सनातन के नवोन्मश का बीज, अब फूल-फल रहा:भैयाजी जोशी बोले- हमारे मंदिर टूरिस्ट स्पॉट नहीं, जीवन दृष्टि; संतों ने मांगा सनातन बोर्ड

सनातन के नवोन्मश का बीज, अब फूल-फल रहा:भैयाजी जोशी बोले- हमारे मंदिर टूरिस्ट स्पॉट नहीं, जीवन दृष्टि; संतों ने मांगा सनातन बोर्ड

मंदिर हमारी आस्था के केंद्र ही नहीं जीवन दृष्टि भी है। टूरिस्ट स्पॉट बनने का सबसे बड़ा खतरा यह कि लोग मंदिर में दर्शन की बजाय उसे देखने जा रहे हैं। यह बदलाव चिंताजनक है। दर्शन के लिए न जाने कितने कष्ट उठाकर लोग चारों धाम की यात्रा करते हैं। तमाम कष्ट के बाद भी दर्शन के बाद जो आत्मिक सुख और शांति मिलती है वह सारे कष्ट भुला देती है। जो दर्शन के भाव से जाते हैं वे ऐसा सुख पाते हैं। जो सिर्फ देखने जाते हैं उन्हें सुख-सुविधाओं की चिंता होती है। होटल के कमरे और कार की चिंता होती है। जो दर्शन के भाव से जाते हैं वे जाड़े की सर्द रात में गंगा तट पर खुले में ही बिताते हैं। इसका प्रमाण एक बार फिर प्रयाग महाकुंभ में दुनिया देख लेगी। यह बातें आरएसएस कार्यकारिणी के सदस्य भैयाजी जोशी ने सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट की ओर से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित समारोह में कही….. सनातन के नवोन्मेश की शुरुआत – भैयाजी जोशी भैयाजी जोशी ने कहा – शक्ति और शिव का स्मरण हमें वह मानसिक शक्ति देता है जो धर्म की रक्षा के लिए अनिवार्य है। हमारा धर्म प्रकृति के पूजन का संदेश देता है उसके दोहन का नहीं। अब यह तय करने का समय आ गया है प्रकृति का दोहन करने की प्रवृत्ति पर अंकुश कैसे लगाया जाए। अब हमें समाज धर्म धारण करना होगा तभी सनातन का मंतव्य अगली पीढ़ियों तक पहुंचा पाएंगे। उन्होंने कहा कुंभ का एक चक्र 144 साल में पूरा होता है। एक चक्र 1857 से 2001 तक चला। 1857 की क्रांति भारत की स्वतंत्रता का आधार बनी। वर्ष 2001 में पुन: नया चक्र शुरू हुआ। तब सनातन के नवोन्मश का बीज बोया गया। 2014 में वह अंकुरित हुआ और अब फूल-फल रहा है। महाकुंभ की पूर्व संध्या पर महादेव की नगरी में शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंग के प्रतिनिधियों का महासमागम भी बीजारोपण है। इस कुंभ का चक्र जब 2145 में पूरा होगा तब यह बीज विश्वगुरु भारत के रूप में पूर्ण पुष्पित-पल्लवित हो चुका होगा। आइए अब जानते हैं काशी पहुंचे अन्य संत-महात्माओं ने क्या कहा.. पश्चिम बंगाल के महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा के पुजारी दीप नाथ मुखर्जी ने बताया- मैंने कहा कि हम चाहते हैं कि वहां पर मंदिर का विकास किया जाए। उन्होंने कहा कि शक्तिपीठ सामाजिक सुधार का केंद्र हैं। यहां लोगों को समानता और बंधुता का संदेश मिलता है। शक्तिपीठ देवी और शिव का एक एकीकरण है। शिव पार्वती के मंगल मिलन का प्रतीक है। शक्तिपीठ आध्यात्मिक एकता के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि हम केन्द्र सरकार से चाहेंगे कि वह उस क्षेत्र का विकास करें। रामराज्य का समय आ गया है: चंपत राय श्रीराम जन्मभूमि मंदिर न्यास के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि अब रामराज्य का समय आ गया है। यह समागम पूरे देश में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि मंदिर में अगर आप जाते हैं तो वहां से कुछ प्रेरणा लेकर आए। उन्होंने कहा कि अगर हम मंदिर जा रहे हैं तो वहां प्रभु के दर्शन के लिए जाएं तभी तीर्थाटन होगा। उन्होंने कहा कि आजकल जिन शहरों में मंदिर है वहां आने वाले लोग पर्यटन की बात करते हैं लेकिन पर्यटन करने वाले लोग गोवा, नैनीताल और मसूरी जाता है। उन्होंने कहा कि वाराणसी अयोध्या बद्रीनाथ यह तीर्थाटन है न कि पर्यटन हैं। उन्होंने कहा कि तीर्थ का विकास पूरे भारत का विकास है और मेरे जीवन में अयोध्या का राम मंदिर एक उदाहरण है कि वहां मंदिर बनने के बाद पूरे शहर का विकास हुआ है। इन प्रस्तावों पर बनी सहमति सेंटर फॉर सनातन रिसर्च एवं ट्राइडेंट समिति ट्रस्ट की ओर से आयोजित समागम में देश-विदेश से जुटे संतों-महंतों की मौजूदगी में गहन विमर्श के बाद मंदिरों के पारंपरिक आयोजनों में अनावश्यक सरकारी हस्तक्षेप रोकने का प्रस्ताव पारित हुआ। सरकारी अधिकारियों द्वारा मंदिरों में नई परंपरा शुरू करने पर रोक, सनातन के प्रचार-प्रसार के लिए आपसी समन्वय से काम करने, मंदिरों की शुचिता बनाए रखने के लिए ड्रेस कोड पर विचार कर निर्णय करने के प्रस्तावों पर भी सर्वसम्मति बनी। देवस्थानों के संचालन में आने वाली दिक्कतों से लेकर अतिक्रमण, धन की आवश्यकता, मरम्मत एवं जीर्णद्धार, धार्मिक शिक्षा एवं जागरूकता अभियानों पर बल देने जैसे बिंदुओं पर कार्ययोजना तैयार करके मुहिम छेड़ने की सहमति बनी। मंदिर हमारी आस्था के केंद्र ही नहीं जीवन दृष्टि भी है। टूरिस्ट स्पॉट बनने का सबसे बड़ा खतरा यह कि लोग मंदिर में दर्शन की बजाय उसे देखने जा रहे हैं। यह बदलाव चिंताजनक है। दर्शन के लिए न जाने कितने कष्ट उठाकर लोग चारों धाम की यात्रा करते हैं। तमाम कष्ट के बाद भी दर्शन के बाद जो आत्मिक सुख और शांति मिलती है वह सारे कष्ट भुला देती है। जो दर्शन के भाव से जाते हैं वे ऐसा सुख पाते हैं। जो सिर्फ देखने जाते हैं उन्हें सुख-सुविधाओं की चिंता होती है। होटल के कमरे और कार की चिंता होती है। जो दर्शन के भाव से जाते हैं वे जाड़े की सर्द रात में गंगा तट पर खुले में ही बिताते हैं। इसका प्रमाण एक बार फिर प्रयाग महाकुंभ में दुनिया देख लेगी। यह बातें आरएसएस कार्यकारिणी के सदस्य भैयाजी जोशी ने सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट की ओर से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित समारोह में कही….. सनातन के नवोन्मेश की शुरुआत – भैयाजी जोशी भैयाजी जोशी ने कहा – शक्ति और शिव का स्मरण हमें वह मानसिक शक्ति देता है जो धर्म की रक्षा के लिए अनिवार्य है। हमारा धर्म प्रकृति के पूजन का संदेश देता है उसके दोहन का नहीं। अब यह तय करने का समय आ गया है प्रकृति का दोहन करने की प्रवृत्ति पर अंकुश कैसे लगाया जाए। अब हमें समाज धर्म धारण करना होगा तभी सनातन का मंतव्य अगली पीढ़ियों तक पहुंचा पाएंगे। उन्होंने कहा कुंभ का एक चक्र 144 साल में पूरा होता है। एक चक्र 1857 से 2001 तक चला। 1857 की क्रांति भारत की स्वतंत्रता का आधार बनी। वर्ष 2001 में पुन: नया चक्र शुरू हुआ। तब सनातन के नवोन्मश का बीज बोया गया। 2014 में वह अंकुरित हुआ और अब फूल-फल रहा है। महाकुंभ की पूर्व संध्या पर महादेव की नगरी में शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंग के प्रतिनिधियों का महासमागम भी बीजारोपण है। इस कुंभ का चक्र जब 2145 में पूरा होगा तब यह बीज विश्वगुरु भारत के रूप में पूर्ण पुष्पित-पल्लवित हो चुका होगा। आइए अब जानते हैं काशी पहुंचे अन्य संत-महात्माओं ने क्या कहा.. पश्चिम बंगाल के महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा के पुजारी दीप नाथ मुखर्जी ने बताया- मैंने कहा कि हम चाहते हैं कि वहां पर मंदिर का विकास किया जाए। उन्होंने कहा कि शक्तिपीठ सामाजिक सुधार का केंद्र हैं। यहां लोगों को समानता और बंधुता का संदेश मिलता है। शक्तिपीठ देवी और शिव का एक एकीकरण है। शिव पार्वती के मंगल मिलन का प्रतीक है। शक्तिपीठ आध्यात्मिक एकता के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि हम केन्द्र सरकार से चाहेंगे कि वह उस क्षेत्र का विकास करें। रामराज्य का समय आ गया है: चंपत राय श्रीराम जन्मभूमि मंदिर न्यास के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि अब रामराज्य का समय आ गया है। यह समागम पूरे देश में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि मंदिर में अगर आप जाते हैं तो वहां से कुछ प्रेरणा लेकर आए। उन्होंने कहा कि अगर हम मंदिर जा रहे हैं तो वहां प्रभु के दर्शन के लिए जाएं तभी तीर्थाटन होगा। उन्होंने कहा कि आजकल जिन शहरों में मंदिर है वहां आने वाले लोग पर्यटन की बात करते हैं लेकिन पर्यटन करने वाले लोग गोवा, नैनीताल और मसूरी जाता है। उन्होंने कहा कि वाराणसी अयोध्या बद्रीनाथ यह तीर्थाटन है न कि पर्यटन हैं। उन्होंने कहा कि तीर्थ का विकास पूरे भारत का विकास है और मेरे जीवन में अयोध्या का राम मंदिर एक उदाहरण है कि वहां मंदिर बनने के बाद पूरे शहर का विकास हुआ है। इन प्रस्तावों पर बनी सहमति सेंटर फॉर सनातन रिसर्च एवं ट्राइडेंट समिति ट्रस्ट की ओर से आयोजित समागम में देश-विदेश से जुटे संतों-महंतों की मौजूदगी में गहन विमर्श के बाद मंदिरों के पारंपरिक आयोजनों में अनावश्यक सरकारी हस्तक्षेप रोकने का प्रस्ताव पारित हुआ। सरकारी अधिकारियों द्वारा मंदिरों में नई परंपरा शुरू करने पर रोक, सनातन के प्रचार-प्रसार के लिए आपसी समन्वय से काम करने, मंदिरों की शुचिता बनाए रखने के लिए ड्रेस कोड पर विचार कर निर्णय करने के प्रस्तावों पर भी सर्वसम्मति बनी। देवस्थानों के संचालन में आने वाली दिक्कतों से लेकर अतिक्रमण, धन की आवश्यकता, मरम्मत एवं जीर्णद्धार, धार्मिक शिक्षा एवं जागरूकता अभियानों पर बल देने जैसे बिंदुओं पर कार्ययोजना तैयार करके मुहिम छेड़ने की सहमति बनी।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर