मंदिर हमारी आस्था के केंद्र ही नहीं जीवन दृष्टि भी है। टूरिस्ट स्पॉट बनने का सबसे बड़ा खतरा यह कि लोग मंदिर में दर्शन की बजाय उसे देखने जा रहे हैं। यह बदलाव चिंताजनक है। दर्शन के लिए न जाने कितने कष्ट उठाकर लोग चारों धाम की यात्रा करते हैं। तमाम कष्ट के बाद भी दर्शन के बाद जो आत्मिक सुख और शांति मिलती है वह सारे कष्ट भुला देती है। जो दर्शन के भाव से जाते हैं वे ऐसा सुख पाते हैं। जो सिर्फ देखने जाते हैं उन्हें सुख-सुविधाओं की चिंता होती है। होटल के कमरे और कार की चिंता होती है। जो दर्शन के भाव से जाते हैं वे जाड़े की सर्द रात में गंगा तट पर खुले में ही बिताते हैं। इसका प्रमाण एक बार फिर प्रयाग महाकुंभ में दुनिया देख लेगी। यह बातें आरएसएस कार्यकारिणी के सदस्य भैयाजी जोशी ने सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट की ओर से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित समारोह में कही….. सनातन के नवोन्मेश की शुरुआत – भैयाजी जोशी भैयाजी जोशी ने कहा – शक्ति और शिव का स्मरण हमें वह मानसिक शक्ति देता है जो धर्म की रक्षा के लिए अनिवार्य है। हमारा धर्म प्रकृति के पूजन का संदेश देता है उसके दोहन का नहीं। अब यह तय करने का समय आ गया है प्रकृति का दोहन करने की प्रवृत्ति पर अंकुश कैसे लगाया जाए। अब हमें समाज धर्म धारण करना होगा तभी सनातन का मंतव्य अगली पीढ़ियों तक पहुंचा पाएंगे। उन्होंने कहा कुंभ का एक चक्र 144 साल में पूरा होता है। एक चक्र 1857 से 2001 तक चला। 1857 की क्रांति भारत की स्वतंत्रता का आधार बनी। वर्ष 2001 में पुन: नया चक्र शुरू हुआ। तब सनातन के नवोन्मश का बीज बोया गया। 2014 में वह अंकुरित हुआ और अब फूल-फल रहा है। महाकुंभ की पूर्व संध्या पर महादेव की नगरी में शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंग के प्रतिनिधियों का महासमागम भी बीजारोपण है। इस कुंभ का चक्र जब 2145 में पूरा होगा तब यह बीज विश्वगुरु भारत के रूप में पूर्ण पुष्पित-पल्लवित हो चुका होगा। आइए अब जानते हैं काशी पहुंचे अन्य संत-महात्माओं ने क्या कहा.. पश्चिम बंगाल के महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा के पुजारी दीप नाथ मुखर्जी ने बताया- मैंने कहा कि हम चाहते हैं कि वहां पर मंदिर का विकास किया जाए। उन्होंने कहा कि शक्तिपीठ सामाजिक सुधार का केंद्र हैं। यहां लोगों को समानता और बंधुता का संदेश मिलता है। शक्तिपीठ देवी और शिव का एक एकीकरण है। शिव पार्वती के मंगल मिलन का प्रतीक है। शक्तिपीठ आध्यात्मिक एकता के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि हम केन्द्र सरकार से चाहेंगे कि वह उस क्षेत्र का विकास करें। रामराज्य का समय आ गया है: चंपत राय श्रीराम जन्मभूमि मंदिर न्यास के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि अब रामराज्य का समय आ गया है। यह समागम पूरे देश में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि मंदिर में अगर आप जाते हैं तो वहां से कुछ प्रेरणा लेकर आए। उन्होंने कहा कि अगर हम मंदिर जा रहे हैं तो वहां प्रभु के दर्शन के लिए जाएं तभी तीर्थाटन होगा। उन्होंने कहा कि आजकल जिन शहरों में मंदिर है वहां आने वाले लोग पर्यटन की बात करते हैं लेकिन पर्यटन करने वाले लोग गोवा, नैनीताल और मसूरी जाता है। उन्होंने कहा कि वाराणसी अयोध्या बद्रीनाथ यह तीर्थाटन है न कि पर्यटन हैं। उन्होंने कहा कि तीर्थ का विकास पूरे भारत का विकास है और मेरे जीवन में अयोध्या का राम मंदिर एक उदाहरण है कि वहां मंदिर बनने के बाद पूरे शहर का विकास हुआ है। इन प्रस्तावों पर बनी सहमति सेंटर फॉर सनातन रिसर्च एवं ट्राइडेंट समिति ट्रस्ट की ओर से आयोजित समागम में देश-विदेश से जुटे संतों-महंतों की मौजूदगी में गहन विमर्श के बाद मंदिरों के पारंपरिक आयोजनों में अनावश्यक सरकारी हस्तक्षेप रोकने का प्रस्ताव पारित हुआ। सरकारी अधिकारियों द्वारा मंदिरों में नई परंपरा शुरू करने पर रोक, सनातन के प्रचार-प्रसार के लिए आपसी समन्वय से काम करने, मंदिरों की शुचिता बनाए रखने के लिए ड्रेस कोड पर विचार कर निर्णय करने के प्रस्तावों पर भी सर्वसम्मति बनी। देवस्थानों के संचालन में आने वाली दिक्कतों से लेकर अतिक्रमण, धन की आवश्यकता, मरम्मत एवं जीर्णद्धार, धार्मिक शिक्षा एवं जागरूकता अभियानों पर बल देने जैसे बिंदुओं पर कार्ययोजना तैयार करके मुहिम छेड़ने की सहमति बनी। मंदिर हमारी आस्था के केंद्र ही नहीं जीवन दृष्टि भी है। टूरिस्ट स्पॉट बनने का सबसे बड़ा खतरा यह कि लोग मंदिर में दर्शन की बजाय उसे देखने जा रहे हैं। यह बदलाव चिंताजनक है। दर्शन के लिए न जाने कितने कष्ट उठाकर लोग चारों धाम की यात्रा करते हैं। तमाम कष्ट के बाद भी दर्शन के बाद जो आत्मिक सुख और शांति मिलती है वह सारे कष्ट भुला देती है। जो दर्शन के भाव से जाते हैं वे ऐसा सुख पाते हैं। जो सिर्फ देखने जाते हैं उन्हें सुख-सुविधाओं की चिंता होती है। होटल के कमरे और कार की चिंता होती है। जो दर्शन के भाव से जाते हैं वे जाड़े की सर्द रात में गंगा तट पर खुले में ही बिताते हैं। इसका प्रमाण एक बार फिर प्रयाग महाकुंभ में दुनिया देख लेगी। यह बातें आरएसएस कार्यकारिणी के सदस्य भैयाजी जोशी ने सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट की ओर से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित समारोह में कही….. सनातन के नवोन्मेश की शुरुआत – भैयाजी जोशी भैयाजी जोशी ने कहा – शक्ति और शिव का स्मरण हमें वह मानसिक शक्ति देता है जो धर्म की रक्षा के लिए अनिवार्य है। हमारा धर्म प्रकृति के पूजन का संदेश देता है उसके दोहन का नहीं। अब यह तय करने का समय आ गया है प्रकृति का दोहन करने की प्रवृत्ति पर अंकुश कैसे लगाया जाए। अब हमें समाज धर्म धारण करना होगा तभी सनातन का मंतव्य अगली पीढ़ियों तक पहुंचा पाएंगे। उन्होंने कहा कुंभ का एक चक्र 144 साल में पूरा होता है। एक चक्र 1857 से 2001 तक चला। 1857 की क्रांति भारत की स्वतंत्रता का आधार बनी। वर्ष 2001 में पुन: नया चक्र शुरू हुआ। तब सनातन के नवोन्मश का बीज बोया गया। 2014 में वह अंकुरित हुआ और अब फूल-फल रहा है। महाकुंभ की पूर्व संध्या पर महादेव की नगरी में शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंग के प्रतिनिधियों का महासमागम भी बीजारोपण है। इस कुंभ का चक्र जब 2145 में पूरा होगा तब यह बीज विश्वगुरु भारत के रूप में पूर्ण पुष्पित-पल्लवित हो चुका होगा। आइए अब जानते हैं काशी पहुंचे अन्य संत-महात्माओं ने क्या कहा.. पश्चिम बंगाल के महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा के पुजारी दीप नाथ मुखर्जी ने बताया- मैंने कहा कि हम चाहते हैं कि वहां पर मंदिर का विकास किया जाए। उन्होंने कहा कि शक्तिपीठ सामाजिक सुधार का केंद्र हैं। यहां लोगों को समानता और बंधुता का संदेश मिलता है। शक्तिपीठ देवी और शिव का एक एकीकरण है। शिव पार्वती के मंगल मिलन का प्रतीक है। शक्तिपीठ आध्यात्मिक एकता के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि हम केन्द्र सरकार से चाहेंगे कि वह उस क्षेत्र का विकास करें। रामराज्य का समय आ गया है: चंपत राय श्रीराम जन्मभूमि मंदिर न्यास के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि अब रामराज्य का समय आ गया है। यह समागम पूरे देश में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि मंदिर में अगर आप जाते हैं तो वहां से कुछ प्रेरणा लेकर आए। उन्होंने कहा कि अगर हम मंदिर जा रहे हैं तो वहां प्रभु के दर्शन के लिए जाएं तभी तीर्थाटन होगा। उन्होंने कहा कि आजकल जिन शहरों में मंदिर है वहां आने वाले लोग पर्यटन की बात करते हैं लेकिन पर्यटन करने वाले लोग गोवा, नैनीताल और मसूरी जाता है। उन्होंने कहा कि वाराणसी अयोध्या बद्रीनाथ यह तीर्थाटन है न कि पर्यटन हैं। उन्होंने कहा कि तीर्थ का विकास पूरे भारत का विकास है और मेरे जीवन में अयोध्या का राम मंदिर एक उदाहरण है कि वहां मंदिर बनने के बाद पूरे शहर का विकास हुआ है। इन प्रस्तावों पर बनी सहमति सेंटर फॉर सनातन रिसर्च एवं ट्राइडेंट समिति ट्रस्ट की ओर से आयोजित समागम में देश-विदेश से जुटे संतों-महंतों की मौजूदगी में गहन विमर्श के बाद मंदिरों के पारंपरिक आयोजनों में अनावश्यक सरकारी हस्तक्षेप रोकने का प्रस्ताव पारित हुआ। सरकारी अधिकारियों द्वारा मंदिरों में नई परंपरा शुरू करने पर रोक, सनातन के प्रचार-प्रसार के लिए आपसी समन्वय से काम करने, मंदिरों की शुचिता बनाए रखने के लिए ड्रेस कोड पर विचार कर निर्णय करने के प्रस्तावों पर भी सर्वसम्मति बनी। देवस्थानों के संचालन में आने वाली दिक्कतों से लेकर अतिक्रमण, धन की आवश्यकता, मरम्मत एवं जीर्णद्धार, धार्मिक शिक्षा एवं जागरूकता अभियानों पर बल देने जैसे बिंदुओं पर कार्ययोजना तैयार करके मुहिम छेड़ने की सहमति बनी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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ब्रह्मकुमारी संस्था की पूर्व संचालिका को दी श्रद्धांजलि भास्कर न्यूज | जालंधर ब्रह्मकुमारीज आदर्श नगर सेवा केंद्र में ब्रह्माकुमारी संस्था की पूर्व संचालिका परमश्रद्धेय राजयोगिनी राज दीदी की पांचवी पुण्य स्मृति दिवस मनाई गई। इसमें संस्था के बीके भाई बहनों सहित नगर के गणमान्यों द्वारा भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर राजयोगिनी लक्ष्मी दीदी और राजयोगिनी संधीरा दीदी ने कहा कि राज दीदी के त्याग, तपस्या, स्नेह, सच्चाई, सफाई, सादगी और कुशल प्रशासन के कारण बहुत सी कन्याओं ने अपना जीवन समर्पित किया जो अब देश भिन्न-भिन्न राज्यों में ब्रह्माकुमारी केंद्रों का संचालन कर रहीं हैं। इस अवसर पर सुरिंदर भाई, मान भाई, विकास भाई, डॉ. महेश डोगरा, डॉ. आरएल बस्सन ने अपने अनुभवों को साझा किए। बीके शिखा दीदी ने कविता के रूप में उनके व्यक्तित्व और विशेषताओं का वर्णन किया। यहां पूर्व मेयर जगदीश राजा, सुरेश गुप्ता, अशोक गुप्ता, शशि गुप्ता, भरत आनंद, बीके कृष्णा मिगलानी, बीके सुभाष गुप्ता, बीके रिशम, बीके सुरिंदर पाल, बीके सिमरन दीदी, बीके सुलेखा व अन्य लोग उपस्थित रहे।
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भाजपा से मिला धोखा, कांग्रेस से है सावित्री को आस:टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय लड़ेंगी चुनाव, बेटे ने दी कांग्रेस में ना जाने की सलाह हरियाणा में हिसार से भाजपा की टिकट ना मिलने पर नाराज चल रही भारत की चौथी सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल अब कांग्रेस से टिकट की आस लगाकर बैठी हैं। अगर कांग्रेस भी उन्हें टिकट नहीं देती तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी। जिंदल समर्थक रोजाना जिंदल हाउस फोन मिलाकर पूछ रहे हैं कि मैडम कब नामांकन भरेंगी? मगर जिंदल हाउस के अंदर अभी तक किसी के पास भी इस बात का जवाब नहीं है। सबकी निगाहें अब कांग्रेस पर आकर टिक गई हैं। चूंकी जिंदल परिवार पहले कांग्रेस में ही था इसलिए उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस उन्हें हिसार से टिकट जरूर देगी। सावित्री जिंदल 2 बार कांग्रेस की टिकट पर ही हिसार से विधायक बनी थी। इससे पहले इनके पति ओमप्रकाश जिंदल हिसार से ही विधायक रहे हैं। अपने पुराने रिकॉर्ड के हिसाब से जिंदल परिवार को कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस की सूची जारी होने के बाद सावित्री जिंदल आगे का फैसला करेंगी। हालांकि सावित्री जिंदल के बेटे नवीन जिंदल लगातार अपनी मां को कांग्रेस में ना जाने की सलाह दे रहे हैं। जिंदल हाउस पर पसरा सन्नाटा
भाजपा से टिकट कटने के बाद ही सावित्री जिंदल हिसार से बाहर हैं और लगातार दिल्ली में सक्रिय हैं। वो चुनाव लड़ने का फैसला ले चुकी हैं और चुनावी रण में उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रही हैं। हालांकि जिंदल हाउस पर सन्नाटा पसरा है, किसी को नहीं पता कि सावित्री जिंदल का अगला कदम क्या होगा। 6 दिन बाद भी किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा जिंदल परिवार
बता दें कि भाजपा ने 4 सितंबर को 67 कैंडिडेट की लिस्ट जारी की थी। लिस्ट आते ही पार्टी में बगावत शुरू हो गई थी। कई पदाधिकारियों ने सोशल मीडिया पर ही इस्तीफा दे दिया था। वहीं, 5 सितंबर की सुबह सावित्री जिंदल ने भी बगावत कर दी है। भाजपा से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने हिसार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। सावित्री जिंदल ने समर्थकों से कहा था कि- मैं भाजपा की प्राथमिक सदस्य नहीं हूं। मैं चुनाव न लड़ने के बारे में बोलने के लिए दिल्ली से वापस आई थी, लेकिन आपका प्यार और विश्वास देखकर मैं चुनाव लड़ूंगी। सावित्री मशहूर उद्योगपति और कुरूक्षेत्र से भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां हैं। हिसार सीट पर उनका मुकाबला भाजपा के प्रत्याशी मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से होगा। चुनाव लड़ा तो कड़ी टक्कर दे सकती हैं सावित्री जिंदल
सावित्री जिंदल अगर हिसार विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं तो विरोधियों को कड़ी टक्कर दे सकती हैं। जिंदल परिवार 1991 से हिसार सीट से चुनाव लड़ता आ रहा है। सबसे पहले स्व. ओपी जिंदल ने चौधरी बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी की टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ा और पहले ही चुनाव में जीत दर्ज की थी। जिंदल परिवार राजनीति के साथ ही समाजसेवा से भी जुड़ा हुआ है। हिसार में उन्होंने कई स्कूल और अस्पताल खोले हुए हैं। इसके अलावा हिसार में जिंदल इंडस्ट्रीज में कई स्थानीय लोगों को नौकरी भी दी है। जिंदल परिवार का कोर वोटर हिसार में हैं जो सिर्फ जिंदल हाउस के कहने पर ही चलता है। डॉ. कमल गुप्ता मंत्री पद जरूर रहे लेकिन हिसार में उनके प्रति नाराजगी लगातार सामने आती रही है और इसका फायदा भी सावित्री जिंदल को मिल सकता है। सावित्री जिंदल 2.77 लाख करोड़ की मालकिन
जिंदल परिवार की मुखिया और जिंदल समूह की चेयरपर्सन सावित्री जिंदल फॉर्च्यून इंडिया की लिस्ट के मुताबिक, देश में चौथे नंबर पर सबसे अमीर हैं। इसके अलावा वह देश की सबसे अमीर महिला भी हैं। सावित्री जिंदल हरियाणा के हिसार की रहने वाली हैं और स्टील किंग स्व. ओपी जिंदल की पत्नी हैं। फॉर्च्यून इंडिया की सूची के मुताबिक, 74 वर्षीय सावित्री देवी जिंदल लगभग 2.77 लाख करोड़ रुपए की मालकिन हैं।
AI इंजीनियर सुसाइड केस- पत्नी, सास और साला गिरफ्तार:बेंगलुरु पुलिस की कार्रवाई; ससुराल वाले जौनपुर का घर छोड़कर फरार थे
AI इंजीनियर सुसाइड केस- पत्नी, सास और साला गिरफ्तार:बेंगलुरु पुलिस की कार्रवाई; ससुराल वाले जौनपुर का घर छोड़कर फरार थे AI इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस में बेंगलुरु पुलिस ने उनकी पत्नी, सास और साले को गिरफ्तार किया है। बेंगलुरु पुलिस के DCP शिवाकुमार ने कहा-अतुल सुभाष की सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग को प्रयागराज से जबकि पत्नी निकिता को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया। शनिवार को गिरफ्तारी के बाद इन सभी को कोर्ट के सामने पेश किया, जहां से न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को बेंगलुरु के फ्लैट में सुसाइड किया था।आत्महत्या से पहले 1.20 घंटे का वीडियो बनाया। इसमें पत्नी निकिता और उनकी फैमिली पर हैरेसमेंट का आरोप लगाया। अतुल के भाई की एप्लीकेशन पर बेंगलुरु में 4 लोगों पर FIR दर्ज हुई। इसमें पत्नी, सास, साले और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया का नाम है। जौनपुर में ताला लगाकर फरार हो गए थे सभी FIR के बाद शुक्रवार 13 दिसंबर को बेंगलुरु पुलिस जौनपुर पहुंची। अतुल सुभाष के ससुराल पहुंची तो वहां ताला बंद था। टीम ने नोटिस चस्पा कर दिया। पुलिस के पहुंचने से पहले ही अतुल की सास, साला फरार हो गए। पुलिस ने पड़ोसियों से पूछताछ की थी लेकिन परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। बुधवार-गुरुवार की रात 1.30 बजे सुभाष की सास और साले का घर से भागते का वीडियो सामने आया था। इसमें ताला बंद करके बाइक से भाग रहे थे। वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने पूछा तो सास ने कोई जवाब नहीं दिया और हाथ जोड़ लिया। घर से भागकर वह जौनपुर के ही एक होटल में पहुंची थीं। वहां थोड़ी देर रुकी। फिर वहां से फरार हो गईं। होटल का भी सीसीटीवी सामने आया था, जिसमें दोनों नजर आए थे। फ्लैट में मिला था AI इंजीनियर का शव
मूल रूप से बिहार के रहने वाले अतुल सुभाष ने 24 पेज का सुसाइड लेटर लिखा और अपनी जिंदगी खत्म कर ली। उनका शव बेंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट में उनके फ्लैट से बरामद हुआ था। मरने से पहले उन्होंने 1 घंटे 20 मिनट का वीडियो बनाया। अतुल ने पत्नी निकिता और उनकी फैमिली पर हैरेसमेंट और पैसे वसूलने का आरोप लगाया है। सुसाइड से पहले उन्होंने कोर्ट के सिस्टम और पुरुषों के खिलाफ झूठे केस पर भी सवाल उठाए। अतुल के सुसाइड नोट की अहम बातें…
सुसाइड नोट की शुरुआत ‘जस्टिस इज ड्यू’ यानी ‘इंसाफ बाकी है’ से होती है। इसमें अतुल अपने बारे में बताते हुए लिखते हैं- मेरी पत्नी ने मेरे खिलाफ 9 केस दर्ज करवाए। इसमें से 2022 में दर्ज हत्या और अननेचुरल सेक्स का भी एक मामला है। हालांकि बाद में उसने ये केस वापस ले लिया था। बाकी केसों में दहेज प्रताड़ना, तलाक और मेंटेनेंस के मामले हैं, जो जिला कोर्ट और हाईकोर्ट में चल रहे हैं। अतुल ने जौनपुर कोर्ट के प्रिंसिपल फैमिली जज रीता कौशिक, पत्नी निकिता सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और पत्नी के चाचा सुशील सिंघानिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मेरी पत्नी, सास और उसके चाचा सुशील सिंघानिया ने 1 करोड़ रुपए की डिमांड की, जो अब बढ़कर 3 करोड़ रुपए हो गई है। कोर्ट ने मेरे 4.5 साल के बेटे की देखभाल के लिए 80,000 रुपए महीने देने का आदेश दिया। इससे मेरा तनाव बढ़ गया। मैं 3 साल से बेटे से मिल नहीं सका था, जबकि मैंने कई बार कोर्ट में इसके लिए आवेदन किया था। पत्नी ने 2 लाख रुपए महीने की डिमांड की थी, जबकि वो एक पढ़ी-लिखी और कामकाजी महिला हैं। मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हैं। ……………………………………………… आत्महत्या से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…. पायलट ने बॉयफ्रेंड से तंग आकर किया था सुसाइड, नॉनवेज खाने से रोकता था, सड़क पर बेइज्जती की, नंबर ब्लॉक कर दिया था मुंबई में महिला पायलट सुसाइड केस में नए खुलासे हुए हैं। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी बॉयफ्रेंड महिला को प्रताड़ित करता था। उसकी बेइज्जती की। दोनों के बीच नॉनवेज खाने को लेकर भी लड़ाई होती थी। पूरी खबर पढ़ें…