मनी लॉन्ड्रिंग और मानव अंगों की तस्करी मामले में फंसाने की धमकी देकर साइबर ठगों ने मां-बेटी को डिजिटल अरेस्ट कर 36 लाख 58 हजार रुपए ठग लिए। पीड़ित मां-बेटी ने मामले की शिकायत साइबर क्राइम थाने की पुलिस से की है। ठगी की करीब दो लाख रुपए की रकम को फ्रीज करा दिया है। पुलिस उन खातों की जांच कर रही है,जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है। मां-बेटी को एक साथ डिजिटल अरेस्ट करने का यह नोएडा का पहला मामला है। मां बेटी का जॉइंट अकाउंट
सेक्टर-77 निवासी तरुणा गाबा ने बताया कि हाल ही में उन्होंने एमबीए किया और नौकरी के लिए कई जगह आवेदन किया है। उसके पिता की करीब दो दशक पहले मौत हो चुकी है। तरुणा और उनकी मां शशि गाबा का साझा खाता निजी बैंक में है। 27 नवंबर को तरुणा के मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को ट्राई का अधिकारी बताते हुए कहा कि तरुणा और उसकी मां के आधार कार्ड का मिसयूज किया गया है। आधार कार्ड का इस्तेमाल कर एक सिम निकलवाई गई। जिसका उपयोग मानव अंगों की तस्करी में हुआ है। स्काईप कॉल से जोड़ा गया
बैंक खातों और आधार कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी हुआ है। इसके बाद तरुणा और घर में मौजूद उसकी मां को स्काइप कॉल के जरिए जोड़ा गया। दोनों को पूछताछ के लिए मुंबई आने को कहा गया। इस सबसे बचने के लिए ऑनलाइन पूछताछ में सहयोग करने का भी विकल्प रखा गया। इसके बाद कथित ट्राई अधिकारी ने कॉल मुंबई पुलिस के अधिकारियों को ट्रांसफर कर दी। मामूली पूछताछ के बाद अधिकारी बने ठगों ने शिकायतकर्ता के मोबाइल पर गिरफ्तारी वारंट भी भेज दिया। मुठभेड़ होने का भी दिखाया डर
अधिकारियों ने मां-बेटी का मुठभेड़ होने की भी आशंका जताई। इन सबसे बचने के लिए दोनों से खाते में जमा रकम अन्य खाते में ट्रांसफर करने के लिए कहा गया। ठगों ने आश्वासन दिया कि जांच के बाद सारी रकम मूल खाते में फिर से वापस भेज दी जाएगी। जेल जाने से बचने के लिए तरुणा ने ठगों द्वारा बताए गए खाते में दो बार में 36 लाख 58 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए। 27 से 30 नवंबर के बीच हुई घटना में पीड़ित मां बेटी कुछ समय तक ठगों की कॉल कट होने के बाद भी पुलिस की कार्रवाई के डर में रही और शिकायत नहीं की। घर भी गिरवी रखने का दबाव बनाया
शशि गाबा ने बताया कि जालसाजों ने उनके घर के बारे में पूरी जानकारी जुटाई। घर कब बना और इसका मालिक कौन है। सारी रकम ट्रांसफर कराने के बाद शशि और उनकी बेटी से एफडी तुड़वाने और घर गिरवी रखकर पैसा लेने के लिए कहा गया। दोनों ठगों से हाथ जोड़कर रोने लगीं पर उसका दिल नहीं पसीजा और वह लगातार घर गिरवी रखकर पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाता रहा। कई बार कहने के बाद भी जब महिला ने एफडी नहीं तुड़ाई तो ठगों ने चार दिन तक डिजिटल अरेस्ट करने के बाद मां-बेटी से संपर्क तोड़ दिया। कोरोना में हुई भाई की मौत
शिकायतकर्ता युवती ने बताया कि 2021 में उसके 43 साल के भाई की कोरोना से मौत हो गई। इसके बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उसके ऊपर आ गई। पिता की मौत पहले ही हो चुकी थी। बैंक में जमा रकम से जो ब्याज मिलता था, शशि गाबा उसी से घर का खर्च चलाती थी। जिंदगी भर की कमाई एक झटके में गंवाने के बाद 80 साल की शशि गाबा इतनी परेशान हैं कि थाने में पुलिस अधिकारी को अपनी पीड़ा बताने के दौरान वह आधे समय रोती ही रहीं। बेटी तरुणा बार-बार मां को चुप कराती पर कई मौके पर उनकी भी आंखों से आंसू निकल आए। मनी लॉन्ड्रिंग और मानव अंगों की तस्करी मामले में फंसाने की धमकी देकर साइबर ठगों ने मां-बेटी को डिजिटल अरेस्ट कर 36 लाख 58 हजार रुपए ठग लिए। पीड़ित मां-बेटी ने मामले की शिकायत साइबर क्राइम थाने की पुलिस से की है। ठगी की करीब दो लाख रुपए की रकम को फ्रीज करा दिया है। पुलिस उन खातों की जांच कर रही है,जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है। मां-बेटी को एक साथ डिजिटल अरेस्ट करने का यह नोएडा का पहला मामला है। मां बेटी का जॉइंट अकाउंट
सेक्टर-77 निवासी तरुणा गाबा ने बताया कि हाल ही में उन्होंने एमबीए किया और नौकरी के लिए कई जगह आवेदन किया है। उसके पिता की करीब दो दशक पहले मौत हो चुकी है। तरुणा और उनकी मां शशि गाबा का साझा खाता निजी बैंक में है। 27 नवंबर को तरुणा के मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को ट्राई का अधिकारी बताते हुए कहा कि तरुणा और उसकी मां के आधार कार्ड का मिसयूज किया गया है। आधार कार्ड का इस्तेमाल कर एक सिम निकलवाई गई। जिसका उपयोग मानव अंगों की तस्करी में हुआ है। स्काईप कॉल से जोड़ा गया
बैंक खातों और आधार कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी हुआ है। इसके बाद तरुणा और घर में मौजूद उसकी मां को स्काइप कॉल के जरिए जोड़ा गया। दोनों को पूछताछ के लिए मुंबई आने को कहा गया। इस सबसे बचने के लिए ऑनलाइन पूछताछ में सहयोग करने का भी विकल्प रखा गया। इसके बाद कथित ट्राई अधिकारी ने कॉल मुंबई पुलिस के अधिकारियों को ट्रांसफर कर दी। मामूली पूछताछ के बाद अधिकारी बने ठगों ने शिकायतकर्ता के मोबाइल पर गिरफ्तारी वारंट भी भेज दिया। मुठभेड़ होने का भी दिखाया डर
अधिकारियों ने मां-बेटी का मुठभेड़ होने की भी आशंका जताई। इन सबसे बचने के लिए दोनों से खाते में जमा रकम अन्य खाते में ट्रांसफर करने के लिए कहा गया। ठगों ने आश्वासन दिया कि जांच के बाद सारी रकम मूल खाते में फिर से वापस भेज दी जाएगी। जेल जाने से बचने के लिए तरुणा ने ठगों द्वारा बताए गए खाते में दो बार में 36 लाख 58 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए। 27 से 30 नवंबर के बीच हुई घटना में पीड़ित मां बेटी कुछ समय तक ठगों की कॉल कट होने के बाद भी पुलिस की कार्रवाई के डर में रही और शिकायत नहीं की। घर भी गिरवी रखने का दबाव बनाया
शशि गाबा ने बताया कि जालसाजों ने उनके घर के बारे में पूरी जानकारी जुटाई। घर कब बना और इसका मालिक कौन है। सारी रकम ट्रांसफर कराने के बाद शशि और उनकी बेटी से एफडी तुड़वाने और घर गिरवी रखकर पैसा लेने के लिए कहा गया। दोनों ठगों से हाथ जोड़कर रोने लगीं पर उसका दिल नहीं पसीजा और वह लगातार घर गिरवी रखकर पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाता रहा। कई बार कहने के बाद भी जब महिला ने एफडी नहीं तुड़ाई तो ठगों ने चार दिन तक डिजिटल अरेस्ट करने के बाद मां-बेटी से संपर्क तोड़ दिया। कोरोना में हुई भाई की मौत
शिकायतकर्ता युवती ने बताया कि 2021 में उसके 43 साल के भाई की कोरोना से मौत हो गई। इसके बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उसके ऊपर आ गई। पिता की मौत पहले ही हो चुकी थी। बैंक में जमा रकम से जो ब्याज मिलता था, शशि गाबा उसी से घर का खर्च चलाती थी। जिंदगी भर की कमाई एक झटके में गंवाने के बाद 80 साल की शशि गाबा इतनी परेशान हैं कि थाने में पुलिस अधिकारी को अपनी पीड़ा बताने के दौरान वह आधे समय रोती ही रहीं। बेटी तरुणा बार-बार मां को चुप कराती पर कई मौके पर उनकी भी आंखों से आंसू निकल आए। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर