मेरठ के फ्लैट में पल रही पुंगनूर गाय:परिवार ने कहा- 1900Km का सफर कार से किया, परिवार ने कहा- हम कान्हा के भक्त, ये हमारा सपना था

मेरठ के फ्लैट में पल रही पुंगनूर गाय:परिवार ने कहा- 1900Km का सफर कार से किया, परिवार ने कहा- हम कान्हा के भक्त, ये हमारा सपना था

‘हम कान्हाजी के भक्त हैं। कई साल से गाय पालने की इच्छा थी, फ्लैट की इस जिंदगी में कैसे पाले। अब पुंगनूर गाय के जरिए हमारा सपना पूरा हो गया।’ यह कहना है शशिभूषण का। होम्योपैथ दवाओं का कारोबार करने वाले शशिभूषण मेरठ के बेगमबाग के न्यू शिवलोक में रहते हैं। वह अपनी कार से 2 पुंगनूर गाय आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले से लेकर आए हैं। उन्होंने यह जोड़ा 4.5 लाख रुपए में खरीदा है। मेरठ तक 1900 किमी. का सफर तय किया। दावा है कि वेस्ट यूपी में यह अकेला परिवार है, जिनके पास पुंगनूर गाय हैं। 2.5 फीट ऊंची इन गायों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उनके घर पहुंच रहे हैं। गाय के इस जोड़े का नाम लक्ष्मी और नारायण रखा है। गाय के घर आने पर उत्सव मनाया गया। दैनिक भास्कर ने माहेश्वरी परिवार से इन गायों का रूटीन और इससे जुड़ी बातें पूछीं… पुंगनूर गाय ही क्यों पाली?
शशिभूषण बताते हैं कि हम गोसेवक हैं। बरसों से इच्छा थी कि घर में गाय पालनी है। लेकिन फ्लैट में बड़ी गाय तो पाल नहीं सकते। ये गायें कद में छोटी हैं तो फ्लैट में आसानी से पाल पा रहे हैं। बड़ी गाय के लिए बड़ा स्थान चाहिए, फिर पड़ोसी ऑब्जेक्शन करते हैं, गोबर, मच्छर तमाम बातें होती हैं। इसलिए हमें जब छोटी गायों के बारे में पता चला तो हमने इसको काफी सर्च किया। लगभग 1 साल से मैं इन गायों के बारे में जानकारी जुटा रहा था। इनके बार में स्टडी किया, इसके बाद इन्हें लेकर आया। मैं कहूंगा जो भी लोग फ्लैट में रहते हैं, बड़ी जगह नहीं है तो इन गायों को लाकर इनकी सेवा कर सकते हैं। 1900Km का सफर कैसे किया? शशिभूषण कहते हैं कि मैंने पीएम मोदी के साथ इन गायों का वीडियो देखा। फिर इन्हीं को लाने का मन बनाया। मैं खुद इन गायों को पुंगनूर से अपनी वैगनआर कार में पीछे की सीट पर बैठाकर सड़क रास्ते से मेरठ तक लाया हूं। हजारों किमी का सफर पूरे 36 घंटे में तय करके मेरठ लाए। कार में गायों ने दिक्कत तो नहीं की? शशिभूषण कहते हैं बेहद आराम से ये दोनों गाय कार में पीछे की सीट पर बैठकर आ गईं। हमने रास्ते में इन्हें चारा भी दिया। कोई मुश्किल नहीं हुई। लक्ष्मी-नारायण के मम्मी-पापा नाम से फेमस हुए
शशिभूषण माहेश्वरी के 3 बच्चे हैं। बेटा स्पर्श, मधुर और सबसे छोटी बेटी कृष्णवी है। लेकिन अब परिवार में 3 नहीं 5 बच्चे हैं। शशिभूषण की पत्नी आशा माहेश्वरी लक्ष्मी-नारायण को बिल्कुल बच्चों की तरह स्नेह करती हैं। कालोनी और पड़ोस के लोग उन्हें अब लक्ष्मी-नारायण के मम्मी-पापा के नाम से बुलाते हैं। यही नाम मशहूर हो गया है। इलाके में किसी से पता पूछें तो पता अब पुंगनूर गाय वाला परिवार हो गया है।
बेटे के साथ इनका भी बर्थडे मनाएंगे
आशा कहती हैं– इनके आने से पहले ये डर था कि कैसे गाय का पालन होगा। मुझे भी बहुत डर लगता था। लेकिन इन्हें पालना कोई मुश्किल नहीं है। अब तो लोग मुझे लक्ष्मी-नारायण की मम्मी कहते हैं। ये भी देसी गाय हैं और इनके साथ हमें बहुत अच्छा लग रहा है। घर में रौनक और एक पॉजीटिविटी आ गई है। सारा दिन कैसे गुजरता है पता नहीं चलता। इनके गोबर को हम घर में नियमित होने वाले हवन में उपले की तरह प्रयोग कर रहे हैं। हम इस जोड़े को अपने छोटे बेटे मधुर के 18वें जन्मदिन के दिन 28 नवंबर को लाए हैं। अब हर साल 28 नवंबर को हम अपने तीनों बच्चों का एक साथ बर्थडे मनाएंगे। बच्चों ने बदल दिया डॉग पालने का प्लान
शशिभूषण कहते हैं- पहले मेरा बेटा डॉग पालने के लिए कहता था। हमें ये पसंद नहीं। हम मना करते वो मानता नहीं था। फिर तय हुआ कि हम तो गाय पालेंगे, वो डॉग लाएगा। लेकिन जिस दिन से ये गाय का जोड़ा आया है उसने डॉग पालने का मन बदल दिया। कहता है अब इन्हीं के साथ अच्छा लगता है। जिस दिन से इनको लाए हैं रिश्तेदारों, दोस्तों सब का आना, जाना लगा हुआ है। रामनगर, बदायूं, सुल्तानपुर से लोग हमारी गाय को देखने आ रहे हैं। कई लोगों ने हमसे संपर्क किया है वो इन गायों को लेना चाहते हैं। अब गाय के इस जोड़े का रूटीन पढ़िए
लक्ष्मी-नारायण मिलकर दिनभर में कुल 3-4 किलो हरा चारा खाते हैं। सुबह 6 बजे उठते हैं। दोपहर में लिफ्ट के जरिए बिल्डिंग के सेकेंड फ्लोर से नीचे ग्राउंड फ्लोर पर जाते हैं। वहां पार्क में धूप में घूमते-टहलते हैं। शाम को लिफ्ट से दोबारा फ्लैट में ऊपर आ जाते हैं। पूरे घर में घूमते हैं। इनके लिए मैट्स लगाए गए हैं। उसी पर बैठते हैं। अभी दोनों बाल्यावस्था में हैं लगभग छह से सात महीने बाद ये जोड़ा किशोर होगा फिर मैटिंग कर इसका संतति विस्तार होगा। ये गाय एक दिन में 4-5 किलो दूध देती है। साढ़े चार साल की होने पर यह गाय पहली बार बच्चा देती है। एक बार बच्चा देने के बाद यह गाय 330 किलो दूध 100 दिन में देती है। औसतन इस गाय का वजन 35 किलो होता है। इस गाय की डिमांड अधिक होने के कारण जोड़े की कीमत 4.5 लाख है। पुंगनूर गाय के इस जोड़े का प्रोफाइल पढ़िए… ———————-
यह खबर पढ़ें : तस्‍वीरों में देखें सीएम योगी का वाराणसी दौरा, विश्वनाथ धाम में 11 एलईडी स्क्रीन का किया अनावरण, बोले-काशी के हर चौराहे पर बजे शिव धुन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार की शाम करीब पौने सात बजे बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से वाया सड़क सर्किट हाउस पहुंचे। अफसरों, जनप्रतिनिधियों के साथ विकास और कानून व्यवस्था पर बैठक की। यहां से वह बाबा काल भैरव के दर्शन करने पहुंचे। पढ़िए पूरी खबर…. ‘हम कान्हाजी के भक्त हैं। कई साल से गाय पालने की इच्छा थी, फ्लैट की इस जिंदगी में कैसे पाले। अब पुंगनूर गाय के जरिए हमारा सपना पूरा हो गया।’ यह कहना है शशिभूषण का। होम्योपैथ दवाओं का कारोबार करने वाले शशिभूषण मेरठ के बेगमबाग के न्यू शिवलोक में रहते हैं। वह अपनी कार से 2 पुंगनूर गाय आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले से लेकर आए हैं। उन्होंने यह जोड़ा 4.5 लाख रुपए में खरीदा है। मेरठ तक 1900 किमी. का सफर तय किया। दावा है कि वेस्ट यूपी में यह अकेला परिवार है, जिनके पास पुंगनूर गाय हैं। 2.5 फीट ऊंची इन गायों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उनके घर पहुंच रहे हैं। गाय के इस जोड़े का नाम लक्ष्मी और नारायण रखा है। गाय के घर आने पर उत्सव मनाया गया। दैनिक भास्कर ने माहेश्वरी परिवार से इन गायों का रूटीन और इससे जुड़ी बातें पूछीं… पुंगनूर गाय ही क्यों पाली?
शशिभूषण बताते हैं कि हम गोसेवक हैं। बरसों से इच्छा थी कि घर में गाय पालनी है। लेकिन फ्लैट में बड़ी गाय तो पाल नहीं सकते। ये गायें कद में छोटी हैं तो फ्लैट में आसानी से पाल पा रहे हैं। बड़ी गाय के लिए बड़ा स्थान चाहिए, फिर पड़ोसी ऑब्जेक्शन करते हैं, गोबर, मच्छर तमाम बातें होती हैं। इसलिए हमें जब छोटी गायों के बारे में पता चला तो हमने इसको काफी सर्च किया। लगभग 1 साल से मैं इन गायों के बारे में जानकारी जुटा रहा था। इनके बार में स्टडी किया, इसके बाद इन्हें लेकर आया। मैं कहूंगा जो भी लोग फ्लैट में रहते हैं, बड़ी जगह नहीं है तो इन गायों को लाकर इनकी सेवा कर सकते हैं। 1900Km का सफर कैसे किया? शशिभूषण कहते हैं कि मैंने पीएम मोदी के साथ इन गायों का वीडियो देखा। फिर इन्हीं को लाने का मन बनाया। मैं खुद इन गायों को पुंगनूर से अपनी वैगनआर कार में पीछे की सीट पर बैठाकर सड़क रास्ते से मेरठ तक लाया हूं। हजारों किमी का सफर पूरे 36 घंटे में तय करके मेरठ लाए। कार में गायों ने दिक्कत तो नहीं की? शशिभूषण कहते हैं बेहद आराम से ये दोनों गाय कार में पीछे की सीट पर बैठकर आ गईं। हमने रास्ते में इन्हें चारा भी दिया। कोई मुश्किल नहीं हुई। लक्ष्मी-नारायण के मम्मी-पापा नाम से फेमस हुए
शशिभूषण माहेश्वरी के 3 बच्चे हैं। बेटा स्पर्श, मधुर और सबसे छोटी बेटी कृष्णवी है। लेकिन अब परिवार में 3 नहीं 5 बच्चे हैं। शशिभूषण की पत्नी आशा माहेश्वरी लक्ष्मी-नारायण को बिल्कुल बच्चों की तरह स्नेह करती हैं। कालोनी और पड़ोस के लोग उन्हें अब लक्ष्मी-नारायण के मम्मी-पापा के नाम से बुलाते हैं। यही नाम मशहूर हो गया है। इलाके में किसी से पता पूछें तो पता अब पुंगनूर गाय वाला परिवार हो गया है।
बेटे के साथ इनका भी बर्थडे मनाएंगे
आशा कहती हैं– इनके आने से पहले ये डर था कि कैसे गाय का पालन होगा। मुझे भी बहुत डर लगता था। लेकिन इन्हें पालना कोई मुश्किल नहीं है। अब तो लोग मुझे लक्ष्मी-नारायण की मम्मी कहते हैं। ये भी देसी गाय हैं और इनके साथ हमें बहुत अच्छा लग रहा है। घर में रौनक और एक पॉजीटिविटी आ गई है। सारा दिन कैसे गुजरता है पता नहीं चलता। इनके गोबर को हम घर में नियमित होने वाले हवन में उपले की तरह प्रयोग कर रहे हैं। हम इस जोड़े को अपने छोटे बेटे मधुर के 18वें जन्मदिन के दिन 28 नवंबर को लाए हैं। अब हर साल 28 नवंबर को हम अपने तीनों बच्चों का एक साथ बर्थडे मनाएंगे। बच्चों ने बदल दिया डॉग पालने का प्लान
शशिभूषण कहते हैं- पहले मेरा बेटा डॉग पालने के लिए कहता था। हमें ये पसंद नहीं। हम मना करते वो मानता नहीं था। फिर तय हुआ कि हम तो गाय पालेंगे, वो डॉग लाएगा। लेकिन जिस दिन से ये गाय का जोड़ा आया है उसने डॉग पालने का मन बदल दिया। कहता है अब इन्हीं के साथ अच्छा लगता है। जिस दिन से इनको लाए हैं रिश्तेदारों, दोस्तों सब का आना, जाना लगा हुआ है। रामनगर, बदायूं, सुल्तानपुर से लोग हमारी गाय को देखने आ रहे हैं। कई लोगों ने हमसे संपर्क किया है वो इन गायों को लेना चाहते हैं। अब गाय के इस जोड़े का रूटीन पढ़िए
लक्ष्मी-नारायण मिलकर दिनभर में कुल 3-4 किलो हरा चारा खाते हैं। सुबह 6 बजे उठते हैं। दोपहर में लिफ्ट के जरिए बिल्डिंग के सेकेंड फ्लोर से नीचे ग्राउंड फ्लोर पर जाते हैं। वहां पार्क में धूप में घूमते-टहलते हैं। शाम को लिफ्ट से दोबारा फ्लैट में ऊपर आ जाते हैं। पूरे घर में घूमते हैं। इनके लिए मैट्स लगाए गए हैं। उसी पर बैठते हैं। अभी दोनों बाल्यावस्था में हैं लगभग छह से सात महीने बाद ये जोड़ा किशोर होगा फिर मैटिंग कर इसका संतति विस्तार होगा। ये गाय एक दिन में 4-5 किलो दूध देती है। साढ़े चार साल की होने पर यह गाय पहली बार बच्चा देती है। एक बार बच्चा देने के बाद यह गाय 330 किलो दूध 100 दिन में देती है। औसतन इस गाय का वजन 35 किलो होता है। इस गाय की डिमांड अधिक होने के कारण जोड़े की कीमत 4.5 लाख है। पुंगनूर गाय के इस जोड़े का प्रोफाइल पढ़िए… ———————-
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