फाजिल्का में कार ने बाइक को टक्कर मार दी। हादसे में मां की टांग टूट गई, जबकि बेटे के मुंह पर चोट लगी है। महिला बच्चे की दवाई लेने के लिए अस्पताल जा रही थी। वहीं कार ड्राइवर मौके से फरार हो गया। देस सिंह ने बताया कि वह गांव सलेमशाह के रहने वाले है और अपने बच्चे की दवाई लेने के लिए गांव से फाजिल्का आए थे। इसी दौरान रास्ते में एक कार ड्राइवर ने उन्हें टक्कर मार दी l जिससे बाइक सवार उसकी पत्नी और उसके तीन वर्षीय बच्चा घायल हो गया है। हादसा के बाद आरोपी ड्राइवर फरार देस सिंह का आरोप है कि कार ड्राइवर ने ड्रिंक की हुई थी l जिस वजह से हादसा हुआ। ड्राइवर कार लेकर मौके से फरार हो गया l दोनों घायलों को इलाज के लिए फाजिल्का के सरकारी अस्पताल में दाखिल करवाया गया है l फाजिल्का में कार ने बाइक को टक्कर मार दी। हादसे में मां की टांग टूट गई, जबकि बेटे के मुंह पर चोट लगी है। महिला बच्चे की दवाई लेने के लिए अस्पताल जा रही थी। वहीं कार ड्राइवर मौके से फरार हो गया। देस सिंह ने बताया कि वह गांव सलेमशाह के रहने वाले है और अपने बच्चे की दवाई लेने के लिए गांव से फाजिल्का आए थे। इसी दौरान रास्ते में एक कार ड्राइवर ने उन्हें टक्कर मार दी l जिससे बाइक सवार उसकी पत्नी और उसके तीन वर्षीय बच्चा घायल हो गया है। हादसा के बाद आरोपी ड्राइवर फरार देस सिंह का आरोप है कि कार ड्राइवर ने ड्रिंक की हुई थी l जिस वजह से हादसा हुआ। ड्राइवर कार लेकर मौके से फरार हो गया l दोनों घायलों को इलाज के लिए फाजिल्का के सरकारी अस्पताल में दाखिल करवाया गया है l पंजाब | दैनिक भास्कर
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होशियारपुर में तेज रफ्तार कार ने दंपती को कुचला:बुजुर्ग की मौत-महिला घायल, गुरुद्वारा साहिब से लौट रहे थे, अन्य वाहनों को मारी टक्कर
होशियारपुर में तेज रफ्तार कार ने दंपती को कुचला:बुजुर्ग की मौत-महिला घायल, गुरुद्वारा साहिब से लौट रहे थे, अन्य वाहनों को मारी टक्कर होशियारपुर के चगरां में तेज रफ्तार कार ने एक एक्टिवा पर सवार बुजुर्ग दंपती को टक्कर मार दी। बेकाबू कार ने कई वाहनों को भी टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया। कार की तेज रफ्तार देखकर कई लोगों ने भागकर अपनी जान बचाई। इस हादसे में एक्टिवा सवार बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि महिला को उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गांव नंदन के पूर्व सरपंच सुखवीर सिंह ने बताया कि गांव नंदन निवासी दिलबाग सिंह (75) अपनी पत्नी परमजीत कौर (68) के साथ घर से अपनी एक्टिवा पर सवार होकर गुरुद्वारा शहीदां लधेवाल (माहिलपुर) में माथा टेकने गए थे। देर शाम जब वह वापस लौट रहे थे तो गांव चगरां के अड्डे पर माहिलपुर की ओर से आ रही तेज रफ्तार कार के चालक ने कार को लापरवाही और तेजी से चलाते हुए उनकी एक्टिवा को पीछे से टक्कर मार दी। लोगों ने कार चालक को पकड़ पुलिस को सौंपा कार बेकाबू होकर दुकानों के आगे पोल से टकराती हुई आगे बढ़ गई और अन्य कई वाहनों को भी टक्कर मार दी। इस हादसे में घायल हुए दिलबाग सिंह और उनकी पत्नी परमजीत कौर को उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पर दिलबाग सिंह की मौत हो गई। हादसे को अंजाम देकर भाग रहे कार चालक को लोगों ने पीछा करके पकड़ लिया लिया है। जानकारी पाकर मौके पर पहुंची थाना चब्बेवाल पुलिस ने कार कब्जे में ले लिया है। पुलिस ने आरोपी कार चालक काे हिरासत में लेकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
अमृतसर में जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने बुलाई बैठक:अकाली दल अध्यक्ष समेत 2007-17 के मंत्रियों को किया तलब; सजा का हो सकता ऐलान
अमृतसर में जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने बुलाई बैठक:अकाली दल अध्यक्ष समेत 2007-17 के मंत्रियों को किया तलब; सजा का हो सकता ऐलान जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने 2 दिसंबर को दोपहर एक बजे श्री अकाल तख्त साहिब पर पांच सिख साहिबानों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर बादल के साथ 2007-2017 के दौरान पद पर रहे मंत्रियों, 2015 की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्यों और मौजूदा अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को बुलाया गया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में सुखबीर बादल और 2007-17 के दौरान अकाली दल के मंत्रियों को सजा सुनाई जा सकती है। कुछ दिन पहले सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब में पेश हुए थे और उन्होंने मांग की थी कि उन्हें तनखैया घोषित किए हुए तीन महीने से अधिक का समय बीत चुका है और उन्हें अब सजा सुनाई जानी चाहिए। वहीं, दो दिन पहले श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी संकेत दिए थे कि मुद्दों को लेकर कुछ दिनों में बैठक बुलाई जा सकती है। सुखबीर ने लिखा-सारे वर्कर चाहते थे मैं चुनाव लड़ूं श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे सुखबीर बादल ने अपने लिखित आवेदन में कहा था कि पार्टी के सारे वर्कर चाहते थे कि विशेष हालात के चलते मुझे अभी हो रहे उपचुनाव लड़ने और प्रचार की इजाजत दी जाए। उपचुनाव न लड़ पाने के कारण पंथ और पंजाब को बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन अकाल पुरख की रजा में उन्होंने यह नुकसान झेला है। इसीलिए उनकी सजा पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाए और उन्हें इजाजत दी जाए कि वह पंथ विरोधी ताकतों से डटकर मुकाबला कर सकें। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुनाई थी सजा सुखबीर बादल को जुलाई महीने में धार्मिक सजा सुना दी गई है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर को तनखैया करार दिया था। सुखबीर बादल पर उनकी सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने के अलावा सुमेध सैनी को DGP नियुक्त करने और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगा था। फैसला सुनाते हुए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा था- ”अकाली दल प्रधान और डिप्टी CM रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ।” बागी गुट की शिकायत के बाद शुरू हुआ था विवाद दूसरी तरफ बागी गुट के प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जगीर कौर, परमिंदर सिंह ढींढसा 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे थे। इस दौरान जत्थेदार को माफीनामा सौंपा गया था। जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई- 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। 4 जुलाई को स्पष्टीकरण मांगा, 24 को बंद लिफाफे में जवाब दिया इसके बाद 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई। जिसमें 15 दिन के अंदर सुखबीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। जिसके बाद 24 जुलाई को सुखबीर बादल ने बंद लिफाफे में श्री अकाल तख्त साहिब को स्पष्टीकरण दिया था। सुखबीर बादल के स्पष्टीकरण को सार्वजनिक करने की मांग उठने लगी। जिसके बाद 5 जुलाई को स्पष्टीकरण सार्वजनिक किया गया। जानें क्या लिखा था स्पष्टीकरण में सुखबीर बादल द्वारा श्री अकाल तख्त पर बंद लिफाफे में दिए गए स्पष्टीकरण के साथ दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का भी एक पुराना पत्र वायरल किया, जो बेअदबी की घटनाओं के बाद लिखा गया था। इसमें प्रकाश सिंह बादल ने अपने दिल का दर्द बयां किया था। प्रकाश सिंह बादल द्वारा अक्टूबर 2015 में श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को दिए गए पत्र में बेअदबी की घटनाओं पर अपना दुख व्यक्त किया था। सितंबर 2015 में बेअदबी की बड़ी घटनाएं हुईं। उस वक्त आरोपियों को पकड़ न पाने के प्रदर्शन के लिए तत्कालीन अकाली सरकार की आलोचना हुई थी। 17 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेका और श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को एक पत्र सौंपा था। इसमें उन्होंने लिखा था कि पंजाब का प्रशासनिक मुखिया होने के नाते मुझे इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी है। मैंने सौंपे गए कर्तव्यों का पूरी लगन और परिश्रम से पालन करने की कोशिश की है, लेकिन अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते समय कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जो अचानक घटित होता है। इससे आपका मन गहरी पीड़ा से गुजरता है और आप आत्मिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इस मामले में हमारी पश्चाताप की भावना प्रबल है। ऐसे समय में वे आंतरिक पीड़ा से भी गुजर रहे हैं, ऐसी भावना के साथ, वे गुरु को नमन कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि गुरु साहिब शक्ति और दया प्रदान करें।
किसान नेता भूख हड़ताल शुरू करने से पहले हिरासत में:शंभू बॉर्डर का एक हिस्सा खोला जाएगा, बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली के दिल्ली जा सकेंगे किसान
किसान नेता भूख हड़ताल शुरू करने से पहले हिरासत में:शंभू बॉर्डर का एक हिस्सा खोला जाएगा, बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली के दिल्ली जा सकेंगे किसान हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर मरणव्रत (भूख हड़ताल) शुरू करने से पहले संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पंजाब पुलिस उन्हें लुधियाना स्थित DMC अस्पताल ले गई है। कोई व्यक्ति उन तक न पहुंचे, इसके लिए अस्पताल के आसपास के एरिया को सील कर दिया गया है। अस्पताल में डल्लेवाल कुछ नहीं खा रहे हैं। उनको हिरासत में लिए जाने के बाद किसान नेता और पूर्व फौजी सुखजीत सिंह हरदो झंडे खनौरी बॉर्डर पर मरणव्रत पर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर वे इस अनशन के दौरान मर जाते हैं तो उनका शव यहीं रहेगा और दूसरा किसान मरणव्रत पर बैठ जाएगा। एक अन्य नेता ने बताया कि डल्लेवाल ठीक हैं। जैसा उन्होंने (डल्लेवाल) कहा था कि वह 26 से मरणव्रत पर बैठेंगे, उन्होंने लुधियाना में कुछ खाया नहीं है। इस बीच किसानों ने खनौरी बॉर्डर पर पहुंचकर प्रदर्शन भी किया। वहीं हरियाणा और पंजाब के सीनियर अधिकारियों की बैठक में सहमति बनी है कि शंभू बॉर्डर का 4 फीट का एरिया खोला जाएगा, ताकि किसान बिना ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के आगे बढ़ सकें। हालांकि औपचारिक ऐलान नहीं हुआ, लेकिन बैरिकेडिंग हटाना शुरू कर दी गई है। डल्लेवाल की हिरासत पर पहलवान बजरंग पूनिया ने कहा कि संविधान दिवस पर यह संविधान की हत्या है। मैं खनौरी बॉर्डर मोर्चे पर समर्थन में पहुंच रहा हूं। आप सब भी आइए और केंद्र और पंजाब सरकार के इस जुगलबंदी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाइए। जो किसान, नौजवान शंभू बॉर्डर के नजदीक हैं, वो शंभू बॉर्डर पहुंचे। इससे पहले किसान नेता सरवन पंधेर ने कहा कि सोमवार रात करीब 2 बजे डल्लेवाल को खनौरी बॉर्डर से उठा लिया गया है। उन्हें कहां ले गए हैं, इसकी जानकारी नहीं है। जिन्होंने डल्लेवाल को उठाया है, उनमें कई पुलिसवाले हिंदी भाषा बोल रहे थे। डल्लेवाल को CM भगवंत मान के ज्यूरिस्डिक्शन से उठाया गया है, इसलिए पंजाब सरकार को किसानों के प्रति अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। बताना होगा कि उन्हें कहां ले गए हैं? अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। बड़े अपडेट्स… DIG बोले- प्रशासन को उम्र-सेहत की चिंता
पटियाला रेंज के DIG मनदीप सिंह सिद्धू ने कहा कि डल्लेवाल ने मरणव्रत की घोषणा की थी। उनकी उम्र और सेहत की वजह से प्रशासन चिंतित था। मरणव्रत के ऐलान के बाद भीड़ हो जाती है, जिससे स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाती। इसी वजह से प्रशासन ने फैसला किया कि उनकी मेडिकल जांच कराई जाए। इसके लिए उन्हें लुधियाना डीएमसी लेकर आए हैं। डल्लेवाल को हिरासत में लेने के बाद की 2 तस्वीरें किसान नेता क्या बोले… कोहाड़ बोले- उन्हें गर्म कपड़े भी नहीं पहनने दिए
डल्लेवाल के साथ मौजूद रहे किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ का कहना है कि रात के समय जब डल्लेवाल रेस्ट कर रहे थे, तभी दोनों तरफ से पुलिस पहुंची और उन्हें डिटेन करके ले गई। जिस समय डल्लेवाल को उठाया गया, उन्होंने सिर्फ कुर्ता पहन रखा था। 68 साल के डल्लेवाल को न पजामा और न ही गर्म कपड़े पहनने दिए। कोहाड़ ने कहा कि मरणव्रत जरूर शुरू होगा। पहले भी डिसाइड था कि अगर जगजीत डल्लेवाल को कुछ होगा तो अगला किसान नेता मरणव्रत पर बैठेगा। अब अगर एक किसान नेता भूख हड़ताल पर नहीं बैठेगा तो अन्य किसान नेता उनकी जगह भूख हड़ताल पर बैठेंगे। जल्द ही किसान संगठन बैठक कर निर्णय लेंगे कि अब कौन मरणव्रत पर बैठेगा। किसानों से मोर्चों पर पहुंचने की अपील
किसान नेता अमरजीत सिंह मोहड़ी ने कहा कि आज जगजीत सिंह डल्लेवाल को मरणव्रत पर बैठना था, लेकिन पंजाब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसलिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में किसान खनौरी व शंभू बॉर्डर पर पहुंचे। हमें मोर्चे को मजबूत करना है, ताकि किसी और साथी के साथ ऐसा न हो। अब जानिए राजनेताओं ने क्या कहा… बिट्टू बोले- केंद्रीय एजेंसियों का हाथ नहीं
केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा- किसान नेता डल्लेवाल को हिरासत में लेना भगवंत मान सरकार का फैसला है। उनकी गिरफ्तारी में किसी केंद्रीय एजेंसी का हाथ नहीं है। यह पूरी तरह से राज्य पुलिस का काम है, जिसका उद्देश्य वास्तविक मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों पर दोष मढ़ना है। केंद्र सरकार हमेशा किसानों के कल्याण के लिए काम करती है और इस तरह के हथकंडे नहीं अपनाती। अकाली नेता मजीठिया बोले- डल्लेवाल को गिरफ्तार करना निंदनीय
शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि डल्लेवाल को गिरफ्तार करना निंदनीय है। वह लंबे समय से किसानों की मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। आज उन्होंने कोई गैरकानूनी काम नहीं करना था, शांतिमय तरीके से धरने पर बैठना था। अगर वह भी अधिकार हमारे पास नहीं रह गया तो यह संविधान के विपरीत है। बहुत बड़ी बात है। मजीठिया ने कहा कि केंद्रीय मंत्री बिट्टू साहब का कहना था कि बड़ी जल्दी किसान नेताओं पर कार्रवाई होगी। यह बात आज सच्ची हो गई है। किसान नेताओं पर झूठे पर्चे दर्ज किए जा रहे हैं। अनशन पर जाने से पहले डल्लेवाल ने जमीन परिवार के नाम की
डल्लेवाल ने 4 नवंबर को ऐलान किया था कि पार्लियामेंट सेशन शुरू होते ही वह भूख हड़ताल पर बैठेंगे। इसके बाद 6 दिसंबर को किसान दिल्ली कूच करेंगे। एक दिन पहले सोमवार को फरीदकोट में जगजीत सिंह डल्लेवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि वह सिर पर कफन बांधकर आमरण अनशन पर बैठने जा रहे हैं। केंद्र सरकार को उनकी मांगें पूरी करनी होंगी या फिर वह अपनी जान कुर्बान कर देंगे। उनकी मौत से भी आंदोलन नहीं रुकेगा। मौत के बाद दूसरे नेता आमरण अनशन शुरू करेंगे। इसलिए अपनी जमीन को पुत्र, पुत्रवधू और पौत्र के नाम करवा दिया है, ताकि कोई विवाद न रहे। किसान संगठन जागरूकता अभियान के तहत घर-घर जाकर समर्थन जुटा रहे हैं और अपनी मांगों के बारे में लोगों को जानकारी दे रहे हैं। बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली दिल्ली जाएंगे किसान
इधर, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने 18 नवंबर को ऐलान किया था कि किसान 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने कहा था कि 9 महीने से किसान चुप बैठे हैं, लेकिन सरकारों की ओर से हमारी उपेक्षा की जा रही है। इस कारण दिल्ली जाने का फैसला लिया है। इस बार किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के बजाय पैदल मार्च करेंगे। इसमें पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसान शामिल होंगे। सरकार के पास 10 दिन का समय है। किसानों-सरकार की मीटिंग बेनतीजा रही
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी और किसान नेताओं की 4 नवंबर को चंडीगढ़ में मीटिंग हुई थी। इसकी अध्यक्षता रिटायर्ड जस्टिस नवाब सिंह ने की। मीटिंग में किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरे किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल नहीं पहुंचे। पंधेर ने मीटिंग में आने से मना कर दिया था, जबकि डल्लेवाल ने तबीयत खराब होने का हवाला दिया था। डल्लेवाल के संगठन के सदस्य मीटिंग में शामिल हुए। किसानों ने अपनी 12 मांगें सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के सामने रखीं। किसानों ने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। 13 फरवरी को दिल्ली कूच करने निकले थे
फसलों पर MSP की गारंटी समेत दूसरी मांगों को लेकर पंजाब के किसान 13 फरवरी 2024 को दिल्ली कूच करने के लिए निकले थे। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर, खनौरी बॉर्डर और डबवाली बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। शंभू बॉर्डर पर किसानों ने पंजाब की तरफ स्थायी मोर्चा बना लिया। ऐसे में वहां से आवाजाही बंद है। इससे अंबाला के व्यापारियों को परेशानी हो रही है। इस कारण उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। ————————– डल्लेवाल से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… डल्लेवाल की गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस सांसद, सैलजा बोलीं- बीजेपी सरकार किसान विरोधी हरियाणा के सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की गिरफ्तारी पर ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा, किसान पहले भी आंदोलनरत था और आज भी आंदोलनरत है। भाजपा सरकार अपने वादों पर खरी नहीं उतरी है, सच तो ये है कि भाजपा सरकार में सबसे ज्यादा किसान उपेक्षा का शिकार हैं। पूरी खबर पढ़ें…