम्मेदारी मरीजों के लिए दवाएं सस्ती और सुलभ कराने की भी है। सरकार जिन दवा को DPCO के अंडर में लाती है, उनकी MRP तो कंट्रोल में होती है, लेकिन सैकड़ों फॉर्मूले की दवाएं आज भी सरकार के कंट्रोल से बाहर हैं, जिसकी MRP में मनमानी चल रही है। दवाओं की कीमतों में इजाफे को लेकर सरकार की गाइडलाइन है कि एक साल में 10 प्रतिशत ही MRP बढ़ाई जा सकती है। लेकिन कंपनियां प्रोडक्ट्स का नाम बदलकर हर साल डॉक्टरों की डिमांड वाली MRP बना रही हैं। कंपनियां अलग डिवीजन और ब्रांड बदलकर MRP अपने हिसाब से फिक्स कर देती हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर