किसानों को दिल्ली कूच की मंजूरी मुश्किल:जिस दिन किसान पानीपत पहुंचेंगे, उसी दिन PM मोदी भी यहां; रिस्क नहीं लेगी हरियाणा सरकार

किसानों को दिल्ली कूच की मंजूरी मुश्किल:जिस दिन किसान पानीपत पहुंचेंगे, उसी दिन PM मोदी भी यहां; रिस्क नहीं लेगी हरियाणा सरकार

पंजाब के किसानों को शंभू और खनौरी बॉर्डर से 6 दिसंबर को दिल्ली कूच की परमिशन मिलनी मुश्किल है। दरअसल, 9 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पानीपत में कार्यक्रम है। किसानों ने दिन में 8 घंटे चलने का जो शेड्यूल बनाया है, उसके हिसाब से 3 दिन में वह पानीपत ही पहुंचेंगे। हरियाणा सरकार को लग रहा है कि ऐसे में PM की सिक्योरिटी को लेकर चिंता हो सकती है। इसी वजह से सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। CM नायब सैनी खुद पूरे मामले को लीड कर रहे हैं। ऐसे में संभावना है कि हरियाणा सरकार 6 दिसंबर को किसानों के पैदल भी दिल्ली कूच को अनुमति न दे। इधर, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा और ऊर्जा मंत्री अनिल विज समेत हरियाणा के कई मंत्रियों ने साफ संकेत दिए हैं कि राज्य सरकार किसानों को हरियाणा से गुजरने देने के मूड में नहीं है। सिलसिलेवार ढंग से समझिए पूरा मामला… 10 महीने से धरने पर बैठे हैं किसान
MSP की गारंटी के कानून समेत 5 मांगों को लेकर किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) की अगुआई में किसान 10 महीने से अधिक समय से पंजाब-हरियाणा के 2 बॉर्डर पर बैठे हैं। दोनों जगहों पर हरियाणा पुलिस की भारी बैरिकेडिंग की गई है। जिससे किसानों को दोनों सीमाओं से हरियाणा में प्रवेश करने से रोका गया है। किसान पंजाब की तरफ डेरा डाले हुए हैं। ये वही 2 जगहें हैं, जहां से किसान 6 दिसंबर को दिल्ली पहुंचने के लिए हरियाणा में प्रवेश की मांग कर रहे हैं। हर दिन 40 किलोमीटर पैदल चलेंगे किसान
किसानों ने दिल्ली कूच के लिए पैदल मार्च का समय भी तय कर लिया है। किसान नेता सरवण पंधेर ने कहा कि किसान शंभू बॉर्डर से सुबह 9 बजे से चलना शुरू करेंगे और शाम 5 बजे तक ही पैदल मार्च निकालेंगे। रोज 8 घंटे ही किसान दिल्ली की ओर पैदल चलेंगे। एक घंटे में सामान्य आदमी करीब 5 किमी पैदल चल सकता है। ऐसे में किसान हर रोज लगभग 40 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। इस हिसाब से किसानों को दिल्ली तक करीब 220 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने में 50 घंटे का समय लगेगा। 9 दिसंबर को पानीपत पहुंचेंगे
अब सबसे बड़ी बात यह है कि किसान 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करते हैं तो 3 दिन के पैदल मार्च के बाद वह भी 9 दिसंबर को पानीपत पहुंचेंगे। इसी दिन यहां पीएम का कार्यक्रम है। किसानों के शेड्यूल के मुताबिक वे अंबाला में जग्गी सिटी में इकट्‌ठा होंगे। वहां से आगे रवाना होंगे। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी का बीमा सखी कार्यक्रम पानीपत के सेक्टर 13-17 ग्राउंड में है। जग्गी सिटी अंबाला से पानीपत की दूरी 113 किमी है। जिसे पैदल तय करने में करीब 26 घंटे लगेंगे। ऐसे में किसान 6 दिसंबर से 8 घंटे चलना शुरू करेंगे तो तीसरे या चौथे दिन ही वह पानीपत में आ जाएंगे। हालांकि किसान कह चुके हैं कि वह पीएम के कार्यक्रम का कोई विरोध नहीं करेंगे लेकिन सरकार रिस्क नहीं लेना चाहती। खुफिया रिपोर्ट ने अलर्ट किया
किसानों के दिल्ली कूच को लेकर खुफिया रिपोर्ट ने भी सरकार को अलर्ट किया है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि किसान पैदल मार्च के दौरान उग्र हो सकते हैं। हरियाणा में उन्हें रोकने के दौरान वह जगह-जगह पक्का धरना भी लगा सकते हैं। ऐसे में प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ सकता है। हरियाणा के किसान भी आंदोलनकारी किसानों के साथ मार्च में शामिल हो सकते हैं, जिससे सूबे में हालात बिगड़ सकते हैं। इसी वजह से सरकार 6 दिसंबर को उन्हें इजाजत देने के मूड में नहीं हैं। ************************************* किसानों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… दिल्ली कूच से पहले किसानों-पुलिस की बैठक: पंधेर बोले- सड़कों को नहीं करेंगे ब्लॉक शंभू और खनौरी बॉर्डर से पंजाब के किसान 6 दिसंबर को पैदल दिल्ली कूच करेंगे। इसको लेकर हरियाणा सरकार अलर्ट हो गई है। इसी संबंध में पुलिस अधीक्षक के न्यौते पर आज अंबाला में किसानों और पुलिस के बीच एक बैठक हुई (पढ़ें पूरी खबर..) पंजाब के किसानों को शंभू और खनौरी बॉर्डर से 6 दिसंबर को दिल्ली कूच की परमिशन मिलनी मुश्किल है। दरअसल, 9 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पानीपत में कार्यक्रम है। किसानों ने दिन में 8 घंटे चलने का जो शेड्यूल बनाया है, उसके हिसाब से 3 दिन में वह पानीपत ही पहुंचेंगे। हरियाणा सरकार को लग रहा है कि ऐसे में PM की सिक्योरिटी को लेकर चिंता हो सकती है। इसी वजह से सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। CM नायब सैनी खुद पूरे मामले को लीड कर रहे हैं। ऐसे में संभावना है कि हरियाणा सरकार 6 दिसंबर को किसानों के पैदल भी दिल्ली कूच को अनुमति न दे। इधर, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा और ऊर्जा मंत्री अनिल विज समेत हरियाणा के कई मंत्रियों ने साफ संकेत दिए हैं कि राज्य सरकार किसानों को हरियाणा से गुजरने देने के मूड में नहीं है। सिलसिलेवार ढंग से समझिए पूरा मामला… 10 महीने से धरने पर बैठे हैं किसान
MSP की गारंटी के कानून समेत 5 मांगों को लेकर किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) की अगुआई में किसान 10 महीने से अधिक समय से पंजाब-हरियाणा के 2 बॉर्डर पर बैठे हैं। दोनों जगहों पर हरियाणा पुलिस की भारी बैरिकेडिंग की गई है। जिससे किसानों को दोनों सीमाओं से हरियाणा में प्रवेश करने से रोका गया है। किसान पंजाब की तरफ डेरा डाले हुए हैं। ये वही 2 जगहें हैं, जहां से किसान 6 दिसंबर को दिल्ली पहुंचने के लिए हरियाणा में प्रवेश की मांग कर रहे हैं। हर दिन 40 किलोमीटर पैदल चलेंगे किसान
किसानों ने दिल्ली कूच के लिए पैदल मार्च का समय भी तय कर लिया है। किसान नेता सरवण पंधेर ने कहा कि किसान शंभू बॉर्डर से सुबह 9 बजे से चलना शुरू करेंगे और शाम 5 बजे तक ही पैदल मार्च निकालेंगे। रोज 8 घंटे ही किसान दिल्ली की ओर पैदल चलेंगे। एक घंटे में सामान्य आदमी करीब 5 किमी पैदल चल सकता है। ऐसे में किसान हर रोज लगभग 40 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। इस हिसाब से किसानों को दिल्ली तक करीब 220 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने में 50 घंटे का समय लगेगा। 9 दिसंबर को पानीपत पहुंचेंगे
अब सबसे बड़ी बात यह है कि किसान 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करते हैं तो 3 दिन के पैदल मार्च के बाद वह भी 9 दिसंबर को पानीपत पहुंचेंगे। इसी दिन यहां पीएम का कार्यक्रम है। किसानों के शेड्यूल के मुताबिक वे अंबाला में जग्गी सिटी में इकट्‌ठा होंगे। वहां से आगे रवाना होंगे। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी का बीमा सखी कार्यक्रम पानीपत के सेक्टर 13-17 ग्राउंड में है। जग्गी सिटी अंबाला से पानीपत की दूरी 113 किमी है। जिसे पैदल तय करने में करीब 26 घंटे लगेंगे। ऐसे में किसान 6 दिसंबर से 8 घंटे चलना शुरू करेंगे तो तीसरे या चौथे दिन ही वह पानीपत में आ जाएंगे। हालांकि किसान कह चुके हैं कि वह पीएम के कार्यक्रम का कोई विरोध नहीं करेंगे लेकिन सरकार रिस्क नहीं लेना चाहती। खुफिया रिपोर्ट ने अलर्ट किया
किसानों के दिल्ली कूच को लेकर खुफिया रिपोर्ट ने भी सरकार को अलर्ट किया है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि किसान पैदल मार्च के दौरान उग्र हो सकते हैं। हरियाणा में उन्हें रोकने के दौरान वह जगह-जगह पक्का धरना भी लगा सकते हैं। ऐसे में प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ सकता है। हरियाणा के किसान भी आंदोलनकारी किसानों के साथ मार्च में शामिल हो सकते हैं, जिससे सूबे में हालात बिगड़ सकते हैं। इसी वजह से सरकार 6 दिसंबर को उन्हें इजाजत देने के मूड में नहीं हैं। ************************************* किसानों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… दिल्ली कूच से पहले किसानों-पुलिस की बैठक: पंधेर बोले- सड़कों को नहीं करेंगे ब्लॉक शंभू और खनौरी बॉर्डर से पंजाब के किसान 6 दिसंबर को पैदल दिल्ली कूच करेंगे। इसको लेकर हरियाणा सरकार अलर्ट हो गई है। इसी संबंध में पुलिस अधीक्षक के न्यौते पर आज अंबाला में किसानों और पुलिस के बीच एक बैठक हुई (पढ़ें पूरी खबर..)   हरियाणा | दैनिक भास्कर