यूपी सरकार के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई:मंदिरों के मेलों को सरकारी ‘मेला’ घोषित करने के फैसले के विरोध में दायर की थी

यूपी सरकार के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई:मंदिरों के मेलों को सरकारी ‘मेला’ घोषित करने के फैसले के विरोध में दायर की थी

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने यूपी सरकार के 2017 के फैसले को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसमें राज्य के मंदिरों से जुड़े मेलों और त्योहारों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का निर्णय लिया गया है। स्वामी की जनहित याचिका (पीआईएल) पर सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास की पीठ के समक्ष सुनवाई होगी। याचिका में प्रार्थना की गई है कि उत्तर प्रदेश सरकार की 18 सितंबर, 2017 की अधिसूचना और 3 नवंबर, 2017 के परिणामी आदेश को रद्द किया जाए। जनहित याचिका में इस आधार पर अधिसूचना को चुनौती दी गई है कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 31 ए का उल्लंघन करती है। इसमें तर्क दिया गया है कि विवादित घोषणा के माध्यम से, यूपी सरकार मनमाने, असंवैधानिक और अवैध तरीके से मंदिरों और उनके धार्मिक समारोहों के प्रशासन, प्रबंधन और नियंत्रण को अपने हाथ में लेने का प्रयास कर रही है। जनहित याचिका में राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश राज्य में मंदिरों के मेलों और त्योहारों को सरकारी मेला घोषित करने या उनका नियंत्रण अपने हाथ में लेने से स्थायी रूप से रोकने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। मामले के अनुसार आक्षेपित अधिसूचना/आदेश के अंतर्गत माँ ललिता देवी शक्तिपीठ, नैमिषारण्य, जिला सीतापुर , माँ विंध्यवासिनी शक्तिपीठ, जिला मिर्ज़ापुर, माँ पाटेश्वरी शक्तिपीठ, देवीपाटन तुलसीपुर , जिला बलरामपुर एवं शाकुंभरी माता मंदिर , जिला सहारनपुर में आयोजित होने वाले मेलों/मेलों के संबंध में राजकीय/सरकारी मेला घोषित किया गया है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने यूपी सरकार के 2017 के फैसले को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसमें राज्य के मंदिरों से जुड़े मेलों और त्योहारों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का निर्णय लिया गया है। स्वामी की जनहित याचिका (पीआईएल) पर सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास की पीठ के समक्ष सुनवाई होगी। याचिका में प्रार्थना की गई है कि उत्तर प्रदेश सरकार की 18 सितंबर, 2017 की अधिसूचना और 3 नवंबर, 2017 के परिणामी आदेश को रद्द किया जाए। जनहित याचिका में इस आधार पर अधिसूचना को चुनौती दी गई है कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 31 ए का उल्लंघन करती है। इसमें तर्क दिया गया है कि विवादित घोषणा के माध्यम से, यूपी सरकार मनमाने, असंवैधानिक और अवैध तरीके से मंदिरों और उनके धार्मिक समारोहों के प्रशासन, प्रबंधन और नियंत्रण को अपने हाथ में लेने का प्रयास कर रही है। जनहित याचिका में राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश राज्य में मंदिरों के मेलों और त्योहारों को सरकारी मेला घोषित करने या उनका नियंत्रण अपने हाथ में लेने से स्थायी रूप से रोकने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। मामले के अनुसार आक्षेपित अधिसूचना/आदेश के अंतर्गत माँ ललिता देवी शक्तिपीठ, नैमिषारण्य, जिला सीतापुर , माँ विंध्यवासिनी शक्तिपीठ, जिला मिर्ज़ापुर, माँ पाटेश्वरी शक्तिपीठ, देवीपाटन तुलसीपुर , जिला बलरामपुर एवं शाकुंभरी माता मंदिर , जिला सहारनपुर में आयोजित होने वाले मेलों/मेलों के संबंध में राजकीय/सरकारी मेला घोषित किया गया है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर