श्री अकाल तख्त साहिब की सजा पूरी करते हुए सुखबीर बादल पर हुए हमले के बाद अकाली दल की प्रतिक्रिया पर केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू ने सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल को हमलावर नारायण को गले लगाने, उनकी फोटो लगाने और सम्मानित करने की बात कह दी है। उनका कहना है कि उन्हें भी वैसा सम्मान मिलना चाहिए, जैसा वे दूसरे हमलावरों के साथ करते हैं। रवनीत बिट्टू ने कहा कि सुखबीर बादल पर हुए हमले में किसी गैंगस्टर या फिर आतंकी संगठन का कोई लेना-देना नहीं है। नारायण चौड़ा को सुखबीर बादल से हुई बेइज्जती बर्दाश्त नहीं हुई, इसलिए उसने गोली चला दी। चौड़ा कौम का हीरा है और उसकी फोटो को म्यूजियम में भी लगानी चाहिए। बिट्टू ने बिक्रम मजीठिया पर भी तंज कसा है। उन्होंने कहा कि मजीठिया बेअंत सिंह के हत्यारे को गले लगा चुके हैं, उसी तरह अब नारायण सिंह चौड़ा को भी गले लगाना चाहिए। नारायण सिंह चौड़ा ने गुरु की भावना से सुखबीर पर गोली चलाई है और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। चौड़ा भी बंदी सिखों की तरह हैं बिट्टू ने कहा कि नारायण सिंह चौड़ा भी बंदी सिखों की तरह ही हैं और उन्हें भी वैसा ही सम्मान मिलना चाहिए। उनका कहना था कि अकाली नेता राजोआना की बहन को जेल में लेकर जाते हैं, वैसे ही अब उन्हें नारायण चौड़ा के लिए फल और जरूरी सामान लेकर जाने चाहिए। उनकी सेहत का ख्याल रखना चाहिए। बुजुर्ग नारायण सिंह चौड़ा से पूछताछ के लिए मारपीट हो रही है। दरबार साहिब पर फायरिंग गलत मीडिया से बातचीत में रवनीत सिंह बिट्टू ने लगातार अकाली दल पर निशाना साधा। लेकिन इसी दौरान गोल्डन टेंपल पर हुए हमले की निंदा भी की। बिट्टू ने कहा कि वह फायरिंग की निंदा करते हैं। गोली चलाने या कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है। गोल्डन के बाहर फायरिंग करना बहुत गलत है और वे उसकी निंदा करते हैं। बिक्रम मजीठिया ने रवनीत बिट्टू को दिया जवाब वहीं, चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अकाली नेता बिक्रम मजीठिया ने रवनीत सिंह बिट्टू को जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि रवनीत सिंह बिट्टू को खुद पता नहीं चल रहा कि वे कह क्या रहे हैं। कभी कांग्रेस में थे और अब भाजपा में हैं। चुनाव हारने के बाद वे अपनी मानसिक स्थिति खो बैठे हैं। श्री अकाल तख्त साहिब की सजा पूरी करते हुए सुखबीर बादल पर हुए हमले के बाद अकाली दल की प्रतिक्रिया पर केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू ने सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल को हमलावर नारायण को गले लगाने, उनकी फोटो लगाने और सम्मानित करने की बात कह दी है। उनका कहना है कि उन्हें भी वैसा सम्मान मिलना चाहिए, जैसा वे दूसरे हमलावरों के साथ करते हैं। रवनीत बिट्टू ने कहा कि सुखबीर बादल पर हुए हमले में किसी गैंगस्टर या फिर आतंकी संगठन का कोई लेना-देना नहीं है। नारायण चौड़ा को सुखबीर बादल से हुई बेइज्जती बर्दाश्त नहीं हुई, इसलिए उसने गोली चला दी। चौड़ा कौम का हीरा है और उसकी फोटो को म्यूजियम में भी लगानी चाहिए। बिट्टू ने बिक्रम मजीठिया पर भी तंज कसा है। उन्होंने कहा कि मजीठिया बेअंत सिंह के हत्यारे को गले लगा चुके हैं, उसी तरह अब नारायण सिंह चौड़ा को भी गले लगाना चाहिए। नारायण सिंह चौड़ा ने गुरु की भावना से सुखबीर पर गोली चलाई है और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। चौड़ा भी बंदी सिखों की तरह हैं बिट्टू ने कहा कि नारायण सिंह चौड़ा भी बंदी सिखों की तरह ही हैं और उन्हें भी वैसा ही सम्मान मिलना चाहिए। उनका कहना था कि अकाली नेता राजोआना की बहन को जेल में लेकर जाते हैं, वैसे ही अब उन्हें नारायण चौड़ा के लिए फल और जरूरी सामान लेकर जाने चाहिए। उनकी सेहत का ख्याल रखना चाहिए। बुजुर्ग नारायण सिंह चौड़ा से पूछताछ के लिए मारपीट हो रही है। दरबार साहिब पर फायरिंग गलत मीडिया से बातचीत में रवनीत सिंह बिट्टू ने लगातार अकाली दल पर निशाना साधा। लेकिन इसी दौरान गोल्डन टेंपल पर हुए हमले की निंदा भी की। बिट्टू ने कहा कि वह फायरिंग की निंदा करते हैं। गोली चलाने या कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है। गोल्डन के बाहर फायरिंग करना बहुत गलत है और वे उसकी निंदा करते हैं। बिक्रम मजीठिया ने रवनीत बिट्टू को दिया जवाब वहीं, चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अकाली नेता बिक्रम मजीठिया ने रवनीत सिंह बिट्टू को जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि रवनीत सिंह बिट्टू को खुद पता नहीं चल रहा कि वे कह क्या रहे हैं। कभी कांग्रेस में थे और अब भाजपा में हैं। चुनाव हारने के बाद वे अपनी मानसिक स्थिति खो बैठे हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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शंभू बार्डर से लौट रहे किसान की मौत:नेशनल हाइवे पर हुआ हादसा, साथी गंभीर घायल, ट्रक के पीछे टकराई बाइक
शंभू बार्डर से लौट रहे किसान की मौत:नेशनल हाइवे पर हुआ हादसा, साथी गंभीर घायल, ट्रक के पीछे टकराई बाइक मंडी गोबिंदगढ़ में नेशनल हाईवे पर भादला फ्लाईओवर के पास हुए सड़क हादसे में शंभू बार्डर पर धरने से घर लौट रहे दो किसानों में से एक की मौत हो गई। उसका साथी गंभीर रूप से घायल हुआ। मृतक की पहचान सुखविंदर सिंह (57) निवासी रंघड़ नंगल (गुरदासपुर) के तौर पर हुई है। घायल बलजीत सिंह (47) का खन्ना सिविल अस्पताल के ट्रामा सेंटर में इलाज चल रहा है। ट्रक चालक ने अचानक लगाई ब्रेक किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के सीनियर उप प्रधान हरविंदर सिंह ने बताया कि शंभू बॉर्डर पर जारी धरने में विभिन्न जिलों से किसान अपना योगदान दे रहे हैं। उनके दो वालंटियर सुखविंदर सिंह व बलजीत सिंह भी धरने में 10 दिन लगाने के बाद बाइक पर वापस लौट रहे थे। मंडी गोबिंदगढ़ के नजदीक फ्लाईओवर के ऊपर उनके आगे जा रहे ट्रक के चालक ने अचानक ब्रेक लगा दी तो पीछे से बाइक की टक्कर हो गई। हादसे में सुखविंदर सिंह की मौत हो गई। मंडी गोबिंदगढ़ की हदबंदी में हादसा – एसएसपी
एसएसपी अमनीत कौंडल ने बताया कि यह हादसा मंडी गोबिंदगढ़ की हद में हुआ है। जिसे लेकर वहां की पुलिस को सूचित कर दिया गया है। फतेहगढ़ साहिब जिले के अधीन आते थाना मंडी गोबिंदगढ़ में एफआईआर दर्ज होगी। वहीं की पुलिस हादसे की जांच करेगी। बाकी खन्ना पुलिस हर प्रकार के सहयोग के लिए तालमेल कर रही है।
राम रहीम डेरा मैनेजर की हत्या के केस में बरी:हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट का फैसला रद्द किया; पत्रकार हत्याकांड और साध्वी रेप केस में जेल में रहेगा
राम रहीम डेरा मैनेजर की हत्या के केस में बरी:हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट का फैसला रद्द किया; पत्रकार हत्याकांड और साध्वी रेप केस में जेल में रहेगा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा चीफ राम रहीम समेत 5 लोगों को डेरा मैनेजर रणजीत सिंह हत्याकांड में बरी कर दिया है। राम रहीम समेत 5 आरोपियों को CBI कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी थी। राम रहीम इस वक्त रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे 3 मामलों में सजा हुई थी। इनमें रणजीत हत्याकांड के अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और साध्वियों के यौन शोषण का केस भी शामिल है। पत्रकार की हत्या में उसे उम्रकैद और यौन शोषण के 2 केसों में 10-10 साल की कैद हुई थी। इस केस में बरी होने के बावजूद राम रहीम को अभी जेल में ही रहना होगा। हाईकोर्ट के फैसले पर डेरा सच्चा सौदा ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर हमेशा पूर्ण विश्वास रहा है और माननीय न्यायालय से हमें न्याय मिला है। 22 साल पहले हत्या, 19 साल बाद हुई थी सजा, 3 साल बाद बरी
कुरुक्षेत्र के रहने वाले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसकी पुलिस जांच हुई, लेकिन डेरे को क्लीन चिट दे दी गई। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर CBI जांच की मांग की थी। हालांकि, शुरुआत में इस मामले में राम रहीम का नाम नहीं था, लेकिन साल 2003 में जांच CBI को सौंपी गई। फिर 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान पर डेरा प्रमुख को शामिल किया गया। इस मामले में 2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर आरोप तय किए थे। 19 साल के बाद अक्टूबर 2021 में डेरा मुखी समेत 5 आरोपियों को दोषी करार दिया गया। जिसके बाद CBI ने इन्हें उम्रकैद की सजा दे दी। सजा मिलने के तीन साल बाद राम रहीम हाईकोर्ट से बरी हो गया। रणजीत का पूरा परिवार डेरे से जुड़ा था, चिट्ठी के बाद इस्तीफा दिया
साल 2002 में रणजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर थे। रणजीत सिंह कुरुक्षेत्र के रहने वाले थे। उनका पूरा परिवार भी डेरे से जुड़ा हुआ था। सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक एक गुमनाम चिठ्ठी की वजह से डेरा सच्चा सौदा में हंगामा खड़ा हो गया था। उस गुमनाम खत में एक साध्वी का यौन शोषण किए जाने का खुलासा था। चिठ्ठी सामने आते ही डेरा सच्चा सौदा पर सवाल उठने लगे। डेरे में यौन शोषण के आरोप सामने आने के बाद रणजीत सिंह आहत हो गए। इसी बात को लेकर उन्होंने डेरे के मैनेजर पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके साथ परिवार के लोग भी डेरे से अलग हो गए। गुमनाम चिट्ठी के शक में मारी गई थी गोली
रणजीत सिंह की हत्या का मामला गुमनाम चिट्ठी से जुड़ा हुआ है, जिसमें डेरे में साध्वियों के यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे। ये वह चिट्ठी थी, जो तत्कालीन PM अटल बिहारी वाजपेयी को भेजी गई थी। CBI ने दावा किया था कि डेरे को शक था कि रणजीत ने ही अपनी बहन से साध्वियों के यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी लिखवाई है। CBI ने जांच के बाद कोर्ट में कहा था कि राम रहीम को शक था कि गुमनाम चिट्ठी के पीछे रणजीत का हाथ है। इस चिट्ठी में रणजीत की बहन का भी जिक्र था। इस चिट्ठी के सामने आने के बाद रणजीत को डेरे में बुलाया गया। जहां उसे गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी गई थी। हालांकि, रणजीत ने कहा कि इस चिट्ठी के पीछे उसकी कोई भूमिका नहीं है। जिसके बाद उसकी हत्या हो गई। यह चिट्ठी बाद में सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार में छापी थी। इसके बाद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को 24 अक्टूबर को गोली मारी गई थी। इसके बाद उसे दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 21 नवंबर को उनकी मौत हो गई थी। छत्रपति की हत्या के केस में भी राम रहीम उम्रकैद काट रहा है। ये खबरें भी पढ़ें… वह गुमनाम चिट्ठी, जिसके बाद रणजीत का मर्डर हुआ:इसी केस में राम रहीम बरी हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के चीफ राम रहीम के साम्राज्य को एक गुमनाम चिट्ठी ने तबाह किया था। यह चिट्ठी डेरे में साध्वियों के यौन शोषणा से जुड़ी हुई थी। यह चिट्ठी 13 मई 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को संबोधित कर लिखी गई थी।इस चिट्ठी के सामने आने के बाद पहले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह का मर्डर हुआ (पूरी खबर पढ़ें) गुरमीत के राम रहीम बनने की पूरी कहानी:17 की उम्र में शादी, 23 में संन्यासी बना; एक पोशाक से हिंसा फैली, रेप-मर्डर में सजा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 22 साल पुराने रणजीत सिंह मर्डर केस में हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। राम रहीम अभी रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। वह जेल से बाहर नहीं आएगा। एक सामान्य इंसान से डेरा सच्चा का प्रमुख बनने तक राम रहीम की कहानी दिलचस्प है। राम रहीम का जन्म 15 अगस्त 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की गुरुसर मोडिया गांव में जट सिख परिवार में हुआ। वह माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसके पिता मघर सिंह गांव के जमींदार थे। माता का नाम नसीब कौर है। (पूरी खबर पढ़ें) रणजीत का परिवार जाएगा सुप्रीम कोर्ट:राम रहीम को बरी किए जाने से परिवार मायूस, बेटा और जीजा बोले-मरते दम तक लड़ेंगे लड़ाई हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर रणजीत सिंह के मर्डर केस में हाईकोर्ट ने डेरा प्रमुख को बरी कर दिया है। इस फैसले से रणजीत सिंह का परिवार मायूस है। परिवार का कहना है कि वह कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। इसके लिए वकीलों से राय ली जा रही है। जल्द ही इसके लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई शुरू करेंगे। (पूरी खबर पढ़ें)