यूपी कॉलेज में जहां मस्जिद..35 साल पहले वहां टीला था:वाराणसी में पहले मजार बनाई, फिर खड़ी की मस्जिद; एडीएम बोले- धार्मिक स्थल अवैध

यूपी कॉलेज में जहां मस्जिद..35 साल पहले वहां टीला था:वाराणसी में पहले मजार बनाई, फिर खड़ी की मस्जिद; एडीएम बोले- धार्मिक स्थल अवैध

वाराणसी के यूपी कॉलेज परिसर में बनी मस्जिद सुर्खियों में है। कॉलेज मैनेजमेंट के मुताबिक, 35 साल पहले यहां लाइब्रेरी के पास मिट्‌टी का टीला था। पहले यहां पक्की मजार बनी, फिर एक मस्जिद भी खड़ी हो गई। यह निर्माण कॉलेज मैनेजमेंट की 8200 स्क्वायर फीट जमीन पर हुए। इस दौरान, अलग-अलग समय पर छात्रों का प्रदर्शन हुए, मगर पॉलिटिकल दबाव में निर्माण होते रहे। मजार और उसके पास मस्जिद बनने की कहानी भास्कर टीम ने कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह से समझी… 1989 में मिट्‌टी का टीला था, 90 के दशक में दीये जलाने लोग आने लगे
यूपी कॉलेज में जिस मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, उसे मुस्लिम समुदाय के लोग नवाब टोंक मसारत हुजरा की छोटी मस्जिद कहकर बुलाते हैं। कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह कहते हैं- कॉलेज में बनी मजार और मस्जिद पर पुराने शिक्षकों और एल्युमिनाई छात्रों से बात की गई। जो कुछ सामने आया, उसके मुताबिक, 1989 के पहले इस मस्जिद का कोई अस्तित्व ही नहीं था। यहां मिट्‌टी का टीला हुआ करता था। 35 सालों के लंबे अंतराल में छोटे-छोटे निर्माण होते रहे। प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह के मुताबिक, 90 के दशक में कॉलेज की लाइब्रेरी के पास पूर्व दिशा में एक मिट्‌टी का टीला हुआ करता था। यहां शाम को अक्सर आस-पास के मुस्लिम और हिंदू लोग अपनी-अपनी मान्यता के अनुसार दीये जलाने आते थे। धीरे-धीरे हिंदुओं ने आना बंद कर दिया। लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह और शाम दो वक्त आने लगे। करीब 1995 में मिट्‌टी के टीले पर मुस्लिम समुदाय ने पक्का निर्माण कराने का प्रयास किया। तब छात्रों ने प्रदर्शन किया। कई बार तोड़फोड़ की गई। मगर पॉलिटिकल हस्तक्षेप के बाद इस मिट्‌टी के टीले पर 150 स्क्वायर फीट में मजार ने पक्का स्वरूप ले लिया। मुस्लिम समुदाय ने इसको कचनार शहीद बाबा की मजार का नाम दिया। अब मजार और मस्जिद में क्या–कुछ बना हुआ है, ये समझिए… मस्जिद में 600 स्क्वायर फीट का हॉल
15 फीट ऊंची चारदीवारी से घिरी मस्जिद में दक्षिण दिशा की तरफ से लोग नमाज अदा करने जाते हैं। कालेज की लाइब्रेरी के पास पूर्व दिशा में भी एक गेट है, लेकिन वह बंद रहता है। जब भी इस गेट को मुस्लिम पक्ष ने खोलने की कोशिश की, छात्रों से झड़प हो गई। अब इस गेट के पास बने एक कमरे में पुलिस के जवान रहते हैं। इन पर 24 घंटे मस्जिद और मजार की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। इस कमरे में दो दरवाजे हैं, एक दरवाजा मस्जिद तो दूसरा मजार की तरफ खुलता है। मस्जिद परिसर में 600 स्क्वायर फीट एरिया में हॉल है, यहां लोग इबादत करते हैं। बीच में एक पक्का कमरा है, जिसमें 20 से 25 लोग बैठ सकते हैं। हॉल में दो तरफ टीन शेड है, जहां 600 से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं। मस्जिद में 12 फीट ऊंचे लोहे के गेट से एंट्री करते ही बाएं तरफ वजूखाना है, उसके बगल में स्नानघर व चार शौचालय हैं। प्रिंसिपल ने कहा- कोविडकाल में सबसे ज्यादा निर्माण हुए
प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह ने कहा- मजार के बाद मस्जिद का निर्माण बहुत तेजी से कोविड की लहर के दौरान शुरू हुए। उस वक्त कॉलेज बंद हो गए थे। देखने वाला कोई नहीं था। यह 2020 से 2021 के बीच का वक्त था। हालांकि जब कॉलेज दोबारा खुले और मैनेजमेंट को पता चला, तब विरोध दर्ज कराया गया। 2022 में यूपी कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने छात्रों के विरोध के चलते मस्जिद को दिया गया बिजली कनेक्शन वापस ले लिया था। मस्जिद से जुड़े लोगों से कह दिया गया कि वो अपने दस्तावेज के आधार पर बिजली विभाग से कनेक्शन हासिल करें। बिजली विभाग ने बिना वैध दस्तावेज के कनेक्शन देने से इनकार किया तो मस्जिद में एक सोलर पैनल लगाया गया, जिससे वहां बल्ब और पंखे चलते हैं। ADM ने कहा- हमारी प्राथमिकता में लॉ एंड ऑर्डर
वाराणसी के एडीएम सिटी आलोक वर्मा कहते हैं- वक्फ बोर्ड ने एक लेटर कॉलेज प्रशासन को दिया था, जिसमें उन्होंने माना कि उनकी कोई संपत्ति कॉलेज परिसर में नहीं है। कॉलेज से जुड़े छात्र लगातार विरोध करते रहे हैं। धार्मिक स्थल अवैध है, उसको हटाया जाएगा। मगर हमारी पहली प्राथमिकता लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखना है। एक्सपर्ट क्या कहते हैं… सवाल : जब वक्फ बोर्ड बैक फुट पर तो इस मस्जिद का क्या होगा? अधिवक्ता प्रमोद राय ने कहा- ये साबित हो चुका है कि कॉलेज परिसर में वक्फ की कोई संपत्ति नहीं है। छात्रों की मांग है कि कैंपस में मौजूद अवैध धार्मिक स्थल हटाए जाएं। मौजूदा मस्जिद और मजार को लेकर सिविल कोर्ट में वाद दाखिल होने के बाद अदालत का जो भी निर्णय होगा वो मान्य होगा। ऑप्शन 1. कोर्ट में केस चलेगा। फिर कोर्ट फैसला करेगा कि मस्जिद रहेगी या ध्वस्त होगी। ऑप्शन 2. छात्रों ने ASI सर्वे की मांग रखी, अगर ASI सर्वे होता है तो निर्माण की टाइमिंग का अंदाजा लगेगा। सपा जिलाध्यक्ष ने कहा- कॉलेज प्रशासन को आस्था का सम्मान करना चाहिए
सपा के जिलाध्यक्ष सुजीत यादव कहते हैं- कॉलेज परिसर में एक-दो दिन में तो मस्जिद का निर्माण हुआ नहीं होगा। पूर्व में कभी इस तरह का प्रदर्शन क्यों नहीं हुआ? शिक्षा के मंदिर को राजनीति का अखाड़ा बनाया जा रहा है। ये बीजेपी से जुड़े लोग हैं, जो समाज को बांटने का काम कर रहे हैं। कभी भी मुस्लिम पक्ष कि तरफ से कॉलेज परिसर में व्यवधान उत्पन्न नहीं किया गया था। कॉलेज प्रशासन को लोगों की धार्मिक आस्था का सम्मान करना चाहिए। अब समझिए कि अब तक क्या–कुछ हुआ… 25 नवंबर : CM योगी यूपी कॉलेज के 115वें संस्थापन दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आए। कॉलेज को स्टेट यूनिवर्सिटी की मान्यता देने का आश्वासन दिया। 26 नवंबर : सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से वर्ष 2018 में यूपी कॉलेज को जारी एक नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल होती है। लिखा था कि मस्जिद और कचनार शाह की मजार नवाब टोंक की जमीन पर है, इसलिए इसे वक्फ बोर्ड अपने नियंत्रण में ले। 29 नवंबर : कॉलेज परिसर में 500 से ज्यादा मुस्लिम दाखिल हो गए और दोपहर की नमाज अदा की। छात्र आक्रोशित हो गए। तनाव बढ़ गया। 2 दिसंबर : कालेज के छात्रों ने वक्फ बोर्ड का पुतला फूंका। कॉलेज में बढ़ते तनाव को देखते हुए एक प्लाटून पीएसी के साथ 3 थाने की पुलिस फोर्स तैनात हुई। 3 दिसंबर : छात्रों ने कॉलेज परिसर में प्रदर्शन किया। मस्जिद से 50 मीटर दूर कालेज गेट के पास हनुमान चालीसा का पाठ किया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस से झड़प होने पर छात्रसंघ अध्यक्ष समेत 7 छात्रनेता गिरफ्तार कर लिए गए। देर शाम उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। बवाल की आशंका पर मुस्लिम पक्ष को कैंपस में नमाज से रोका गया 4 दिसंबर : सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का 3 दिसंबर को जारी पत्र कालेज के प्राचार्य को मिलता है। वक्फ बोर्ड के विधि अधिकारी ने जानकारी दी कि 2018 में जारी नोटिस को 3 साल पहले 2021 में ही खारिज किया जा चुका है। कालेज परिसर में मौजूद किसी भी जमीन पर उसका कोई दावा नहीं है। 6 दिसंबर : बिना चेकिंग के छात्रों को कैंपस में दाखिल होने पर रोक लगा दी गई।
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यह खबर भी पढ़ें:- 32 साल पहले बाबरी ढहाई, नई बनाने के पैसे नहीं: ट्रस्ट बोला- न नक्शा पास, न नींव पड़ी; अब लोग मस्जिद भूल गए ‘बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का फैसला एक ही साथ आया था। हो सकता है राम मंदिर का नक्शा फैसले के पहले बन गया हो, तभी वहां तुरंत काम भी शुरू हो गया। मस्जिद का काम ही ढीला पड़ा है। 5 साल बीत गए। अब तक कमेटी नक्शा नहीं बना पाई है। पढ़िए पूरी खबर…​​​​​ वाराणसी के यूपी कॉलेज परिसर में बनी मस्जिद सुर्खियों में है। कॉलेज मैनेजमेंट के मुताबिक, 35 साल पहले यहां लाइब्रेरी के पास मिट्‌टी का टीला था। पहले यहां पक्की मजार बनी, फिर एक मस्जिद भी खड़ी हो गई। यह निर्माण कॉलेज मैनेजमेंट की 8200 स्क्वायर फीट जमीन पर हुए। इस दौरान, अलग-अलग समय पर छात्रों का प्रदर्शन हुए, मगर पॉलिटिकल दबाव में निर्माण होते रहे। मजार और उसके पास मस्जिद बनने की कहानी भास्कर टीम ने कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह से समझी… 1989 में मिट्‌टी का टीला था, 90 के दशक में दीये जलाने लोग आने लगे
यूपी कॉलेज में जिस मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, उसे मुस्लिम समुदाय के लोग नवाब टोंक मसारत हुजरा की छोटी मस्जिद कहकर बुलाते हैं। कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह कहते हैं- कॉलेज में बनी मजार और मस्जिद पर पुराने शिक्षकों और एल्युमिनाई छात्रों से बात की गई। जो कुछ सामने आया, उसके मुताबिक, 1989 के पहले इस मस्जिद का कोई अस्तित्व ही नहीं था। यहां मिट्‌टी का टीला हुआ करता था। 35 सालों के लंबे अंतराल में छोटे-छोटे निर्माण होते रहे। प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह के मुताबिक, 90 के दशक में कॉलेज की लाइब्रेरी के पास पूर्व दिशा में एक मिट्‌टी का टीला हुआ करता था। यहां शाम को अक्सर आस-पास के मुस्लिम और हिंदू लोग अपनी-अपनी मान्यता के अनुसार दीये जलाने आते थे। धीरे-धीरे हिंदुओं ने आना बंद कर दिया। लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह और शाम दो वक्त आने लगे। करीब 1995 में मिट्‌टी के टीले पर मुस्लिम समुदाय ने पक्का निर्माण कराने का प्रयास किया। तब छात्रों ने प्रदर्शन किया। कई बार तोड़फोड़ की गई। मगर पॉलिटिकल हस्तक्षेप के बाद इस मिट्‌टी के टीले पर 150 स्क्वायर फीट में मजार ने पक्का स्वरूप ले लिया। मुस्लिम समुदाय ने इसको कचनार शहीद बाबा की मजार का नाम दिया। अब मजार और मस्जिद में क्या–कुछ बना हुआ है, ये समझिए… मस्जिद में 600 स्क्वायर फीट का हॉल
15 फीट ऊंची चारदीवारी से घिरी मस्जिद में दक्षिण दिशा की तरफ से लोग नमाज अदा करने जाते हैं। कालेज की लाइब्रेरी के पास पूर्व दिशा में भी एक गेट है, लेकिन वह बंद रहता है। जब भी इस गेट को मुस्लिम पक्ष ने खोलने की कोशिश की, छात्रों से झड़प हो गई। अब इस गेट के पास बने एक कमरे में पुलिस के जवान रहते हैं। इन पर 24 घंटे मस्जिद और मजार की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। इस कमरे में दो दरवाजे हैं, एक दरवाजा मस्जिद तो दूसरा मजार की तरफ खुलता है। मस्जिद परिसर में 600 स्क्वायर फीट एरिया में हॉल है, यहां लोग इबादत करते हैं। बीच में एक पक्का कमरा है, जिसमें 20 से 25 लोग बैठ सकते हैं। हॉल में दो तरफ टीन शेड है, जहां 600 से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं। मस्जिद में 12 फीट ऊंचे लोहे के गेट से एंट्री करते ही बाएं तरफ वजूखाना है, उसके बगल में स्नानघर व चार शौचालय हैं। प्रिंसिपल ने कहा- कोविडकाल में सबसे ज्यादा निर्माण हुए
प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह ने कहा- मजार के बाद मस्जिद का निर्माण बहुत तेजी से कोविड की लहर के दौरान शुरू हुए। उस वक्त कॉलेज बंद हो गए थे। देखने वाला कोई नहीं था। यह 2020 से 2021 के बीच का वक्त था। हालांकि जब कॉलेज दोबारा खुले और मैनेजमेंट को पता चला, तब विरोध दर्ज कराया गया। 2022 में यूपी कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने छात्रों के विरोध के चलते मस्जिद को दिया गया बिजली कनेक्शन वापस ले लिया था। मस्जिद से जुड़े लोगों से कह दिया गया कि वो अपने दस्तावेज के आधार पर बिजली विभाग से कनेक्शन हासिल करें। बिजली विभाग ने बिना वैध दस्तावेज के कनेक्शन देने से इनकार किया तो मस्जिद में एक सोलर पैनल लगाया गया, जिससे वहां बल्ब और पंखे चलते हैं। ADM ने कहा- हमारी प्राथमिकता में लॉ एंड ऑर्डर
वाराणसी के एडीएम सिटी आलोक वर्मा कहते हैं- वक्फ बोर्ड ने एक लेटर कॉलेज प्रशासन को दिया था, जिसमें उन्होंने माना कि उनकी कोई संपत्ति कॉलेज परिसर में नहीं है। कॉलेज से जुड़े छात्र लगातार विरोध करते रहे हैं। धार्मिक स्थल अवैध है, उसको हटाया जाएगा। मगर हमारी पहली प्राथमिकता लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखना है। एक्सपर्ट क्या कहते हैं… सवाल : जब वक्फ बोर्ड बैक फुट पर तो इस मस्जिद का क्या होगा? अधिवक्ता प्रमोद राय ने कहा- ये साबित हो चुका है कि कॉलेज परिसर में वक्फ की कोई संपत्ति नहीं है। छात्रों की मांग है कि कैंपस में मौजूद अवैध धार्मिक स्थल हटाए जाएं। मौजूदा मस्जिद और मजार को लेकर सिविल कोर्ट में वाद दाखिल होने के बाद अदालत का जो भी निर्णय होगा वो मान्य होगा। ऑप्शन 1. कोर्ट में केस चलेगा। फिर कोर्ट फैसला करेगा कि मस्जिद रहेगी या ध्वस्त होगी। ऑप्शन 2. छात्रों ने ASI सर्वे की मांग रखी, अगर ASI सर्वे होता है तो निर्माण की टाइमिंग का अंदाजा लगेगा। सपा जिलाध्यक्ष ने कहा- कॉलेज प्रशासन को आस्था का सम्मान करना चाहिए
सपा के जिलाध्यक्ष सुजीत यादव कहते हैं- कॉलेज परिसर में एक-दो दिन में तो मस्जिद का निर्माण हुआ नहीं होगा। पूर्व में कभी इस तरह का प्रदर्शन क्यों नहीं हुआ? शिक्षा के मंदिर को राजनीति का अखाड़ा बनाया जा रहा है। ये बीजेपी से जुड़े लोग हैं, जो समाज को बांटने का काम कर रहे हैं। कभी भी मुस्लिम पक्ष कि तरफ से कॉलेज परिसर में व्यवधान उत्पन्न नहीं किया गया था। कॉलेज प्रशासन को लोगों की धार्मिक आस्था का सम्मान करना चाहिए। अब समझिए कि अब तक क्या–कुछ हुआ… 25 नवंबर : CM योगी यूपी कॉलेज के 115वें संस्थापन दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आए। कॉलेज को स्टेट यूनिवर्सिटी की मान्यता देने का आश्वासन दिया। 26 नवंबर : सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से वर्ष 2018 में यूपी कॉलेज को जारी एक नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल होती है। लिखा था कि मस्जिद और कचनार शाह की मजार नवाब टोंक की जमीन पर है, इसलिए इसे वक्फ बोर्ड अपने नियंत्रण में ले। 29 नवंबर : कॉलेज परिसर में 500 से ज्यादा मुस्लिम दाखिल हो गए और दोपहर की नमाज अदा की। छात्र आक्रोशित हो गए। तनाव बढ़ गया। 2 दिसंबर : कालेज के छात्रों ने वक्फ बोर्ड का पुतला फूंका। कॉलेज में बढ़ते तनाव को देखते हुए एक प्लाटून पीएसी के साथ 3 थाने की पुलिस फोर्स तैनात हुई। 3 दिसंबर : छात्रों ने कॉलेज परिसर में प्रदर्शन किया। मस्जिद से 50 मीटर दूर कालेज गेट के पास हनुमान चालीसा का पाठ किया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस से झड़प होने पर छात्रसंघ अध्यक्ष समेत 7 छात्रनेता गिरफ्तार कर लिए गए। देर शाम उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। बवाल की आशंका पर मुस्लिम पक्ष को कैंपस में नमाज से रोका गया 4 दिसंबर : सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का 3 दिसंबर को जारी पत्र कालेज के प्राचार्य को मिलता है। वक्फ बोर्ड के विधि अधिकारी ने जानकारी दी कि 2018 में जारी नोटिस को 3 साल पहले 2021 में ही खारिज किया जा चुका है। कालेज परिसर में मौजूद किसी भी जमीन पर उसका कोई दावा नहीं है। 6 दिसंबर : बिना चेकिंग के छात्रों को कैंपस में दाखिल होने पर रोक लगा दी गई।
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यह खबर भी पढ़ें:- 32 साल पहले बाबरी ढहाई, नई बनाने के पैसे नहीं: ट्रस्ट बोला- न नक्शा पास, न नींव पड़ी; अब लोग मस्जिद भूल गए ‘बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का फैसला एक ही साथ आया था। हो सकता है राम मंदिर का नक्शा फैसले के पहले बन गया हो, तभी वहां तुरंत काम भी शुरू हो गया। मस्जिद का काम ही ढीला पड़ा है। 5 साल बीत गए। अब तक कमेटी नक्शा नहीं बना पाई है। पढ़िए पूरी खबर…​​​​​   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर