महाराष्ट्र में विधायक दल के नेता का चयन करने के लिए पंजाब बीजेपी के प्रभारी और गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी को पार्टी ने अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें वित्त मंत्री सीतारमण के साथ केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। यह आदेश पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की तरफ से आदेश जारी किए गए हैं। कल दोनों मुंबई जाएंगे। लंबे समय से है पंजाब प्रभारी विजय रूपाणी लंबे समय से पंजाब बीजेपी के प्रभारी पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनकी अगुआई में ही भाजपा ने अपने दम पर लोकसभा चुनाव 2024 और 4 विधानसभा उप चुनाव लड़े गए। हालांकि लोकसभा चुनाव में तो पार्टी का वोट प्रतिशत में वृद्वि हुई थी। हालांकि लोक विधानसभा उप चुनाव 4 सीटों पर पार्टी को हार मुंह देखना पड़ा है। वहीं, निगम और नगर काउंसिल चुनाव भी उनकी अगुआई में लड़े जा रहे है। महायुति गठबंधन को 230 सीटें महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन को 230 सीटें मिली हैं। बहुमत के लिए जरूरी 145 विधायकों से 85 सीटें ज्यादा। भाजपा को 132, शिवसेना शिंदे को 57 और NCP अजित पवार को 41 सीटें मिली हैं। याद रहे कि पहले भी महाराष्ट्र में अपने सहयोगी दलों के साथ सरकार चला रही थी। इससे पहले हरियाणा में पार्टी ने तीसरी बार सत्ता में वापसी की है। महाराष्ट्र में विधायक दल के नेता का चयन करने के लिए पंजाब बीजेपी के प्रभारी और गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी को पार्टी ने अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें वित्त मंत्री सीतारमण के साथ केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। यह आदेश पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की तरफ से आदेश जारी किए गए हैं। कल दोनों मुंबई जाएंगे। लंबे समय से है पंजाब प्रभारी विजय रूपाणी लंबे समय से पंजाब बीजेपी के प्रभारी पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनकी अगुआई में ही भाजपा ने अपने दम पर लोकसभा चुनाव 2024 और 4 विधानसभा उप चुनाव लड़े गए। हालांकि लोकसभा चुनाव में तो पार्टी का वोट प्रतिशत में वृद्वि हुई थी। हालांकि लोक विधानसभा उप चुनाव 4 सीटों पर पार्टी को हार मुंह देखना पड़ा है। वहीं, निगम और नगर काउंसिल चुनाव भी उनकी अगुआई में लड़े जा रहे है। महायुति गठबंधन को 230 सीटें महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन को 230 सीटें मिली हैं। बहुमत के लिए जरूरी 145 विधायकों से 85 सीटें ज्यादा। भाजपा को 132, शिवसेना शिंदे को 57 और NCP अजित पवार को 41 सीटें मिली हैं। याद रहे कि पहले भी महाराष्ट्र में अपने सहयोगी दलों के साथ सरकार चला रही थी। इससे पहले हरियाणा में पार्टी ने तीसरी बार सत्ता में वापसी की है। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
पंजाब सरकार के कैश अवॉर्ड से खुश नहीं शूटर:सम्मान समारोह के बाद सिफत कौर बोली, नौकरी का फायदा लंबे समय तक
पंजाब सरकार के कैश अवॉर्ड से खुश नहीं शूटर:सम्मान समारोह के बाद सिफत कौर बोली, नौकरी का फायदा लंबे समय तक पेरिस ओलिंपिक में हिस्सा लेने वाली भारतीय शूटर व पंजाब की बेटी सिफत कौर का कहना है कि खिलाड़ियों को कैश अवॉर्ड देना पंजाब सरकार का एक अच्छा प्रयास है। इससे खिलाड़ी अपने उपकरण बढ़ा सकते हैं, लेकिन जॉब भी प्रेफ्रेर करनी चाहिए। इसका लंबे समय खिलाड़ियों को फायदा होता है। उन्होंने कहा कि हॉकी खिलाड़ियों के पास DSP व पीसीएस रैंक की जॉब हैं। जो कि आगे जाकर काफी फायदा देगी। उन्होंने बताया कि सरकार ने उन्हें तैयारी के लिए भी राशि दी थी। इसके बाद अब कैश अवॉर्ड दिया गया है। उन्होंने कहा कि आज की जेनरेशन को स्पोर्ट्स में आना चाहिए। उन्हें हम कह सकते है सरकार का कैश अवॉर्ड दे रही है। अगर सरकार नौकरी देगी तो हम कह सकते हैं कि उन्हें प्रोफेशलनी भी फायदा होगा। क्योंकि जॉब के लिए युवा मेहनत करते हैं। नौ साल में शुरू हुआ सफर सिफत कौर का शूटिंग का सफर नौ साल की उम्र में शुरू हो गया था। हालांकि वह पढ़ाई में भी बेहतर थी। लेकिन जब वह MBBS की पढ़ाई करने पहुंची तो उन्हें दिक्कत जरूर आई। क्योंकि पढ़ाई व शूटिंग को साथ लेकर चलने में दिक्कत आ ही थी। क्योंकि असाइनमेंट भी होते थे और नेशनल कैंप भी होते थे। MBBS में 80% अटेंडेंस मेंटेन करनी होती है, जो मैं नहीं कर पा रही थी। ऐसे में कॉलेज ने कहा कि आपको 80% अटेंडेंस मेंटेन करनी होगी। उन्हें फर्स्ट ईयर के एग्जाम में नहीं बैठने दिया। इसीलिए MBBS छोड़ दिया और खेलों पर फोकस किया। हालांकि उस समय उन्हें कॉलेज वालों ने काफी रोका। 2023 में नेशनल शूटिंग में ब्रिटिश शूटर का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इसी साल उसने एशियन गेम्स में गोल्ड जीता। इसके बाद घरवालों काे लगा था कि अब नौकरी पक्की हो गई। अगर वह पढ़ाई नहीं छोड़ती तो आज डॉक्टर होती । फिजिकल एजुकेशन में ग्रेजुएशन कर रही है सिफत के परिजन बताते है कि वो शूटिंग में ही करियर बनाना चाहती थी। अब वो कभी-कभी कहती है कि MBBS करना ज्यादा आसान होता। जितना स्ट्रेस खेल में आगे बढ़ने में होता है, डॉक्टरी उससे कहीं आसान थी। अब जब सिफत खेलती है तो हमारे दिमाग में भी कैल्कुलेशस चला करते हैं।’ ‘सिफत के प्रिंसिपल भी नहीं चाहते थे कि वो पढ़ाई छोड़े। वे चाहते थे कि सिफत कंटिन्यू करें। MBBS की पढ़ाई खेल के साथ नहीं चल सकती थी, इसलिए उसे छोड़ दिया। अब सिफत फिजिकल एजुकेशन में ग्रेजुएशन कर रही हैं।’ सिफत कौर के नाम है यह रिकॉर्ड सिफत कौर समरा 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन फाइनल में मौजूदा विश्व रिकॉर्ड है, जो उन्होंने 2022 एशियाई खेलों में महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान बनाया था । वह 2022 एशियाई खेलों में महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन टीम स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थीं।
आज थम जाएगा नगर निगम चुनावों का शोर:जोड़तोड़ की राजनीति शुरू; कहीं मंत्री-विधायक में चल रही नाराजगी, बागी बिगढ़ रहे माहौल
आज थम जाएगा नगर निगम चुनावों का शोर:जोड़तोड़ की राजनीति शुरू; कहीं मंत्री-विधायक में चल रही नाराजगी, बागी बिगढ़ रहे माहौल पंजाब में 21 दिसंबर को होने जा रहे निकाय चुनावों के लिए प्रचार का आज आखिरी दिन है। आज दोपहर 4 बजे चुनावी शोर थम जाएगा। इसके बाद बंद कमरों में जोड़-तोड़ के आखिरी प्रयास शुरू हो जाएंगे। बीते एक सप्ताह से चुनावी रण में मंत्री-विधायकों की दूरी आम आदमी पार्टी को मुश्किल में डाल रही है। वहीं हर बागी अपने-अपने हल्कों में खेल को बिगाड़ रहे हैं। नगर निगम चुनावों को लेकर 21 दिसंबर को सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक वोटिंग होनी है। उसके एक घंटे के अंदर-अंदर परिणाम आने शुरू हो जाएंगे। जिसके चलते आज शाम 4 बजे प्रचार बंद हो जाएगा। लाउड-स्पीकर लेकर चल रहे ऑटो, ढोल के साथ शोर मचाते उम्मीदवार और लाउडस्पीकर पर प्रचार पूरी तरह से रुक जाएगा। इसके साथ ही चुनाव खत्म होने तक ड्राई डे रहेगा। चुनावी प्रचार खत्म होने के बाद अब दो दिन अंतिम कोशिश रूठों को मनाने और बागियों के नुकसान को कम करने की रहेगी। पंजाब की सत्ताधारी पार्टी अपना मेयर बनाने का दावा ढोक रही है। AAP प्रदेश प्रधान अमन अरोड़ा 5 वादे कर चुके हैं और सीएम भगवंत मान रोड शो निकाल चुके हैं। लेकिन इसी बीच मंत्रियों और विधायकों के बीच बनी दूरी खेल बिगाड़ रही है। वार्ड 10 बनी पूर्व मेयर रिंटू के लिए चुनौती अमृतसर के पूर्व मेयर कर्मजीत सिंह रिंटू वार्ड 10 से पार्षद रह चुके हैं। पार्टी ने उनके कहने पर विसाखा सिंह को टिकट दिया। लेकिन इसी वार्ड में अनिल शर्मा आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं, लेकिन इनके पोस्टरों पर आम आदमी पार्टी के विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह की तस्वीरें लगी हैं। इतना ही नहीं, कई इलाकों में उम्मीदवारों ने मंत्री की तस्वीरें तो लगाई हैं, लेकिन इलाके के विधायक पोस्टरों से गायब हैं। बागी काट रहे वोट, कर रहे जीत की राह मुश्किल बागी अधिकतर हर वार्ड में वोट जोड़ने-तोड़ने से लेकर जीत तक की राह मुश्किल कर रहे हैं। वार्ड 10 के अलावा वार्ड 64 में AAP के स्टेट मीडिया कोआर्डिनेटर गुरभेज सिंह संधू चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने 2022 में कांग्रेस छोड़ AAP जॉइन करने वाली नीतू टांगरी आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। टांगरी इस वार्ड में गुरभेज को नुकसान पहुंचा रही हैं। इस वार्ड में ना अकाली उम्मीदवार है और ना ही कांग्रेस का कोई उम्मीदवार है। नीतू टांगरी चाहे आजाद उम्मीदवर हैं, लेकिन उनके पोस्टरों में कांग्रेस के पूर्व उप-मुख्यमंत्री ओम प्रकाश सोनी की तस्वीरें लगी हैं। वार्ड 28 में मिट्ठू मदान के सामने जीत भाटिया वहीं, वार्ड 28 में भी मुकाबला रोचक बना हुआ है। यहां नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी रहे मिट्ठू मदान कांग्रेस की टिकट पर मैदान में हैं। जबकि उनके सामने आम आदमी पार्टी के जीत भाटिया मैदान में हैं। जीत भाटिया व उनके स्वर्गीय बेटे हरपाल सिंह भाटिया की पृष्ठभूमि कांग्रेस की रही है। भाटिया यहां आम आदमी पार्टी की वोट तो अपने हक में कर रहे हैं, इसके साथ ही कांग्रेस की टिकटों को काट भी रहे हैं।
लुधियाना पहुंचेंगे अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह:सिख जत्थेबंदियों के साथ करेंगे बैठक, SGPC चुनाव को लेकर होगी चर्चा
लुधियाना पहुंचेंगे अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह:सिख जत्थेबंदियों के साथ करेंगे बैठक, SGPC चुनाव को लेकर होगी चर्चा खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह आज लुधियाना में जालंधर बाईपास के नजदीक पहुंच रहे हैं। वे एक निजी पैलेस में सिख जत्थेबंदियों के साथ बैठक करेंगे। जेल से चुनाव जीतने के बाद अमृतपाल की नजर अब SGPC में एंट्री करने पर है। जानकारी के मुताबिक शहर में आज होने वाली बैठक SGPC चुनाव को लेकर होगी। तरसेम सिंह ने चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। SGPC चुनाव 2011 से लंबित हैं। इस बार 2024 में SGPC का बजट 1 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रखा गया है। इससे पहले अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पंजाब के मंत्री हार से बौखला गए हैं। इसलिए अमृतपाल के समर्थकों को झूठे मामलों में फंसा रहे हैं। SGPC कमेटी क्या है? एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) भारत में सिखों का एक संगठन है जो गुरुद्वारों के रख-रखाव के लिए जिम्मेदार है। इसका अधिकार क्षेत्र देश के कई राज्यों तक फैला हुआ है। SGPC के चुनावों में 18 वर्ष से अधिक आयु के सिख पुरुष और महिलाएं मतदाता होते हैं जो सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के प्रावधानों के तहत मतदाता के रूप में पंजीकृत होते हैं। SGPC का संचालन एसजीपीसी के अध्यक्ष द्वारा किया जाता है। एसजीपीसी गुरुद्वारों की सुरक्षा, वित्त, सुविधा रखरखाव और धार्मिक पहलुओं का प्रबंधन करती है और सिख गुरुओं के हथियार, कपड़े, किताबें और लेखन सहित पुरातात्विक रूप से दुर्लभ और पवित्र कलाकृतियों को भी संभालती है। SGPC का गठन 16 नवंबर 1920 को हुआ था 15 नवंबर 1920 को अमृतसर में श्री अकाल तख्त साहिब के पास सभी विचारधाराओं के सिखों की एक आम बैठक बुलाई गई थी। सिखों ने अपनी तय बैठक की और 16 नवंबर को 175 सदस्यों की एक बड़ी समिति का चुनाव किया और इसे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ( SGPC) का नाम दिया। इस कमेटी की जरूरत क्यों पड़ी? इस कमेटी के गठन का उद्देश्य गुरुद्वारों की व्यवस्था में सुधार लाना था। बहुत कम लोग जानते हैं कि एसजीपीसी ने जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ भी लंबी लड़ाई लड़ी है। आजादी से पहले जाति व्यवस्था अपने चरम पर थी और गुरुद्वारों में भी दलितों के साथ भेदभाव होता था। एसजीपीसी की पहली बैठक 12 दिसंबर 1920 को अकाल तख्त पर हुई थी। जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ एसजीपीसी एसजीपीसी के गठन के 2 साल बाद 14 मार्च 1927 को जनरल हाउस में एक बड़ा प्रस्ताव पारित करके दलितों और अन्य सिखों के बीच की खाई को कम करने की कोशिश की गई थी। इस प्रस्ताव के तहत सिख धर्म अपनाने वाले दलित समुदाय के लोगों को भी बराबरी का दर्जा दिया जाएगा। अगर कोई सिख के साथ जाति के आधार पर भेदभाव करता है तो पूरा सिख समुदाय उसके लिए लड़ेगा। इसके अलावा साल 1953 में गुरुद्वारा एक्ट में संशोधन किया गया और एसजीपीसी की 20 सीटें दलित सिखों के लिए आरक्षित कर दी गईं। अभी तक एसजीपीसी के ज्यादातर सदस्य वो हैं जो राजनीति में सक्रिय हैं और अकाली दल से जुड़े हैं। बीबी जागीर कौर SGPC की पहली महिला अध्यक्ष बनीं
इस कमेटी के लिए केवल निर्वाचित सदस्य ही वोट कर सकते हैं। वर्ष 1999 में पहली बार किसी महिला को एसजीपीसी का अध्यक्ष चुना गया था। कमेटी की पहली महिला अध्यक्ष का नाम बीबी जागीर कौर था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का इतिहास गौरवशाली और बलिदानों से भरा रहा है। इन 100 सालों में एसजीपीसी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।