मंडी में किसानों को दिया गया प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण:प्रदर्शन प्लॉट देखने पहुंचे किन्नौर के 30 किसान, मिश्रित खेती का बताया गया लाभ

मंडी में किसानों को दिया गया प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण:प्रदर्शन प्लॉट देखने पहुंचे किन्नौर के 30 किसान, मिश्रित खेती का बताया गया लाभ

हिमाचल प्रदेश जिला मंडी विकास खंड सुंदरनगर कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी द्वारा ग्राम पंचायत कलौहड़ के शिकारी गांव में स्थापित प्राकृतिक खेती द्वारा तैयार मिश्रित खेती प्रदर्शन प्लाट का भ्रमण करवाया गया। किन्नौर जिला के पूह विकास खंड के लगभग 30 किसानों ने इसमें हिस्सा लिया। साथ ही शून्य लागत जहर मुक्त प्राकृतिक खेती के बारे में बताया गया। सुंदरनगर व किन्नौर के किसानों ने आपस में प्राकृतिक खेती के बारे में चर्चा की और अपने अनुभव भी साझा किए। किन्नौर के किसानों ने कहा कि उन्हें इस भ्रमण कार्यक्रम में बहुत कुछ सीखने को मिला है। किन्नौर व सुंदरनगर के वातावरण में बहुत अंतर होने के बावजूद भी प्रशिक्षकों ने किन्नौर की जलवायु के अनुकूल प्राकृतिक खेती के गुर बताए। कृषि विकास खंड सुंदरनगर के खंड तकनीकी प्रबंधक लेखराज ने बताया कि प्रदर्शन प्लाट में मिश्रित खेती की गई है जिसमें गेहूं के बीच मटर व सरसों लगाई गई है। उन्होंने किसानों को मिश्रित खेती के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मिश्रित खेती में एक से अधिक फसलें एक साथ लगाई जाती हैं। हालांकि इसके लिए आपको अपने स्थान की मिट्टी व वातावरण के अनुसार फसलों का चयन करना होता है। मिश्रित खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कम जगह में ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही खाली जगह का भी सदुपयोग होता है। मिश्रित खेती में किसान की आय 2-3 गुना बढ़ जाती है, क्योंकि लागत कम हो जाती है। हिमाचल प्रदेश जिला मंडी विकास खंड सुंदरनगर कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी द्वारा ग्राम पंचायत कलौहड़ के शिकारी गांव में स्थापित प्राकृतिक खेती द्वारा तैयार मिश्रित खेती प्रदर्शन प्लाट का भ्रमण करवाया गया। किन्नौर जिला के पूह विकास खंड के लगभग 30 किसानों ने इसमें हिस्सा लिया। साथ ही शून्य लागत जहर मुक्त प्राकृतिक खेती के बारे में बताया गया। सुंदरनगर व किन्नौर के किसानों ने आपस में प्राकृतिक खेती के बारे में चर्चा की और अपने अनुभव भी साझा किए। किन्नौर के किसानों ने कहा कि उन्हें इस भ्रमण कार्यक्रम में बहुत कुछ सीखने को मिला है। किन्नौर व सुंदरनगर के वातावरण में बहुत अंतर होने के बावजूद भी प्रशिक्षकों ने किन्नौर की जलवायु के अनुकूल प्राकृतिक खेती के गुर बताए। कृषि विकास खंड सुंदरनगर के खंड तकनीकी प्रबंधक लेखराज ने बताया कि प्रदर्शन प्लाट में मिश्रित खेती की गई है जिसमें गेहूं के बीच मटर व सरसों लगाई गई है। उन्होंने किसानों को मिश्रित खेती के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मिश्रित खेती में एक से अधिक फसलें एक साथ लगाई जाती हैं। हालांकि इसके लिए आपको अपने स्थान की मिट्टी व वातावरण के अनुसार फसलों का चयन करना होता है। मिश्रित खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कम जगह में ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही खाली जगह का भी सदुपयोग होता है। मिश्रित खेती में किसान की आय 2-3 गुना बढ़ जाती है, क्योंकि लागत कम हो जाती है।   हिमाचल | दैनिक भास्कर