कानपुर की मलाई-मक्खन के पूर्व पीएम नेहरू भी थे दीवाने:एयरफोर्स की नौकरी छोड़ लगाया ठेला; 8 स्टेप्स में तैयार होता है मक्खन

कानपुर की मलाई-मक्खन के पूर्व पीएम नेहरू भी थे दीवाने:एयरफोर्स की नौकरी छोड़ लगाया ठेला; 8 स्टेप्स में तैयार होता है मक्खन

आपने ब्रेड में मक्खन लगाकर तो खूब खाया होगा। लेकिन क्या कभी मीठा मलाई-मक्खन का स्वाद चखा है। ये मक्खन ऐसा है कि आपके मुंह में जाते ही घुल जाएगा। मक्खन का स्वाद चखते ही हर कोई इसका दीवाना हो जाता है। खास बात तो ये कि ऐसा मलाई-मक्खन कानपुर के अलावा शायद ही किसी शहर में खाने को मिले। दवा मार्केट नयागंज निवासी हर किशोर शुक्ला के पिता हर दयाल शुक्ला ये मक्खन बनाते थे। उनको देख-देखकर हर किशोर ने भी मक्खन बनाना शुरू कर दिया। हर किशोर बताते हैं कि करीब 65 साल पहले चौराहे पर एक ठेला लगाकर मक्खन बेचते थे। आज शहर के अंदर हमारे 3 आउटलेट खुल गए हैं। हर किशोर शुक्ला ने बताया, इस बीच मुझे एयरफोर्स में नौकरी करने का भी मौका मिला, लेकिन मुझे अपने व्यापार से बड़ा लगाव था। जिसके चलते नौकरी करने नहीं गया। मक्खन का ठेला लगाकर दिन-रात मेहनत करता रहा। उसका नतीजा ये रहा कि आज लोग हमें शुक्ला जी मक्खन वाले के नाम से जानने लगे हैं। 30 साल बाद मिली एक दुकान
30 साल तक ठेला लगाने के बाद वहीं बगल में ही एक दुकान मिल गई। फिर उस दुकान में मक्खन बेचना शुरू किया। इस मक्खन के लोग इसलिए दीवाने हैं, क्योंकि ये हल्का मीठा होता है। मेवे से भरपूर होता है। इसके अलावा ये मक्खन अन्य सभी मक्खन से बहुत हल्का होता है। इसको आप जैसे ही चम्मच से मुंह में रखेंगे तो ये तुरंत ही घुल जाता है। इसको बनाने में बड़ी मेहनत लगती है, लेकिन ग्राहकों की मांग दिनों-दिन इस मक्खन के प्रति बढ़ती चली गई। पं. जवाहर लाल नेहरू भी थे दीवाने
हर किशोर शुक्ला बताते हैं कि जब पिता हर दयाल शुक्ला मक्खन बेचते थे तो उस समय पं. जवाहर लाल नेहरू इस मक्खन को खाने के लिए आते थे। जब भी वह कानपुर आए तो पिता के पास मक्खन खाने जरूर आते। उन्हें ये मक्खन काफी प्रिय था। तीन तरह की कुल्फी भी है खास
शुक्ला जी के यहां 3 तरह की कुल्फी भी मिलती हैं। मक्खन की तरह लोग इस कुल्फी के भी काफी दीवाने हैं। इनमें फालूदा कुल्फी, फ्रूट कुल्फी और मैंगो कुल्फी है। शुद्ध दूध से निर्मित इस कुल्फी को खाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। कस्टमर रिव्यू…. मुझे नहीं याद कि कितने साल से हम यहां आ रहे हैं। यहां की कुल्फी बहुत पसंद है। अब सीजन मक्खन का आ गया है तो मक्खन खाने आने लगे हैं। शुक्ला जी के मक्खन का स्वाद कहीं और नहीं मिलता। – शशांक अग्रवाल यहां की कुल्फी और मक्खन का स्वाद जिसको भी एक बार लग जाता है, वह बार-बार आता है। पिछले 20 सालों से इस दुकान में आ रहा हूं, यहां जैसा स्वाद कही और नहीं मिलता है। – प्रभात सिंह चौहान ————————– जायका सीरीज की एक और खबर पढ़िए… आगरा की श्रीराम पूड़ी…लोग लेते हैं चटखारा:सिर्फ 2 घंटे के लिए बंद होती है दुकान, छौंकी मिर्च के साथ मिलता है स्वाद बेमिसाल 25 रुपए में 5 पूड़ी…वो भी छौंकी हुई हरी मिर्च के साथ। इतने रुपए में पेट तो भर जाता है लेकिन मन नहीं। आलू की रसीली सब्जी के साथ पूड़ी खाने वालों का कहना है कि मन करता है कि खाए जाओ…बस खाए जाओ। जी हां, ऐसा ही श्रीराम पूड़ी वाले की पूड़ी का स्वाद। ये स्वाद 40 साल से वैसा ही बना हुआ है। तभी तो सुबह से देर रात तक पूड़ी खाने वालों की यहां लाइन लगी रहती है…(पढ़ें पूरी खबर) आपने ब्रेड में मक्खन लगाकर तो खूब खाया होगा। लेकिन क्या कभी मीठा मलाई-मक्खन का स्वाद चखा है। ये मक्खन ऐसा है कि आपके मुंह में जाते ही घुल जाएगा। मक्खन का स्वाद चखते ही हर कोई इसका दीवाना हो जाता है। खास बात तो ये कि ऐसा मलाई-मक्खन कानपुर के अलावा शायद ही किसी शहर में खाने को मिले। दवा मार्केट नयागंज निवासी हर किशोर शुक्ला के पिता हर दयाल शुक्ला ये मक्खन बनाते थे। उनको देख-देखकर हर किशोर ने भी मक्खन बनाना शुरू कर दिया। हर किशोर बताते हैं कि करीब 65 साल पहले चौराहे पर एक ठेला लगाकर मक्खन बेचते थे। आज शहर के अंदर हमारे 3 आउटलेट खुल गए हैं। हर किशोर शुक्ला ने बताया, इस बीच मुझे एयरफोर्स में नौकरी करने का भी मौका मिला, लेकिन मुझे अपने व्यापार से बड़ा लगाव था। जिसके चलते नौकरी करने नहीं गया। मक्खन का ठेला लगाकर दिन-रात मेहनत करता रहा। उसका नतीजा ये रहा कि आज लोग हमें शुक्ला जी मक्खन वाले के नाम से जानने लगे हैं। 30 साल बाद मिली एक दुकान
30 साल तक ठेला लगाने के बाद वहीं बगल में ही एक दुकान मिल गई। फिर उस दुकान में मक्खन बेचना शुरू किया। इस मक्खन के लोग इसलिए दीवाने हैं, क्योंकि ये हल्का मीठा होता है। मेवे से भरपूर होता है। इसके अलावा ये मक्खन अन्य सभी मक्खन से बहुत हल्का होता है। इसको आप जैसे ही चम्मच से मुंह में रखेंगे तो ये तुरंत ही घुल जाता है। इसको बनाने में बड़ी मेहनत लगती है, लेकिन ग्राहकों की मांग दिनों-दिन इस मक्खन के प्रति बढ़ती चली गई। पं. जवाहर लाल नेहरू भी थे दीवाने
हर किशोर शुक्ला बताते हैं कि जब पिता हर दयाल शुक्ला मक्खन बेचते थे तो उस समय पं. जवाहर लाल नेहरू इस मक्खन को खाने के लिए आते थे। जब भी वह कानपुर आए तो पिता के पास मक्खन खाने जरूर आते। उन्हें ये मक्खन काफी प्रिय था। तीन तरह की कुल्फी भी है खास
शुक्ला जी के यहां 3 तरह की कुल्फी भी मिलती हैं। मक्खन की तरह लोग इस कुल्फी के भी काफी दीवाने हैं। इनमें फालूदा कुल्फी, फ्रूट कुल्फी और मैंगो कुल्फी है। शुद्ध दूध से निर्मित इस कुल्फी को खाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। कस्टमर रिव्यू…. मुझे नहीं याद कि कितने साल से हम यहां आ रहे हैं। यहां की कुल्फी बहुत पसंद है। अब सीजन मक्खन का आ गया है तो मक्खन खाने आने लगे हैं। शुक्ला जी के मक्खन का स्वाद कहीं और नहीं मिलता। – शशांक अग्रवाल यहां की कुल्फी और मक्खन का स्वाद जिसको भी एक बार लग जाता है, वह बार-बार आता है। पिछले 20 सालों से इस दुकान में आ रहा हूं, यहां जैसा स्वाद कही और नहीं मिलता है। – प्रभात सिंह चौहान ————————– जायका सीरीज की एक और खबर पढ़िए… आगरा की श्रीराम पूड़ी…लोग लेते हैं चटखारा:सिर्फ 2 घंटे के लिए बंद होती है दुकान, छौंकी मिर्च के साथ मिलता है स्वाद बेमिसाल 25 रुपए में 5 पूड़ी…वो भी छौंकी हुई हरी मिर्च के साथ। इतने रुपए में पेट तो भर जाता है लेकिन मन नहीं। आलू की रसीली सब्जी के साथ पूड़ी खाने वालों का कहना है कि मन करता है कि खाए जाओ…बस खाए जाओ। जी हां, ऐसा ही श्रीराम पूड़ी वाले की पूड़ी का स्वाद। ये स्वाद 40 साल से वैसा ही बना हुआ है। तभी तो सुबह से देर रात तक पूड़ी खाने वालों की यहां लाइन लगी रहती है…(पढ़ें पूरी खबर)   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर