यूपी में दो सिर के साथ पैदा हुआ बच्चा, मुश्किल ऑपरेशन के बाद मिली नई जिंदगी

यूपी में दो सिर के साथ पैदा हुआ बच्चा, मुश्किल ऑपरेशन के बाद मिली नई जिंदगी

<p style=”text-align: justify;”><strong>Prayagraj News:</strong> उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में दो सिर वाले एक बच्चे ने जन्म लिया. तीन बहनों के बाद इस बच्चे के जन्म की खबर परिवार वालों को मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, लेकिन जैसे ही दो सर होने और इसे लाइलाज बीमारी बताकर तमाम अस्पतालों और डॉक्टर्स द्वारा इंकार किए जाने पर खुशियों वाले घर में मातम पसर गया. हालांकि प्रयागराज के डॉक्टर्स की टीम ने बेहद जटिल ऑपरेशन के बाद बच्चे के एक सर को अलग निकालकर उसे पूरी तरह ठीक कर दिया है. ऑपरेशन के ग्यारह दिनों बाद बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ और सामान्य है और उसे आज अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>डॉक्टर्स के मुताबिक बच्चा अपनी मां के गर्भ में ही एन्सेफ्लो सील नाम की बीमारी की चपेट में आ गया था. यह रेयरेस्ट बीमारी करोड़ों में किसी एक बच्चे को होती है. इसका ऑपरेशन बेहद जटिल होता है और पीड़ित बच्चे के बचने की गुंजाइश बहुत कम होती है. महज 21 दिन के इस बच्चे का बेहद जटिल ऑपरेशन प्रयागराज के नारायण स्वरूप हॉस्पिटल के सर्जन डा० राजीव सिंह और तीन अन्य डॉक्टर्स की टीम ने साढ़े चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बीच किया था. बच्चे के इस सफल ऑपरेशन को डॉक्टर्स की टीम अब गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की तैयारी में है. सफल ऑपरेशन के जरिए एक सर अलग होने के बाद बच्चा अब आगे की जिंदगी सामान्य तौर पर जी सकेगा. बच्चे के स्वस्थ और सामान्य होने पर परिवार वालों ने अस्पताल में ही नामकरण करते हुए उसे वैभव नाम दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नवजात बच्चे एन्सेफलो सील नाम की बीमारी से ग्रसित<br /></strong>फतेहपुर जिले की खागा तहसील के पवन कुमार की तीन बेटियां हैं. पूरा परिवार वंश आगे बढ़ाने के लिए एक बेटे की चाहत रखे हुआ था. उनकी पत्नी रचना ने पिछले महीने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बेटे को जन्म दिया तो पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहे. परिवार ने जश्न मनाना शुरू कर दिया था. मिठाइयां बांटनी शुरू कर दी थी, लेकिन कुछ देर बाद ही जब उन्हें यह पता चला कि बच्चे के दो सर हैं और वह तकरीबन ला इलाज समझी जाने वाली एन्सेफलो सील नाम की बीमारी से ग्रसित है तो हड़कंप मच गया. परिवार के लोगों ने फतेहपुर और कानपुर से लेकर कई शहरों के बड़े अस्पतालों और डॉक्टर्स से संपर्क किया, तो किसी ने फौरन हाथ खड़े कर दिए तो किसी ने दो से तीन दिन एडमिट करने के बाद जवाब दे दिया.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>परिवार के लोग ना उम्मीद होकर घर आ गए और अनहोनी का इंतजार करने लगे. इस बीच उन्हें किसी ने जानकारी दी की प्रयागराज के नारायण स्वरूप हॉस्पिटल के संचालक और नामचीन सर्जन डा. राजीव सिंह साल 2007 में इस तरह का एक सफल ऑपरेशन कर चुके हैं. परिवार वाले उनके पास पहुंचे तो उन्होंने न्यूरोसर्जन, पीडियाट्रिक व अन्य डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम बनाकर तीन दिन तक उसकी देखरेख की और उसके बाद दो दिसंबर को ऑपरेशन किया. महज 21 दिन के बच्चे का ऑपरेशन साढ़े चार घंटे चला. ऑपरेशन में गर्दन के पास से जुड़े हुए दूसरे सर को अलग कर दिया गया. दूसरे सर में भी आंख और नाक उभर रही थी. हालांकि शरीर के किसी महत्वपूर्ण हिस्से से सीधा संबंध नहीं होने की वजह से दूसरे सर में जहर फैल रहा था और बच्चे के शरीर को नुकसान पहुंचा रहा था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ऑपरेशन के बाद बच्चा स्वस्थ<br /></strong>बहरहाल यह बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ है. सफल ऑपरेशन के बावजूद उसे ग्यारह दिनों तक अस्पताल में निगरानी में रखा गया और आज उसे छुट्टी दी जा रही है. बच्चे का सफल ऑपरेशन होने के बाद उसकी मां रचना और परिवार के दूसरे सदस्य बेहद खुश हैं. परिवार के लोग डा० राजीव सिंह और उनकी टीम की जमकर तारीफ कर रहे हैं और उन्हें धरती का भगवान बताते हुए दुआएं दे रहे हैं. बच्चे का ऑपरेशन करने वाले प्रयागराज के सीनियर सर्जन डा० राजीव सिंह के मुताबिक बच्चों की उम्र में 21 दिन होने की वजह से ऑपरेशन बेहद मुश्किल था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पहले तो उनकी टीम के डॉक्टर्स ने भी हाथ खड़े कर दिए थे, लेकिन परिवार वालों ने जिस तरह से बच्चे की जिंदगी उनके हाथ सौंप दी थी, उसके बाद उन्होंने अपना पूरा अनुभव झोंकने का फैसला लिया. ऑपरेशन में डा० राजीव सिंह के साथ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जे के सिंह, न्यूरोसर्जन डा० नितेश सिंह और डॉक्टर पुष्कर की भी बेहद अहम भूमिका रही. डॉक्टर्स के मुताबिक दो सर के साथ एन्सेफलो सील की बीमारी और इसका सफल इलाज दोनों ही रेयरेस्ट होता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/pickup-overturned-out-of-control-on-purvanchal-expressway-in-amethi-ann-2842180″>Road Accident: पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर मजदूरों से भरी पिकअप पलटी, एक व्यक्ति की मौत, चार घायल</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Prayagraj News:</strong> उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में दो सिर वाले एक बच्चे ने जन्म लिया. तीन बहनों के बाद इस बच्चे के जन्म की खबर परिवार वालों को मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, लेकिन जैसे ही दो सर होने और इसे लाइलाज बीमारी बताकर तमाम अस्पतालों और डॉक्टर्स द्वारा इंकार किए जाने पर खुशियों वाले घर में मातम पसर गया. हालांकि प्रयागराज के डॉक्टर्स की टीम ने बेहद जटिल ऑपरेशन के बाद बच्चे के एक सर को अलग निकालकर उसे पूरी तरह ठीक कर दिया है. ऑपरेशन के ग्यारह दिनों बाद बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ और सामान्य है और उसे आज अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>डॉक्टर्स के मुताबिक बच्चा अपनी मां के गर्भ में ही एन्सेफ्लो सील नाम की बीमारी की चपेट में आ गया था. यह रेयरेस्ट बीमारी करोड़ों में किसी एक बच्चे को होती है. इसका ऑपरेशन बेहद जटिल होता है और पीड़ित बच्चे के बचने की गुंजाइश बहुत कम होती है. महज 21 दिन के इस बच्चे का बेहद जटिल ऑपरेशन प्रयागराज के नारायण स्वरूप हॉस्पिटल के सर्जन डा० राजीव सिंह और तीन अन्य डॉक्टर्स की टीम ने साढ़े चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बीच किया था. बच्चे के इस सफल ऑपरेशन को डॉक्टर्स की टीम अब गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की तैयारी में है. सफल ऑपरेशन के जरिए एक सर अलग होने के बाद बच्चा अब आगे की जिंदगी सामान्य तौर पर जी सकेगा. बच्चे के स्वस्थ और सामान्य होने पर परिवार वालों ने अस्पताल में ही नामकरण करते हुए उसे वैभव नाम दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नवजात बच्चे एन्सेफलो सील नाम की बीमारी से ग्रसित<br /></strong>फतेहपुर जिले की खागा तहसील के पवन कुमार की तीन बेटियां हैं. पूरा परिवार वंश आगे बढ़ाने के लिए एक बेटे की चाहत रखे हुआ था. उनकी पत्नी रचना ने पिछले महीने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बेटे को जन्म दिया तो पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहे. परिवार ने जश्न मनाना शुरू कर दिया था. मिठाइयां बांटनी शुरू कर दी थी, लेकिन कुछ देर बाद ही जब उन्हें यह पता चला कि बच्चे के दो सर हैं और वह तकरीबन ला इलाज समझी जाने वाली एन्सेफलो सील नाम की बीमारी से ग्रसित है तो हड़कंप मच गया. परिवार के लोगों ने फतेहपुर और कानपुर से लेकर कई शहरों के बड़े अस्पतालों और डॉक्टर्स से संपर्क किया, तो किसी ने फौरन हाथ खड़े कर दिए तो किसी ने दो से तीन दिन एडमिट करने के बाद जवाब दे दिया.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>परिवार के लोग ना उम्मीद होकर घर आ गए और अनहोनी का इंतजार करने लगे. इस बीच उन्हें किसी ने जानकारी दी की प्रयागराज के नारायण स्वरूप हॉस्पिटल के संचालक और नामचीन सर्जन डा. राजीव सिंह साल 2007 में इस तरह का एक सफल ऑपरेशन कर चुके हैं. परिवार वाले उनके पास पहुंचे तो उन्होंने न्यूरोसर्जन, पीडियाट्रिक व अन्य डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम बनाकर तीन दिन तक उसकी देखरेख की और उसके बाद दो दिसंबर को ऑपरेशन किया. महज 21 दिन के बच्चे का ऑपरेशन साढ़े चार घंटे चला. ऑपरेशन में गर्दन के पास से जुड़े हुए दूसरे सर को अलग कर दिया गया. दूसरे सर में भी आंख और नाक उभर रही थी. हालांकि शरीर के किसी महत्वपूर्ण हिस्से से सीधा संबंध नहीं होने की वजह से दूसरे सर में जहर फैल रहा था और बच्चे के शरीर को नुकसान पहुंचा रहा था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ऑपरेशन के बाद बच्चा स्वस्थ<br /></strong>बहरहाल यह बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ है. सफल ऑपरेशन के बावजूद उसे ग्यारह दिनों तक अस्पताल में निगरानी में रखा गया और आज उसे छुट्टी दी जा रही है. बच्चे का सफल ऑपरेशन होने के बाद उसकी मां रचना और परिवार के दूसरे सदस्य बेहद खुश हैं. परिवार के लोग डा० राजीव सिंह और उनकी टीम की जमकर तारीफ कर रहे हैं और उन्हें धरती का भगवान बताते हुए दुआएं दे रहे हैं. बच्चे का ऑपरेशन करने वाले प्रयागराज के सीनियर सर्जन डा० राजीव सिंह के मुताबिक बच्चों की उम्र में 21 दिन होने की वजह से ऑपरेशन बेहद मुश्किल था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पहले तो उनकी टीम के डॉक्टर्स ने भी हाथ खड़े कर दिए थे, लेकिन परिवार वालों ने जिस तरह से बच्चे की जिंदगी उनके हाथ सौंप दी थी, उसके बाद उन्होंने अपना पूरा अनुभव झोंकने का फैसला लिया. ऑपरेशन में डा० राजीव सिंह के साथ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जे के सिंह, न्यूरोसर्जन डा० नितेश सिंह और डॉक्टर पुष्कर की भी बेहद अहम भूमिका रही. डॉक्टर्स के मुताबिक दो सर के साथ एन्सेफलो सील की बीमारी और इसका सफल इलाज दोनों ही रेयरेस्ट होता है.</p>
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