क्लास में बच्चों के बीमार होने का सच…भूत-प्रेत नहीं:बरेली में दांत किटकिटाते हुए 7 बच्चे बेहोश; अब स्वेटर पहनकर आने को बोला गया

क्लास में बच्चों के बीमार होने का सच…भूत-प्रेत नहीं:बरेली में दांत किटकिटाते हुए 7 बच्चे बेहोश; अब स्वेटर पहनकर आने को बोला गया

तारीख : 30 नवंबर, 2024
बरेली के सरकारी स्कूल में 7 बच्चों की अचानक तबीयत खराब हुई। चीखते-चिल्लाते बच्चे अपनी गर्दन दबाते रहे। इसके बाद बेसुध होकर जमीन पर गिरने लगे।
तारीख : 2 दिसंबर, 2024 जिन बच्चों की तबीयत खराब हुई। इसमें 2 बच्चे स्कूल पहुंचे। उन्होंने कहा- हमारी आंखों के आगे अंधेरा छा गया था। ऐसा लगा कोई सामने खड़ा है। हम डर गए। बाकी के 5 बच्चे घरों में पूरी तरह स्वस्थ हैं। बरेली के जिस सरकारी स्कूल में 7 बच्चों की अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद लोग भूत-प्रेत की चर्चा करने लगे। भास्कर टीम ने वहां पहुंचकर हालात को समझा। सामने आया कि 48 घंटे के अंदर 2 बच्चियां स्कूल आने लगी हैं। वे क्लास में मौजूद मिलीं। 5 बच्चे स्कूल नहीं आए थे। प्रिंसिपल ने बताया- वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। टीम ने दो बच्चियों से जानना चाहा कि उस दिन ऐसा क्या हुआ था? भास्कर ने सबसे पहले बीमार होने वाली दिप्ती से बात की। बेहोशी में लगा कि कोई खड़ा है…
टीम ने सबसे पहले नवाबगंज के पास गांव ईंध जागीर के उच्च प्राथमिक स्कूल की क्लास 8 में दीप्ति से बात की। पूछा कि उस दिन क्या हुआ था? दीप्ति ने बताया- हम क्लास में बैठे थे, अचानक हमें कुछ दिखना बंद हो गया। फिर हम अपने आप चक्कर खाकर बेहोश हो गए। यह लग रहा था कि कोई हमारे पास खड़ा है। आंखों के आगे अंधेरा छा गया था। अनुष्का बोली- घर पहुंचने के बाद चक्कर आया
इसी क्लास में पढ़ने वाली दूसरी छात्रा अनुष्का ने कहा- मैं शनिवार को क्लास में थी। रोज की तरह ही पढ़ाई हो रही थी। इसके बाद जब यहां से घर गई तो मुझे चक्कर आने लगे। मैं बेहोश हो गई। मुझे एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया गया। मुझे बेहोशी में अजीब-अजीब सी चीजें दिख रही थीं। इसके बाद मैं बिल्कुल ठीक हो गई। अनुष्का ने कहा- मैं स्कूल से लौटकर घर पहुंचने के बाद बेहोश हो गई थी। अभिभावक बोले- बच्चों ने जब बताया, हम भी डर गए
स्कूल के टीचर्स से बात करने से मालूम हुआ कि जो 5 बच्चे स्कूल नहीं आए थे। वह अपने-अपने घरों में हैं। स्वस्थ हैं, कोई दिक्कत नहीं है। इसके बाद हमारी मुलाकात उसी क्लास में पढ़ने वाले छात्र अंकित और शरद के पिता हरीश सक्सेना से हुई। अंकित और शरद सगे भाई हैं। हरीश सक्सेना कहते हैं- जो बच्चे बेहोश हुए। उनको देखकर मेरे बच्चे भी डर गए। उनको कोई बीमारी नहीं थी। वह बस अजीब-अजीब हरकत कर रहे थे। प्रिंसिपल ने कहा- जो बच्चे बीमार हुए, वे स्वेटर नहीं पहने थे
प्रिंसिपल सुषमा ने कहा- इंटरवल के करीब एक घंटे बाद 2 बजे का समय था। मैं बच्चों को क्लास में पढ़ा रही थी। तभी बच्चे शबनम नाम की बच्ची को पकड़कर ले आए कि मैडम इसको चक्कर आ रहा है। सिर में दर्द हो रहा है। हमने उस छात्रा को बाहर आकर लेटा दिया और उसके पेरेंट्स को फोन किया। बच्चे के घर वाले आए और उसे ले जाने लगे। इतने में कक्षा 8 की दीप्ति बीमार हो गई। हम लोग उसे देखने लगे। उसकी मम्मी को बुलाया। उसकी मम्मी उसे घर लेकर चली गईं। थोड़ी देर बाद छात्रा सही हो गई। आधे घंटे बाद फिर से स्कूल आ गईं। उसके बाद एक-एक करके बच्चे डर गए और बेहोश होने लगे। एक-दूसरे को देखकर करीब सात-आठ बच्चे बेहोश हो गए। प्रिंसिपल सुषमा ने कहा- पहली बार जब बच्चों को देखा तो मैं डर गई। एक-दो बच्चे होते तो कोई बात नहीं, लेकिन एक साथ इतने सारे बच्चे जो क्लास में बैठे-बैठे गिर रहे हैं, तो फिर डर लगने लगा। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। अधिकारी बोले- डॉक्टर के मुताबिक बच्चों को ठंड ही लगी थी
इस घटना के बाद सोमवार को खंड शिक्षा अधिकारी सतीश कुमार भी स्कूल पहुंचे। उन्होंने बताया- हमने बच्चों से अलग-अलग बात की। पता चला एक बच्चा जो गिर गया था, उसे देखकर सारे बच्चे डर गए। उसमें से दो-तीन बच्चे फिजिकल कमजोर थे, वह भी बेहोश हो गए। जब उन्होंने डॉक्टर को देखा, तो सामान्य हो गए। स्कूल स्टाफ और डॉक्टर ने बच्चों की काउंसिलिंग की। वह बिल्कुल ठीक है, ऐसा लग रहा है कि कोई मनोवैज्ञानिक दबाव था, जो एक-दूसरे को देखकर वह ऐसा कर रहे थे। उन्होंने बताया- जिन डॉक्टर्स ने चेकअप किया। हमने उनसे बातचीत की। उनके मुताबिक, बच्चों को सिर्फ ठंड लगी थी। इस एक्सपर्ट राय के बाद हम लोगों ने सभी स्कूलों को नए सिरे से गाइडलाइन जारी कर दी है कि DBT का पैसा आया हुआ है, सारे बच्चे स्वेटर, जूता-मोजा पहनकर ही स्कूल आएं। ग्राम प्रधान ने कहा- सिर्फ अंध विश्वास, भूत-प्रेत जैसा कुछ नहीं
ग्राम प्रधान प्रेम शंकर गंगवार ने कहा- भूत-प्रेत वाली कोई बात नहीं है। ये सब अंधविश्वास है। एक लड़की की अचानक से तबीयत खराब हुई थी। उसे थोड़ा चक्कर आने लगा। तेज दर्द से वो चीख रही थी। फिर वो बेहोश हो गई। उसके बाद 5-6 बच्चों की तबीयत और खराब हो गई। उन्होंने बताया- स्कूल खुला हुआ है। बच्चे भी पढ़ने आ रहे हैं। कोई डर वाली बात नहीं। बच्चों को पूरे कपड़े पहनाकर ही स्कूल भेजना चाहिए। यह पेरेंट्स को समझाया जा रहा है। ———————– ये भी पढ़ें… बरेली के स्कूल में तबीयत बिगड़ी, बच्चे गला पकड़ने लगे, बोले- एक लड़की दिख रही थी, डॉक्टर ने कहा- पढ़ाई के प्रेशर से ऐसा हुआ बरेली में स्कूल के अंदर बच्चे अपना गला दबाने लगे, जोर-जोर से चीखने लगे। 7 बच्चों के इस व्यवहार से पूरा स्कूल सकते में आ गया। डर की वजह से कुछ बच्चे स्कूल छोड़कर भाग गए। अध्यापकों ने तुरंत डॉक्टर, पुलिस-प्रशासन और बच्चों के परिजनों को सूचना दी। पढ़िए पूरी खबर… तारीख : 30 नवंबर, 2024
बरेली के सरकारी स्कूल में 7 बच्चों की अचानक तबीयत खराब हुई। चीखते-चिल्लाते बच्चे अपनी गर्दन दबाते रहे। इसके बाद बेसुध होकर जमीन पर गिरने लगे।
तारीख : 2 दिसंबर, 2024 जिन बच्चों की तबीयत खराब हुई। इसमें 2 बच्चे स्कूल पहुंचे। उन्होंने कहा- हमारी आंखों के आगे अंधेरा छा गया था। ऐसा लगा कोई सामने खड़ा है। हम डर गए। बाकी के 5 बच्चे घरों में पूरी तरह स्वस्थ हैं। बरेली के जिस सरकारी स्कूल में 7 बच्चों की अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद लोग भूत-प्रेत की चर्चा करने लगे। भास्कर टीम ने वहां पहुंचकर हालात को समझा। सामने आया कि 48 घंटे के अंदर 2 बच्चियां स्कूल आने लगी हैं। वे क्लास में मौजूद मिलीं। 5 बच्चे स्कूल नहीं आए थे। प्रिंसिपल ने बताया- वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। टीम ने दो बच्चियों से जानना चाहा कि उस दिन ऐसा क्या हुआ था? भास्कर ने सबसे पहले बीमार होने वाली दिप्ती से बात की। बेहोशी में लगा कि कोई खड़ा है…
टीम ने सबसे पहले नवाबगंज के पास गांव ईंध जागीर के उच्च प्राथमिक स्कूल की क्लास 8 में दीप्ति से बात की। पूछा कि उस दिन क्या हुआ था? दीप्ति ने बताया- हम क्लास में बैठे थे, अचानक हमें कुछ दिखना बंद हो गया। फिर हम अपने आप चक्कर खाकर बेहोश हो गए। यह लग रहा था कि कोई हमारे पास खड़ा है। आंखों के आगे अंधेरा छा गया था। अनुष्का बोली- घर पहुंचने के बाद चक्कर आया
इसी क्लास में पढ़ने वाली दूसरी छात्रा अनुष्का ने कहा- मैं शनिवार को क्लास में थी। रोज की तरह ही पढ़ाई हो रही थी। इसके बाद जब यहां से घर गई तो मुझे चक्कर आने लगे। मैं बेहोश हो गई। मुझे एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया गया। मुझे बेहोशी में अजीब-अजीब सी चीजें दिख रही थीं। इसके बाद मैं बिल्कुल ठीक हो गई। अनुष्का ने कहा- मैं स्कूल से लौटकर घर पहुंचने के बाद बेहोश हो गई थी। अभिभावक बोले- बच्चों ने जब बताया, हम भी डर गए
स्कूल के टीचर्स से बात करने से मालूम हुआ कि जो 5 बच्चे स्कूल नहीं आए थे। वह अपने-अपने घरों में हैं। स्वस्थ हैं, कोई दिक्कत नहीं है। इसके बाद हमारी मुलाकात उसी क्लास में पढ़ने वाले छात्र अंकित और शरद के पिता हरीश सक्सेना से हुई। अंकित और शरद सगे भाई हैं। हरीश सक्सेना कहते हैं- जो बच्चे बेहोश हुए। उनको देखकर मेरे बच्चे भी डर गए। उनको कोई बीमारी नहीं थी। वह बस अजीब-अजीब हरकत कर रहे थे। प्रिंसिपल ने कहा- जो बच्चे बीमार हुए, वे स्वेटर नहीं पहने थे
प्रिंसिपल सुषमा ने कहा- इंटरवल के करीब एक घंटे बाद 2 बजे का समय था। मैं बच्चों को क्लास में पढ़ा रही थी। तभी बच्चे शबनम नाम की बच्ची को पकड़कर ले आए कि मैडम इसको चक्कर आ रहा है। सिर में दर्द हो रहा है। हमने उस छात्रा को बाहर आकर लेटा दिया और उसके पेरेंट्स को फोन किया। बच्चे के घर वाले आए और उसे ले जाने लगे। इतने में कक्षा 8 की दीप्ति बीमार हो गई। हम लोग उसे देखने लगे। उसकी मम्मी को बुलाया। उसकी मम्मी उसे घर लेकर चली गईं। थोड़ी देर बाद छात्रा सही हो गई। आधे घंटे बाद फिर से स्कूल आ गईं। उसके बाद एक-एक करके बच्चे डर गए और बेहोश होने लगे। एक-दूसरे को देखकर करीब सात-आठ बच्चे बेहोश हो गए। प्रिंसिपल सुषमा ने कहा- पहली बार जब बच्चों को देखा तो मैं डर गई। एक-दो बच्चे होते तो कोई बात नहीं, लेकिन एक साथ इतने सारे बच्चे जो क्लास में बैठे-बैठे गिर रहे हैं, तो फिर डर लगने लगा। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। अधिकारी बोले- डॉक्टर के मुताबिक बच्चों को ठंड ही लगी थी
इस घटना के बाद सोमवार को खंड शिक्षा अधिकारी सतीश कुमार भी स्कूल पहुंचे। उन्होंने बताया- हमने बच्चों से अलग-अलग बात की। पता चला एक बच्चा जो गिर गया था, उसे देखकर सारे बच्चे डर गए। उसमें से दो-तीन बच्चे फिजिकल कमजोर थे, वह भी बेहोश हो गए। जब उन्होंने डॉक्टर को देखा, तो सामान्य हो गए। स्कूल स्टाफ और डॉक्टर ने बच्चों की काउंसिलिंग की। वह बिल्कुल ठीक है, ऐसा लग रहा है कि कोई मनोवैज्ञानिक दबाव था, जो एक-दूसरे को देखकर वह ऐसा कर रहे थे। उन्होंने बताया- जिन डॉक्टर्स ने चेकअप किया। हमने उनसे बातचीत की। उनके मुताबिक, बच्चों को सिर्फ ठंड लगी थी। इस एक्सपर्ट राय के बाद हम लोगों ने सभी स्कूलों को नए सिरे से गाइडलाइन जारी कर दी है कि DBT का पैसा आया हुआ है, सारे बच्चे स्वेटर, जूता-मोजा पहनकर ही स्कूल आएं। ग्राम प्रधान ने कहा- सिर्फ अंध विश्वास, भूत-प्रेत जैसा कुछ नहीं
ग्राम प्रधान प्रेम शंकर गंगवार ने कहा- भूत-प्रेत वाली कोई बात नहीं है। ये सब अंधविश्वास है। एक लड़की की अचानक से तबीयत खराब हुई थी। उसे थोड़ा चक्कर आने लगा। तेज दर्द से वो चीख रही थी। फिर वो बेहोश हो गई। उसके बाद 5-6 बच्चों की तबीयत और खराब हो गई। उन्होंने बताया- स्कूल खुला हुआ है। बच्चे भी पढ़ने आ रहे हैं। कोई डर वाली बात नहीं। बच्चों को पूरे कपड़े पहनाकर ही स्कूल भेजना चाहिए। यह पेरेंट्स को समझाया जा रहा है। ———————– ये भी पढ़ें… बरेली के स्कूल में तबीयत बिगड़ी, बच्चे गला पकड़ने लगे, बोले- एक लड़की दिख रही थी, डॉक्टर ने कहा- पढ़ाई के प्रेशर से ऐसा हुआ बरेली में स्कूल के अंदर बच्चे अपना गला दबाने लगे, जोर-जोर से चीखने लगे। 7 बच्चों के इस व्यवहार से पूरा स्कूल सकते में आ गया। डर की वजह से कुछ बच्चे स्कूल छोड़कर भाग गए। अध्यापकों ने तुरंत डॉक्टर, पुलिस-प्रशासन और बच्चों के परिजनों को सूचना दी। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर